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देश में बाघों की संख्या बढ़कर हुई 3167, पीएम मोदी ने कहा- ना सिर्फ बाघों को बचाया बल्कि फलने-फूलने का पूरा इकोसिस्टम दिया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जंगली जीव-जंतुओं के संरक्षण और उनके विकास पर पूरा जोर दे रही है। खासकर उन जंगली जीवों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। अब सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार (09 अप्रैल, 2023) को अखिल भारतीय बाघ अनुमान (5वां चक्र) की सारांश रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में जारी नए आंकड़े के मुताबिक बाघों की संख्या बढ़कर 3167 तक पहुंच गई है, जबकि 2022 में इनकी संख्या 2967 थी। पिछले चार सालों में बाघों की संख्या में 200 की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बिग कैट’ परिवार की सात प्रमुख प्रजातियों की रक्षा एवं संरक्षण के लिए ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ की शुरुआत भी की।

प्रधानमंत्री मोदी रविवार को प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के अवसर पर कर्नाटक के चामराजनगर जिले में स्थित बांदीपुर टाइगर रिजर्व पहुंचे। जहां पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बाघों का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि भारत ने ना सिर्फ बाघों को बचाया बल्कि उनके फलने-फूलने का एक बेहतर इकोसिस्टम भी दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां प्रकृति की रक्षा करना इसकी संस्कृति का हिस्सा है। हम पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संघर्ष में विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन दोनों के बीच सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि देश में बाघों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा में प्रोजेक्ट टाइगर ने अग्रणी भूमिका निभाई है। यह सफलता भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व का विषय है।

अखिल भारतीय बाघ अनुमान (5वां चक्र) की सारांश रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के मुताबिक, बाघ की संख्या 2014 में 2,226 थी, जो 2022 में 42 प्रतिशत बढ़कर 3167 तक पहुंच गई। इसी तरह शेर की संख्या 2014 में 523 थी, जो 2020 में 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 674 हो गई। भारत में तेंदुए की संख्या 2014 में 7910 थी, जो 2018 में 63 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल के साथ 12, 852 तक पहुंच गई। इस तरह बाघ, शेर और तेंदुए की संख्या में बढ़ोतरी बताता है कि इनकी रक्षा और संरक्षण के लिए मोदी सरकार ने जमीनी स्तर पर काम किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने विलुप्त हो चुके चीतों के संरक्षण का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दशकों पहले भारत से चीता विलुप्त हो गया था। हम चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लेकर आए और चीतों को एक देश से दूसरे देश में लाकर बसाने में हमें सफलता मिली है। यह हम सबके लिए प्रसन्नता का विषय है कि पिछले दिनों एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया। सबसे दिलचस्प बात यह है कि 75 साल बाद भारत की धरती पर किसी चीता ने जन्म लिया है। इतना ही नहीं लगभग 30,000 हाथियों के साथ हम दुनिया में सबसे बड़े एशियाई हाथियों की श्रेणी वाले देश हैं।

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