आज-कल टीआरपी की रेस में इंडिया टुडे न्यूज चैनल पिछड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस की तरह इंडिया टुडे भी अपने पहले की स्थिति को हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। टीआरपी में अव्वल आने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। हाथरस केस में इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडेय और पीड़िता के भाई के बीच बातचीत का वायरल हो रहे एक ऑडियो क्लिप ने इंडिया टुडे की घटिया पत्रकारिता को पूरी दुनिया के सामने लाकर रख दिया है।
इस वायरल ऑडियो क्लिप में बातचीत को सुनकर यह साफ पता चलता है कि पत्रकार तनुश्री पांडेय पीड़िता के भाई से एक निश्चित बयान दिलवाने का प्रयास कर रही हैं। इसमें संदीप से तनुश्री ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही थीं, जिसमें मृतका के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था। इस बातचीत में तनुश्री बार-बार संदीप को एसआईटी के ख़िलाफ़ भड़काती है। मगर, लड़की का भाई कहता है कि जाँच टीम सिर्फ़ उसे जरूरी सवाल कर रही थी और फिर वह चली गई।
द्वारा आज तक व विभिन्न चैनलों ने झूठ फैला कर न सिर्फ समाज को समाज के खिलाफ भड़काने की कोशिश की बल्कि एक संवेदनशील मुद्दे को पोलिटिकल साजिश के तहत भुनाने में साथ दिया। तनुश्री पांडे की पीड़िता के भाई संदीप से बातचीत के मुख्य अंश ? pic.twitter.com/VUTEV1DQeh
— तिरुपति बालाजी (@RAMESHWARAM16) October 3, 2020
जब किरकिरी होने के लगी तो इंडिया टुडे ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया। चैनल ने कहा कि टेलीफोन कॉल को ‘अवैध तरीके से’ लीक कर दिया गया। चैनल ने दावा किया कि इस ऑडियो को बदनीयत से लीक किया गया है। चैनल ने पूछा कि सबसे पहला सवाल तो ये है कि हाथरस मामले को कवर कर रहीं उसके पत्रकार का फोन टैप क्यों किया जा रहा है? साथ ही चैनल की ओर से सफाई दी गई –
इंडिया टुडे ने उल्टे उत्तर प्रदेश के पुलिस-प्रशासन पर ही आरोप मढ़ दिया है। चैनल ने आरोप लगया है कि प्रशासन ने मीडियाकर्मियों को हाथरस में घुसने से रोक रखा है और पीड़िता के परिवार को मीडिया से बात नहीं करने दिया जा रहा है।
Official statement by the India Today Group on the #Hathras phone tapping incident (1/2) pic.twitter.com/aIOrLZSqlD
— IndiaToday (@IndiaToday) October 2, 2020
वहीं ‘इंडिया टुडे’ के कई अन्य पत्रकारों ने इसे प्राइवेसी पर हमला बताते हुए फोन टैपिंग का आरोप लगाया। हालांकि, किसी ने भी पत्रकार द्वारा पीड़ित परिवार को उनकी झिझक के बावजूद अपनी पसंद के मुताबिक बयान दिलवाने के पत्रकार की कोशिशों की निंदा नहीं की। किसी ने ये सवाल नहीं किया कि संवेदनशील मामले में पीड़ित परिवार को मोहरा बनाकर पत्रकारिता करना कहां तक उचित है ?
यह पहली बार नहीं है जब तनुश्री पांडे का नाम ऐसे किसी मामले में सामने आया हो। इससे पहले JNU कैम्पस में (जैसा कि वीडियो में विरोध प्रदर्शन के माहौल से प्रतीत हो रहा है) तनुश्री पांडे को एक वामपंथी छात्र के साथ कान में फुसफुसाकर बातचीत करते देखा गया था। उस वीडियो को देखककर ऐसा लग रहा था जैसे वह उसे कैमरे पर बोलने की कोचिंग दे रही हैं। वीडियो में, पत्रकार को स्पष्ट रूप से छात्र से चर्चा करते देखा गया था। हालाँकि फुसफुसाने के कारण उनकी बात कैमरे व माइक में सुनाई नहीं पड़ी थी।
THIS India Today journo Tanushree Pandey has ZERO CREDIBILITY. She was earlier CAUGHT ON CAMERA “COACHING” JNUSU VP Saket telling him in hushed voice what to say!!#tanushreepandey #Hathras #HathrasTapes pic.twitter.com/98T8otYf7C
— Rosy (@rose_k01) October 2, 2020
इंडिया टुडे के मालिक की टाइम लाइन को पहले दिन से खोलो ,सारी कहानी साफ हो जायेगी।
संवाद सहयोगी इत्यादि तो चैनल के मालिक की वर्क फोर्स या सही शब्दों में बंधुआ मजदूर हैं ,जो मालिक का हुक्म होगा ,वहीं करेंगे,कारण पापी पेट का सवाल है!
भारत सरकार का सूचना प्रसारण मंत्रालय वो कबूतर है जो बिल्ली को देख सिर छुपा कर सोचता है वह बच गया! हर सरकार यही करती रही थी और आगे भी यही होगा! सारे मालिक सत्ता के गलियारों में दणडवत करते हैं विज्ञापन पाने के लिए,काम तो पुराने चारण भाटो वाला करते हैं ,जो दे उसी का गुणगान कर।
ढोंग और नौटंकी पारदर्शिता पूर्ण पत्रकारिता की।
यही है भारतीय मीडिया का सच जो भारतीय होकर भी भारतीय नहीं।