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तेजस्वी यादव के हाथ से छूटी स्टेयरिंग, CM Face के लिए कांग्रेस ने दिखाई आंखें, जनता तय करेगी मुख्यमंत्री

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बिहार में कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर चलते राजद तेजस्वी यादव आधी बाजी तो हार गए हैं। दरअसल, यात्रा के बाद से कांग्रेस को लगता है कि बिहार की जनता उसके साथ है, इसलिए वह अब राजद से अपनी शर्तों पर ही गठबंधन करेगी। यानी कम से कम मनमाफिक 70 सीटें और NO सीएम फेस। बिहार के कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने सीएम फेस को लेकर पूछे गए सवाल पर दो टूक जवाब दे दिया कि चुनाव से पहले यह तय नहीं होगा और मुख्यमंत्री बिहार की जनता ही तय करेगी। इसके बाद कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के पास अब कोई विकल्प नही रह गया है। कांग्रेस के तेजस्वी यादव को इस झटके के साथ ही बीजेपी ने भी तंज करते हुए कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की ड्राइविंग सीट अब तेजस्वी के हाथ से छूट गई है। चुनाव से पहले सीएम फेस बनने के तेजस्वी यादव के सपने हवा-हवाई हो गए हैं। उधर तेजस्वी पर लालू के दूसरे लाल ने भी हमले तेज कर दिए हैं।

कांग्रेस-राजद में मतभेद शुरू, दोनों दल अलग यात्रा निकालेंगे
कांग्रेस ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकालकर तेजस्वी को झटका दे दिया है। इसके चलते अब कांग्रेस और राजद के बीच मतभेदों की शुरुआत हो गई है। वोटर अधिकार यात्रा में जहां दोनों दलों के नेता एकसाथ दिखे, वहीं अब दोनों ही दलों ने अलग-अलग यात्रा निकालने का फैसला ले लिया है। बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर दिल्ली में हुए कांग्रेस के मंथन के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि अब राज्य में हर घर अधिकार यात्रा निकाली जाएगी। हम फिर से जनता के बीच हर घर अधिकार यात्रा लेकर जाएंगे। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार अधिकार यात्रा निकालने का घोषणा की है। तेजस्वी की यात्रा 16 सितंबर से जहानाबाद से शुरू होगी और 20 सितंबर को वैशाली में खत्म होगी। यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव लोगों से संवाद करेंगे।

तेजस्वी यादव के सीएम फेस बनने के सपने को चकनाचूर किया
इधर दिल्ली में तेजस्वी यादव के सीएम फेस बनने के सपने को चकनाचूर करते हुए बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने साफ-साफ कहा कि जनता ही तय करेगी कि कौन बनेगा बिहार के मुख्यमंत्री। चुनाव से पहले किसी को सीएम फेस बनाने पर कोई फैसला नहीं हुआ है। बता दें कि कुछ दिनों पहले राहुल गांधी भी महागठबंधन में सीएम फेस बनाने के सवाल को टाल गए थे। जबकि इससे पहले तेजस्वी यादव चापलूसी की सारी हदें पार करते हुए अभी से राहुल गांधी के अगले लोकसभा चुनाव का पीएम फेस बता रहे थे।

कम से कम मनमाफिक 70 सीटें और NO सीएम फेस- कांग्रेस
वहीं सीट शेयरिंग के सवाल पर अल्लावरू ने कहा कि, हम मानते हैं कि गठबंधन में नए साथी आएंगे तो सभी को कंप्रोमाइज करना होगा, तभी नए साथी को मौका मिलेगा। हर प्रदेश में अच्छी और खराब सीटें होती हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में बिहार के नेताओं के साथ 2 घंटे तक सीट शेयरिंग पर मंथन हुआ। जिसमें सूत्र के जरिए पता चला कि कांग्रेस बिहार में कम से कम 70 सीटों पर लड़ेगी। यह सीटें भी कांग्रेस की मनमाफिक होंगी। इसके साथ ही कांग्रेस ने अलग से कोई मेनिफेस्टो नहीं करने का निर्णय लिया है। भाजपा नेताओं ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस चूंकि जीतने के बाद भी मेनिफेस्टों में किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाती, इसलिए यहां घोषणा पत्र ही जारी नहीं करने जा रही है। कांग्रेस के कर्नाटक और हिमाचल के घोषणा पत्र इसके उदाहरण हैं।

तेजस्वी नहीं बनेंगे सीएम, कांग्रेस क्वालिटी सीटों पर ही लड़ेगी- पप्पू
बिहार के पूर्णिया सांसद और जन अधिकार पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भी तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोला है। पप्पू यादव ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की सीटों और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी पर बड़ा बयान दे दिया है। पप्पू यादव ने कहा कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के उम्मीदवार नहीं है। तेजस्वी यादव के सीएम फेस के दावे पर उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव सिर्फ महागठबंधन के संयोजक हैं। महागठबंधन का सीएम फेस जनता तय करेगी कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। विधायक अपने-अपने दल का नेता चुनेंगे, और फिर गठबंधन मिलकर अपने दल के नेता को तय करेगा। पिछले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा, “पिछली बार कांग्रेस को क्वालिटी वाली सीटें नहीं मिली थीं। इस बार कांग्रेस किसी भी सूरत में क्वालिटी सीटों पर समझौता नहीं करेगी।

तेजस्वी यादव के हाथ से बिहार चुनाव की स्टेयरिंग छिनी- गिरिराज
इस बीच बिहार चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तेजस्वी यादव पर तगड़ा प्रहार किया है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि तेजस्वी यादव के हाथ से स्टेयरिंग छिन गई है। इतना ही नहीं अब तेजस्वी यादव को उसके बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी आंखें दिखाने लगे हैं। उन्होंन राजद-कांग्रेस के बारे में कहा कि महा-अंतर्कलह का शिकार महागठबंधन में अब सिर फुटौव्वल अपने चरम पर पहुंच गया है। तेजस्वी यादव मानें न मानें पर कांग्रेस ने इशारों में साफ कह दिया है कि उसकी नजर में तेजस्वी और राजद की क्या हैसियत है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर महागठबंधन की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस ने साफ संकेत दे दिया है कि वह कम से कम 70 सीटें अपने हिस्से में चाहती है।

महागठबंधन ऐसी ट्रेन है, जिसकी हर बोगी इंजन बनना चाहती है
कांग्रेस ने राजद के खिलाफ अपना दांव चल दिया है। कांग्रेस इन सीटों का चयन खुद करेगी और केवल “जिताऊ सीटें” ही लेगी। उधर, सहनी की VIP पार्टी 60, माले 40 और जेएमएम व रालोजपा (पारस गुट) जैसी पार्टियां भी कम से कम 10-15 सीटों की मांग कर रही हैं। ऐसे हालात में राजद के हिस्से मुश्किल से 50-55 सीटें ही बचेंगी। केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि महागठबंधन दरअसल वह ट्रेन है जिसकी हर बोगी इंजन बनने की कोशिश में है। यही वजह है कि इस गठबंधन में एकजुटता कम और गड़बड़झाला ज्यादा है। सिंह ने कहा कि यह वही राजद है जो बाहर से खुद को विपक्ष का अगुआ दिखाने की कोशिश कर रही है, लेकिन भीतर से उसके सहयोगी ही उसके पैरों तले ज़मीन खींच रहे हैं। इसलिए तेजस्वी का कद लगातार बौना होता जा रहा है।

इंडी गठबंधन की आपसी कलह उपराष्ट्रपति चुनाव में भी दिखाई दी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंडी गठबंधन की आपसी कलह हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी देखने को मिली। एक तरफ जहां एनडीए एकजुट दिखी, वहीं इंडी गुट के 14 सांसदों ने उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत किया। बिहार विधानसभा चुनाव में भी यही होने वाला है। एनडीए उम्मीदवार पूरी एकजुटता के साथ लड़कर विधानसभा चुनाव स्पष्ट बहुमत से जीतेंगे। वहीं महागठबंधन के दलों में आपस में मतभेद अभी से सामने आने लगे हैं और सीट शेयरिंग के मुद्दे पर इनके बीच टकराव और गहरा सकता है। दरअसल, कांग्रेस के पीछे दुमछल्ला बनकर घूमने के बावजूद तेजस्वी को भाव नहीं मिल रहा है। कांग्रेस इस गठबंधन में रहकर अब बड़ा भाई बनना चाहती है।

लालू यादव को न मंच पर जगह मिली, न ही वो पोस्टर में दिखे
केंद्रीय ‎मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यही वजह है कि तेजस्वी यादव तो बार-बार खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बताते हैं। लेकिन राहुल गांधी गोलमोल जवाब देकर सिर्फ इतना कहते हैं कि “मज़ा आ रहा है।” अब बिहार कांग्रेस प्रभारी ने भी तेजस्वी को टका सा जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा कि सच यही है कि कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा स्वीकार करने को तैयार नहीं है। कभी कांग्रेस चुनावी मुद्दों पर लालू यादव के दरबार में जाती थी, लेकिन आज हालात उलट हैं। तेजस्वी दिल्ली जाकर हाजिरी लगा रहे हैं। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान भी यही देखने को मिला। यात्रा की शुरुआत सासाराम से हुई थी, जहां लालू यादव को मंच पर बुलाया गया था। लेकिन जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, राजद-कांग्रेस में दूरी बढ़ती गई। यात्रा के समापन तक आते-आते लालू यादव को न मंच पर जगह मिली, न ही वो पोस्टर में दिखे।

तेजस्वी यादव की उनके ही क्षेत्र में तेजप्रताप ने की खूब आलोचना
दूसरी ओर सत्ता की लालच में तेजस्वी यादव ने अपने जिस सगे भाई का अधिकार छीना, अब वही भाई तेजस्वी को खुली चुनौती दे रहा है। हाल ही में तेजस्वी के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर तेजप्रताप पहुंचे। उन्होंने वहां बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटने के साथ ही तेजस्वी यादव की खुलकर आलोचना भी की। ‎उन्होंने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में जनता पहले ही राजद को नकार चुकी है और बिहार में महज 4 सीटें दी थीं। यह साफ संकेत है कि बिहार की राजनीति से राजद बेदखल होने की कगार पर है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव जिस मुद्दे को उठाकर अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे, वह हाईजैक हो गया है। राहुल गांधी ने पूरे बिहार में झूठ और भ्रम का वातावरण खड़ा कर दिया है।

लालू के अहंकार से राजद के माई समीकरण की पोल खुली- इमाम
एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने कहा हम गठबंधन का पत्र लेकर लालू प्रसाद यादव के पास गए थे, लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की। अब हम आजाद हैं। हमको अलग चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हमारी पार्टी की तैयारी 100 पर चुनाव लड़ने की है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसी माह उनकी पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी बिहार आ रहे हैं। जिसके बाद तय किया जाएगा कि किस पार्टी से गठबंधन होगा और किस किस सीट पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम तो ढोल बजाकर लालू-तेजस्वी के कान खोलने गए थे। गठबंधन के लिए दरवाजा खोलने गए, लेकिन दरवाजा ही नहीं खोला गया। इससे राजद के माई समीकरण (मुस्लिम यादव) की इससे पोल खुल गई।

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