आजादी के बाद केंद्र में करीब 60 साल तक कांग्रेस का शासन रहा। इस दौरान कांग्रेस ने लोकतंत्र के चारों मजबूत स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया में अपनी गहरी पैठ बनाई। कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्ष विचारधारा की आड़ में हर संस्था में वामपंथियों को बढ़ावा दिया। मीडिया में भी वामपंथियों की घुसपैठ कराई, ताकि गांधी परिवार के महिमामंडन और जनता में उनकी छवि को निखारने का काम कर सके। कांग्रेस सरकारों में वामपंथी और सेकुलर मीडिया को खूब संरक्षण मिला है। दरबारी पत्रकारों की इस फौज में ऐसे पत्रकार हैं, जो शक्ल और सूरत में भारतीय होते हैं, लेकिन उनकी मानसिकता विदेशी और हिन्दू विरोधी है। कांग्रेसी और विदेशी फंड पर पलने वाले ये पत्रकार कांग्रेस के वोटबैंक को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के नैरेटिव तैयार करते हैं। कांग्रेस और विदेशी संगठनों के एजेंडे को भारत में लागू करने में मदद करते हैं। दरबारी पत्रकार अल्पसंख्यकों का पक्ष लेते हैं और उनके हर गुनाह की अनदेखी करते हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की छवि खराब करने के लिए देशविरोधी, आतंकी और हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों का बचाव करते हैं। किसी एक प्रभावशाली हिन्दू और उसके संगठन को निशाने पर लेकर उन्हें विलेन बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक देते हैं।
मेवात दंगे में मोनू मानेसर के बहाने दंगाइयों का बचाव
अभी पूरा देश मेवात में लगी सांप्रदायिक आग की तपिश महसूस कर रहा है। चारों तरफ हिन्दू विरोधी इस दंगे की चर्चा हो रही है। इस हिंसा में छह लोग मारे गए, जिनमें से 5 हिन्दू है। सैकड़ों लोग घायल हुए है। सैकड़ों गाड़ियों को आगे हवाले किया गया है। आज इलाके में तनाव व्याप्त है। मुस्लिम बहुल मेवात में अल्पसंख्यक हिन्दू दहशत में हैं। लेकिन मीडिया का एक ऐसा पक्ष है, जिसे सेकुलर, लिबरल और वामपंथी मीडिया गैंग कहते हैं, वो इस दंग को नया मोड़ देने की कोशिश कर रहा है। मोनू मानेसर को इस दंगे के लिए जिम्मेदार बताते हुए इस हिंसा के मुख्य गुनहगारों पर से ध्यान हटाने और उन्हें बचाने के लिए मनगढ़ंत बातें फैला रहा हैं। फेक वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से लोगों को गुमराह रहा है। पुलिस की कार्रवाई में गिरफ्तार लोगों को भी गरीब और बेकसूर बताकर उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बनाया जा रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सरकारों को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है। पत्रकार होकर भी ये गोदी मीडिया और सांप्रदायिक मीडिया बताकर दूसरे पत्रकारों की जान के दश्मन बन रहे हैं। आइए देखते हैं दरबारी पत्रकारों का गैंग किस तरह पूरी हिंसा को नया रंग देने में लगा हुआ है…
भोंडी और बेशम्र पत्रकारिता का नमूना बन चुके है रवीश कुमार। pic.twitter.com/lWTx2CiVvv
— Ajay Sehrawat (@IamAjaySehrawat) August 2, 2023
Monu Manesar was not in Nuh but Rajdeep blames him for violence. Why we need police investigation when @SardesaiRajdeep gives verdict sitting in newsroom?
So many videos of Muslims planning attack on Hindus. Did Raju show any?
Raju couldn’t find 1 Muslim to be blamed for… https://t.co/7Vkt3ebuqw pic.twitter.com/zKsyuTgivE
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) August 3, 2023
“लोग शरण में आये, उन्हें बंधक नहीं बनाया”
नूंह मंदिर के पुजारी ने वायर को बताया।
पूरी रिपोर्ट यहाँ देखिये https://t.co/cuQkwpsleY pic.twitter.com/pHlENhbAs6— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) August 3, 2023
.@AdilZainulbhai
आदिल साहब ,
आपके चैनल के ऐसे एंकर्स हर रोज़ नफ़रत फैलाने का काम कर रहे हैं . देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं . पता नहीं आप लोगों की क्या मजबूरी है कि ऐसे नफरती चेहरों पर आप लगाम नहीं लगा पा रहे हैं . अब भी वक़्त है , ऐसे लोगों को कंट्रोल करिए .
कहीं ऐसा न हो कि… https://t.co/PE7EOqjT1A— Ajit Anjum (@ajitanjum) August 2, 2023
भस्मासुर के बारे में पढ़ा तो होगा ना ..
— Vinod Kapri (@vinodkapri) August 1, 2023
A mentally challenged mob pic.twitter.com/V335lh6hmI
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) August 1, 2023
दिल्ली दंगे में कपिल मिश्रा के बहाने दंगाइयों का बचाव
मेवात दंगे को देखकर दिल्ली दंगे की याद ताजा हो गई है। जिस तरह से मुस्लिम दंगाइयों ने मेवात में तांडव किया है, उसी तरह फरवरी 2020 में दिल्ली में किया था। दंगे में 107 लोग मारे गए थे। सैकडों घरों और गाडियों को आग के हवाले किया गया था। जब दंगे की जांच शुरू की गई तो परत दर परत साजिश पर से पर्दा उठता गया। पता चला कि मेवात दंगे की तरह दिल्ली दंगा भी सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। दंगे के लिए पूरी तरह तैयारी की गई थी। दंगाइयों ने पेट्रोल बम और गुलेल से आगजनी की तैयारी की थी। तब भी सेकुलर, लिबरल और वामपंथी मीडिया गैंग ने मोनू मानेसर की तरह कपिल मिश्र को अपने निशाने पर लिया था। उन्होंने दंगे के लिए कपिल मिश्रा को जिम्मेदार बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। असली दंगाइयों का बचाव करते हुए वामपंथी मीडिया गैंग ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम चलाई थी। कपिल मिश्रा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। बाद में दिल्ली दंगे की साजिश में शामिल होने के आरोप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जो आज तक जेल की रोटियां खा रहा हैं। जैसे ही उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया लिबरल मीडिया गैंग परेशान हो उठा। सोशल मीडिया पर प्रलाप शुरू कर दिया। पत्रकार सबा नकवी ने गिरफ्तारी को गलत बताया। इसके बाद जांच एजेंसी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा उमर खालिद निर्दोष है और उसे अपराधी बताया जा रहा है।
आज निधि राजदान, कापड़ी, वागले, स्वाति चतुर्वेदी और पूरा गैंग मेरे खिलाफ झूठ बोल रहे हैं
ये हैं चार्जशीट में लिखा पूरा सच –
CAA विरोधी दंगाइयों जिन्होंने रतनलाल जी की हत्या की, दंगे भड़काने के लिए कपिल मिश्रा के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाई
उसी झूठी अफवाह को इन्होंने न्यूज बना दिया pic.twitter.com/qUHQmLUJ6M
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) June 24, 2020
NDTV का बस चले तो वो कपिल मिश्रा को जबरदस्ती उठा ले
कल रात प्राइम टाइम में रवीश कुमार जिस प्रकार से दंगाइयों का बचाव कर रहे थे और कपिल मिश्रा को निशाना बना रहे थे उनकी बौखलाहट साफ दिख रही थी बाकी ये तस्वीरे बहुत कुछ कहती है pic.twitter.com/UpgOBnb7U3— JB sinha (@sinha_jb) June 10, 2020
@sardanarohit @anjanaomkashyap ये राजदीप सरदेसाई जबरदस्ती लोगों मुँह में अपने शब्द डालकर क्या कहलवाना चाहता कि कपिल मिश्रा की वजह से दंगे हुए?? आज तो दंगल और हल्ला बोल सिर्फ और सिर्फ राजदीप सरदेसाई पर होना चाहिए अगर आपके चैनल में दम है और अपने चैनल को ईमानदार मानते हो ! https://t.co/lEW0pjjHmz
— Shyam Gartan (@SHYAMLA61163472) February 27, 2020
कपिल मिश्रा जैसे आतंकियों को पुलिस और सरकार का संरक्षण मिलने का असर है कि राजधानी के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। https://t.co/NDAEzpxc5i
— Vinod Kapri (@vinodkapri) February 24, 2020
जाइए न सर दंगों में मारे गए उन डेढ़ दर्जन लोगों के घरों में और कहिए कि
‘ जो हो गया सो हो गया ‘
तब पता चलेगा कि जिसका बेटा, पति, भाई या बाप मरा है उसके जख्म पर ये 6 शब्द कितना नमक छिड़कते हैं .
कपिल मिश्रा के लिए भी कोई संदेश देते न सर , जिसने दिल्ली को दंगों की आग में झोंका https://t.co/ZKoMwnWh40— Ajit Anjum (@ajitanjum) February 26, 2020
When an actor can be treated as and enemy of the people, what chance did #UmarKhalid have, a left activist and Indian Muslim, outstanding student, against whom a narrative has been constructed by TV channels since 2016.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) September 13, 2020
Can anyone name Hindus arrested for inciting violence during the Delhi riots? For instance those who shouted ‘desh ke ghaddaron ko, goli maaro saalon ko’?
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) September 14, 2020
On most days, this country doesn’t feel like a democracy anymore. #StandWithUmarKhalid
— Pratik Sinha (@free_thinker) September 13, 2020
The Modi regime has systematically arrested every dissenting voice that commands a following and has leadership potential. The anti CAA protest gave us leaders who are willing to be our ‘opposition’ in the face of intimidation by the state. The arrests are meant to silence them
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) September 14, 2020
There was an inevitability to this police action. Though they know there’s no evidence to back up their ludicrous case, @AmitShah in the LS had blamed @UmarKhalidJNU for the riots (his own party folks had triggered) and parliament reconvenes Monday.https://t.co/u5WqMMSnWM
— Siddharth (@svaradarajan) September 13, 2020
देशद्रोहियों और आतंकियों का महिमामंडन करती है सेक्युलर और वामपंथी मीडिया
इससे पहले सेकुलर, लिबरल और वामपंथी गैंग ने बुरहान वानी जैसे आतंकवादी को स्कूल हेडमास्टर का बेटा बताया था। आम लोगों में उसके प्रति सहानुभूति उत्पन्न करने के लिए रोबिनहुड की तरह पेश किया था। लेकिन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान मुजफ्फर वानी को सुरक्षा बलों ने मारा गिराया था। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने बुरहान वानी के एनकाउंटर को लेकर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि सोशल मीडिया को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले स्कूल हेडमास्टर का बेटा बुरहान वानी अनंतनग में मारा गया। इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक पुराने लेख में भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम की देशभक्त के रूप में प्रशंसा की थी। पूर्व पत्रकार एस गुरुमूर्ति ने संबंधित लेख साझा किया, जो अप्रैल 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ था। हाल ही में 20 जुलाई,2023 को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर वित्तीय मदद प्राप्त करने के आरोप में एक पत्रकार मुजामिल जहूर मलिक को गिरफ्तार किया गया था। उसने फर्जी दस्तावेज बनाकर अपने बैंक खाते में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला धन प्राप्त किया था। 2018 में पुलिस ने “Kashmir Narrator” के पत्रकार आसिफ सुलतान को गिरफ्तार किया था। आसिफ पर आरोप था कि वो खतरनाक आतंकियों को छिपने की जगह दे रहा था और आंतकी गतिविधियों में मदद कर रहा था।
Breaking: Burhan Wani hizbul commander, son of school headmaster who used social media as weapon of war, killed in Anantag. BIG STORY
— barkha dutt (@BDUTT) July 8, 2016
This article of Rajdeep was in April 1993 when Dawoods name figured in bby blasts. Rajdeep defended him. https://t.co/Owrp8hDj0W
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) February 20, 2016
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने “Kashmir Narrator” के पत्रकार आसिफ सुलतान को गिरफ्तार किया। आसिफ पर आरोप है कि वो खतरनाक आतंकियों को छिपने की जगह दे रहा था और आंतकी गतिविधियों में मदद कर रहा था। pic.twitter.com/PMzqZ3vBJ5
— Jitender Sharma (@capt_ivane) September 2, 2018