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देशद्रोहियों, आतंकियों, दंगाइयों को कवर फायर देती है वामपंथी और सेकुलर मीडिया, मेवात दंगे में मोनू और दिल्ली दंगे में कपिल को बनाया विलेन

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आजादी के बाद केंद्र में करीब 60 साल तक कांग्रेस का शासन रहा। इस दौरान कांग्रेस ने लोकतंत्र के चारों मजबूत स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया में अपनी गहरी पैठ बनाई। कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्ष विचारधारा की आड़ में हर संस्था में वामपंथियों को बढ़ावा दिया। मीडिया में भी वामपंथियों की घुसपैठ कराई, ताकि गांधी परिवार के महिमामंडन और जनता में उनकी छवि को निखारने का काम कर सके। कांग्रेस सरकारों में वामपंथी और सेकुलर मीडिया को खूब संरक्षण मिला है। दरबारी पत्रकारों की इस फौज में ऐसे पत्रकार हैं, जो शक्ल और सूरत में भारतीय होते हैं, लेकिन उनकी मानसिकता विदेशी और हिन्दू विरोधी है। कांग्रेसी और विदेशी फंड पर पलने वाले ये पत्रकार कांग्रेस के वोटबैंक को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के नैरेटिव तैयार करते हैं। कांग्रेस और विदेशी संगठनों के एजेंडे को भारत में लागू करने में मदद करते हैं। दरबारी पत्रकार अल्पसंख्यकों का पक्ष लेते हैं और उनके हर गुनाह की अनदेखी करते हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की छवि खराब करने के लिए देशविरोधी, आतंकी और हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों का बचाव करते हैं। किसी एक प्रभावशाली हिन्दू और उसके संगठन को निशाने पर लेकर उन्हें विलेन बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक देते हैं। 

मेवात दंगे में मोनू मानेसर के बहाने दंगाइयों का बचाव 

अभी पूरा देश मेवात में लगी सांप्रदायिक आग की तपिश महसूस कर रहा है। चारों तरफ हिन्दू विरोधी इस दंगे की चर्चा हो रही है। इस हिंसा में छह लोग मारे गए, जिनमें से 5 हिन्दू है। सैकड़ों लोग घायल हुए है। सैकड़ों गाड़ियों को आगे हवाले किया गया है। आज इलाके में तनाव व्याप्त है। मुस्लिम बहुल मेवात में अल्पसंख्यक हिन्दू दहशत में हैं। लेकिन मीडिया का एक ऐसा पक्ष है, जिसे सेकुलर, लिबरल और वामपंथी मीडिया गैंग कहते हैं, वो इस दंग को नया मोड़ देने की कोशिश कर रहा है। मोनू मानेसर को इस दंगे के लिए जिम्मेदार बताते हुए इस हिंसा के मुख्य गुनहगारों पर से ध्यान हटाने और उन्हें बचाने के लिए मनगढ़ंत बातें फैला रहा हैं। फेक वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से लोगों को गुमराह रहा है। पुलिस की कार्रवाई में गिरफ्तार लोगों को भी गरीब और बेकसूर बताकर उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बनाया जा रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सरकारों को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है। पत्रकार होकर भी ये गोदी मीडिया और सांप्रदायिक मीडिया बताकर दूसरे पत्रकारों की जान के दश्मन बन रहे हैं। आइए देखते हैं दरबारी पत्रकारों का गैंग किस तरह पूरी हिंसा को नया रंग देने में लगा हुआ है… 

दिल्ली दंगे में कपिल मिश्रा के बहाने दंगाइयों का बचाव

मेवात दंगे को देखकर दिल्ली दंगे की याद ताजा हो गई है। जिस तरह से मुस्लिम दंगाइयों ने मेवात में तांडव किया है, उसी तरह फरवरी 2020 में दिल्ली में किया था। दंगे में 107 लोग मारे गए थे। सैकडों घरों और गाडियों को आग के हवाले किया गया था। जब दंगे की जांच शुरू की गई तो परत दर परत साजिश पर से पर्दा उठता गया। पता चला कि मेवात दंगे की तरह दिल्ली दंगा भी सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। दंगे के लिए पूरी तरह तैयारी की गई थी। दंगाइयों ने पेट्रोल बम और गुलेल से आगजनी की तैयारी की थी। तब भी सेकुलर, लिबरल और वामपंथी मीडिया गैंग ने मोनू मानेसर की तरह कपिल मिश्र को अपने निशाने पर लिया था। उन्होंने दंगे के लिए कपिल मिश्रा को जिम्मेदार बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। असली दंगाइयों का बचाव करते हुए वामपंथी मीडिया गैंग ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम चलाई थी। कपिल मिश्रा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। बाद में दिल्ली दंगे की साजिश में शामिल होने के आरोप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जो आज तक जेल की रोटियां खा रहा हैं। जैसे ही उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया लिबरल मीडिया गैंग परेशान हो उठा। सोशल मीडिया पर प्रलाप शुरू कर दिया। पत्रकार सबा नकवी ने गिरफ्तारी को गलत बताया। इसके बाद जांच एजेंसी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा उमर खालिद निर्दोष है और उसे अपराधी बताया जा रहा है।

देशद्रोहियों और आतंकियों का महिमामंडन करती है सेक्युलर और वामपंथी मीडिया 

इससे पहले सेकुलर, लिबरल और वामपंथी गैंग ने बुरहान वानी जैसे आतंकवादी को स्कूल हेडमास्टर का बेटा बताया था। आम लोगों में उसके प्रति सहानुभूति उत्पन्न करने के लिए रोबिनहुड की तरह पेश किया था। लेकिन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान मुजफ्फर वानी को सुरक्षा बलों ने मारा गिराया था। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने बुरहान वानी के एनकाउंटर को लेकर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि सोशल मीडिया को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले स्कूल हेडमास्टर का बेटा बुरहान वानी अनंतनग में मारा गया। इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक पुराने लेख में भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम की देशभक्त के रूप में प्रशंसा की थी। पूर्व पत्रकार एस गुरुमूर्ति ने संबंधित लेख साझा किया, जो अप्रैल 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ था। हाल ही में 20 जुलाई,2023 को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर वित्तीय मदद प्राप्त करने के आरोप में एक पत्रकार मुजामिल जहूर मलिक को गिरफ्तार किया गया था। उसने फर्जी दस्तावेज बनाकर अपने बैंक खाते में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला धन प्राप्त किया था। 2018 में पुलिस ने “Kashmir Narrator” के पत्रकार आसिफ सुलतान को गिरफ्तार किया था। आसिफ पर आरोप था कि वो खतरनाक आतंकियों को छिपने की जगह दे रहा था और आंतकी गतिविधियों में मदद कर रहा था।

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