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मणिपुर से मेवात तक रोहिंग्या कनेक्शन! 2024 से पहले देश को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश

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लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश को हिंसा की आग में झोंकने की गहरी साजिश रची जा रही है। देश को अस्थिर करने और अराजक माहौल बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को बदनाम के षडयंत्र के पीछे अंतर्राष्ट्रीय ताकत तो लगी ही हुई है वहीं देश के कुछ ‘जयचंद’ भी इसमें शामिल हैं। मणिपुर से लेकर हरियाणा के मेवात तक हिंसा के पीछे अब रोहिंग्या कनेक्शन सामने आया है। मणिपुर हिंसा में यह साबित हो चुका है कि सालों पहले म्यांमार से आए कुकी समुदाय का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या हथियार के साथ आए थे। मणिपुर ही नहीं पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में रोहिंग्या अपनी बस्तियां बसा चुके हैं। इसी तरह मेवात में भी रोहिंग्या की बस्तियां बस चुकी हैं और अब उस पर बुलडोजर भी चलाया जा रहा है। मेवात हिंसा में अंतर्राष्ट्रीय साजिश इस बात से समझी जा सकती है कि 27 जुलाई को इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने हिंदी में एक ट्वीट कर देश में केरोसीन छिड़कने का काम किया। मोनू मानेसर के फोटो के साथ ट्वीट में लिखा था- ‘इस गुंडे को कौन शह दे रहा है।’ इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल भारत विरोधी लॉबी से जुड़ा संगठन है और इसके जुड़ाव उस अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस से हैं जिसने भारत से मोदी सरकार को हटाने के लिए 100 अरब डॉलर खर्च करने की बात कही है। चूंकि मणिपुर से मेवात तक की हिंसा में रोहिंग्या की लिप्तता के संकेत मिल रहे हैं तो अब रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (Rohingya Human Rights Initiative) ने इस पर पर्दा डालने के लिए 18 अगस्त को भारत में रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया है।

मणिपुर से मेवात तक फैले रोहिंग्या देश के लिए सिरदर्द बने
मणिपुर से मेवात तक फैले रोहिंग्या देश के लिए सिरदर्द बन गए हैं। विदेशी ताकतें देश को अस्थिर करना चाहती हैं और इन रोहिंग्याओं को टूल बनाकर वे अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं। मणिपुर का म्यांमार के साथ सीमा लगती है और वह भी एक तरह से खुली सीमा है जिससे रोहिंग्या अवैध रूप से म्यांमार से मणिपुर आ जाते हैं। मणिपुर की पहाड़ी वादियों में बड़ी तादाद में रोहिंग्या अपनी बस्ती बना चुके हैं। इसी तरह से म्यांमार से बांग्लादेश और फिर पश्चिम बंगाल होते हुए अवैध रोहिंग्या मुस्लिम पूरे देश में फैलते जा रहे हैं। चाहे वह कश्मीर हो या मेवात। मेवात में भी बड़ी संख्या में रोहिंग्या आकर बस गए हैं। वे देश के हर उस हिस्से में बसते जा रहे हैं जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। देश के मुसलमानों को इन अवैध रोहिंग्या बसाने में मदद नहीं करनी चाहिए जो कि देश में अराजकता फैलाने के जिम्मेदार हैं।


मेवात में रोहिंग्या बस्ती पर चला बुलडोजर, कई युवक हिंसा में शामिल थे
मेवात के नूंह में हिंसा के बाद प्रशासन ने तावडू इलाके में 200 से ज्यादा झुग्गी-झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया। ये कंस्ट्रक्शन अवैध था। यहां बांग्लादेशी रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे थे और हिंसा में शामिल थे। यहां के कई युवकों का नाम एफआईआर में दर्ज है। इन रोहिंग्याओं ने हरियाणा विकास प्राधिकरण की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ था और यही हिंसा फैलाने में भी शामिल थे। हिंसा के आरोप में अब तक 93 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जबकि 176 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि इन आरोपियों ने भीड़ में शामिल होकर हथियरों और डंडों से हमला किया था। आरोपियों ने यह भी बताया कि हिंसा के बाद कई घुसपैठिए मेवात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जाकर छिप गए हैं।


मेवात में रैपिड एक्शन फोर्स का केंद्र स्थापित किया जाएगा
गौरतलब है कि 31 जुलाई 2023 को मेवात के नूंह में बृजमंडल यात्रा निकाली गई थी, जिस पर हमला हो गया था। इसके बाद हिंसा फैल गई, जिसने उग्र रूप ले लिया और हिंसा की यह आग हरियाणा के कई जिलों सहित दिल्ली तक फैल गई। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने कहा है कि नूंह में साइबर थाने पर हुआ हमला देश और प्रदेश की सुरक्षा पर बड़ा हमला है तथा इसकी गहन जांच की जाएगी। इसके साथ ही मेवात में स्थायी तौर पर रैपिड एक्शन फोर्स का एक केंद्र स्थापित किया जाएगा।

नूंह हिंसा में अब तक 7 की मौत, 93 केस दर्ज
मेवात के नूंह हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 2 होमगार्ड गुरसेवक और नीरज, नूंह के शक्ति, पानीपत के अभिषेक, गुरुग्राम के इमाम, बादशाहपुर के प्रदीप शर्मा व एक अन्य व्यक्ति शामिल हैं। राज्य में पुलिस ने कुल 93 केस दर्ज किए हैं। 186 लोगों को गिरफ्तार किया और 78 को हिरासत में लिया है। नूंह हिंसा की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की 8 और 3 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीमें बनाई गई हैं। नूंह में 46, गुरुग्राम में 23, पलवल में 18 और रेवाड़ी-फरीदाबाद में 3-3 FIR दर्ज हुई हैं। नूंह में 139 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। नूंह में गिरफ्तार किए गए 4 लोग पलवल और 6 लोग भरतपुर-अलवर के हैं।

मणिपुर हिंसा को बढ़ाने में शामिल थे रोहिंग्या
कांग्रेस पार्टी ने और कम्युनिस्टों ने मणिपुर के मूलनिवासी हिंदू मैतेई आदिवासियों पर आजादी के बाद से अत्याचार करते रहे। उन्हें अनुसूचित जाति से बाहर कर दिया और म्यांमार से आए रोहिंग्या, कुकी और ईसाई विदेशी को अनुसूचित जाति का लाभार्थी बनाकर खुली छूट दे दी और मैतेई आदिवासियों को नष्ट करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। हाईकोर्ट ने जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का आदेश दिया और उन्हें न्याय मिला तो कूकी, रोहिंग्या हिंसक हो गए। म्यामांर से आए धर्मांतरित ईसाई कुकी और रोहिंग्या मणिपुर में अफीम की खेती करते हैं और ये वहां के मूल निवासी मैतेई लोगों के हिंदु समुदाय से होने के कारण जान के दुश्मन बन गए हैं। और भारत के विकास से घबराए चीन उन्हें हथियार से लेकर हर तरह से मदद कर रहा है। इसके साथ ही हिंसा को भड़काने की साजिश में अंतर्राष्ट्रीय ताकतें भी शामिल हैं।


क्या भारत के मुसलमान देश से प्यार करते हैं?
क्या भारत के मुसलमान देश से प्यार करते हैं? इसका जवाब मिलाजुला मिलेगा। कुछ मुसलमान प्यार करते हैं और कुछ मुसलमान भारत से ज्यादा आज भी पाकिस्तान से प्यार करते हैं। यही वजह है कि असदुद्दीन औवेसी जैसे लोग कहते हैं कि वे वंदे मातरम नहीं कह सकते। यानि देश के नाम पर उनका सिर नहीं झुकेगा। बहरहाल, जब हम कहते हैं कि बहुत से अच्छे मुसलमान भी हैं जो देश से प्यार करते हैं देश को सबसे ऊपर रखते हैं तब सवाल उठता है कि इंडियन मुस्लिम अमेरिका जाकर इतना भारत विरोधी क्यों हो जाते हैं। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के ट्विटर हैंडल (@IAMCouncil) पर जाइए और उनके ट्वीट देखिए…केवल नफरत ही मिलेगा। भारत में कुछ अच्छी चीजें भी हो रही हैं लेकिन पता नहीं वो कौन सा चश्मा लगाते हैं, उन्हें केवल निगेटिव ही दिखता है।

मेवात हिंसा के लिए इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने केरोसीन छिड़का
मेवात में हिंसा भड़काने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साजिश रची गई और इसमें इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल एक ट्वीट ने केरोसीन डालने का काम किया। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने 27 जुलाई 2023 को गौ रक्षक मोनू मानेसर के वीडियो के साथ ट्वीट में लिखा- ”इस गुंडे को कौन शह दे रहा है? आप बताएं, देश की जनता से बीजेपी की सरकारें कितना झूठ बोलेंगी। ये गुंडा, हत्यारा मोनू मानेसर है। मुसलमानों के खिलाफ अपना निशाना और मजबूत करने की कोशिश में जुटा है और बीजेपी की पुलिस उसको गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। हरियाणा में दो मुसलमानों की जघन्य हत्या का आरोपी है ये मोनू। पर मजाल है जो पुलिस छू ले इसको। बताया जा रहा है कि जिस शूटिंग रेंज में फायरिंग कर रहा है, ये थाईलैंड के पटाया में है।” इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के इस ट्वीट ने मेवात के मुसलमानों को भड़काने का काम किया और वहां के रोहिंग्या मुसलमानों को हथियार मुहैया करवाए गए जिसने पहाड़ियों से शोभायात्र के श्रद्धालुओं पर गोलियां बरसाईं।

अमेरिका में राहुल गांधी की बैठक में शामिल हुए इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के मेंबर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 31 मई 2023 को 10 दिनों के लिए अमेरिका दौरे पर गए थे। उस दौरान उन्होंने भारत विरोधी अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस की करीबी सुनीता विश्वनाथ और जमात-ए-इस्लामी से जुड़े तजीम अंसारी के साथ बैठक की थी। इस पर सवाल उठे थे कि राहुल गांधी भारत विरोधी लोगों के साथ क्यों मिलते हैं। इस बैठक का उद्देश्य क्या है। इस बैठक में सुनीता विश्वनाथ के साथ ही इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के मेंबर भी थे। तो एक तरफ इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल भारत में हिंसा भड़काने वाले ट्वीट करता है और दूसरी तरफ राहुल गांधी की बैठक में इसके मेंबर मौजूद होते हैं। इससे समझा जा सकता है कि इस बैठक का उद्देश्य क्या रहा होगा। जार्ज सोरोस के ही संस्थान ओपन सोसाइटी के ग्लोबल उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी हिस्सा लिया था। इससे साफ जाहिर है कि सत्ता के लिए राहुल गांधी देश को कमजोर करने और देश को नीचा तक दिखाने के लिए तैयार हैं।

राहुल गांधी अमेरिका दौरे के दौरान कई भारत विरोधियों से मिले और कई बैठकें की। इस पर सवाल उठे थे। इस पर एक नजर-

जार्ज सोरोस के सहयोगी से मिलने की राहुल की क्या है मजबूरी?
राहुल गांधी जब अमेरिका दौरे पर गए थे तब भारत विरोधी लोगों से मिले थे। इस पर भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने कहा था कि भाजपा ने इस विषय को पहले भी उठाया था कि कैसे जार्ज सोरोस भारत में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को हटाना चाहते हैं। सोरोस के इरादे हर भारतवासी को पता थे, तब भी ऐसी क्या मजबूरी थी कि राहुल गांधी ने जार्ज सोरोस के एक सहयोगी के साथ अमेरिका में बैठक की। ईरानी ने सवाल किया कि राहुल को जवाब देना चाहिए कि वे लोगों के साथ क्या बात कर रहे थे? स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर 4 जून को जमाते इस्लामी से संबंधित एक इस्लामी संगठन से मिले थे। इस मुलाकात पर सवाल उठाते हुए स्मृति ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि इस दौरान भी सोरोस के ओपन सोसायटी के मेंबर सलिल सेठी भी राहुल गांधी के साथ दिखाई दिए थे। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे को उठाने पर बीजेपी नेता के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। यह सच को दबाने की कोशिश है। उन्होंने पूछा कि जो भारत की सरकार को गिराना चाहता है उसके साथ राहुल गांधी आखिर क्या कर रहे हैं। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में फोटो भी शेयर किए।

अमित मालवीय ने राहुल की सच्चाई दिखाई तो कांग्रेस को मिर्ची लगी
दरअसल, कर्नाटक में भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग के प्रमुख अमित मालवीय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के सदस्य रमेश बाबू ने यह शिकायत दर्ज कराई है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया है कि मालवीय ने कांग्रेस और राहुल गांधी का मजाक उड़ाते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर माहौल बिगाड़ने और लोगों को उकसाने का काम किया। जबकि इस वीडियो में उन्हीं बातों को दिखाया गया है जो कि राहुल गांधी अपने ब्रिटेन और अमेरिकी दौरे पर कहते रहे हैं। इसमें दिखाया गया है कि वे भारत विरोधी हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीचा दिखाने के लिए विदेशों में भारत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।


सुनीता विश्वनाथ ने किया था पीएम मोदी के दौरे का विरोध
सुनीता विश्वनाथ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) की कोफाउंडर हैं। वह अमेरिका में इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के साथ कई कार्यक्रमों में शिरकत करती हैं। यह एक कट्टर संगटन है। खबरों के अनुसार इस संगठन का पश्चिम में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ सांठगांठ है। संदिग्ध संगठन ‘हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे का विरोध किया था। इसके खिलाफ प्रोपेगेंडा के लिए विशेष टूलकिट लेकर आया था। संगठन द्वारा जारी टूलकिट उसके मोदी विरोधी अभियान का हिस्सा था। “मोदी प्रोटेस्ट टूलकिट” शीर्षक वाला 24 पेज का दस्तावेज़ एचएफएचआर की वेबसाइट पर खुले तौर पर उपलब्ध था।

अमेरिका में राहुल का जमात, सुनीता विश्वनाथ कनेक्शन, फोटो ने खोल दी पोल
राहुल गांधी पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से पहले 30 मई को अमेरिका पहुंचे थे। राहुल गांधी के विदेश दौरे का उद्देश्य भारत को नीचा दिखाना, पीएम मोदी और भाजपा को बदनाम करना और भारत में मुसलमान खतरे हैं, यही बताना रहता है। यह काम वह पिछले कई विदेश दौरे से करते आ रहे हैं। लेकिन जिस तरह सोशल मीडिया पर उनका एक फोटो वायरल हुआ उसने उनकी पोल खोलकर रख दी है। जिस अमेरिकी अरबपति कारोबारी जार्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला था, जिसने पीएम मोदी को सत्ता से हटाने की बात कही थी, जिसने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 अरब डॉलर का फंड देने की बात कही थी, अब राहुल गांधी उसी के करीबी सहयोगी सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठते करते देखे गए। आखिर राहुल गांधी देश विरोधी लोगों से क्यों मिल रहे थे? क्या भारत को कमजोर करने की जार्ज सोरोस की साजिश में वे भी शामिल हैं? राहुल गांधी का जमात, ISI और जॉर्ज सोरोस से जुड़े लोगों से मिलना यह साबित करता है कि वे भारत से प्रेम नहीं करते बल्कि सत्ता के लिए देश को कमजोर करने से लेकर किसी भी हथकंडे को अपना सकते हैं।

जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि हैं सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि हैं, जिसने विपक्षी नेताओं, थिंक टैंक, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए 1 अरब डॉलर देने का वादा किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए इस हद तक समझौता कर रहे हैं। अमेरिकी एक्टिविस्ट सुनीता विश्वनाथ वही हैं जिन्हें तीन साल पहले अयोध्या में एंट्री से रोक दिया गया था।

हिंदुओं के विरोध में मुसलमानों के पक्ष में एजेंडा चलाती है सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) की सह-संस्थापक हैं, इसके जरिये भी वह हिंदुओं के खिलाफ एजेंडा चलाती है और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) जैसे कट्टर संगठनों के साथ कई कार्यक्रमों की सह-मेजबानी करती हैं। पश्चिम में व्यापक जमात-आईएसआई सांठगांठ का हिस्सा हैं और भारत में सामाजिक भेदभाव के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना उनका काम है। उनके अन्य संगठन वुमन फॉर अफगान वीमेन को सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

मुस्लिम4पीस के कार्यक्रम में सुनीता का हिंदू और मोदी-विरोधी भाषण
अमेरिका में “डिसमेंटल ग्लोबल हिंदुत्व” अभियान चलाने वाली सुनीता सोरोस द्वारा वित्तपोषित कई संगठनों के साथ जुड़ी हुई है। मुस्लिम4पीस संगठन द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में उन्हें हिंदू, मोदी-विरोधी भाषण देते हुए साफ देखा जा सकता है। इससे यह आशंका दृढ़ हो जाती है कि भारत में सत्ता-परिवर्तन की मंशा पाले लोगों द्वारा राहुल गांधी को तैयार किया जा रहा है?

बैठक में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का एजेंट भी शामिल
आपने सुनीता विश्वनाथ के साथ राहुल गांधी की तस्वीर देखी। इस बैठक में और कौन-कौन मौजूद थे? अब्दुल मलिक मुजाहिद द्वारा प्रवर्तित भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद के जिहादी – आईएसआई फ्रंटमैन भी थे। हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स केवल मुजाहिद द्वारा समर्थित संगठन है। राहुल गांधी के कांग्रेस यूएसए इनर सर्कल के कनेक्शन के बारे में जानकर गंभीर चिंताएं होती हैं। एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन इंगित करता है कि सर्कल के एक सदस्य को सोरोस द्वारा सीधे वित्त पोषित किया जाता है, जिसका आईएसआई और जमात ए इस्लामी से जुड़े संगठनों से संबंध है, जो आतंकी गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

सुनीता विश्वनाथ के पाकिस्तानी जमात-ए-इस्लामी से संबंध
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की संस्थापक सुनीता विश्वनाथ एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका कथित तौर पर पाकिस्तानी जमात-ए-इस्लामी के एक प्रमुख व्यक्ति अब्दुल मलिक मुजाहिद के साथ करीबी संबंध हैं, जो भारत में आतंकी हमलों में सीधे तौर पर शामिल होने के लिए जाना जाता है। मुजाहिद का भारतीय प्रवासी संगठनों पर प्रभाव स्पष्ट है। उनकी वेबसाइट पर भारत के खिलाफ एजेंडा के रूप में ‘सेव इंडिया फ्रॉम फासिज्म’ और ‘सेव कश्मीर’ आदि के पोस्टर-बैनर देखे जा सकते हैं।

सुनीता विश्वनाथ का आईएसआई और खालिस्तानियों से भी गहरा संबंध
सुनीता विश्वनाथ के बारे में और जानकारी हासिल करने पर पता चलता है उनका आईएसआई और खालिस्तानियों से भी गहरा संबंध है। इसके साथ ही कई अन्य संगठनों से भी संबंध है जो उनके भारत विरोधी होने को उजागर करते हैं। वह अमेरिका में आईएसआई समर्थित खालिस्तानी गुर्गों, भजन सिंह भिंडर और पीटर फ्रेडरिक के साथ एलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी की सह-संस्थापक भी हैं।

भारत विरोधियों का कांग्रेस में सीधी पहुंच का क्या है मतलब?
सुनीता विश्वनाथ का विवादों से नाता यहीं तक नहीं है। सुनीता ने कई कार्यक्रमों का सह-आयोजन किया है और IAMC जैसे संगठनों के साथ सहयोग किया है, जो 2014 से पहले से ही भारत के खिलाफ खुले तौर पर पैरवी कर रहा है, देश के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन करता रहा है। इन खुलासों से संकेत मिलता है कि अमेरिका में सुनीता विश्वनाथ और राहुल गांधी की बैठक किसी खतरनाक मंसूबे के तहत हुई। वे भारत के खिलाफ किसी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। यह सोचना भी परेशान करने वाला है कि इस तरह की सोच वाला कोई व्यक्ति कांग्रेस पार्टी के अमेरिकी संगठन के अंदर तक सीधी पहुंच आखिर कैसे प्राप्त कर सकता है।

सुनीता विश्वनाथ भगवान शिव को बता चुकी ‘चिलमबाज’
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स नामक संगठन की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ हिंदुओं के नाम पर हिंदुओं के खिलाफ झूठ और प्रोपेगेंडा फैलाने का काम करती रही है। ‘हिंदू बनाम हिंदुत्व’ के नैरेटिव का अभियान चलाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करती रही है। वहीं सुनीता हिंदू देवी देवताओं को बदनाम करने के लिए उल-जुलूल बातें भी करती है। कभी वह भगवान शिव को चिलमबाज बताती है तो कभी कहती है हिंदुओं में शराब-सिगरेट का निषेध नहीं है, ये देवताओं को भी चढ़ाया जाता है।

क्या राहुल के भाषण की स्क्रिप्ट अमेरिका में लिखी जा रही?
करण थापर के एक शो में सुनीता ने कहा था कि भारत के हिंदुओं के लिए जरूरी है कि वो हिंदुत्व से लड़ें क्योंकि जो आज हो रहा है वो नरसंहार की शुरुआत है। सुनीता की तरह ही राहुल गांधी भी पिछले कुछ समय से हिंदू और हिंदुत्व को अलग बताकर प्रोपेगेंडा फैलाने में जुटे हैं। लेकिन इससे इस बात को बल मिल रहा है कि क्या राहुल के भाषण की स्क्रिप्ट अमेरिका में लिखी जा रही है।

राहुल के आयोजकों के नाम शाहीन बाग की लिस्ट जैसी क्यों?
अमेरिका में राहुल गांधी के कार्यक्रम के आयोजकों में से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार है- फ़्रैंक इस्लाम, माजिद अली, नियाज़ ख़ान, जावेद सैयद, मोहम्मद असलम, मीनाज़ ख़ान, अकील मोहम्मद आदि। इन नामों को देखने ऐसा लगता है कि गोया यह शाहीन बाग की वोटर लिस्ट हो। लेकिन नहीं, ये उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने राहुल गांधी का अमेरिका में प्रोग्राम ऑर्गनाइज़ कराया। इनमें से कई कश्मीर में कट्टरवाद के समर्थक हैं, यानी के आतंकवाद के समर्थक हैं। अब इससे यह समझना आसान हो जाता है कि राहुल गांधी क्यों सनातन संस्कृति का मजाक बना रहे थे और बस मुसलमान परेशान हैं, मुसलमानों को सेकेंड क्लास सिटीजन माना जाता है, भारत में यही सब गाना गा रहे थे।

राहुल गांधी इससे पहले 2022 में ब्रिटेन के दौरे पर गए थे तब भी उन्होंने देश को नीचा दिखाया था। इस पर एक नजर-

राहुल गांधी ने कहा था- पूरे भारत में केरोसिन छिड़का जा चुका है, बस एक चिंगारी की जरूरत है
लंदन में 2022 में ‘आइडिया फॉर इंडिया’ कॉन्फ्रेंस में पहुंचे राहुल गांधी ने कहा था- ‘देश में धुव्रीकरण बढ़ता जा रहा है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, महंगाई बढ़ती जा रही है। बीजेपी ने देश में हर तरफ़ केरोसीन छिड़क दिया है बस एक चिंगारी से हम सब एक बड़ी समस्या के बीच होंगे।’ यहां समझने की बात है कि राहुल को केरोसीन छिड़कने की बात कहनी थी तो उन्होंने इसमें बीजेपी को लपेट लिया।

राहुल ने लंदन में पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया
लंदन में भारतीय लोकतंत्र और संस्थानों पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया। राहुल गांधी का परिचय पाकिस्तान में जन्मे कमल मुनीर ने एमबीए दर्शकों से कराया। कमाल मुनीर को पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले राजकीय सम्मान तमगा-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया है। मुनीर का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संपर्क है। इससे आप समझ सकते हैं कि डीप स्टेट भारत को तबाह करने के लिए किस स्तर पर काम कर रहा है। एक तरफ राहुल गांधी को खड़ा किया गया, लेफ्ट लिबरल गैंग प्रोपेगेंडा फैलाने में जुट जाती है। आईएसआई नेटवर्क के जरिये खालिस्तान मुद्दे को जिंदा किया गया जिससे देश में उथल-पुथल मचे।

राहुल विदेश जाते ही भूल जाते हैं सारी मर्यादा
राहुल गांधी जब विदेश जाते है तो पता नहीं उन्हें क्या हो जाता है? वे सारी मर्यादा, सारी शालीनता, लोकतांत्रिक शर्म… सब भूल जाते हैं। अब जब देश की जनता न उनको सुनती है… न समझती है तो विदेश में जाकर विलाप करते हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में हैं। राहुल गांधी ने लंदन में अपने भाषणों में भारत के लोकतंत्र, संसद, राजनीतिक व्यवस्था और भारत की जनता समेत न्याय व्यवस्था और सामरिक सुरक्षा सभी का अपमान किया है। राहुल गांधी ने कहा कि यूरोप और अमेरिका को भारत में लोकतंत्र बचाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। सरकार किसी की भी हो क्या भारतवासी किसी विदेशी ताकत के भारत में आंतरिक हस्तक्षेप को स्वीकार कर सकते हैं? कोई देशवासी इसे स्वीकार नहीं करेगा। यहीं राहुल गांधी मात खा जाते हैं वे ऐसा बयान दे रहे हैं जो देसवासियों को पसंद नहीं।
ब्रिटिश सांसदों से भारत में लोकतंत्र ‘बचाने’ की अपील, देश की संप्रभुता को कमजोर करने का षडयंत्र
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता राहुल गांधी ब्रिटिश धरती पर जाकर भारत के आंतरिक मुद्दों पर बात करते हुए विदेशी दखल की बात करते हैं। वह ऐसा पहली बार नहीं कर रहे हैं- इससे पहले उन्होंने निकोलस बर्न और अमेरिका के हस्तक्षेप की मांग की थी। और हम सभी को याद है कि कैसे कांग्रेस ने हाल ही में जॉर्ज सोरोस के बयान को लेकर हाय-तौबा मचाया था जबकि सोरोस राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डालर देने का ऐलान कर चुका है। यह एक बार नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता को कमजोर करने का एक सुनियोजित पैटर्न है। इससे यह भी साबित होता है कि राहुल विदेशी ताकतों के इशारों पर खेल रहे हैं।
राहुल गांधी को जेलेंस्की बनाना चाहता है डीप स्टेट!
राहुल गांधी हाल के समय में चीन का जिक्र बार-बार करते हैं। चीन भारत में घुसपैठ कर रहा है। चीनी सैनिक भारतीय जवानों को पीटते हैं। चीन में काफी सद्भावना है। इस तरह के न जाने कितने ही बयान हैं। लेकिन हाल में ब्रिटेन के दौरे के दौरान उनके जुबान से वह बात भी निकल गई जिसका उन्हें सब्जबाग दिखाया गया था। उन्होंने कहा- जैसा रूस ने यूक्रेन में किया, वही भारत के खिलाफ दोहरा सकता है चीन। पश्चिमी देशों के डीप स्टेट (दुनिया को अपने हिसाब से चलाने वाले) ने मई 2022 में राहुल गांधी के मेकओवर और पीएम उम्मीदवार बनाने की पटकथा तैयार की थी। उस वक्त राहुल भी ब्रिटेन के दौरे पर थे। उसी वक्त यह तय हुआ था कि जिस तरह यूक्रेन में आंदोलन खड़ा कर जेलेंस्की को प्रधानमंत्री बनाया गया उसी तरह 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर राहुल की ताजपोशी करवाई जाएगी।
डीप स्टेट के प्लान के मुताबिक बयान दे रहे हैं राहुल गांधी
राहुल के मेकओवर की पटकथा की कहानी भारत जोड़ो यात्रा से शुरू होती है। इसके बाद पटकथा के मुताबिक पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, अडानी समूह को बदनाम करने के लिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट और ANI, RSS जैसी संस्थाओं पर हमले किए जा रहे हैं। फिर रामचरितमानस विवाद के जरिये हिंदू धर्म को बदनाम करना और खालिस्तान मुद्दे को हवा देकर देश को आंदोलन की आग में झोंकने की साजिश रची जा रही है। यह कोई संयोग नहीं है कि खालिस्तान के नए झंडाबरदार अमृतपाल सिंह जो बात कहता है वही राहुल गांधी भी कहते हैं। RSS के खिलाफ एक तरफ कनाडा में रिपोर्ट तैयार होती है उसे आतंकवादी संगठन करार दिया जाता है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी लंदन में RSS के खिलाफ जहर उगलते हैं। RSS को लेकर उनसे प्लांटेड सवाल किए जाते हैं।
सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने का किया ऐलान
अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने साल 2020 में वैश्विक स्तर पर राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने की बात कही थी। उसने कहा था कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना ‘राष्ट्रवादियों से लड़ने’ के लिए की जाएगी। सोरोस ने ‘अधिनायकवादी सरकारों’ और जलवायु परिवर्तन को अस्तित्व के लिए खतरा बताया था। सोरोस ने कहा था कि राष्ट्रवाद अब बहुत आगे निकल गया है। सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका भारत को लगा है, क्योंकि वहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी भारत को एक हिन्दू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं।
डीप स्टेट भारत की तरक्की से खुश नहीं
डीप स्टेट भारत की तरक्की से खुश नहीं है और वह चाहता कि किसी तरह से भारत को कमजोर किया जाए। इसीलिए उसने प्यादे के रूप में राहुल गांधी को चुना है। राहुल गांधी इसके लिए योग्य उम्मीदवार हैं। उनके पास अपना कोई विजन नहीं है। डीप स्टेट जैसा कहेगा वो वैसा ही करते जाएंगे। जैसा कि यूक्रेन में हो रहा है। कुल मिलाकर डीप स्टेट चाहता है कि पश्चिमी देशों को चुनौती देने वाली दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भारत और चीन के बीच रूस-यूक्रेन की तरह युद्ध छिड़ जाए जिससे ये दोनों देश कमजोर हो जाएं। और राहुल गांधी लालचवश में उनके एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हें इस बात से तनिक भी दुख नहीं है कि इससे देश का क्या होगा।
पीएम मोदी के सामने बेवश पश्चिमी देश और अमेरिका बौखलाया
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पश्चिमी देश अपना हित साधने के लिए सरकार भी खरीद लेती थी और तमाम तरह की साजिश रचने में सफल हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड है। उस वक्त भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायण के नेतृत्व में भारत लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन बनाने में सफल होने के करीब पहुंच गया था लेकिन CIA ने कांग्रेस सरकार और नेताओं को खरीद कर नंबी नारायण को जेल में डलवा दिया और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 20-30 साल पीछे चला गया। इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी।
विदेशी ताकतें भारत में चाहती है कमजोर और गठबंधन सरकार
विदेशी ताकतें और जार्ज सोरोस जैसे लोग भारत में एक कमजोर और गठबंधन सरकार को पसंद करते हैं, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उसे चला सकें। एक स्थिर, पूर्ण बहुमत वाली सरकार से वे डरते हैं और इसीलिए उसे हटाना चाहते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि राहुल गांधी 2022 में जब ब्रिटेन में थे उसी समय सोरोस भी ब्रिटेन में था। यह डीपस्टेट का षड़यंत्र है जिसमें कांग्रेस सहित लेफ्ट लिबरल मिले हुए हैं।
देश ने मोदी को दिल में बसाया, 2024 में विदेशी ताकतों का सपना होगा चकनाचूर
जिस तरह 2014 के बाद से भारत विकास के पथ पर अग्रसर है उसे देखते हुए देशवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल में बसाया है। इसकी झांकी पीएम मोदी के रोड शो में साफ देखने को मिलती है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं भारतीय मतदाताओं को प्रभावित करने वाले ये विदेशी ताकतें और जार्ज सोरोस कौन होता है। भारतीय मतदाता निश्चित रूप से 2024 में मोदी जी को फिर से वापस लाएगा! 2024 में सोरोस और विदेशी ताकतों का सपना चकनाचूर होगा। देशों में शासन परिवर्तन के उसके मंसूबे का अंत भारत में होगा। भारत में ऐसा कुछ करने की कोशिश करना मुश्किल है। अब देश ने मोदी को दिल में बसा लिया है।

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