एजेंडा पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी मोदी सरकार बदनाम को बदनाम करने के लिए अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही हैं। स्वाति चतुर्वेदी का सिर्फ एक ही मकसद है कि किसी भी तरीके से केंद्र सरकार कीचर उछाला जाए। अब फेसबुक की अधिकारी अंखी दास को लेकर स्वाति चतुर्वेदी ने झूठ फैलाया है। कांग्रेस के इशारों पर नाचने वाली इस फर्जी पत्रकार ने मंगलवार को एक फोटो ट्वीट की है। इस फोटो में केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और फेसबुक की अधिकारी अंखी दास दिखाई दे रहे हैं। इस फोटो के जरिए स्वाति चतुर्वेदी ने बताने की कोशिश की है कि रविशंकर प्रसाद ने अंखी दास के साथ अलग से कोई मीटिंग की है।
Offered without comments pic.twitter.com/dpT2T3jrea
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 18, 2020
लेकिन सच्चाई यह है कि यह फोटो क्रॉप की हुई है। दरअसल केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक इंडिया के अधिकारियों से साथ जुलाई के पहले हफ्ते में एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में फेसबुक की सीओओ शेरिल सेंडबर्ग, ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मार्ने लीविन और फेसबुक पब्लिक पॉलिसी की इंडिया हेड अंखी दास शामिल हुई थी और ये फोटोग्राफ भी उसी मीटिंग के बाद का है।
hey, thats the original photo tho!! pic.twitter.com/N6GWLXWjEW
— Ashish Yadav (@AshishY07972577) August 18, 2020
लेकिन एजेंडा पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने इस फोटो को क्रॉप कर मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रची है। स्वाति चतुर्वेदी की इस हरकत को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी जमकर लताड़ लगाई जा रही है।
Swati Chaturvedi crops photos to push her own agenda . She selectively crops photo to show Ravi Shankar Prasad exclusively meeting with Ankhi Das but he had a meeting with Facebook India team on July 3. pic.twitter.com/0KvSAXdzLY
— G U R U P R A S A D ? (@KarnatakaSanghi) August 18, 2020
Swati khud jaisa logo ko smjhti h
— sadhuvaad (@sadhuvaad) August 18, 2020
@bainjal hello shameless
— Mikku (Cauliflower farmer) (@effucktivehumor) August 18, 2020
Ajeeb pagal h ye @bainjal ??????
— Quarantined Billa? (@Meow_Bsy_Billa) August 18, 2020
सड़ा हुआ बैगन है ये!
— Sandip Parmar (@SP_Bhimtoka_bap) August 18, 2020
यह कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी एजेंडा पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी इसी तरह का झूठ फैलाते हुए पकड़ी जा चुकी हैं। डालते हैं एक नजर-
पत्रकारिता के पेशे को कलंकित करती खान मार्केट गैंग की कांग्रेसी पक्षकार स्वाति चतुर्वेदी
जब कोई पत्रकार पक्षकार बनकर काम करने लगे तो उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो जाता है। लेकिन आजकल कुछ पत्रकार पक्षकार बनकर ही काम कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान सत्ता के गलियारों में अच्छी पैठ रखने वाले ये पक्षकार, मोदी सरकार के आने के बाद से दलाली का काम खत्म होने पर मोदी विरोध का परचम लहराने लगे हैं। ये पक्षकार बीजेपी-मोदी विरोध का कोई अवसर नहीं छोड़ते। इन पक्षकारों और कांग्रेस के प्रवक्ताओं में कोई भेद नहीं दिखता है। राजदीप सरदेसाई, राणा अयूब, सागरिका घोष, बरखा दत्त, राहुल कंवल, रवीश कुमार, पुण्य प्रसून वाजपेयी, विनोद शर्मा, विनोद दुआ, ओम थानवी, अभिसार जैसे कई पत्रकारों ने मोदी विरोध का एजेंडा बना लिया है। ऐसे ही पक्षकारों में एक हैं स्वाति चतुर्वेदी। स्वाति चतुर्वेदी कई समाचार पत्रों और वेबसाइट के लिए कांग्रेस की सोच को आगे बढ़ाने का काम करती हैं।
स्वाति चतुर्वेदी उस खान मार्केट गैंग की पक्षकार है, जिनका सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद है- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध। स्वाति चतुर्वेदी अंग्रेजी समाचार पत्र स्टेट्समैन, इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दुस्तान टाइम्स में काम कर चुकी हैं। आजकल तमाम बेवसाइटों पर लिखने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। सोशल मीडिया पर उनके बयान या लेख उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता की पोल खोलते हैं। आप भी देखिए-
विकास दुबे पर झूठ का पर्दाफाश
ताजा मामले में स्वाति चतुर्वेदी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बदनाम करने के लिए लिखा कि अपराधी विकास दुबे नेपाल भाग गया है। जबकि उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। इससे कांग्रेसी पक्षकार स्वाति चतुर्वेदी के झूठ का एक बार फिर से पर्दाफाश हो गया।
So apparently Vikas has managed to reach Nepal
— Swati Chaturvedi (@bainjal) July 8, 2020
After claiming Lipulekh, Kalapani & Limpiyadhura… when did Nepal issue another map claiming Ujjain as it’s territory? pic.twitter.com/u3GDCieEyB
— Ashish Singh (@AshishSinghNews) July 9, 2020
कोरोना पर स्वाति का रोना
कांग्रेसी आकाओं को खुश करने के लिए ये चाटुकारिता की हद तक जा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार कोरोना संकट के दौरान इतना कुछ कर रही है कि पूरी दुनिया में उसकी तारीफ हो रही है। लेकिन आंखों पर कांग्रेसी चश्मा पहनने वाली पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी को कुछ अच्छा दिखाई ही नहीं देता। ये इतनी बड़ी कलाकार हैं कि हर बात में मोदी विरोध का एंगल ढूंढ़ ही लेती हैं।
मजदूरों के पैदल पलायन के मुद्दे को लेकर भी स्वाति चतुर्वेदी का यही एजेंडा दिखाई दिया। 18 मई को बुजुर्ग नेता यशवंत सिन्हा मोदी सरकार से प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की मांग को लेकर राजघाट पर धरने पर बैठ गए थे। जब वो नहीं माने तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया। तब स्वाति चतुर्वेदी ने यशवंत सिन्हा का पक्ष लेते हुए ट्वीट किया और उनकी मांग का समर्थन किया।
लेकिन 21 मई को एनडीटीवी ने जब ब्रेकिंग न्यूज चलाई की जो प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश लौटे हैं, उनमें से 1041 मजदूर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। तो मोदी विरोध में अंधी हो चुकी स्वाति चतुर्वेदी ने इसे भी ट्वीट कर दिया और लिखा की पीएम मोदी कोरोना महामारी की समस्या राज्यों को ट्रांसफर कर रहे हैं।
मतलब प्रधानमंत्री मोदी से मजदूरों को भेजने की मांग का समर्थन किया जा रहा है और जब प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं, तो इसके लिए भी मोदी जी को ही दोषी ठहराया जा रहा है। बहरहाल इस एजेंडा पत्रकार के इस रवैये पर सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर क्लास ली-
First accuse modi of not sending migrant workers home.When they eventually go back and some test positive,accuse modi of sending covid to the states. Colossal psychopath!
— Vaibhav (@vaibhavsbr) May 21, 2020
जनता कर्फ्यू, ताली और थाली बजाने पर पक्षकार की खिसियाहट
कोरोना को लेकर जनता कर्फ्यू की देश-दुनिया में जमकर तारीफ हुई। बॉलीवुड से लेकर खेल जगत के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की सराहना की, लेकिन कुछ तथाकथित सेकुलर, लिबरल गैंग को यह रास नहीं आया। कांग्रेस की इस करीबी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि सायरन, ताली बजाना और थाली पीटना फिजूल लग रहा है।
The siren, clapping & banging seem extremely unnecessary. Strange from Modi
— Swati Chaturvedi (@bainjal) March 19, 2020
झूठ बोलकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने कोशिश
प्रधानमंत्री मोदी ने 12 फरवरी, 2020 को टाइम्स नाउ के एक प्रोग्राम में कहा कि देश में बहुत सारे प्रोफेशनल्स अपने क्षेत्र में काफी बढ़िया काम रहे हैं और देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि सिर्फ 2200 प्रोफेशनल ही सालाना इनकम को एक करोड़ से ज्यादा बताते हैं। देखिए वीडियो-
साफ है प्रधानमंत्री मोदी ने 2200 प्रोफेशनल टेक्सपेयर्स की बात की, लेकिन इस एजेंडा चलाने वाले पक्षकार ने ट्वीटर पर कुछ और ही पेश किया।
ऊर्जित पटेल के इस्तीफे पर बेनकाब स्वाति
रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल ने निजी कारण बताते हुए इस्तीफा दिया। उनके इस्तीफे पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताते हुए कहा, ‘डॉ. ऊर्जित पटेल बेहद सम्मानित अर्थशास्त्री हैं और अर्थव्यवस्था को लेकर उनका नजरिया बेहद व्यापक है। उन्होंने बैंकिंग व्यवस्था को अराजकता की हालत से निकालकर व्यवस्थित किया। वह अपने पीछे महान विरासत छोड़ गए हैं। वह हमें बेहद याद आएंगे।’ प्रधानमंत्री ने तो पटेल के इस्तीफे पर दुख जताया, लेकिन इस मौके पर कांग्रेस पार्टी और पक्षकारों का दोहरा चरित्र सामने आ गया। जो एक दिन पहले तक ऊर्जित पटेल का इस्तीफा मांग रहे थे, इस्तीफा के बाद वे पटेल का समर्थन कर रहे थे।
स्वाति चतुर्वेदी- (पहले)
स्वाति चतुर्वेदी- (बाद में)
संसद में राहुल की फजीहत से बौखला गई कांग्रेसी पक्षकार
आपको याद होगा कि किस तरह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर लोक सभा में भाषण खत्म करने के बाद राहुल गांधी ने बचकानी हरकत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के गले पड़ गए थे। राहुल गांधी ने इस अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग नौटंकी के जरिए अपनी काबिलियत साबित करने के लिए करना चाहा। मीडिया पर इसके प्रचार के लिए सभी कांग्रेसी पत्रकारों को काम पर लगाया भी गया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण में राहुल की नौटंकी का जब करारा जवाब दिया तो कांग्रेस के चाटुकार पत्रकार बौखला उठे। इन पत्रकारों ने राहुल गांधी को देश का नेता साबित करने के लिए गले मिलने की नौटंकी को एक जबरदस्त और साहसिक कदम बता डाला। स्वाति चतुर्वेदी ने इसे प्रधानमंत्री मोदी पर जबरदस्त हमला बताकर, राहुल गांधी का महिमा मंडन कर दिया।
देखिए, स्वाति चतुर्वेदी कांग्रेस के लिए कैसे करती हैं पत्रकारिता-
पक्षकारिता-1 स्वाति चतुर्वेदी ने 9 फरवरी,2018 को Twitter पर जो कुछ लिखा, उसे पढ़ कर ऐसा लगेगा कि जैसे कोई कांग्रेस प्रवक्ता प्रधानमंत्री मोदी पर राजनीतिक फायदे के लिए निशाना साध रहा हो। इस Tweet में उन्होंने जो कुछ लिखा उसे पढ़कर, स्वाति की पत्रकारिता के मापदंडों को अच्छी तरह समझ सकता है। आप भी उस Tweet को पढ़ें-
पक्षकारिता-2 8 फरवरी, 2018 को किए गये एक Tweet को पढ़कर ऐसा लगा कि मानो राहुल गांधी का Tweet पढ़ रहे हैं। यह Tweet, वित्तमंत्री अरुण जेटली के राफेल डील पर दिए गये उस जवाब के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा कि देश हित में सुरक्षा कारणों से राफेल डील की कीमत का ब्योरा नहीं दिया जा सकता, नहीं तो इससे दुश्मन देशों को राफेल के साथ आयातित तकनीकों की जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी। उन्होंने आगे यह भी कहा कि ऐसा पूर्व रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी को भी करना पड़ चुका है। अरुण जेटली के जवाब पर राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुए, स्वाति ने Twitter पर लिखा-
पक्षकारिता-38 फरवरी, 2018 को संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया तो कांग्रेस और उसके पक्षकार सकते में आ गए। प्रधानमंत्री मोदी ने इतिहास के उन पन्नों को खोल कर अपने भाषण में बताया, जिसे कांग्रेस पढ़ना तो दूर, देखना भी नहीं चाहती है। स्वाति ने 08 फरवरी को भाषण पर लगातार कई Tweets किए, आप भी उन Tweets को पढ़कर स्वाति की तिलमिलाहट को समझ सकते हैं-
पक्षकारिता-4इन पक्षकारों का असली रंग तब नजर आता है, जब कोई कांग्रेस और गांधी परिवार की देश के प्रति इतिहास में की गई नाकामियों की याद दिलाता है। 7 फरवरी, 2018 के Tweet में स्वाति ने कहा कि कांग्रेस को ही देश की आजादी की लड़ाई के बारे में बात करने का हक है क्योंकि कांग्रेस ने ही देश की आजादी की लड़ाई लड़ी है। 7 फरवरी को किए गये इन Tweets को पढ़कर आपको भी स्वाति के असली रंग का भान हो जाएगा।
पक्षकारिता-5 प्रधानमंत्री मोदी ने बोर्ड की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए एग्जाम वॉरियर नाम से एक पुस्तक लिखी है। परीक्षा के दिनों में प्रधानमंत्री मोदी का विद्यार्थियों से इस तरह सीधा संवाद करना इन पक्षकारों को तनिक भी नहीं भाया। इन्हें लगने लगा कि कांग्रेस को ही ऐसा करने का हक है क्योंकि वही पढ़े लिखे हैं और उन्हीं के पास ज्ञान की संपदा है। प्रधानमंत्री मोदी को ऐसा करने का कोई हक नहीं है। 3 फरवरी, 2018 को स्वाति के Twitter संवाद को पढ़कर लगता है कि वह एक अंहकार भाव से ग्रसित है और अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझती है, आप भी वे Tweet पढ़िए-
पक्षकारिता-6 1 फरवरी, 2018 को राजस्थान के दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के जब परिणाम आए तो कांग्रेस के साथ इन पक्षकारों को भी थोड़ी सी ऑक्सीजन मिल गई और सोशल मीडिया पर लगे जश्न मनाने। इस जश्न में ये पत्रकार प्रधानमंत्री मोदी पर अपनी भड़ास निकालने के लिए अमर्यादित टिप्पणियां करने लगे। परिणाम के बाद 2 फरवरी को स्वाति के Tweets को पढ़कर आप भी इनकी पत्रकारिता का स्तर देखिए-
पक्षकारिता-7 28 अक्टूबर, 2017 को एक ट्वीट में राहुल की हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश से हुई भेंट पर लिखा गया कि राहुल गांधी हज करने गये। इस ट्वीट की प्रतिक्रिया में स्वाति ने लिखा कि यह हद निम्न दर्जे की कट्टरता है।
दूसरी तरफ 29 अक्टूबर, 2017 को राहुल गांधी ने एक कुत्ते को बिस्कुट खिलाते हुए एक वीडियो ट्वीट किया, जिस पर स्वाति ने लिखा कि राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी और अर्णब गोस्वामी के बीच के रिश्ते को समझा रहे हैं।
पक्षकारिता-8 राहुल गांधी के कुत्ते को बिस्कुट खिलाते हुए ट्वीट पर असम के भाजपा नेता, जो पूर्व में कांग्रेस में थे, ने प्रतिक्रिया दी कि मुझसे बेहतर कौन जानता है कि जब मैं असम की समस्याओं के बारे में बात करना चाहता था तो वह बिस्कुट ही खिला रहे थे। इस पर स्वाति ने प्रतिक्रिया दी कि कुत्ते की वफादारी पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन दल-बदलुओं पर नहीं ।
23 अक्टूबर, 2017 को एक ट्वीट में राहुल गांधी की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा कि अब उनके पास अच्छा लिखने वाले लोग हैं, जिन्होंने गब्बर सिंह टैक्स का बढ़िया जुमला लिखा है।
लेकिन 26 अक्टूबर, 2017 को प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की बात वेदों में भी कही गई है , कटाक्ष करते हुए प्रतिक्रिया दी कि आधार संख्या का भी उल्लेख वेदों में मिलता है और शायद यह ऋग्वेद की पहली ऋचा रही हो।
25 अक्टूबर, 2017 को एक ट्वीट में हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादकीय निर्णय पर लिखा कि हिन्दुस्तान टाइम्स ने यह निर्णय एचटी समिट में प्रधानमंत्री को बुलाने के लिए लिया है।
22 अक्टूबर, 2017 को किए गए ट्वीट से ऐसा लगा, जैसे कोई निष्पक्ष पत्रकार नहीं, बल्कि एक कांग्रेसी नेता बयान दे रहा हो। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात की जनसभा में कहा कि कांग्रेस जान -बूझकर परियोजनाओं को लटकाने का काम करती रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वाति ने लिखा कि- हां, भाजपा 22 साल तक गुजरात में और तीन साल तक केन्द्र में सत्ता में रही। यह सब तो कांग्रेस की ही गलती है!
पक्षकारिता-9 केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कांफ्रेस में राहुल गांधी को failed politician क्या कह दिया कि इन्होंने पलटकर स्मृति ईरानी को जवाब देना अपना धर्म समझ लिया। 20 सितंबर, 2017 के ट्वीट में लिखा कि स्मृति ईरानी ने एक failed politician पर एक पूरी कांफ्रेस कर दी। मैडम उन्होंने आपको चुनाव में हराया है।
20 अक्टूबर, 2017 को एक ट्वीट में आज तक चैनल की एंकर अंजना ओम कश्यप को जवाब देते हुए लिखा कि मैं अंजना की तरह से किसी दल या नेता से संबंधित नहीं हूं। मेरा संबंध सिर्फ और सिर्फ पत्रकारिता से है।
लेकिन जिस तरह से वे राहुल और कांग्रेस के समर्थन में लेख और सोशल मीडिया पर बयानबाजी करते हुए सक्रिय रहती हैं, उससे उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता की जगह कांग्रेस की स्वामिभक्ति ही नजर आती है।
पक्षकारिता-10 कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की चुनी हुई सरकारों की होती है, लेकिन कर्नाटक में तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के दौरान वहां पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को भगवा आतंकवाद से जोड़कर, कांग्रेस के भगवा आतंकवाद के एजेंडे को हवा देने का प्रयास किया।दूसरी तरफ, केरल में भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं की हो रही राजनीति हत्याओं के बारे में सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार के बयान से दूर रहना और लेखों में उस मुद्दे से परहेज करना, यह बताता है कि असल में वे कांग्रेसी एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम अपनी पत्रकारिता के माध्यम से कर रही हैं।
वहीं केरल की तरह से पश्चिम बंगाल के दंगों पर भी उनकी कलम बंद हो गई। बशीरहाट में जुलाई में हुए दंगों में, जिसमें मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने एक हिन्दू युवक की इस बात पर जमकर पिटाई कर दी कि उसने फेसबुक पर मोहम्मद साहब के खिलाफ कुछ गलत लिख दिया था, जिससे दंगा भड़क उठा। यह मुद्दा एजेंडे में फिट नहीं बैठता था, इसलिए इस पर मौन साध लिया गया।
पक्षकारिता-11 देश के अलग-अलग राज्यों में मानसून के दौरान बच्चों की इंफेक्शन के कारण मौतें हुई, जो निसंदेह एक दुःखद घटना है, लेकिन ‘निष्पक्ष’ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने गुजरात में 9 बच्चों की हुई मौत और उससे पहले उत्तर प्रदेश में हुई बच्चों की मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि क्या यह योगी मॉडल या गुजरात मॉडल है, जबकि कर्नाटक में जहां कांग्रेस की सरकार थी, वहां 90 बच्चों की मौत होने पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया या लेख से परहेज कर लिया।
पक्षकारिता-12 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में, सितंबर, 2017 में छात्राओं के धरना-प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई को अति रंजित करके पेश करने के लिए, सहारनपुर में हुई मार-पीट में घायल एक लड़की की तस्वीर को, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की तस्वीर बताकर ट्वीट कर दिया, ताकि देश में और अधिक रोष पैदा हो और दुनिया को बताया जाए कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में पुलिस हिंसा कर रही है।
इस घटना को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनुभवहीनता से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि वह केवल गोरखनाथ मठ चलाने में ही सक्षम हैं,
लेकिन पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल में हो रही हत्याओं और दंगों के लिए वहां के मुख्यमंत्रियों के अनुभव पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगाया और न ही उस पर कोई प्रतिक्रिया दी।