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अडानी मामले में राहुल को सुप्रीम झटका: राफेल, पेगासस, नोटबंदी मामले में भी प्रोपगेंडा फैलाने की कर चुके है कोशिश

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडानी मामले में झूठ फैलाकर मोदी सरकार को घेरने की काफी कोशिश की, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मुंह की खानी पड़ी। राहुल गांधी इसके पहले राफेल, पेगासस, नोटबंदी, गुजरात दंगा, जस्टिस लोया की मौत मामले पर देश को गुमराह कर चुके हैं। राहुल गांधी और विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही कई दिनों तक स्थगित रही। राहुल के ये सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाए और उन्हें हर बार शर्मसार होना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट एक्सपर्ट कमेटी ने अडाणी ग्रुप को दी क्लीन चिट
हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने अडाणी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पहली नजर में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है और सेबी को कीमतों में बदलाव की पूरी जानकारी थी। हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए नियुक्त की गई कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई, जिसमें कहा गया है कि अडाणी ग्रुप ने शेयरों की कीमतों को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, अडाणी समूह की कंपनियों में गैरकानूनी तरीके से किए गए निवेश के सबूत भी नहीं मिले हैं, साथ ही संबंधित पार्टी से निवेश में किसी भी तरह के नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार कमेटी ने यह भी कहा है कि अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह में खुदरा निवेश बढ़ा है और समूह ने भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद निवेशकों को राहत देने की कोशिश की थी। कमेटी का दावा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद शॉर्टसेलरों ने मुनाफा कमाया और सुप्रीम कोर्ट कमेटी ने इसकी जांच किए जाने की सिफारिश की है।

नोटबंदी मामले में कोर्ट ने की बोलती बंद
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर काफी हो-हल्ला मचाया। नोटबंदी के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी के साथ आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलते रहे। विपक्ष के नेताओं ने बिना किसी आधार के ही इसे लगातार असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम लगातार दलील देते रहे। लेकिन शीर्ष अदालत ने इससे जुड़ी सभी 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।2016 से पहले भी दो सरकारों ने नोटबंदी के अधिकार का इस्तेमाल किया
सर्वोच्च अदालत के जस्टिस एस.अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम ने 258 पेज के संयुक्त फैसले में कहा कि किसी भी फैसले को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहरा सकते कि वो सरकार ने लिया है। रिकॉर्ड बताते हैं कि नोटबंदी से पहले आरबीआई और सरकार के बीच 6 महीने तक मंथन हुआ। यहां तक कि संविधान भी केंद्र सरकार को नोटबंदी का अधिकार देता है, सरकार को इससे रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि 2016 से पहले भी दो सरकारों ने नोटबंदी के अधिकार का इस्तेमाल किया है। ऐसे में अब इसे कैसे गलत ठहराया जा सकता है। वैसे भी आरबीआई अकेले नोटबंदी का फैसला नहीं कर सकता।

गुजरात दंगों में नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट, याचिका दायर करने वाले कुछ लोगों के खिलाफ जांच
गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगा मामले में विपक्ष बीते दो दशक से पीएम मोदी की भूमिका पर सवाल खड़ा करता रहा है। मनगढ़ंत आरोपों से पहले सीएम और फिर पीएम बने नरेन्द्र मोदी को घेरने की सारी कोशिशें विफल साबित हुई हैं। इस मामले में गठित एसआईटी ने जब पीएम को क्लीनचिट दी तो यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा। शीर्ष अदालत ने भी न सिर्फ क्लीनचिट को सही ठहराया, बल्कि याचिका दायर करने वाली कुछ हस्तियों के खिलाफ जांच के भी निर्देश दिए। बाद में इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई।राफेल मामले में भी विपक्ष को लगा झटका
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कई बार फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए। विपक्ष के अन्य नेताओं के भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह मामला भी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। हालांकि जब यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा तो झूठे आरोप लगाने वालों को कोर्ट से फटकार ही झेलनी पड़ी। साल 2019 के अंत में आए फैसले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि सौदे की खरीद प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है। मोदी सरकार ने बिल्कुल पाक-साफ खरीद की है और वायुसेना को ऐसे विमानों की जरूरत है। मोटे तौर पर सौदे में पूरी खरीद प्रक्रिया अपनाई गई है।पेगासस जासूसी और जस्टिस लोया मामले में भी सरकार को मिली क्लीनचिट
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के आरोप लगाए। लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने मोदी सरकार को क्लीनचिट दे दी। पीठ ने कहा कि जिन 29 मोबाइल की जांच की गई, उनमें से 5 में मैलवेयर पाया गया। इससे यह साबित नहीं होता कि ये पेगासस स्पाइवेयर है। सबसे बड़ी बात यह है कि आरोप लगाने वाले लोगों ने खुद अपने मोबाइल जांच के लिए नहीं दिए। इसी तरह महाराष्ट्र में निचली अदालत के जज रहे जस्टिस बीएच लोया की मौत मामले में भी मोदी सरकार और खासकर गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष के निशाने पर रहे। लेकिन 2018 में शीर्ष अदालत की पीठ ने जस्टिस लोया की मौत को सामान्य मौत माना और स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की याचिकाएं खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि इस मामले में चार जजों के बयानों पर संदेह का कोई कारण नहीं है।ईडी को कुर्की का अधिकार और आर्थिक आधार पर आरक्षण पर भी मिली मात
विपक्ष ने लोकसभा चुनाव से पूर्व सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण को भी मुद्दा बनाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी मोदी सरकार के फैसले को उचित ठहराया।  इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय को धनशोधन मामले में कुर्की व गिरफ्तार करने के अधिकार को भी शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि ईडी के सियासी इस्तेमाल करने के लिए उसे ऐसे अधिकार दिए गए हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में भी मोदी सरकार के फैसले को बिल्कुल सही ठहराया और विपक्ष को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी।

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