1984 के सिख विरोधी दंगों के गुनहगार कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा हो जाने से एक और जहां मोदी सरकार की मेहनत रंग लाई, वहीं गांधी परिवार का सिख विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया। लेकिन इससे सबक लेने के बजाए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन दंगों में शामिल रहे कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का तोहफा दे दिया है। अब सिख पीड़ित कमलनाथ को कानून के कटघरे में लाने और मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।
दरअसल 1984 में हजारों बेगुनाह सिखों को मौत के घाट उतारने वाले कांग्रेस नेताओं को 2014 तक गांधी परिवार का संरक्षण मिलता रहा। 2014 में सरकार में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिखों को तेजी से न्याय दिलाने का जिम्मा लिया। 2015 में मोदी सरकार ने एसआईटी बनाई, जिसने 3 साल में दो सिख युवकों की नृशंस हत्या के मामले में यशपाल सिंह को फांसी और नरेश सहरावत को उम्र कैद की सजा दिलाई।
गौरतलब है कि तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इन दंगों की तुलना पेड़ हिलने से कर सिख समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचाई थी। इतना ही नहीं दंगों के गुनहगार सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर और एच के एल भगत जैसे नेताओं को गांधी परिवार ने सांसद और मंत्री पद से भी नवाजा। मोदी सरकार की कोशिशों से 34 साल बाद कांग्रेस के हत्यारे नेताओं को सजा मिलनी शुरू हुई।
हालांकि कमलनाथ गांधी परिवार के आशीर्वाद से अब तक बचते रहे। गवाहों के मुताबिक कमलनाथ ने दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के सामने दंगा भड़काया, जिसके बाद भीड़ ने गुरुद्वारे में घुसकर कई सिखों को मार डाला। इन दंगों की जांच के लिए नानावटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग ने भी कमलनाथ पर सवाल उठाए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली के राजनगर में 5 सिखों की हत्या का केस
सज्जन कुमार, बलवान खोखर, कै. भागमल,गिरधारी लाल को उम्रकैद
किशन खोखर, महेंद्र यादव की सजा 3 से बढ़ाकर 10 साल
2013 में निचली अदालत के बरी करने का फैसला पलटा
मोदी सरकार की पहल
2015 में सिख दंगों की जांच के लिए एसआईटी बनाई
एसआईटी ने दंगों के 280 केसों की छानबीन की
छानबीन के बाद 52 केस को अपने हाथ में लिया
शुरूआती तौर पर 5 केस की जांच तेजी से की
राजीव गांधी का अमानवीय बयान
“जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी, तो हमारे देश में दंगे-फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना गुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।”