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नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने और गुजरात सरकार को गिराने के लिए तीस्ता और कांग्रेस ने रची थी साजिश,अहमद पटेल से मिले थे 30 लाख रुपए, SIT के हलफनामे में खुलासा

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कांग्रेस हमेशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश रचती रही है। पिछले 21 सालों में ऐसा कोई भी मौका नहीं है, जब कांग्रेस और उसके सरपरस्तों ने नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने और उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें नहीं की हों। इसकी पुष्टि एकबार फिर हुई है। अहमदाबाद सेशन कोर्ट में दाखिल SIT के हलफनामे में कांग्रेस की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। जिसमें कहा गया है कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद कांग्रेस और एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ ने मिलकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को गिराने की साजिश रची थी। इसके लिए तीस्ता को कांग्रेस की तरफ से फंड मिला था। 

नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश के लिए तीस्ता ने लिए पैसे

दरअसल गुजरात दंगों में तीस्ता की भूमिका की जांच कर रही SIT ने शुक्रवार (15 जुलाई, 2022) को कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। जिसमें दावा किया गया है कि नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश में तीस्ता के साथ उस वक्त गुजरात के डीजेपी रहे आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट भी शामिल थे। इन लोगों ने गुजरात दंगों के बाद नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली राज्य सरकार को गिराने की भी साजिश रची थी। तीस्ता ने इसके लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल से दो बार में 30 लाख रुपए लिए थे। पहली बार 5 लाख रुपए और दूसरी बार 25 लाख रुपए मिले थे।

तीस्ता और संजीव भट्ट ने अहमद पटेल से दिल्ली में की थी गुप्त मुलाकात

SIT ने कोर्ट में बताया कि तीस्ता गुजरात दंगों के दौरान बने एक राहत कैम्प में राजनैतिक लोगों के साथ मीटिंग की थी। दंगों के 4 महीने बाद तीस्ता सीतलवाड़ और आईपीएस संजीव भट्ट ने अहमद पटेल से उनके दिल्ली आवास पर गुप्त मुलाक़ात की थी। SIT का दावा है कि बाद में ये दोनों तत्कालीन केंद्र सरकार के कुछ अन्य नेताओं से भी मिले थे। इस मुलाकात का मकसद नरेन्द्र मोदी सहित गुजरात बीजेपी के बड़े नेताओं को फंसाना था।

राज्यसभा सदस्य बनने के लिए साजिश में शामिल हुई तीस्ता

गुजरात दंगा केस में जेल में बंद तीस्ता की तरफ से पेश जमानत याचिका का विरोध करते हुए SIT ने आरोप लगाया कि 2007 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने सीतलवाड़ को ‘दुर्भावनापूर्ण और कष्टप्रद अभियोजन के लिए’ पद्म श्री से सम्मानित किया। जांच एजेंसी ने उन पर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा हासिल करने के लिए ये प्रयास करने का आरोप लगाया और कहा कि उनका लक्ष्य राज्यसभा सदस्य बनना था। एसआईटी ने एक गवाह का हवाला दिया, जिसने दावा किया कि सीतलवाड़ ने एक राजनीतिक नेता से सवाल किया कि फिल्म हस्तियों शबाना आज़मी और जावेद अख्तर को सांसद क्यों बनाया गया और उन पर विचार नहीं किया गया।

मानवता नहीं, राजनीतिक मंसूबों के साथ कर रहे थे काम- बीजेपी

SIT के खुलासे के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को निशाने पर लिया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गुजरात दंगे में जिस तरह कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश रची थी, उसकी परत दर परत सच्चाई सामने आ रही है। SIT का हलफनामा कहता है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके साथी मानवता के तहत काम नहीं कर रहे थे। ये राजनीतिक मंसूबे के साथ काम कर रहे थे।

मकसद – सरकार को अस्थिर करना और बेगुनाहों को फंसाना 

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस औस तीस्ता की साजिश के दो मकसद थे। पहला- गुजरात की तब की सरकार को अस्थिर किया जाए और दूसरा- बेगुनाह लोगों को इसमें शामिल किया जाए। जिसमें नरेन्द्र मोदी का भी नाम शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि अहमद पटेल ने सिर्फ पैसे की डिलीवरी की थी। सोनिया गांधी ने इसके बाद न जाने कितने करोड़ रुपए नरेन्द्र मोदी को अपमानित और बदनाम करने के लिए दिए। सोनिया ने तीस्ता सीतलवाड़ का इस्तेमाल राहुल गांधी को प्रोमोट करने के लिए किया।

सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता के एनजीओ की भूमिका पर उठाया था सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों में सीतलवाड़ के एनजीओ की भूमिका पर भी सवाल उठाया था और जांच की जरूरत बताई थी। प्रधानमंत्री मोदी को ​क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दंगों में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी और एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। इस पर सुनवाई करते हुए तीन जजों की बेंच ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का फायदा उठाया है। तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और जांच की जरूरत है क्योंकि वह जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए कर रही थीं। कोर्ट की टिप्पणी के बाद गुजरात दंगों में तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की भूमिका की जांच के लिए गुजरात एटीएस ने तीस्ता को 25 जून को मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार किया था।

‘सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस’ की स्थापना के पीछे कांग्रेस

गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड़ खुद को एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता बताती हैं। उन्होंने पत्रकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता जावेद आनंद से शादी की थी। 1 अप्रैल, 2002 को दोनों ने अनिल धारकर, जावेद अख्तर वगैरह के साथ मिलकर ‘सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस’ (सीजेपी) नामक एनजीओ की शुरुआत की। तीस्ता इस एनजीओ की सचिव हैं। गुजरात दंगे को लेकर कोर्ट में डाली गई याचिका में सीजेपी भी एक याचिकाकर्ता है, जिस याचिका में नरेन्द्र मोदी और 62 अन्य लोगों की दंगे में सहभागिता का आरोप लगाते हुए आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। वहीं बीजेपी शुरू से कहती आ रही है कि तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन को नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस द्वारा स्थापित या संचालित किया जा रहा है।

तीस्ता ने हिरेन पंड्या के पिता से भी किया था सम्पर्क

तीस्ता सीतलवाड़ की साजिश यही तक सीमित नहीं थी। उन्होंने दिवंगत पूर्व गृहमंत्री हिरेन पंड्या के पिता को भी सम्पर्क किया था, जिनकी हत्या कर दी गई थी। तीस्ता ने हिरेन के पिता विट्ठलभाई को भी अपने एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एन्ड पीस (सीजेपी) में शामिल होने का ऑफर दिया था। इस दौरान तीस्ता ने एडवोकेट सोहैल द्वारा बनाई गई एक शिकायत पर विट्ठलभाई से दस्तखत करने को भी कहा था लेकिन कई बेगुनाहों का नाम देख कर विट्ठलभाई ने मना कर दिया था।

 

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