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सीमा चिश्ती से शर्मसार होती पत्रकारिता

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पत्रकारिता, देश और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए आवश्यक है इसलिए पत्रकारिता को संविधान में एक विशेष स्थान दिया गया है, लेकिन आज के दौर के पत्रकारों ने निहित राजनीतिक स्वार्थों के जाल में उलझकर नकारात्मक पत्रकारिता को अपना मकसद बना लिया है। नकारात्मक पत्रकारिता से पत्रकार या मीडिया संस्थानों को वाह-वाही तो मिल जाती है, लेकिन देश के आत्मविश्वास और कुछ करने की क्षमता पर जबरदस्त कुठाराघात होता है। देश के कुछ पत्रकारों का गिरोह, हमें शर्मसार करने की ऐसी ही पत्रकारिता करता है। सीमा चिश्ती उनमें से ही एक ऐसी पत्रकार हैं, जो अपनी नकारात्मक पत्रकारिता से हमें शर्मसार करती रहती हैं।

सीमा चिश्ती, इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र से जुड़ी हुई हैं और इनका विवाह देश के वामपंथी विचारधारा की राजनीति करने वाले और हाल ही में राज्यसभा की सदस्यता की अवधि पूर्ण कर रिटायर होने वाले राजनेता से हुई है। इनके लेखों और Tweets में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नकारात्मक विचार धड़ल्ले से, मात्र विरोध को स्वर देने के लिए लिखे जाते हैं। आलोचना करना पत्रकारिता का परमधर्म है, लेकिन विरोध के लिए नकारात्मकता फैलाना, देश को शर्मसार करना है। सीमा चिश्ती, पत्रकारिता को शर्मसार करती हैं। आइये आपको बताते हैं कैसे इनकी पत्रकारिता हमें शर्मसार करती है-

शर्मसार होती पत्रकारिता-1 सीमा चिश्ती, पत्रकार के साथ-साथ महिला भी हैं, इनकी संवेदनाएं महिलाओं के प्रति पुरुषों से अधिक हो सकती है, लेकिन इसे प्रमाणिकता के साथ नहीं कहा जा सकता कि उनकी महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का स्तर क्या है? पत्रकार होने के नाते, उनसे यही उम्मीद है कि देश की संसद और संवैधानिक पदों के प्रति संवेदनशीलता होनी चाहिए। 7 फरवरी के Tweet से उन्होंने यह साबित कर दिया कि संसद और संवैधानिक पदों के प्रति उनकी कोई संवेदनशीलता नहीं है। कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रेणुका चौधरी ने सभापति के लगातार रोकने और चेतावनी देने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण दौरान अपनी जोरदार ठहाकों से बाधा पहुंचाना बंद नहीं किया। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभापति को समझाते हुए कुछ हास्य व्यंग्य में अपनी बात कही। इस पर सीमा चिश्ती ने परिस्थिति के अनुसार सही-गलत का तर्क किए बगैर, प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ Tweet पर अमर्यादित और नफरत भरी टिप्पणी लिख डाली। सीमा के उस अमर्यादित Tweet को आप भी पढ़िए-

शर्मसार होती पत्रकारिता-2 सीमा चिश्ती ने प्रधानमंत्री मोदी का मात्र विरोध करने के लिए ही 7 फरवरी को अपने Twitter पर कुछ Tweet शेयर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के चर्चा पर जवाब देते हुए देश में प्रजातंत्र की जड़ों की गहराई को समझाते हुए, इतिहास के कुछ उदाहरण दिए। सीमा चिश्ती और उनके गिरोह के अन्य पत्रकारों को यह बात गले से नीचे नहीं उतरी। सीमा चिश्ती ने अपनी तर्कहीनता को प्रमाणित करते हुए, जिन Tweets को सोशल मीडिया पर शेयर किया, आप भी उसे पढ़िए-

शर्मसार होती पत्रकारिता-3 प्रधानमंत्री मोदी की किसी भी बात को नकारात्मक रुप में पेश करना, इन शर्मसार करने वाले पत्रकारों की पत्रकारिता का मकसद है। प्रधानमंत्री मोदी ने जी न्यूज के साथ इंटरव्यू में कहा कि स्वउद्यम को सम्मान और रोजगार के सुअवसर के रुप में देखा जाना चाहिए। इसको समझाते हुए उन्होंने पकौड़े-चाय बेचने वालों के उद्यम की सराहना की। इस पर सीमा चिश्ती सोशल मीडिया पर उन नकारात्मक तस्वीरों और Tweet को शेयर करने लगीं, जो राजनीतिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी की इस बात को लेकर विरोध कर रहे थे। आप सीमा के उन Tweets को देखिए जो राजनीति से प्रेरित थे और जो पत्रकारिता को शर्मसार करने वाले हैं-

शर्मसार होती पत्रकारिता-4 सीमा चिश्ती की पत्रकारिता में पूर्वाग्रह कितने हावी होते हैं, इसका अंदाज उनके 10 फरवरी के Tweet से लगता है। इस Tweet से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि प्रधानमंत्री का विरोध करने के लिए इतिहास की किसी भी घटना को तोड़-मरोड़ कर इन पत्रकारों का गिरोह कैसे पेश करता है। इन तर्कहीन ऐतिहासिक विश्लेषणों में वर्तमान को संपूर्णता के साथ समझने का जबरदस्त अभाव होता है। सीमा चिश्ती जैसे पत्रकार इतिहास के अधकचरे विश्लेषणों से देश में नकारात्मकता पैदा करने और विरोध की राजनीति को बल देने का काम करते हैं-

शर्मसार होती पत्रकारिता-5 सीमा चिश्ती जैसे पत्रकार तो चाहते हैं कि गरीबों और किसानों का जीवन सुधरे, लेकिन देश की आय का ईमानदारी पूर्ण वितरण करने के लिए जब प्रधानमंत्री मोदी आधार संख्या योजना को जी-जान से लागू करने में जुटे हैं, तो यही पत्रकार सर्वोच्च न्यायालय से लेकर सोशल मीडिया में आधार संख्या योजना किसी तरह से लागू न हो सके इसकी मुहिम में जुटे हुए हैं। आधार संख्या योजना का विरोध करने के लिए सीमा चिश्ती ने सोशल मीडिया पर जो मुहिम चल रखी है, उसे आप भी देखिए-

शर्मसार होती पत्रकारिता-6  बजट को लेकर अतार्किक और विभाजनकारी बातें केवल सीमा चिश्ती जैसे पत्रकार ही कर सकते हैं जो इस देश में पत्रकारिता को शर्मसार कर रहे हैं। अगर कोई पत्रकार रिपोर्टिंग की आड़ में सभी मर्यादाओं को लांघ कर ऐसी विभाजनकारी बातें करता हैं, तो यह देश के लिए खतरनाक है। इन पत्रकारों को असहिष्णुता की बीमारी ने घेर रखा है, ये प्रधानमंत्री मोदी के प्रति खतरनाक रूप से असहिष्णु हैं।

शर्मसार होती पत्रकारिता-7 सीमा चिश्ती जैसे पत्रकारों का गिरोह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राजनीतिक हवा बनाने के लिए हर हथकंडे का प्रयोग करता है। 12 फरवरी को सीमा चिश्ती ने अपने इस हथकंडे के रूप में कई Tweets, सोशल मीडिया पर शेयर किए-

देश में उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष कहे जाने वाले तथाकथित पत्रकार बुरी तरह से असहिष्णुता की भावना से ग्रस्त हैं, इसका परिणाम है कि देश में विभाजनकारी और देश को तोड़ने वाली शक्तियां मजबूत हो रही हैं।

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