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पुलिस की मोर्चाबंदी देख ‘रोने’ वाला राकेश टिकैत अब दे रहा देश में जंग की धमकी

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किसान नेता राकेश टिकैत की हालत सांप-छछूंदर जैसी हो गई है। उन्होंने न तो आंदोलन वापस लेने की हिम्मत हो रही है और न ही जारी रखने से कोई फायदा नजर आ रहा है। अब आंदोलन से जुड़े किसान भी उनसे दूर होते जा रहे हैं। लेकिन आंदोलन के पीछे की ताकतें किसी भी तरह आंदलोन जारी रखने पर मजबूर कर रही है। वहीं अब टिकैत को पता चल चुका है कि मोदी सरकार झुकने वाली नहीं है। इसलिए वे अपना मानसिक संतुलन खोते जा रहे हैं और बौखलाहट में देश में जंग की धमकी दे रहे हैं।

रामपुर में किसान आंदोलन पर राकेश टिकैत ने कहा कि किसान तो वापस नहीं आएगा, किसान वहीं रहेगा। सरकार को बातचीत करनी चाहिए। 5 सितंबर को बड़ी पंचायत बुलाई है। आगे का जो भी निर्णय होगा, उसमें लेंगे। दो महीने का सरकार को भी टाइम है। अपना फैसला सरकार भी कर ले, किसान भी कर लेंगे। जंग होगी देश में, ऐसा लग रहा है, युद्ध होगा।

राकेश टिकैत की बेचैनी का आलम यह है कि वे सरकार से कानून वापस लेने और किसानों के साथ बैठक करने की बात कर रहे हैं। किसानों के धरने पर बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि वो शांतिपूर्ण तरिके से धरना दे रहे, इसलिए सरकार नहीं सुन रही है। क्रांतिकारी तरीके से धरना दें तो सुन लेगी।

राकेश टिकैत कहते हैं कि हम शांति के पुजारी है। लेकिन शांति के इस पुजारी की करतूत इस साल 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान पूरा देश देख चुका है। जब दिल्ली युद्ध का मैदान बन चुकी थी। लालकिले पर खालिस्तान समर्थकों ने खुलकर तांडव किया। तिरंगे झंडे का अपमान किया गया था। चार सौ के करीब पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे। इसे देश कभी नहीं भूल सकता है। 

26 जनवरी की हिंसा के बाद जब पुलिस ने टिकैत के खिलाफ कार्रवाई के लिए मोर्चाबंदी की तो टिकैत डर की वजह से आंसू बहाने लगा। राकेश टिकैत की रोने की तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल हुए थे। मीडिया पोर्टल ‘Kreatey’ पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार, राकेश टिकैत के रोने से पहले खालिस्तानियों ने टेंट के भीतर ही उनकी पिटाई की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले कुछ कट्टर सिखों ने उन्हें थप्पड़ और लातों से तो मारा ही था, साथ ही उनसे पैसे वापस लेने की भी धमकी दी थी। 

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