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कोरोना काल में भी खरीफ फसलों के बुआई क्षेत्र में 21 प्रतिशत की वृद्धि

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की पहल और किसानों की कड़ी मेहनत के कारण कोरोना संकट काल में भी कृषि क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कोरोना की चुनौती का समाना करते हुए किसानों ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। देश भर में कृषि कार्य सुचारू रूप से प्रगति कर रहा है और पिछले साल की तुलना में खरीफ फसलों की बुवाई क्षेत्र में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 17 जुलाई, 2020 तक पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 570.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के मुकाबले इस बार कुल खरीफ फसलों को 691.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बुवाई क्षेत्र में 21.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार सभी प्रमुख खरीफ फसलों जैसे धान, दालें, मोटे अनाज और तिलहन का इस साल का आंकड़ा पिछले साल से ज्यादा है। इससे जाहिर है कि खरीफ फसलों की बुवाई के रकबे पर कोरोना संकट का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

धान की बुवाई
किसानों ने पिछले वर्ष के 142.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 168.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई की है, यानी रकबे में 18.59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

दलहन की खेती
पिछले साल के 61.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 81.66 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती की गई है यानी रकबे में 32.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मोटे अनाज की बुवाई
किसानों ने पिछले वर्ष के 103.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 115.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाज की बुवाई की है यानी रकबे में 12.23 प्रतिशत की वृद्धि।

तिलहन की खेती
पिछले साल के 110.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 154.95 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की खेती की गई है यानी रकबे में 40.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

गन्ने की खेती
पिछले साल 50.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 51.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती की गई है यानी रकबे में 0.92 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कपास की खेती
पिछले साल 96.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 113.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर कपास की खेती की गई है यानी रकबे में 17.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

जूट और मेस्टा की खेती
किसानों ने पिछले साल 6.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 6.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर जूट और मेस्टा की खेती की है यानी रकबे में 0.70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

बड़े पैमाने पर हो रहा है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों का नामांकन
देश भर में खरीफ-2020 सीजन के लिए प्रधानमंत्री फासल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत किसानों का नामांकन बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत सरकार ने उन सभी किसानों के लिए नामांकन निःशुल्क कर दिया है जिन्हें केवल प्रीमियम राशि का भुगतान करने की आवश्यकता है। किसान खरीफ-2020 सीजन के लिए अपनी खाद्य फसलों (अनाज और तिलहन) का महज 2 प्रतिशत की बीमित राशि पर तथा वाणिज्यिक और बागवानी फसलों का न्यूनतम 5 प्रतिशत की बीमित राशि पर बीमा करा सकते हैं। बाकी की प्रीमियम राशि पर केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा सब्सिडी दी जाएगी। खरीफ 2020 मौसम में फसल बीमा कराने की अंतिम 31 जुलाई 2020 तक है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल की बुआई से लेकर कटाई के बाद तक की पूरे फसल चक्र से जुड़ी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करती है। किसानों को किसी भी अप्रत्याशित आपदा के कारण बुवाई मे आने वाली परेशानी से बचाव के लिए जल्द से जल्द योजना में नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के तहत, सूखा, बाढ़, भूस्खलन, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, प्राकृतिक आग और खड़ी फसल के लिए चक्रवात के साथ-साथ ओलावृष्टि से बचाव के लिए व्‍यापक जोखिम कवर की व्‍यवस्‍था है।

जो भी किसान जो पीएमएफबीवाई के तहत नामांकान करना चाहता है, उसे अपने नजदीकी बैंक, प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी, कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) / ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई), कृषि विभाग के कार्यालय, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि या सीधे राष्ट्रीय फसल योजना एनसीआईपी के पोर्टल Www.pmfby.gov.in और फसल बीमा एप के माध्यम से ऑनलाइन संपर्क करना चाहिए।

नामांकन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए किसानों को आधार संख्या, बैंक पासबुक, भूमि रिकॉर्ड / किरायेदारी समझौते, और स्व-घोषणा प्रमाण पत्र ले जाना होगा। इस सीजन में, योजना के तहत नामांकित सभी किसानों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर नियमित एसएमएस के माध्यम से उनके आवेदन की स्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा।

किसानों की मदद के लिए तत्पर मोदी सरकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। पिछले 6 वर्षों में किसानों के कल्याण के लिए इतना कुछ किया गया है, जो 70 वर्षों में नहीं हुआ। इधर, कोरोना संकट के दौरान तो जैसे मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए सरकार का खजाना ही खोल दिया है।

70 लाख से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी
आत्मनिर्भर भारत आभियान के तहत सरकार ने किसानों के लिए कई ऐलान किए थे, उन्हीं में से किसानों को बड़ी संख्या में किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना और उन कार्ड के आधार पर ऋण देना भी शामिल था। इसी के त हत किसानों को खरीफ के दौरान बुवाई जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों ने 70.32 लाख किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किए हैं। इतना ही नहीं इन क्रेडिट कार्ड के जरिए 62,870 करोड़ रुपये का ऋण भी किसानों को दिया गया है, ताकि वे खेती-किसानी की आश्यकताओं को पूरा कर सकें।

आइए देखते हैं मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान किसानों को किस तरह प्रोत्साहित किया और खेती-किसानी में उनकी मदद की… 

किसानों को मिली पर्याप्त बीज और उर्वरक की मदद
कृषि आयुक्त एसके मल्होत्रा ने कहा, “मानसून तेजी से आगे बढ़ रहा है और समय से पहले अधिकांश राज्यों में पहुंच गया है। हम खरीफ फसलों की बुआई बढ़ाने के लिए किसानों की मदद करने के लिए पर्याप्त बीज और उर्वरक मुहैया करा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल बंपर पैदावार होगी। कृषि क्षेत्र में कोविद -19 महामारी का प्रभाव दिखाई नहीं दिखेगा।”

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हजारों करोड़ रुपये का प्रावधान
कोरोना लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई फैसले किए हैं। इतना ही नहीं आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जारी किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में भी कृषि, डेयरी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन आदि के लिए हजारों करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

पीएम किसान योजना के तहत किस्तों का भुगतान
लॉकडाउन की शुरुआत में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मोदी सरकार ने 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसी के तहत पीएम किसान योजना की 2000 रुपये की 5वीं किस्त 6 मई तक 8.19 करोड़ किसानों के खाते में भेजी गई। इससे किसानों को बीज और खाद के साथ ही कृषि कार्य से संबंधित वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली।

उपज के बेहतर कारोबार के लिए प्रतिबंधात्मक कानूनों से मुक्ति
मोदी सरकार ने किसानों को उनकी उपज के बेहतर कारोबार की सुविधा देते हुए इस क्षेत्र के प्रतिबंधात्मक कानूनों से मुक्त किया। इसके लिए हाल ही में तीन नए अध्यादेशों की घोषणा की गई। एक लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रा फंड, 10,000 एफपीओ के लिए योजना एवं 25 मिलियन नए किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के विशेष अभियान से खेती-किसानी और आगे बढ़ेगी।

किसानों को पसंद के बाजार में कृषि उपज बेचने की छूट
मोदी सरकार ने कृषि सुधार से जुड़े अध्यादेश जारी किए। ये अध्यादेश किसानों को मुक्त व्यापार में मदद करने और उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने से जुड़े हैं। अब किसान अपनी पसंद के बाजार में अपना उत्पाद बेच सकेंगे। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ”कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों और ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के लिए भारत के राष्ट्रपति ने इन अध्यादेशों को अपनी मंजूरी दी। सरकार ने ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को अधिसूचित किया। इसका लक्ष्य किसानों को राज्य के भीतर और अन्य राज्यों में अपनी पसंद के बाजार में कृषि उपज को बेचने की छूट देना है।

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच बनाने का प्रस्ताव
इस अध्यादेश के तहत एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच बनाने का प्रस्ताव है। कोई भी पैन कार्डधारक या सरकार द्वारा तय दस्तावेज रखने वाला या एफपीओ और सहकारी संगठन इस तरह का मंच बना सकते हैं। यह मंच एक व्यापार क्षेत्र में तय किसान उपजों के राज्य के भीतर या दूसरे राज्यों में व्यापार की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। कृषि उपज संगठनों (एफपीओ) या कृषि सहकारी संस्थाओं को छोड़कर अन्य कोई भी व्यापारी किसी भी सूचीबद्ध कृषि उत्पाद में पैन संख्या या अन्य तय दस्तावेज के बिना व्यापार नहीं कर सकेगा।

पहले से तय कीमतों पर समझौते की छूट
वहीं, एक अन्य अध्यादेश ‘मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश-2020 किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों, थोक व्यापारियों, बड़ी खुदरा कंपनियों और निर्यातकों के साथ पहले से तय कीमतों पर समझौते की छूट देगा। इस अध्यादेश के तहत किसानों को पहले से तय मूल्य पर कृषि उपजों की आपूर्ति के लिए एक लिखित समझौता करने की अनुमति दी गयी है, लेकिन किसी भी किसान द्वारा किया जाने वाला कोई भी कृषि समझौता बटाईदारों के हक का अनादर करने वाला नहीं होगा। यह समझौता कम से कम एक फसली मौसम या एक उत्पादन चक्र का होना चाहिए। यह समझौता अधिकतम पांच साल के लिए हो सकता है।

प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माना
किसानों के साथ व्यापार करने वाले व्यापारी को किसान को उसी दिन या अधिकतम तीन कार्यदिवसों के भीतर भुगतान करना होगा। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यापारी पर न्यूनतम 25,000 रुपये और अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि उल्लंघन जारी रहता है तो प्रत्येक दिन के हिसाब से 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा। कोई भी व्यक्ति या संगठन यदि ई-व्यापार मंच के प्रावधानों का उल्लंघन करता है जो उस पर न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि उल्लंघन जारी रहता है तो फिर 10,000 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा।

सौदों को हर तरह के शुल्कों से छूट
अध्यादेश में विवाद निपटान की प्रकिया का भी प्रावधान किया गया है। इस तरह के विवादों का निपटान उप-मंडलीय मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर के सामने किया जाएगा। इन्हें दीवानी अदालतों से बाहर रखा गया है। अध्यादेश के हिसाब से केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी उचित व्यापार प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने के चलते किसी ई-व्यापार मंच को निलंबित भी कर सकते हैं। निगमित मंडियों के बाहर होने वाले किसी भी तरह के सौदों को हर तरह के शुल्कों से छूट दी गयी है।

सुधारों को सफल तरीके से लागू करने पर जोर
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन सुधारों को सफल तरीके से लागू करने में सहयोग करने के लिए कहा। उन्होंने नये सुधारों के परिवेश में कृषि क्षेत्र के विकास और वृद्धि में उनके लगातार समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि किसानों को बेहतर दाम वाले अपनी पसंद के बाजार में उपज बेचने का विकल्प देने से संभावित खरीदारों की संख्या भी बढ़ेगी।

कृषि उपज की आपूर्ति की जिम्मेदारी स्पॉन्सर की होगी
केंद्र सरकार आदर्श कृषि समझौतों से संबंधित दिशानिर्देश जारी करेगी, ताकि किसानों को लिखित समझौते करने में मदद मिल सके। समझौते में किसान को उसकी उपज के लिए दी जाने वाली राशि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। साथ ही तय कीमत से ऊपर किसी अन्य राशि का भी उल्लेख किया जाना चाहिए। अध्यादेश में कहा गया है कि समझौते के तहत कृषि उपज की आपूर्ति की जिम्मेदारी स्पॉन्सर की होगी जो उसे एक तय समय के भीतर किसान के खेत से करनी होगी। स्पॉन्सर समझौते के हिसाब से कृषि उपज की गुणवत्ता की जांच करेगा। इस समझौते को उपज की खरीद और बिक्री के नियमन के लिए बनाए गए राज्यों के किसी भी कानून से छूट रहेगी।

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