प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ा है। कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत आज, 20 जनवरी से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू कर दी है। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई।
First consignment takes off for Bhutan!
India begins supply of Covid vaccines to its neighbouring and key partner countries. #VaccineMaitri#NeighbourhoodFirst pic.twitter.com/ejofJuCObi
— Anurag Srivastava (@MEAIndia) January 20, 2021
भूटान के बाद मालदीव को एक लाख डोज भेजी गई। इसी तरह सभी 6 पड़ोसी सहयोगी देशों को वैक्सीन की खेप भेजी जा रही है।
The consignment of Covid vaccines takes off for Maldives!#VaccineMaitri#NeighbourhoodFirst pic.twitter.com/nNQnmI2HYs
— Anurag Srivastava (@MEAIndia) January 20, 2021
कोरोना संकट काल में भारत ने पहले भी कई देशों को बड़ी संख्या में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिविर और पेरासिटामोल गोलियों के साथ-साथ डायग्नोस्टिक किट, वेंटिलेटर, मास्क, दस्ताने और अन्य चिकित्सा आपूर्ति की थी। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार को पड़ोसी और प्रमुख भागीदार देशों से वैक्सीन की आपूर्ति के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं। इन अनुरोधों के जवाब में आपूर्ति सुनिश्चित करने का फैसला किया गया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरीशस के संबंध में आवश्यक नियामक मंजूरी की प्रतीक्षा है।
प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मांगी मदद
वैक्सीन को लेकर दुनिया के कई देश भारत से मदद मांग रहे हैं। डोमिनिकन रिपब्लिक के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्कैरिट ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर वैक्सीन के 70 हजार डोज की मदद मांगी है। पीएम स्केरिट ने लिखा है कि डोमिनिका की 72 हजार की आबादी को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन की सख्त जरूरत है। हम एक विकासशील छोटा सा द्वीप देश हैं, और बड़े देशों के साथ टीकों की अधिक मांग और इसके लिए भुगतान करने के में असमर्थ हैं। इसलिए मैं आपसे विनती करता हूं कि हमारी जनता को सुरक्षित रखने के लिए आप हमें जरूरत के मुताबिक, डोज दान कर सहयोग करें।
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी कई देशों के लिए संकटमोचक बन चुके हैं। डालते हैं एक नजर-
तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। हाल ही में भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई। नौसेना का एक और जहाज आईएनएस मगर को राहत सामग्री लेकर मोजाम्बिक रवाना किया गया।
इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
पिछले साल अक्तूबर, 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई है। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई।
भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।
मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।
नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।
अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।
सऊदी अरब में फंसे हजारों भारतीयों को निकाला
सऊदी अरब में गलत हाथों में जाकर फंसे करीब 20 हजार भारतीय तीन महीने के भीतर अपने वतन वापस लौट पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से सऊदी अरब सरकार ने भारतीयों को 90 दिन के लिए ‘राजमाफी’ दी है। ‘राजमाफी’ के तहत 20 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत लौटने के लिए अर्जी दाखिल की थी।
बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर,2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।
श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर, 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई,2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना है। श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि अतिरिक्त 10000 घरों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा। 60,000 घरों में से अब तक 47,000 के करीब पूरे हो चुके हैं।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
महामारी से लड़ने में की पड़ोसी देश बांग्लादेश की मदद
प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट की इस घड़ी में देश ही नहीं दुनिया भर को मदद पहुंचा रहे हैं। भारत ने अप्रैल में बांग्लादेश को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने दिए। बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने सहित चिकित्सा सामग्री बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक को सौंपे। जाहिद मलिक ने कहा कि संकट की इस घड़ी में हमारे पड़ोसी देश से मिली मदद का स्वागत है। उच्चायुक्त दास ने कहा कि इससे पहले भारत ने चिकित्साकर्मियों के लिए हेड कवर और मास्क दिए थे। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ हैं और भविष्य में भी आपके साथ बने रहेंगे।
भारतीय ही नहीं विदेशियों को भी सुरक्षित निकाला
भारत ने राहत और बचाव अभियान के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया है। कोरोना प्रभावित इलाकों से भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं 10 से भी ज्यादा देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
सार्क देशों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने की चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 मार्च, 2020 को सार्क देशों के नेताओं के साथ कोरोना वायरस पर रोकथाम संबंधी चर्चा की। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सार्क देशों के नेताओं के साथ क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबले के लिए साझा रणनीति बनाने के लिए बातचीत की। सहयोग की भावना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों के स्वैच्छिक योगदान के आधार पर कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा। साथ ही भारत ने फंड के लिए शुरू में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। इस फंड का इस्तेमाल कोई भी सहयोगी देश अपने तात्कालिक कार्यों को पूरा करने के लिए कर सकता है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर देशों में हालात से निपटने के लिए भारत डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम बना रहा है, जो टेस्टिंग किट और दूसरे उपकरणों के साथ स्टैंड-बाय पर रहेंगे। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कैप्सूलों की व्यवस्था करने और संभावित वायरस वाहकों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत के एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल के सॉफ्टवेयर को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने सुझाव रखा कि सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र जैसे मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल सबसे अच्छे तरीके से पूल के लिए हो सकता है।
नेपाल ने दवाएं भेजने के लिए कहा शुक्रिया
भारत ने कोरोना से मुकाबले के लिए अप्रैल में नेपाल को मदद के तौर पर 23 टन आवश्यक दवाएं दी। दवा की यह खेप भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्र ने नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त धाकल को सौंपी। इसमें कोरोना के खिलाफ अहम मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के अलावा पैरासिटामॉल व अन्य दवाएं शामिल हैं।
नेपाल के पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहा
संकट के समय भारत सरकार की इस मदद पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस महीने टेलीफोन पर बात हुई थी। इससे पहले कोरोना के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की पीएम मोदी की अपील पर 15 मार्च को सार्क देशों की बैठक में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।
India-Nepal relationship is special. Our bonds are not only strong but also deep-rooted.
India stands in solidarity with people and the Government of Nepal to fight COVID-19 pandemic.@kpsharmaoli https://t.co/jQ6hYgkKfY
— Narendra Modi (@narendramodi) April 22, 2020
55 से अधिक देशों में की जा रही है दवा की आपूर्ति
आपको बता दें कि कोरोना को मात देने में सक्षम समझी जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) की आपूर्ति को लेकर भारत अभी दुनिया का सबसे अग्रणी देश बन गया है। अभी 55 से अधिक देशों ने भारत से इस दवा को खरीदने का आग्रह किया है।अमेरिका, ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश भारत से इस दवा को खरीद रहे हैं, लेकिन गुआना, डोमिनिक रिपब्लिक, बुर्कीनो फासो जैसे गरीब देश भी हैं, जिन्हें भारत अनुदान के तौर पर इन दवाओं की आपूर्ति करने जा रहा है। भारत डोमिनिकन रिपब्लिक, जांबिया, युगांडा, बुर्कीना फासो, मेडागास्कर, नाइजर, मिस्र, माली कॉन्गो, अर्मेनिया, कजाखिस्तान, जमैका, इक्वाडोर, यूक्रेन, सीरिया, चाड, फ्रांस, जिंबाब्वे, जॉर्डन, केन्या, नाइजीरिया, नीदरलैंड्स, पेरू और ओमान को दवाएं भेज रहा है। साथ ही, फिलिपींस, रूस, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, स्लोवानिया, उज्बेकिस्तान, कोलंबिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), उरुग्वे, बहामास, अल्जीरिया और यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी मलेरिया रोधी गोलियां भेजा जा चुकी हैं।
इससे पहले मोदी सरकार अमेरिका, जर्मनी, इजरायल, ब्राजील समेत कई देशों को ये दवा भेज चुकी है। तमाम देशों ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा भी की है।
कोरोना संकट में मदद के लिए मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया है। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार, 15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।
(1/2) I am very thankful to Prime Minister Shri @narendramodi for the generous donation of medical supplies from the Government of India which reached Mauritius yesterday, Wednesday, April 15, by a special flight of Air India. @PMOIndia pic.twitter.com/OcJuOynHUf
— Pravind Jugnauth (@PKJugnauth) April 16, 2020
(2/2) This high mark of goodwill underscores, once again, the close bonds between Mauritius and India. @narendramodi @PMOIndia
— Pravind Jugnauth (@PKJugnauth) April 16, 2020
कोरोना से जंग में दुनिया की मदद कर रहे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार न सिर्फ देश में कोरोना महामारी से कुशलतापूर्वक लड़ रही है, बल्कि पूरी दुनिया को इस बीमारी से लड़ने में मदद भी कर रही है। भारत ने मॉरीशस और सेशेल्स को कोरोना से लड़ने के लिए हाइड्रोकिसीक्लोरोक्वीन दवा समेत जीवन रक्षक दवाएं भेजी हैं। बुधवार शाम मारीशस में 5 टन टैबलेट की खेप लेकर कार्गो विमान वहां पहुंचा, जिसे मारीशस के उप प्रधानमंत्री ने रिसीव किया। वहीं सेशेल्स में हाइड्रोकिसीक्लोरोक्वीन की चार टन टैबलेट की खेप लेकर विशेष कार्गो विमान पहुंचा। जाहिर है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व मौजूदा कठिन स्थिति को देखते हुए भारत से इसके निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहने के बावजूद इस दवा की यह खेप मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए पहुंचाई गई।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ, कहा प्रभु हनुमान की तरह पहुंचाई संजीवनी बूटी
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर एम बोल्सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने लिखा है कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में उन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए धन्यवाद दिया है। दरअसल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने भी प्रधानमंत्री मोदी से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगे बैन को हटाने का अनुरोध किया था। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने के भारत के फैसले के बाद बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री मोदी का तुलना भगवान हनुमान से कर डाली। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।

2. FDA के नाम पर जितनी पाबंदियां लगाई गई हैं हटाओ।
3. आगे भी हमारी दवा कंपनियों को परेशान न किया जाए।


