भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में भारी बहुमत के साथ सत्ता हासिल कर ली है। ऐसे में संकट के दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी और उनके नेतृत्व की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल जिस राहुल गांधी के भरोसे पार्टी देश की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, वह बेहद कमजोर है। राहुल गांधी का रिकॉर्ड तो ये है कि अब तक उनके नेतृत्व में जितने भी चुनाव लड़े गए उनमें कांग्रेस हारती ही चली आ रही है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब सिर्फ दो राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बची है। अब वह महज ढाई प्रतिशत आबादी पर ही काबिज है।

तीन राज्यों की 2.5 प्रतिशत आबादी पर कांग्रेस की सत्ता
लगातार छोटी होती जा रही कांग्रेस के पास सिर्फ तीन राज्य बचे हैं। अब सिर्फ पंजाब, पुडुचेरी और मिजोरम में कांग्रेस की सरकार बची है। अगर आबादी के लिहाज से देखा जाए तो देश में पंजाब में 2.30 प्रतिशत आबादी है। इसके साथ मिजोरम की 0.09 और पुडुचेरी की 0.10 प्रतिशत आबादी को ही कांग्रेस पर विश्वास है।
| कांग्रेस शासित राज्य | आबादी प्रतिशत में |
| पंजाब | 2.30 |
| मिजोरम | 0.09 |
| पुडुचेरी | 0.10 |
क्षेत्रीय पार्टियों से भी छोटी हो गई कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी की हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह कई क्षेत्रीय दलों से भी कम आबादी पर ही शासन कर रही है। ऐसे राज्य जहां भारतीय जनता पार्टी या एनडीए की सरकार नहीं है वहां भी कांग्रेस का अस्तित्व नहीं है। पश्चिम बंगाल की 7.5 प्रतिशत आबादी पर टीएमसी, तमिलनाडु में एआइएडीएमके 6 प्रतिशत, आध्र प्रदेश में टीडीपी 4 प्रतिशत, ओडिशा में बीजेडी 3.47 प्रतिशत, तेलंगाना में टीआरएस 2.9 प्रतिशत और केरल में 2.76 प्रतिशत आबादी पर लेफ्ट पार्टियों की सत्ता है। जाहिर है कांग्रेस पार्टी कई क्षेत्रीय पार्टियों से भी छोटी हो गई है।
| गैर बीजेपी, गैर कांग्रेसी दलों की सरकार | आबादी प्रतिशत में |
| पश्चिम बंगाल | 7.5 |
| तमिलनाडु | 6.0 |
| आंध्र प्रदेश | 4.0 |
| ओडिशा | 3.47 |
| तेलंगाना | 2.9 |
| केरल | 2.76 |
| दिल्ली | 1.38 |
अब 21 राज्यों में एनडीए/बीजेपी की सरकार
कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद अब 21 राज्यों में एनडीए/बीजेपी की सरकार हो गई है। अब अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, जबकि पांच राज्यों- बिहार, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और नागालैंड में गठबंधन की सरकार है।

| बीजेपी/एनडीए के राज्य | आबादी प्रतिशत में |
| उत्तर प्रदेश | 16.5 |
| महाराष्ट्र | 9.28 |
| बिहार | 8.6 |
| मध्य प्रदेश | 0.6 |
| राजस्थान | 5.6 |
| कर्नाटक | 5.5 |
| गुजरात | 5.0 |
| हरियाणा | 2.9 |
| झारखंड | 2.7 |
| असम | 2.6 |
| छत्तीसगढ़ | 2.1 |
| जम्मू-कश्मीर | 1.04 |
| उत्त्तराखंड | 0.84 |
| हिमाचल | 0.57 |
| गोवा | 0.12 |
| मणिपुर | 0.22 |
| अरुणाचल | 0.11 |
| सिक्किम | 0.05 |
| नागालैंड | 0.16 |
| त्रिपुरा | 0.30 |
| मेघालय | 0.24 |
लगातार हार से राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
एक के बाद एक चुनावों में लगातार हार राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक समझ पर सवालिया निशान खड़े कर रही है। राहुल के नेतृत्व में लड़े गए 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी के खाते में महज 28 सीटें आई, वहीं पंजाब में अकाली-भाजपा की सरकार बनी।
2014 लोकसभा चुनाव में सिर्फ 44 सीटों पर जीत मिलने के साथ ही पार्टी प्रमुख विपक्षी दल तक नहीं बन पाई। इसी तरह महाराष्ट्र व हरियाणा से सत्ता गंवा दी। यही स्थिति झारखंड और जम्मू-कश्मीर में रही जहां करारी हार मिलने से पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।
2015 में महागठबंधन के चलते बिहार में किसी तरह जीत मिली, लेकिन दिल्ली में सूपड़ा साफ हो गया। यहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।
2016 में असम के साथ केरल और पश्चिम बंगाल में हार का मुंह देखना पड़ा। सात राज्यों में हुए चुनाव के नतीजों ने राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता में कमजोरी की पोल खोल दी।
2017 में गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस को भारी हार मिली। पंजाब में जीत कैप्टन अमरिंदर सिंह की विश्वसनीयता और मेहनत की हुई। गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही।
दिसंबर, 2017 कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद भी राहुल गांधी को हार पर हार मिल रही है। वर्ष 2018 में त्रिपुरा, नागालैैंड और मेघालय में हुए चुनावों में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, और अब कर्नाटक भी हाथ से चला गया।










