राजस्थान कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी नूराकुश्ती के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयानों ने राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैला दी है। भरतपुर दौरे पर आए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत पर खूब तंज कसे। हालांकि इशारों ही इशारों में अमित शाह ने यह संकेत दे दिए कि सचिन पायलट के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा खुले हैं। अमित शाह ने कहा कि सचिन पायलट जी आप चाहे कितना ही धरना प्रदर्शन कर लो, लेकिन आपका नंबर कभी नहीं आएगा। इससे पहले अलवर में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सचिन पायलट के बीजेपी में आने के सवाल पर कहा कि किसी भी जनाधार वाले व्यक्ति को बीजेपी की रीति-नीति में विश्वास करना होगा। पीएम नरेंद्र मोदी को अपना नेता स्वीकार करना होगा। पार्टी में उनका बांह पसारकर स्वागत है।
पायलट के गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन के बाद अपने ही जाल में फंसी कांग्रेस
राजस्थान का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बनने के बाद से ही गहलोत-पायलट का राजनीतिक संग्राम अब चरम पर पहुंच गया है। पायलट समर्थकों का कहना है कि आलाकमान उन्हें कई बार सीएम बनाने का वादा कर चुका है, लेकिन गहलोत के दबाव में हर बार मुकर जाता है। पिछले साल 25 सितंबर को भी यही हुआ। पायलट को सीएम बनाने के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास कराने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे (अब कांग्रेस अध्यक्ष) आए थे। लेकिन विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक करते आलाकमान के इरादों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद भी कई कारणों से सचिन पर फैसला लेने का मामला टलता रहा तो अब सचिन के सब्र का बांध टूट गया। सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और शहीद स्मारक पर गहलोत के खिलाफ अनशन किया। इसके खिलाफ सचिन को दिल्ली में तलब किया। राहुल गांधी से लेकर खरगे तक बातचीत हुई, लेकिन कोई एक्शन कांग्रेस नहीं ले पाई। क्योंकि यदि पाटलट पर एक्शन होता है, तो 25 सितंबर को अनुशासनहीनता करने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर भी एक्शन करना होगा। इसी के चलते पायलट के अनशन पर कार्रवाई में कांग्रेस खुद ही फंस गई है
इस बीच सचिन पायलट जयपुर वापस लौट आए हैं और उनके बारे में नई पार्टी बनाने, तीसरे मोर्चे में शामिल होने और कांग्रेस छोड़ने की सुर्खियां तेज हो गईं हैं। राजस्थान में कांग्रेस सरकार की इसी गहमागहमी के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भरतपुर आए। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत पर जमकर राजनीतिक निशाने साधे। हालांकि इशारों ही इशारों में अमित शाह ने यह संकेत दे दिए कि सचिन पायलट के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा खुले हैं। अमित शाह ने कहा कि सचिन पायलट जी आप चाहे कितना ही धरना प्रदर्शन कर लो, लेकिन आपका नंबर कभी नहीं आएगा। अपने भाषण के दौरान शाह ने दो बार कांग्रेस में रहते हुए उनके सीएम नहीं बन पाने की बात कही।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शाह ने कहा कि मैं सचिन पायलट को कहने आया हूं कि उनका कॉन्ट्रिब्यूशन जमीन पर भले ही अशोक गहलोत से ज्यादा हो, लेकिन कांग्रेस का खजाना भरने में गहलोत का कंट्रीब्यूशन उनसे ज्यादा है। ऐसे में पायलट कांग्रेस में रहकर कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। शाह ने गहलोत सरकार को आजादी के बाद की सबसे ज्यादा भ्रष्ट सरकार करार दिया। अमित शाह ने कहा कि गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरना नहीं चाहते और सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। शाह ने कहा कि अरे भाई तुम आपस में क्यों लड़ रहे हो। राजस्थान में सरकार तो भाजपा की बनने जा रही है।
राजस्थान में लगातार बढ़ती बेरोजगारी और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भी वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह ने खूब तंज कसे। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार में सबसे ज्यादा पेपर लीक हुए हैं। देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी कहीं बढ़ी है तो वह राजस्थान में बढ़ी है। गहलोत राज में दंगे हो रहे हैं, संतों की हत्याएं हो रही है। महिलाओं और दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। राजधानी में शिक्षिका को जिंदा जला दिया जाता है। राजस्थान की गहलोत सरकार में कानून व्यवस्था मजाक बन गई है। गहलोत सरकार ने राजस्थान को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाकर लूटा है और भ्रष्टाचार का सारा पैसा कांग्रेस के खजाने में गया है।
इससे पहले अलवर में भी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मीडियाकर्मियों ने सचिन पायलट से जुड़ा सवाल किया। शेखावत से पूछा कि ‘क्या सचिन पायलट के बीजेपी में शामिल होने की संभावनाएं भी हैं’। इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पायलट भी पार्टी में आ सकते हैं। बस शर्त है किसी भी जनाधार वाले व्यक्ति को बीजेपी की रीति-नीति में विश्वास करना होगा। उन्होंने कहा है कि सामर्थ्यवान और जनाधार वाला व्यक्ति अगर भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति और विचारधारा को स्वीकार करता है तो हम उसे बाहें पसार कर स्वागत करने के लिए तैयार हैं फिर चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो। उसे पीएम नरेंद्र मोदी को अपना नेता स्वीकार करना होगा।
बीजेपी में प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन पर बोले- पार्टी में परिवर्तन सहज, सामान्य और स्वीकार्य परंपरा है। सतीश पूनिया के नेतृत्व में भी व्यापक आंदोलन किए थे। हर विधानसभा क्षेत्र में जनाक्रोश यात्रा का आयोजन किया था। इसके चलते राजस्थान में सरकार के प्रति आक्रोश को इकट्ठा करने का काम किया है। बीजेपी में सहज प्रक्रिया है कि तीन साल के बाद नया नेतृत्व आता है। अब प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में 2023 और 2024 में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। संजीवनी मुद्दे पर शेखावत को जोधपुर हाईकोर्ट से हाल ही में राहत मिली थी। अलवर पहुंचे तो पार्टी पदाधिकारियों की ओर से उनका स्वागत कर बधाई दी गई। शेखावत ने सीएम पर निशाना साधते हुए कहा- मुझे लगता है कि बधाई इस विषय में है कि सच उजागर हुआ। जिसे दबाने के लिए राजस्थान सरकार के मुखिया एक साल से बयानबाजी कर रहे थे। कोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
कांग्रेस लगातार हो रही बेकरदी के कारण इसके आसार नजर आने लगे हैं कि पायलट कोई नया रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। सचिन के अनशन से पहले भी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल उन्हें मिलकर चुनाव लड़ने का ऑफर दे चुके हैं। बेनीवाल ने कहा कि यदि सचिन पायलट कांग्रेस को छोड़कर नई पार्टी बनाते हैं तो रालोपा उनके साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी। इससे वो गुर्जर-जाट बहुल सीटों पर अच्छा इम्पैक्ट डाल सकते हैं। सचिन के अलावा हनुमान बेनीवाल पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान से भी मिल चुके हैं। इसकी चर्चा है कि आप और रालोपा में चुनावी गठबंधन हो सकता है, इसलिए ये इसमें सचिन पायलट को जोड़ने में भी जुटे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सचिन देश की सबसे मजबूत पार्टी भाजपा के साथ जाते हैं, या फिर बदलाव के लिए नवांकुर थर्ड फ्रंट की बांह थामते हैं। यह तय है कि यदि पायलट बीजेपी के साथ आते हैं तो कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक सूरमाओं की बाजी ही पलट जाएगी।