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पीएम मोदी के खिलाफ ‘चाचा’ थर्ड फ्रंट के टुकड़े जोड़ने में जुटे रहे और उधर ‘खेला’ हो गया, अजित पवार के ‘पावर प्ले’ से तीसरे मोर्चे की कोशिशों को तगड़ा झटका, बीजेपी महाराष्ट्र में और हुई मजबूत

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार को किस्से-कहानी सुनाना बड़ा पसंद है। यूपी के जमींदारों पर उनका एक पसंदीदा किस्सा है, जिसे वे अक्सर दूसरों पर कटाक्ष करने के लिए सुनाते हैं। यह उन जमींदारों का किस्सा है, जिन्होंने अपनी अधिकांश जमीन खो दी है और अपनी ‘हवेली’ को मेंटेन करने में असमर्थ रहे। यूपी के जमींदारों से कांग्रेस पार्टी की तुलना करते हुए उन्होंने कहा था, ‘उत्तर प्रदेश के जमींदारों के पास बड़ी हवेलियां हुआ करती थीं। भूमि हदबंदी कानून के कारण उनकी जमीनें कम होती गईं। हवेलियां किसी तरह बची रहीं, लेकिन उनकी देखभाल और मरम्मत करने कैपिसिटी जमीदार में नहीं रही। जब जमींदार सुबह उठता है, तो वह आसपास हरा-भरा खेत देखता है और कहता है कि यह सारी जमीन उसकी थी। यह कभी उनका था, लेकिन अब उनका नहीं है। खस्ताहाल हवेली बचाने में वे सारी जमीनें गवां बैठे।’ शायद पवार भी यह नहीं जानते होंगे कि वह खुद जल्द ही यूपी के उसी तरह के जमींदार बन जाएंगे, जिनकी जमीनें (विधायक और नेता) चली जाएंगी और वे सिर्फ खस्ताहाल हवेली (पार्टी) को बचाने का दम भरते रह जाएंगे। वो भी अब उसी पार्टी के नक्शेकदम पर हैं, जिसको ढाई दशक पहले छोड़कर पवार ने राकांपा बनाई थी।

शरद पवार की ऐसी हालत कि आधा मिली न पूरी पाए, लौट के…
पीएम मोदी के खिलाफ चाचा शरद पवार थर्ड फ्रंट के टुकड़े जोड़ने में भ्रष्टाचार के गठजोड़ के साथ जुटे रहे। इधर उनके गृह प्रदेश महाराष्ट्र की राजनीति में ही एक बार फिर बड़ा उलटफेर हो गया। नेता विपक्ष अजित पवार शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। विपक्षियों की बैठकों की रणनीति बना रहे चाचा पवार को कानों-कान खबर भी न लगी। अजित के भाजपा में शामिल होने के बाद तीसरे मोर्च के गठन की कोशिशों को तकड़ा झटका लगा है। अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बड़ा दावा करते हुए कहा कि पार्टी और चुनाव चिन्ह उनके साथ हैं और वह एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही अगले चुनाव लड़ेंगे। इस तरह अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोक दिया है। पवार ने प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, अब वो भी अजित के पाले में आए
महाराष्ट्र विधानसभा में इस कार्यकाल में राजनीति ने कई बार करवट ली है। पहले शिवसेना ने भाजपा के साथ गद्दारी की। बाद में उद्धव सरकार को इसकी कीमत चुकानी पड़ी और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने। एनसीपी विपक्ष में रही। अब एक बार फिर उलटफेर के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजित पवार शिवसेना- बीजेपी सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनके साथ एनसीपी के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले छगन भुजबल भी सरकार में शामिल हो गए हैं। उन्होंने मंत्री के रूप में शपथ ली है। पवार के कहा कि एनसीपी के तौर पर ही महाराष्ट्र की सरकार को अपना समर्थन दिया है। अजित पवार और छगन भुजबल के साथ पार्टी के बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल भी हैं। प्रफुल्ल पटेल को कुछ दिनों पहले ही शरद पवार ने पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।अजित पवार का दावा- पूरा एनसीपी हमारे साथ, 40 विधायकों का समर्थन
उधर मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिप्टी सीएम अजित पवार ने यह दावा किया है कि पूरी एनसीपी ही उनके साथ है और वह एनसीपी के चुनाव चिह्न पर अगला चुनाव लड़ेंगे। अजित पवार के इस फैसले से पार्टी चीफ शरद पवार के पैरों तले की जमीन ही खिसक गई है। सूत्र बताते हैं कि एनसीपी के 54 विधायकों में से करीब 35 विधायकों का समर्थन अजित पवार को मिला हुआ है। इसके अलावा एनसीपी के छह पार्षद और तीन सांसद भी अजित पवार को समर्थन कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का दावा है कि 54 में से 40 विधायकों राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं।

पवार अपनी पार्टी में सुप्रिया सुले को बढ़ा रहे थे, लेकिन अब पार्टी ही अधर में
काबिले गौर है कि पिछले माह ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया था। पवार ने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की। शरद पवार की इस घोषणा ने उनके भतीजे और पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार के विरोध की जमीन तैयार कर दी। चाचा ने उनके सामने सुप्रिया सुले को अध्यक्ष बनाकर उन्हें झटका दिया तो अब अजित पवार ने उससे बड़ा झटका पवार को दे दिया है। दरअसल, पवार अपनी बेटी को राजनीतिक विरासत धीरे-धीरे सौंपने की तरफ आगे बढ़ रहे थे। लेकिन अजित के पावर प्ले से शरद पवार के कदम डगमगा गए हैं। काबिले गौर है कि पवार ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी। मई में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पवार ने ‘नौटंकी’ भी की, जिसका पार्टी के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक नेताओं ने विरोध किया था। इसके बाद सुप्रिया सुले को आगे लाया गया। लेकिन अजित के फैसले ने चाचा शरद पवार की सारी रणनीतियां फेल कर दी हैं।

महाराष्ट्र में उठे सियासी भूचाल ने राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी है। अजित पवार की बगावत के बाद एनसीपी के घर का आंगन दो हिस्सों में बंट गया है। अब सबकी नजरें उनके चाचा और शरद पवार पर टिकी हैं, जो आजकल तीसरे मोर्चे की बैठकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। आइये जानते हैं इस बदलाव की पांच खास बातें…

  • बढ़ेगी एनडीए की ताकत : अजित पवार की इस बगावत को लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए राहत और विपक्षी दलों की एकता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। विपक्षी दल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने की प्रक्रिया में हैं और शरद पवार को इस महागठबंधन का सूत्रधार माना जा रहा है। ऐसे में पहले शिवसेना और अब एनसीपी के एक-एक गुट के अलग होने से विपक्षी एकता पर असर जरूर पड़ेगा। इससे बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की ताकत बढ़ने वाली है।
  • भतीजे को अनदेखी बर्दाश्त नहीं हुई: दरअसल, कई महीनों से शरद पवार और अजित पवार के बीच की दूरियां बढ़ रही थीं। सुप्रिया सुले को आगे लाने निर्णय ने जख्म पर नकम का काम किया। इससे अजित और बीजेपी के बीच नजदीकी बढ़ गई। सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए 63 वर्षीय अजित पवार ने बीजेपी के साथ आकर महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। उनके साथ एनसीपी आठ नेताओं को भी शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया. जिसमें छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, धर्मराव अत्राम, अनिल पाटिल और संजय बनसोडे शामिल हैं।

  • अब ट्रिपल इंजन की सरकार: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजित पवार और अन्य एनसीपी नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि अब डबल इंजन की सरकार ट्रिपल इंजन की हो गई है। अब राज्य विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ेगा। अब हमारे पास एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं। इससे राज्य का तेजी से विकास करने में मदद मिलेगी।
  • पवार ने पीएम की तारीफ के पुल बांधे: महाराष्ट्र के नव-नियुक्त डिप्टी सीएम अजित पवार ने पीएम नरेन्द्र मोदी की खूब सराहना की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीते 9 सालों में देश को बहुत ही अच्छे तरीके से चलाया जा रहा है। पीएम ने देश-दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाया है। इसके बावजूद पीएम को हराने के लिए आज सभी विपक्षी दल निजी स्वार्थों में साथ में आ रहे हैं। इनकी बैठक में कुछ आउटपुट सामने निकल कर नहीं आता है। अगर हम शिवसेना के साथ जा सकते हैं, तो हम बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं।
  • हमें 40 विधायकों का समर्थन हासिल:  न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक महाराष्ट्र के राज्यपाल को लिखे पत्र में अजित पवार ने 40 से अधिक एनसीपी विधायकों और विधान परिषद के छह सदस्यों के समर्थन का दावा किया है। एनसीपी के पास 53 विधायक हैं। अजित पवार ने शपथ लेने के बाद कहा कि एनसीपी के सभी विधायक उनके साथ हैं। वे एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। पवार ने खुद को असली एनसीपी करार देते हुए पार्टी और उसके चुनाव चिह्न पर दावा ठोक दिया है।

 

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