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सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने कर्नाटक में किया 9600 करोड़ का जमीन घोटाला

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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस नेता सिद्दारमैया के खिलाफ बेंगलुरु और उसके आसपास की 1,100 एकड़ जमीन पर 9,600 करोड़ रुपये की अवैध कब्जा करने के मामले में शिकायत दर्ज कराई गई है। इस मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरू कर दी गई है। बेंगलुरु दक्षिण जिला भाजपा इकाई के अध्यक्ष एन.आर. रमेश ने इस संबंध में 120 अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं। यह घोटाला सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था। उन्होंने सबूत के तौर पर 10 अलग-अलग शिकायतें जमा कीं और 3,728 पन्नों के दस्तावेज, 62 घंटे के वीडियो फुटेज और 900 से ज्यादा तस्वीरें जमा कीं।

रॉबर्ट वाड्रा ने डीएलएफ कंपनी के जरिये घोटाले को दिया अंजाम

रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दी गई शिकायत में कहा गया है कि कांग्रेस सरकार (2013-18) के दौरान, डीएलएफ कंपनी, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा भागीदार हैं, ने 1,100 एकड़ सरकारी भूमि के 9,600 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। शिकायत में कहा गया है कि भूमि बेंगलुरु दक्षिण तालुक के पेड्डनपल्या, वतुर्रु नरसीपुरा, वतुर्रु, गंगनहल्ली गांवों में स्थित है।

घोटाले की शिकायत में 21 नौकरशाहों के नाम शामिल

विपक्ष के नेता सिद्दारमैया, राबर्ट वाड्रा, राज्य के पूर्व कांग्रेसी मंत्री के.जे. जॉर्ज, कृष्णा भयरेगौड़ा, यू.टी. खादर, जमीर अहमद खान, एम.बी. पाटिल, दिनेश गुंडू राव, विधायक कृष्णप्पा, एनए हैरिस को आरोपी व्यक्तियों के रूप में नामित किया गया है। शिकायत में 21 नौकरशाहों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें नौ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, पांच केएएस अधिकारी शामिल हैं। उन पर भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग, जालसाजी और सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगे हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा इससे पहले भी कई घोटाले में फंस चुके हैं। इस पर एक नजर-

हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाला में भी रॉबर्ट वाड्रा का नाम

हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा एवं हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खिलाफ एफआईआर दर्ज है। वर्ष 2018 में नूंह निवासी सुरेंद्र शर्मा ने खेड़कीदौला थाने में वाड्रा, हुड्डा सहित डीएलएफ व ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

वाड्रा ने सात करोड़ में जमीन खरीदी और 58 करोड़ में बेच दिया

वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने शिकोहपुर में साढ़े तीन एकड़ भूमि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से साढ़े सात करोड़ में खरीदी थी। बाद में कामर्शियल लाइसेंस मिलने पर इसे डीएलएफ यूनिवर्सल को 58 करोड़ में बेच दिया। शिकायत है कि न तो ओंकाश्वेर प्रॉपर्टीज ने स्काईलाइट के खाते में पैसा जमा कराया न स्काईलाइट ने स्टाप ड्यूटी के रूप में सरकार को कोई पैसा दिया। नियमों को ताक पर कामर्शियल लाइसेंस भी दिया गया। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री हुड्डा थे।

शिकोहपुर की जमीन रॉबर्ट वाड्रा ने खरीदकर डीएलएफ को बेची

सुरेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2007 से 2008 के मध्य एक साजिश के तहत गांव शिकोहपुर की जमीन रॉबर्ट वाड्रा ने खरीदकर डीएलएफ को बेची थी जिस पर तत्कालीन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री एवं मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नियमों को ताक पर रखकर कॉलोनी विकसित करने की अनुमति दी थी। जमीन डीएलएफ को बेचने के बाद हुड्डा ने डीएलएफ को गांव वजीराबाद की करीब 5 हजार करोड़ की करीब 350 एकड़ जमीन का आवंट कर दिया था।

बीकानेर जमीन घोटाला में रॉबर्ट वाड्रा के साथ मां मौरीन वाड्रा भी फंसी

इसी तरह राबर्ट वाड्रा का नाम राजस्थान के बीकानेर जमीन घोटाला में भी आ चुका है। यहां सरकारी जमीन खरीद फर्जीवाड़े में रॉबर्ट वाड्रा के साथ उनकी मां मौरीन वाड्रा भी फंसी हैं। दरअसल, बीकानेर पुलिस ने कोलायत में सरकारी जमीन खरीद फर्जीवाड़े के मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी। मामला दर्ज होने के बाद केस को CBI ने टेक ओवर कर लिया था, जिसकी जांच चल रही है। ED की टीम भी इस मामले में जांच कर रही है। हाईकोर्ट ने रॉबर्ट व उनकी मां की पार्टनरशिप वाली स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी कंपनी की व एक अन्य याचिका खारिज कर चुकी है।

वाड्रा की कंपनी पर बीकानेर में सरकारी जमीन खरीद-फरोख्त में घपले का आरोप

प्रियंका गांधी के पति से संबंधित बीकानेर का मामला काफी पुराना है, जो बीकानेर के कोलायत में कंपनी की जमीनों के खरीद-फरोख्त को लेकर है। बीकानेर के कोलायत में जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी कंपनी के साझेदारों के खिलाफ ईडी द्वारा सबूत एकत्रित करने के लिए जांच की जा रही है।

बीकानेर में 275 बीघा जमीन की खरीद में मनी लॉन्ड्रिंग

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी बीकानेर भूमि घोटाले में एक ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की थी। जांच बीकानेर के सीमावर्ती जिले के कोलायत क्षेत्र में कंपनी की ओर से 275 बीघा जमीन की खरीद से संबंधित है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 2016 में स्थानीय तहसीलदार द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का एक केस दर्ज किया था।

ED की जांच के मुताबिक जमीन खरीदने में कंपनी को करोड़ों का फायदा हुआ

ईडी अधिकारियों के मुताबिक, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 69.55 हेक्टेयर जमीन 72 लाख रुपये में खरीदी थी और उसके बाद इसे एल्लेजेनी फिनलीज को 5.15 करोड़ रुपये में बेची थी, जिससे कंपनी को 4.43 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। मई 2012 में, कंपनी ने कोलायत में ही एक और 29.36 हेक्टेयर जमीन करीब 2 करोड़ रुपये में फ्रांस की संयुक्त उद्यम को बेचा, जबकि जमीन का मूल्य बढ़ा नहीं था। ईडी अधिकारियों के मुताबिक, एल्लेजेनी ने 69.5 हेक्टेयर्स, साचचिया ने 17.6 हेक्टेयर और वीसीबी ट्रेडिग ने 53.8 हेक्टेयर जमीन वाड्रा की तीन कंपनियों – स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी, स्काईलाइट रियल्टी और ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग से बीकानेर के कोलायत गांव में खरीदी। बाकी बची जमीन पीआर फोनरोक द्वारा खरीदी गई। उस दौरान स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के लायबिलिटी पार्टनर रॉबर्ट वाड्रा, उनकी मां मौरीन वाड्रा और पार्टनर महेश नागर राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचे। अदालत ने तब राहत देते हुए थर्ड पार्टी अंतरिम आदेश जारी किया था।

फ्रांसीसी कंपनी को वाड्रा की कंपनी से जमीन खरीदने के लिए कर्ज दिया गया था

रॉबर्ट वाड्रा, उनकी मां मौरीन और महेश नागर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक हटाने को लेकर ईडी ने पूर्व में एक प्रार्थना पत्र अदालत के समक्ष पेश किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही राहुल गांधी के बहनोई राबर्ट वाड्रा से बीकानेर जमीन सौदा से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ कर चुका है। इसमें भूषण स्टील एंड पॉवर द्वारा फ्रांसीसी कंपनी को वाड्रा की कंपनी से जमीन खरीदने के लिए कर्ज दिया गया था। ईडी ने वाड्रा से भूषण स्टील एंड पॉवर द्वारा मुंबई की कंपनी पीआर फोनरोक को दिए गए कर्ज के संबंध में पूछताछ की थी। पीआर फोनरोक, पीआर क्लीन इनर्जी और फ्रांस की फोनरोक इनर्जी का संयुक्त उद्यम है, जिसने वाड्रा की कंपनी से जमीन काफी उच्च कीमत पर खरीदी थी। वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने यह जमीन कोलायत में मार्च 2010 में खरीदी थी।

रॉबर्ट वाड्रा ने मिराज लड़ाकू विमानों के अपग्रेडेशन में ली थी दलाली

यूपीए सरकार के दौरान कई रक्षा घोटाले सामने आए। इनमें अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा और फ्रांस से स्कॉर्पीन पनडुब्बी सौदा भी शामिल है। इसी तरह फ्रांस में एक मुकदमे में यह सामने आया कि मनमोहन सरकार के दौरान वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमानों के अपग्रेडेशन के मामले में भी दलाली ली गई। ये मुकदमा भी किसी छोटे-मोटे व्यक्ति ने नहीं किया है। जिस व्यक्ति ने फ्रांस की अदालत में मुकदमा किया है, उसका कथित तौर पर संबंध गांधी परिवार के दामाद और प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा से हैं।

मिराज विमानों के अपग्रेडेशन में 2.4 बिलियन यूरो कमीशन का सौदा

ब्रिटेन के अखबार ‘डेली टेलीग्राफ’ की इस खबर को द टाइम्स आफ इंडिया ने भी छापा है। अखबार के मुताबिक संजय भंडारी, थेल्स कंपनी से बकाया रकम मांग रहा है। कंपनी का कहना है कि उस पर कोई बकाया नहीं है। भंडारी ने जो कोर्ट केस किया है, उसमें कहा है कि कंपनी पर उसका कमीशन बनता है। कमीशन की ही इसी बात से साबित हो रहा है कि भारत में रक्षा सौदे में दलाली का खेल खेला गया। भंडारी ने अपने मुकदमे में कहा है कि थेल्स ने भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों के अपग्रेडेशन यानी उन्हें उन्नत बनाने के लिए ठेका हासिल करने के वास्ते उसे रखा था। उसका कहना है कि सौदा 2.4 बिलियन यूरो का था।

75 करोड़ का कमीशन मिला, 92 करोड़ का बकाया

फ्रांस की अदालत में मुकदमा करने वाले शख्स संजय भंडारी पेशे से चाटर्ड अकाऊंटेंट है। इसके अलावा संजय भंडारी के हथियारों के सौदागरी, कमीशनखोरी या दलाली जैसे कई धंधे हैं। अब ब्रिटेन से राजनीतिक शरण की गुहार लगाने के साथ ही संजय भंडारी ने फ्रांस में वहां की रक्षा सौदे करने वाली कंपनी थेल्स पर बकाया 11 मिलियन यूरो यानी करीब 92 करोड़ के कमीशन के बकाए के लिए मुकदमा किया है।

राबर्ट वाड्रा के करीबी ने 75 करोड़ की दलाली की बात स्वीकारी

अखबार के मुताबिक संजय भंडारी ने कोर्ट में कहा है कि वो इस मामले में साल 2008 से ही जुड़ा हुआ था और थेल्स ने साल 2011 में सौदा हासिल करने के लिए समझौता किया। भंडारी ने कोर्ट में ये दावा भी किया है कि सौदा दिलाने के लिए उसने एक बड़े भारतीय अफसर से थेल्स के लोगों की मुलाकात भी कराई थी। उसने ये भी कहा है कि काम के एवज में थेल्स से उसे 20 मिलियन यूरो यानी करीब 167 करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन कंपनी ने सिर्फ 9 मिलियन यूरो यानी करीब 75 करोड़ रुपए ही उसे दिए। यानी राबर्ट वाड्रा का कथित करीबी यह खुद स्वीकार रहा है कि उसने 75 करोड़ की तो दलाली खाई ही है। दलाली की बाकी रकम के लिए उसने केस किया है।

कौन हैं संजय भंडारी, बहुधंधी है ये भंडारी

संजय भंडारी पेशे से चाटर्ड अकाऊंटेंट बताया जाता है। अब हथियारों के सौदागर, कमीशनखोर या दलाल कहा जा रहा है। संजय भंडारी ने कई धंधे किए हैं। उसने आफसेट इंडिया सोल्यूशंस नाम की एक कंपनी बनाई थी। उन पर मोदी सरकार-1 के समय में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आरोप लगाया था कि उनकी (भंडारी) कंपनी 2008 में राफेल लड़ाकू विमानों में भी आफसेट पार्टनर बनना चाहती थी, लेकिन दसां एवियेशन के विरोध के कारण नहीं बन पाई।

वाड्रा के लंदन में बंगले की खरीद दलाली की रकम की गई

संजय भंडारी की इस कंपनी के पीछे कोई बड़ा हाथ (राबर्ट वाड्रा) बताया जाता है और ऐसे आरोप हैं कि राबर्ट वाड्रा के लंदन में 12, बायंस्टन स्कावयर बंगले की खरीद फरोख्त दलाली की रकम से हुई थी। यह एक जटिल फाइनैंशियल ट्रांसैक्शन था। इन सबके परिदृश्य में 2005 में हुए रक्षा सौदे (बेसिक जेट ट्रेनर) और 2009 में हुए एक पेट्रोलियम सौदे को बताया जा रहा है। बताते हैं पहले 12, बायंस्टन स्कावयर का बंगला सिंटेक कंपनी ने खरीदा। इसके बाद इसे संजय भंडारी की वोरटेक्स ने खरीद लिया।

मोदी सरकार के डर से 2016 में भाग गया था संजय भंडारी

संजय भंडारी 2016 में ही चुपके से विदेश भाग गया। बताते हैं भंडारी को अपने उच्चस्तरीय संपर्कों से पता चला कि आयकर विभाग उनके यहां छापा मारने वाला है। आयकर छापा पडऩे के पहले ही वह विदेश भाग गया। आयकर विभाग के इसी छापे में संजय भंडारी और राबर्ट वाड्रा कनेक्शन के संकेत मिले थे। ई-मेल आदान-प्रदान, लंदन के बंगले की जानकारी समेत कुछ अन्य तथ्य जांच एजेंसी को पता चले थे। इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय ने पहले राबर्ट वाड्रा के करीबी मनोज अरोड़ा और फिर सीपी थंपी, सुमित चड्ढा तक को जांच के घेरे में लेना शुरू किया था। ज्यूरिख के यूबीएस बैंक से आफसेट इडियन सोल्यूशंस के खाते में ढाई लाख और साढ़े सात लाख स्विस फ्रैंक स्थानांतरित हुए थे।

राबर्ट वाड्रा की पृष्ठभूमिः कस्टम ज्वेलरी से रीयल स्टेट के धंधे तक

राबर्ट वाड्रा अच्छी साइकिल, मोटर साइकिल और उम्दा कारों के शौकीन हैं। सालसा नृत्य में अच्छी पकड़ है और उनकी यही खूबी उन्हें प्रियंका गांधी वाड्रा के करीब लाई थी। वाड्रा के दादा सियालकोट, पाकिस्तान से भारत आए थे और पीतल के कारोबार में वाड्रा परिवार जुड़ा था। आर्टेक्स एक्सपोर्ट कंपनी के जरिए वाड्रा हैंडीक्राफ्ट आइटम, कस्टम ज्वेलरी का कारोबार करते थे। बाद में वाड्रा ने जमीन, रीयल स्टेट के धंधे में भी कदम रखा। कहा जाता है कि स्काईलाइट एफ जेडई के वह प्रमोटर हैं।

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