दिल्ली विधानसभा चुनाव में काफी तादाद में पूर्वांचलियों खासकर बिहार के लोगों ने आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन दिया। लेकिन सत्ता मिलते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। जब कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा, तो बिहार के लोगों ने केजरीवाल का असली चेहरा देखा। बिहारियों को साजिश के तहत दिल्ली से भगाया गया, क्योंकि आम आदमी पार्टी को बिहार में चुनाव नहीं लड़ना था। इधर दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद केजरीवाल सरकार पंजाब के किसानों का स्वागत करने और हर सुविधा देने के लिए तैयार है,क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव लड़ना है।
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि जहां भी किसान दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए। दिल्ली सीएम के निर्देशों के अनुसार, AAP सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन के लिए सेवादार की भूमिका निभाएगी। हम उनके लिए लंगर, पानी, बिजली आदि की व्यवस्था करेंगे। चड्ढा ने दावा किया कि केजरीवाल सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारियों के साथ खड़ी है।
Wherever farmers want to protest in Delhi, they should be given permission. As per Delhi CM directives, AAP govt will play the role of Sewadar for protesting farmers. We’ll arrange langar, water, electricity etc. for them. We will stand by the farmers: AAP leader Raghav Chadha pic.twitter.com/yXxXt6KMe6
— ANI (@ANI) November 29, 2020
केजरीवाल सरकार विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों का स्वागत ‘अतिथि’ के तौर पर कर रही है। दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने तो उत्तरी दिल्ली और मध्य दिल्ली के जिला अधिकारियों को किसानों के आश्रय, पेयजल, मोबाइल टॉयलेट के साथ ही ठंड के महीने और महामारी को देखते हुए उपयुक्त व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए।
दिल्ली पहुंचने वाले किसानों के खाने पीने का प्रबंध @ArvindKejriwal सरकार कर रही है दिल्ली के रिठाला विधानसभा क्षेत्र में लंगर तैयार करने के लिए रसोई शुरू कर दी गई है।
दिल वालों की दिल्ली ❤️ धन्यवाद @MohinderAAP जी और अरविन्द केजरीवाल जी@AamAadmiParty @AAPDelhi#FarmersProtest pic.twitter.com/d2KqRsSSZM— prem kumar thakur AAP (@premkumar7200) November 27, 2020
दिल्ली में कोरोना महामारी की तीसरी लहर चल रही है। कोरोना संक्रमण को रोकने में नाकामी की वजह से केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार लग चुकी है। इसके बावजूद दिल्लीवासियों की जान की परवाह किए बिना और उनकी जान को जोखिम में डालकर किसानों को आंदोलन की अनुमति देना और दरियादिली दिखाना हैरान करने वाला है। केजरीवाल सरकार को अब कोरोना संक्रमण का खौफ दिखाई नहीं दे रहा है।
दरअसल, अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी नहीं चाहती कि किसानों के गुस्से का सामना उन्हें करना पड़े। इसके पीछे उनकी मंशा भी साफ है। आप पंजाब में अब नंबर दो की पार्टी बन चुकी है। 2017 के विधानसभा चुनावों में पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा में आप ने 23.7 प्रतिशत वोट हासिल कर कुल 20 सीटें जीती थीं।
केजरीवाल सरकार दिल्ली चुनाव की तरह पंजाब में भी चुनाव लड़ना चाहती है। दिल्ली चुनाव से ठीक पहले सीएए के विरोध में शाहीन बाग में सड़कों पर धरना दिया गया। लाखों लोगों के आवागमन को बाधित किया गया। लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद शाहीन बाग से निकली आग को पूरे देश में फैलाने की कोशिश की गई। अल्पसंख्यकों को गोलबंद दिया गया। दिल्ली में दंगे हुए, जिसके पीछे आम आदमी पार्टी के साथ-साथ टुकड़े-टुकड़े गैंग ने बड़ी साजिश रची थी, जिसका खुलासा पुलिस की चार्जशीट से हो रही है।
दिल्ली के शाहीन बाग की तरह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर किसानों के आंदोलन को एक साजिश के तहत हवा दे रही है, ताकि पंजाब विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन की आड़ में सियासी रोटियां सेकी जा सकें। सीएए विरोध प्रदर्शन की तरह इस किसान आंदोलन में भी खालिस्तानी और देश विरोधी ताकतों के शामिल होने की खबरें आ रही हैं। इस आंदोलन की आड़ में विदेशी ताकतें भी अपना मकसद पूरा करने और मोदी सरकार को परेशान करने में लगी है।
उधर बिहार में चुनाव नहीं लड़ना था, तो अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने पूर्वांचलियों और बिहार के लोगों के साथ जो बर्ताव किया, वो किसी से छुपा नहीं है। आम आदमी पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया। इसकी वजह आम आदमी पार्टी ने कोरोना महामारी और बाढ़ के दोहरे संकट के कारण निर्वाचन के लिए हालात को काफी जोखिम भरा होना बताया।
बिहार में आम आदामी पार्टी के प्रमुख सुशील कुमार सिंह ने कहा कि चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मंजूरी के बाद लिया गया। दरअसल 2014 में पार्टी के हश्र को देखते हुए केजरीवाल ने पहले ही बिहार चुनाव से अलग रहने का फैसला कर लिया था। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अधिकांश सीटों पर आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
बिहार में पहले से तय था कि चुनाव नहीं लड़ना है। यही कारण था कि जब मार्च में पूरे देश में लॉकडाउन लगा तो केजरीवाल सरकार दिल्ली से पूर्वांचलियों और बिहारियों को भगाने की साजिश की। केजरीवाल ने पूर्वांचिलियों और बिहारियों को अपमानित कर दिल्ली से भगाया।
लॉकडाउन के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं और दिल्ली सरकार के अधिकारियों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों की वजह से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घरों की ओर निकलने के लिए मजबूर हुए। दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर अचानक लोगों की भीड़ देखी गई। हजारों की संख्या में लोग अपने घर जाने के लिए निकल पड़े।
दिल्ली छोड़कर अपने घरों की तरफ कूच करने वाले लोगों ने बताया कि दिल्ली सरकार ने बिजली-पानी के कनेक्शन काट दिए। लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन, दूध नहीं मिला जिस कारण भूखे लोग सड़कों पर उतरे। यहां तक कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसमेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें यूपी और बिहार ले जाएंगी।
केजरीवाल सरकार के तमाम दावों के बावजूद लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर दिल्ली से पलायन कर रहे थे। इस पलायन पर सवाल भी उठ रहे थे कि आखिर दिल्ली सरकार मजदूरों को इतनी सुविधा दे रही है, तो मजदूर क्यों पलायन कर रहे हैं। इस सवाल का जवाब दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की ऑडिट रिपोर्ट से मिला, जिसे भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की बेरहम केजरीवाल सरकार ने इस मुश्किल वक्त में भी प्रवासी मजदूरों को उनका हक देने और लंगर लगाने के बजाय उल्टे उनके 3200 करोड़ रुपये के फंड में गड़बड़ी की।