Home हेट ट्रेकर TRP के लिए NDTV के रवीश कुमार की आसुरी पत्रकारिता

TRP के लिए NDTV के रवीश कुमार की आसुरी पत्रकारिता

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देश में पत्रकारिता एक ऐसे दौर में है, जहां पत्रकारों के लिए वही घटना, खबर होती है जो हीनता, भय, और निराशा का भाव पैदा करे। इन नकारात्मक भावों के तड़के से जो खबरें परोसी जाती हैं, उससे पत्रकारों और न्यूज चैनलों की टीआरपी बढ़ जाती है। आज इन पत्रकारों को टीआरपी सबसे अधिक प्रिय है। जाहिर है कि नकारात्मक भावों पर आसानी से विश्लेषण और व्यंग्य किए जा सकते हैं, जबकि सकारात्मक भावों पर विश्लेषण और हास्य करना कठिन है और इससे टीआरपी भी नहीं मिलती। NDTV के रवीश कुमार एक ऐसे पत्रकार हैं, जो TRP के लिए आसुरी पत्रकारिता करते हैं।

रवीश कुमार की आसुरी पत्रकारिता का मूल उद्देश्य होता है कि प्रधानमंत्री मोदी या केंद्र सरकार से जुड़ी हर उस खबर का विश्लेषण या चर्चा कुछ इस तरह से की जाए कि सकारात्मक होने के बावजूद भी वह नकारात्मक बनी रहे। रवीश ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नकारात्मकता को अपनी TRP का फार्मूला बना लिया है। यह बात सच है कि पिछले तीस सालों में प्रधानमंत्री मोदी देश के बहुमत वाले पहले प्रधानमंत्री हैं और देश में अपनी सशक्त नीतियों को लागू करके New India बनाने में जुटे हैं। ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में खबरों का नकारात्मक विश्लेषण करने वाले रवीश कुमार जानते हैं कि उनकी व्यक्तिगत TRP बढ़ाने का यही फार्मूला है। आइए, आपको रवीश कुमार की TRP वाली आसुरी पत्रकारिता के बारे में बताते हैं-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-1 रवीश कुमार आजकल Twitter से अधिक Facebook पर सक्रिय रहते हैं। Facebook पर प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में बेसिर-पैर का व्यंग्य लिखने का पूरा मौका मिलता है। 23 जनवरी 2017 को रवीश ने Facebook के पोस्ट में जो कुछ लिखा उससे स्पष्ट होता है कि इनकी सोच प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। इनको प्रधानमंत्री मोदी के बारे किसी भी तरह का विरोध करने में आनंद मिलता है। व्यंग्य के माध्यम से नकारात्मकता पैदा कर मजा लेने वाले इस फूहड़ पोस्ट को पढ़िए-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-2 रवीश कुमार ने 22 जनवरी को Facebook के पोस्ट पर जो कुछ लिखा, उससे पढ़कर यही लगता है कि रविश कुमार किसी भी खबर के विश्लेषण को प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व से जोड़कर फूहड़ता के साथ मजा लेते हैं। वित्तीय घाटे पर लिखे गए इस Post के विश्लेषण के लिए सुविधानुसार आंकड़ों का उपयोग कर अपनी एकतरफा नकारात्मक सोच को स्थापित करने का प्रयास किया और उन आंकड़ों को भुला दिया, जो यह बताते हैं कि लगातार कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने वित्तीय घाटे को कम किया हैं-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-3 देश में जनता के दैनिक जीवन की समस्याओं के समाधान को सरल और सुगम बनाने का जो प्रयास प्रधानमंत्री मोदी पहले दिन से कर रहे है, जिसे ईज ऑफ लिविंग कहा जाता है, उसके बारे में रवीश कुमार ने 7 फरवरी को Facebook के पोस्ट में लिखा कि ईज ऑफ लिविंग ईलू-ईलू से ज्यादा कुछ नहीं है। यह लिखते समय रवीश यह भूल गए कि करोड़ों शौचलाय बनाना, करोड़ों परिवारों को गैस सिलेंडर का मिलना, करोड़ों लोगों का जन-धन खाता खुलना, मजदूरों और किसानों के खाते में सीधे पैसा पहुंचाना, रेलवे रिर्जवेशन का तेज काम करना, सभी सेवाओं का ऑनलाइन होना, क्या यह वास्तविकता में ईज ऑफ लिविंग के लिए उठाए गए कदम नहीं हैं। रवीश कुमार के उस नकारात्मक पोस्ट को पढ़िए-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-4 रवीश कुमार, प्रधानमंत्री मोदी का हर वक्त विरोध करके जिस वजूद को हासिल करना चाहते हैं, वह सिर्फ औऱ सिर्फ TRP की आसुरी पत्रकारिता है। 7 फरवरी के पोस्ट में राफेल डील के बारे में जिस एकतरफा और सुविधानुसार आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस की बात को व्यंग्य के सहारे साबित करने का प्रयास किया, उसने रवीश कुमार के खोखले पत्रकार की पोल खोल कर रख दी। रवीश एक ऐसे पत्रकार हैं, जो अपने को चमकाने के लिए नकारात्मक पत्रकारिता का खेल खेल रहे हैं। रवीश के इस पोस्ट को पढ़िए-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-5 रवीश कुमार पत्रकारिता की आड़ में विरोध का कुचक्र रचते हैं, जबकि पत्रकारिता में आलोचना होनी चाहिए जिससे देश को सही मार्ग और दिशा मिले। रवीश जैसे पत्रकारों को दिन के चौबीस घंटों के समय में अपने बनाए हुए नकारात्मकता के माहौल से निकलकर यह सोचने का मौका ही नहीं मिलता कि पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले की असली वजह क्या है, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। कब तक नकारात्मक विचारों के जाल में उलझ कर TRP के लिए पत्रकारिता करते रहेंगे, जैसा कि 18 फरवरी को रवीश कुमार इस पोस्ट में लिखते हैं- 

TRP की आसुरी पत्रकारिता-6 25 जनवरी को रवीश कुमार ने आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए एक और नकारात्मक Post लिखा। इस पोस्ट में  एकतरफा विचारों को पढ़कर उनकी पत्रकारिता पर अफसोस होता है, आप भी उस पोस्ट को पढ़िए-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-7 रवीश कुमार को प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने की मानसिक बीमारी लग चुकी है। उनका हाल यह है कि उनके कमरे में कोई चूहा भी आ जाता है तो वे उसे भी प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के मौके में बदल देते हैं। रवीश कुमार के 23 जनवरी के इस Facebook पोस्ट को पढिए-

TRP की आसुरी पत्रकारिता-8 14 फरवरी का रवीश कुमार का Post स्पष्ट करता है कि उनको प्रधानमंत्री से नफरत है, जबकि देश प्रधानमंत्री मोदी को स्वीकार करता है और उनका बहुमत से समर्थन करता है। रवीश कुमार के इस पोस्ट को पढ़िए-

आज, पत्रकार आलोचना से देश हित को साधने के बजाए अपनी TRP की पत्रकारिता के लिए जिस मौसमी विरोध की पत्रकारिता करते हैं, उससे देश में पत्रकारिता का स्तर और उस पर विश्वास गिरता जा रहा है।

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