आज देश की पत्रकारिता एक ऐसे दौर में है जब पत्रकारों का मकसद सच का अनुसंधान नहीं बल्कि राजनीतिक व्यक्तियों और विचारधाराओं का मात्र विरोध हो गया है। पत्रकारों का यह विरोध सहिष्णुता की मर्यादाओं को भी तोड़ रहा है। आधुनिक और उदारवादी माने जाने वाले इन पत्रकारों का गिरोह समाज में विचार-विमर्श की सभी संभावनाओं को भी खत्म कर रहा है। दरअसल इस गिरोह के सभी पत्रकार अहं भाव से ग्रस्त हैं। इनमें दूसरों के विचारों को महत्व देने के प्रजातांत्रिक गुणों का अभाव है। ये सभी पत्रकार Anti Modi पत्रकारिता करते हैं।
इसी तथाकथित प्रगतिवादी गिरोह के एक पत्रकार- विनोद के. जोश हैं। ये The Caravan पत्रिका के कार्यकारी संपादक हैं और Anti Modi पत्रकारिता करना अपना पावन धर्म समझते हैं। विनोद के लेखों और Tweets में प्रधानमंत्री मोदी का किसी भी तरह से विरोध करने की मंशा हावी रहती है। आइये, आपको विनोद के जोश के उन Anti Modi, ट्वीटस के बारे में बताते हैं-
Anti Modi पत्रकारिता-1
विनोद जोश की पत्रकारिता का एक ही मकसद है कि हर मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का विरोध किया जाए। यदि कोई प्रधानमंत्री के विषय में सकारात्मक खबरें प्रकाशित करता है तो उसका सोशल मीडिया पर विरोध करते हैं। विनोद ऐसी हरकत कई साल से करते आ रहे हैं। विनोद के 16 नवंबर 2013, 22 नवंबर 2017 और 1 फरवरी 2018 के Tweets पर नजर डालें तो ये साफ समझ आता है कि ये Anti Modi हैं। ये प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अतार्किक और अनर्गल खबरों को तवज्जो नहीं देने वाले समाचार पत्रों का सोशल मीडिया पर विरोध करते हैं। 2013 में भी इन्होंने नरेन्द्र मोदी का जमकर विरोध किया था और आज भी करते रहते हैं। इस Anti Modi पत्रकारिता के बावजूद देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को 2014 में बहुमत से देश का प्रधानमंत्री बनाया और उसके बाद के सभी बड़े प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में विजयश्री दी। इससे साफ होता है कि विनोद जोश की पत्रकारिता कितनी खोखली और आधारहीन है। आप भी उन Tweets को पढ़िए-
विनोद जोश ने आंकड़ों की बाजीगरी से 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान वास्तविकता से दूर जमकर Anti Modi पत्रकारिता की। यह सर्वविदित है कि आंकड़े जनता के मन के भावों को पढ़ने में अक्षम होते हैं, लेकिन विनोद जोश जैसे पत्रकार सिर्फ आंकड़ों से विरोध करने का काम करते हैं। इस गिरोह के विरोध के बावजूद भी नरेन्द्र मोदी को 26 मई 2014 को देश की जनता ने भारत का प्रधानमंत्री बना दिया। 06 मार्च 2014 को विनोद जोश द्वारा किये गये Tweets में आंकड़ों की बाजीगरी देखिए-
विनोद का प्रधानमंत्री मोदी के विरोध का तरीका आज तक नहीं बदला है। जिन आंकड़ों की बाजीगरी और तथ्यों को तोड़ मरोड़कर 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान Anti Modi की पत्रकारिता करते थे, आज भी वैसी ही कर रहे हैं। 10 फरवरी और 15 फरवरी 2018 को जिस तरह से आंकड़ों और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर Tweets किए, उससे यही लगता है कि इनका डीएनए, एंटी मोदी हो चुका है, जो तथ्यों को वास्तविकता के आईने में देखना ही नहीं चाहता।
विनोद जोश के 7 अप्रैल 2014, 16 जनवरी 2018 और 12 फरवरी 2018 के तीन Tweets को पढ़ा जाए तो समझ में आता है कि ये हमेशा इसी मौके की तलाश में रहते हैं कि किसी न किसी तरह आरएसएस के अंदर या आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मतभेदों को उजागर किया जाए। लेकिन सच्चाई ये है कि हर बार अपने इस सतही विश्लेषण से कुछ भी हासिल करने में असफल ही रहे हैं। ये Anti Modi की मानसिकता से इतनी बुरी तरह से ग्रस्त हैं कि देश में किसी सकारात्मक बदलाव के लिए पत्रकारिता करने का गुर इन्हें आता ही नहीं है। विनोद जोश के इन Tweets को पढ़कर, इनकी Anti Modi पत्रकारिता पर शर्म आती है-
विनोद जोश के फरवरी 2015 के Tweets को पढ़कर लगता है कि यह पत्रकार घटनाओं का कितना फूहड़ विश्लेषण करता है। दरअसल प्रजातंत्र में चुनावों में हार-जीत पत्थर पर खींची लकीर नहीं होती जो बदल नहीं सकती। यही तो प्रजातंत्र की शक्ति है, लेकिन इस पत्रकार ने 10 फरवरी 2015 को दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम आने पर जिस तरह Anti Modi की विकृत मानसिकता के तहत विश्लेषण किया, उसको आज पढ़कर ऐसी पत्रकारिता पर अफसोस होता है-
प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान को देश के किसी विरोधी दल ने भी उतना विरोध नहीं किया, जितना विनोद जोश ने किया। 2015 में जब स्वच्छता अभियान की प्रधानमंत्री मोदी ने शुरुआत की थी तो इस पत्रकार ने अपनी Anti Modi पत्रकारिता का परिचय देते हुए 10 फरवरी 2015 कई Tweets किये-
विनोद जोश की Anti Modi पत्रकारिता का एक नमूना यह भी देखिए जब इन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक विरोधी हार्दिक पटेल के अमर्यादित और फूहड़ Tweet को शेयर किया-
10 नवंबर 2015 को विनोद जोश ने Anti Modi मानसिकता को दर्शाते हुए एक बचकाना Tweet किया। इस Tweet को पढ़कर लगता है कि जयंत सिन्हा जैसा पढ़ा लिखा और पेशेवर कंपनियों में काम कर चुका व्यक्ति एक बच्चा है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी बंधक बनाकर रख सकते हैं। इन तथाकथित आधुनिक और उदारवादी पत्रकारों की सोच बहुत ही सतही होती है, जो किसी भी मर्यादा को नहीं मानती-
Anti Modi की पत्रकारिता में इस कदर विनोद जोश डूबे हुए हैं कि 09 नवंबर, 2017 को सेना अध्यक्ष के बारे में बिना सोचे समझे, अतार्किक Tweet कर दिया।
विनोद जोश की पत्रकारिता में Anti Modi इतनी बुरी तरह से हावी है कि देश के किसी भी संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ बेतुके विश्लेषण और टिप्पणी करना इनकी आदत बन गई है। इनका मकसद मात्र विरोध है, संस्थाओं या समाज में दूरगामी सुधारों के लिए प्रयत्न करना इनकी पत्रकारिता का मकसद नहीं है।