कांग्रेस और एनसीपी के करीब आने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर धर्मनिरपेक्षता का रंग इतना चढ़ गया है कि उनके राज में ऐतिहासिक तथ्यों को भी तोड़-मरोड़कर पेश किया जाने लगा है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड के आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल एक पुस्तक में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानियों में से एक सुखदेव के नाम से छेड़छाड़ की गई है। मराठी भाषा में प्रकाशित किताब के सामने आने के बाद विवाद पैदा हो गया है। पुणे के दो संगठनों ब्राह्मण महासंघ और संभाजी ब्रिगेड ने इस बदलाव पर आपत्ति जताई है।
#Breaking | Out of 3 revolutionary leaders Bhagat Singh, Rajguru & Sukhdev, Sukhdev’s name has been replaced by Kurban Hussain in a Marathi textbook of Maharashtra State Secondary Board of Class 8. State Govt orders probe in the matter.
TIMES NOW’s Aruneel & Swati with details. pic.twitter.com/Vih72ORkR9
— TIMES NOW (@TimesNow) July 17, 2020
सुखदेव की जगह कुर्बान हुसैन का जिक्र
आमतौर पर इतिहास पढ़ते हुए हमेशा भगत सिंह और राजगुरु के साथ सुखदेव का नाम सबको याद आता है। लेकिन 8वीं कक्षा की बालभारती किताब में उनका नाम कुर्बान हुसैन बताया गया है। साथ ही इसमें ये भी लिखा कि कुर्बान हुसैन को ही भगत सिंह और राजगुरु के साथ लाहौर घटना के बाद फांसी सुनाई गई थी।
उद्धव सरकार ने दिए जांच के आदेश
बढ़ते विवाद को देखते हुए उद्धव सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र एजुकेशन बोर्ड भी इसका पता लगाएगा कि गलती कहाँ हुई है। इस किताब के पाठ “मेरा देश भारत” को लिखने वाले लेखक का नाम यदुनाथ थाट्टे हैं।
एनसीपी ने बताया टाइपोग्राफिकल एरर
एनसीपी ने इस गलती को एक ओर जहाँ ‘टाइपोग्राफिकल एरर’ बताया है, वहीं कॉन्ग्रेस ने ये कहकर सफाई दी है कि ये मराठी किताब है, इतिहास की नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का इस मामले पर कहना है कि ये प्रकाशन में हुई गलती है। वे इस मामले में पड़ताल करवा रहे हैं। उन्होंने इस गलती को छिपाने के लिए यह भी कहा है कि कुर्बान हुसैन भी स्वतंत्रता सेनानी थे और देश को उनको भी सम्मान देना चाहिए।
स्वतंत्रता सेनानी थे कुर्बान हुसैन
जहां तक कुर्बान हुसैन की बात है, तो वो भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। महाराष्ट्र स्थित सोलापुर निवासी पत्रकार कुर्बान हुसैन गजनफर नाम के अखबार में स्वतंत्रता, मजदूरों और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए लिखते थे। हुसैन को 12 जनवरी, 1931 को फांसी दे दी गई थी। उस समय कुर्बान हुसैन 22 साल के थे। लेकिन जिस संदर्भ में यहां उनके नाम का उल्लेख हुआ है वहां सिर्फ़ भगत सिंह और राजगुरु के साथ सुखदेव का ही नाम आता है।
कौन थे सुखदेव ?
स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाने वाले सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था। उन्होंने ‘लाहौर नेशनल कॉलेज’ में पढ़ाई की थी। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें सैंडर्स हत्याकांड में भगत सिंह और राजगुरु के साथ 23 मार्च, 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था।