सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में सीनियर वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है। उनकी सजा पर 20 अगस्त को फैसला होगा। प्रशांत भूषण को देश के मुख्य न्यायाधीश और चार पूर्व सीजेआई को लेकर अपमानजनक ट्वीट के लिए अवमानना का दोषी माना गया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने इस मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण के खिलाफ आरोप गंभीर हैं।
कोर्ट ने मामले को खुद नोटिस में लेते हुए प्रशांत भूषण के दो ट्वीट को अदालत की अवमानना माना है। प्रशांत भूषण ने पहला ट्वीट 27 जून को करते हुए कहा था कि जब इतिहासकार भारत के पिछले छह वर्षों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे सुप्रीम कोर्ट खासकर चार पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे। इसके बाद प्रशांत भूषण ने 29 जून को एक ट्वीट में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने इसके पहले नवंबर 2009 में भी अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के जजों पर टिप्पणी की थी।
पहले भी खोला सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ मोर्चा
प्रशांत भूषण हमेशा अपने मन मुताबिक फैसला चाहते हैं और ना आने पर कोर्ट से भिड़ जाते हैं। प्रशांत भूषण ने राफेल डील मामले में मुंह की खाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने कहा था कि इस केस में मोदी सरकार को क्लीन चिट देकर सुप्रीम कोर्ट ने गलत फैसला दिया है। वो इसे एक बार फिर खुलवाएंगे।
Prashant Bhushan: In our opinion the Supreme Court judgement is totally wrong, the campaign will certainly not drop and we will decide if we will file a review petition #Rafaledeal https://t.co/djJheTLAhr
— ANI (@ANI) December 14, 2018
प्रशांत भूषण ने लिखा है, ‘’हमारी राय में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल गलत है। ये अभियान नहीं रुकेगा और हम ये तय करेंगे कि क्या इस मामले में रीव्यू पिटीशन डाली जाए कि नहीं?’’
इससे पहले प्रशांत भूषण का 7 रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को वापस भेजने से रोकने की मांग पर लेकर तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से विवाद हुआ था। वो इस केस की तत्काल सुनवाई चाहते थे लेकिन गोगोई ने याचिका खारिज कर दी। इतना ही नहीं प्रशांत भूषण ने पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस, ममता बनर्जी समेत कई विपक्षी दलों के सहयोग से महाभियोग चलाने का अभियान भी चलाया था।
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी की प्रशांत भूषण के पिता शांतिभूषण उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से एक केस मैनेज कराने के लिए कथित रूप से 4 करोड़ मांग रहे थे, इसकी सीडी भी काफी विवादों में रही।
विवादों और भूषण का चोली दामन का साथ है। इसके लिए वो कश्मीरी आतंकवादियों की हिमायत से लेकर हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने से भी बाज नहीं आते।
विवाद के प्रशांत ‘भूषण’
*वाराणसी के पराडकर भवन में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की वकालत करने पर कुछ लोगों ने प्रशांत भूषण से मारपीट की।
*अलीगढ़ में उन्होने मैदान पर भारत माता की जय और वंदेमातरम कहने पर आपत्ति जताई, इस कार्यक्रम में नौबत मारपीट तक पहुंच गई।
*आतंकवादी याकूब मेमन की फांसी रोकने के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवा दी। तड़के 3.30 बजे सुनवाई शुरू हुई।
*यूपी में एंटी रोमियो स्क्वॉड पर टिप्पणी करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की तुलना रोमियो से की।
*हिमाचल प्रदेश में अवैध तरीके से जमीन खरीदने और शिक्षा संस्थान चलाने का आरोप।