कांग्रेस नेता राहुल गांधी का विदेशी ताकतों और डीप स्टेट से गठजोड़ को अब ‘ओपन’ मैगजीन ने बेनकाब किया है। सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी स्तर तक नीचे गिरने का उदाहरण पेश करने वाले राहुल गांधी ने हाल के अमेरिका दौरे के दौरान ऐसे लोगों से प्राइवेट मीटिंग की जो भारत विरोधी हैं, भारत को लगातार नीचा दिखाने में लगे रहते हैं, कश्मीर और अन्य मुद्दों के नाम पर भारत में अराजकता फैलाने की साजिश रचते हैं। ये वही लोग हैं जो भारत में लोकतंत्र खत्म होने का राग अलापते हैं और अल्पसंख्यकों के पीड़ित होने की बात करते हैं। ये वही लोग हैं जो हिंदू और हिंदुत्व के नाम पर सनातन धर्म का अपमान करते हैं। ‘ओपन’ मैगजीन ने ‘फॉरेन हैंड’ यानि विदेशी हाथ शीर्षक से प्रकाशित लेख में राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे में विदेशी ताकतों के गठजोड़ पर से पर्दा हटाया है। इसका बचाव करने आए राहुल के करीबी सैम पित्रोदा ने इस खबर को गलत बताया है जबकि एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि कुछ प्राइवेट मीटिंग हुई थी और हमने उसके बारे में किसी को बताया नहीं और बताएंगे भी नहीं।
प्राइवेट मीटिंग के बारे में हमने किसी को नहीं बताया, बताएंगे भी नहींः सैम पित्रोदा
‘ओपन’ मैगजीन ने जब ‘फॉरेन हैंड’ यानि विदेशी हाथ शीर्षक से प्रकाशित लेख में राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे में विदेशी ताकतों के गठजोड़ पर से पर्दा हटाया तो राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा बचाव में उतर आए कि कहा कि इस लेख में दी गई जानकारी गलत है। वहीं पित्रोदा ने एक इंटरव्यू में खुद ही स्वीकार किया था कि कुछ प्राइवेट मीटिंग हुई थी। पित्रोदा ने कहा था, ”हमने बहुत लोगों से मुलाकात की थी। सम पब्लिक सम प्राइवेट। जो प्राइवेट मीटिंग थी हमने किसी को बताया नहीं उसके बारे में और बताएंगे भी नहीं। क्योंकि वो प्राइवेट थी। पब्लिक मीटिंग्स जो थी प्रेस क्लब फिर थिंक टैंक, डिनर, एनजीओ के साथ मीटिंग। ये सब मीटिंग है, लोगों को बताया गया इसके बारे में। लेकिन थोड़ी सी मीटिंग प्राइवेट थी, जो हमने प्राइवेट ही रखी अभी तक।” सवाल उठता है कि अमेरिका में इस प्राइवेट मीटिंग का रहस्य क्या है?
A video in circulation features Sam Pitroda himself stating that Rahul Gandhi had private, undisclosed meetings. Given the already revealed associations, one can’t help but wonder who else was in these private meetings?
(6/n)pic.twitter.com/ElKe8w8xE7— Radical Watch (@RadicalWatchOrg) June 29, 2023
कांग्रेस का कम्युनिस्ट पार्टी के बीच आखिर क्या समझौता हुआ था?
अमेरिका में राहुल गांधी ने प्राइवेट मीटिंग की और उसके बारे में किसी को कुछ जानकारी नहीं है। कुछ इसी तरह 2008 में कांग्रेस पार्टी ने चीन से गुप्त समझौता किया था जिसे आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके लिए अदालत में याचिका भी दाखिल की गई थी। वकील शशांक शेखर झा और पत्रकार सेवियो रोड्रिग्स की याचिका में बताया गया था कि 7 अगस्त 2008 को कांग्रेस ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक समझौता किया था। लोगों को यह बताया गया कि यह समझौता ‘आपसी सहयोग’ और ‘जानकारियों के लेनदेन’ के लिए किया गया है। लेकिन कभी भी समझौता पत्र को सार्वजनिक नहीं किया गया। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का शासन 2014 तक चला। इस दौरान चीन ने कई बार भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली हरकतें की। लेकिन उस पर सरकार का रवैया बेहद कमजोर रहा। इसलिए राष्ट्रीय हित में इस बात की जांच की जरूरत है कि इस समय देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी और चीन में सत्ता पर पूरा नियंत्रण रखने वाली कम्युनिस्ट पार्टी के बीच आखिर क्या समझौता हुआ था? मामले में UAPA के प्रावधानों के तहत एनआईए को जांच का आदेश देना चाहिए।
राहुल के बगल में बैठी रिया चक्रवर्ती की फोटो बताती है प्राइवेट मीटिंग का सच
Open मैगजीन के लेख के अनुसार, हमारे पास अज्ञात, संदिग्ध बैठकों के अकाट्य साक्ष्य हैं। बंद कमरे में बातचीत न करने का उनका दावा तथ्यों के सामने गलत साबित होता है। अरबपति जार्ज सोरोस से जुड़े हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) ने कैपिटल हिल कार्यक्रम के आयोजन में भाग लिया। एचएफएचआर की डायरकेक्टर रिया चक्रवर्ती को राहुल गांधी के बगल में बैठे देखा जा सकता है। यह तस्वीर साफ बताती है कि प्राइवेट मुलाकात हुई थी और सैम पित्रोदा का बचाव यहां नाकाफी लगता है।
खालिस्तानी से संबंध रखने वालों से मुलाकात क्यों?
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की संस्थापक सुनीता विश्वनाथ के सोरोस से संबंध हैं और 2011 में घोषित खालिस्तानी आतंकवादी भजन सिंह भिंडर से उनके संबंध हैं। क्या यह चिंताजनक नहीं है, खासकर उस पार्टी के लिए जो भारतीय जनता के हित की सेवा करना चाहती है?
राहुल गांधी का जमात से जुड़े लोगों के साथ बैठक क्यों?
राहुल गांधी, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) के एडवोकेसी निदेशक अजीत साही और उनकी पत्नी सरिता पांडे के बीच एक बैठक की बात कही गई है। IAMC का आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान और सिमी से संबंध है और वह 2013 से भारत के खिलाफ लॉबिंग कर रहा है।
सार्वजनिक जीवन जी रहे राहुल गांधी को प्राइवेट मीटिंग के बारे में बताना चाहिए
इन सबूतों को देखते हुए भारतीय जनता पारदर्शिता और ईमानदारी की हकदार है और उसे प्राइवेट मीटिंग के बारे में भी जानने का हक है। यदि राहुल गांधी सार्वजनिक जीवन में हैं तो प्राइवेट मीटिंग का क्या महत्व है? सार्वजनिक हस्ती के रूप में यह राहुल का कर्तव्य है कि वह लोगों को इसके बारे में बताएं और देश को आश्वस्त करें कि उनका कार्य भारत के सर्वोत्तम हितों के अनुरूप हैं। क्योंकि लोकतंत्र विश्वास, पारदर्शिता और सच्चाई पर पनपता है। सोशल मीडिया पर भी लोग कह रहे हैं कि अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान राहुल गांधी इन भारत विरोधी लोगों के साथ क्या कर रहे थे? उसकी जांच होनी चाहिए।
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के आयोजन से जुड़े लोगों में ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से थे जिनके संबंध पाकिस्तान से भी थे। राहुल के कार्यक्रम में लोगों को ले जाने के लिए मस्जिदों से बसें चलाई गई थी। इस पर एक नजर-
राहुल गांधी के लिए बनी विशेष वेबसाइट में संपर्क सूची बदल गया
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे से पहले एक विशेष वेबसाइट बनाई गई ताकि लोग पंजीकरण करा सकें और राहुल के साथ एनआरआई की बातचीत कार्यक्रम में भाग ले सकें। इस वेबसाइट में कुछ संपर्क सूची दी गई थी लेकिन जब लोगों ने पंजीकरण कराया तो संपर्क सूची कुछ और हो गई। जिसमें ज्यादातर मुस्लिम सुमदाय के लोग थे।
भारत विरोधी इस्लामिक देश से जुड़े संगठन थे आयोजक
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा और कार्यक्रम पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और इस्लामिक देश के डीप स्टेट से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित किए गए थे। इन संगठनों को उनके भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है और उनका कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करने का इतिहास रहा है।
कोआर्डिनेटर तंजीम अंसारी का पाकिस्तानी इमाम जवाद अहमद से जुड़ाव
राहुल के कार्यक्रम का एक कोआर्डिनेटर तंजीम अंसारी न्यूजर्सी के मुस्लिम समुदाय (MCNJ) की आउटरीच समिति के अमीर के रूप में कार्य करता है। MCNJ का नेतृत्व पाकिस्तान में जन्मे इमाम जवाद अहमद कर रहे हैं, जो उत्तरी अमेरिका के इस्लामिक सर्कल (ICNA) के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम करते हैं।
यह संस्था सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादियों का करती है महिमामंडन
ICNA पाकिस्तान के जमात-ए-इस्लामी (JeI) से जुड़ा एक कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन है। इस संगठन का कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं। वे भारत से कश्मीर को अलग करने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं।
सिमी के संस्थापक भी रह चुका ICNA के सदस्य
एक और कोआर्डिनेटर मोहम्मद असलम, मुस्लिम सेंटर ऑफ़ ग्रेटर प्रिंसटन (MCGP) के सदस्य हैं, जो ICNA के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। प्रतिबंधित कट्टरपंथी समूह सिमी (भारत में आतंकवादी संगठन) के संस्थापक आईसीएनए के सदस्य भी थे। जस्टिस फॉर आल, मानव संसाधन विकास, आजाद कश्मीर, भारत बचाओ, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद ये सभी कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन ICNA और पाकिस्तान की जमात-ए-इस्लामी की छत्रछाया में ही काम करते हैं।
IAMC भारत विरोध के लिए कई हथकंडे अपनाती है
मिन्हाज खान जिन्होंने यह कहा था कि वे इस आयोजन के लिए कोआर्डिनेट कर रहे थे, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (IAMC ) के साथ संबंध रखते हैं। IAMC एक भारत विरोधी पैरवी समूह है जो मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता के बहाने भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए फर्जी समाचार साझा करके भारत को लगातार निशाना बनाता है।
IAMC ने भारत के खिलाफ लॉबी करने के लिए दिए थे 55 हजार डॉलर
वर्ष 2013-14 में जब डॉ. मनमोहन सिंह सरकार सत्ता में थी, IAMC ने एक अमेरिकी लॉबिंग फर्म को नियुक्त किया और उन्हें संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) में भारत के खिलाफ लॉबी करने के लिए 55,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया।
केविड के नाम पर जुटाए लाखों रुपये कहां गए?
IAMC के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद एक अन्य जमात फ्रंट, इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (IMANA) से भी जुड़े हैं, जिसने भारत की प्रतिष्ठा का लाभ उठाते हुए भारत की मदद के नाम पर कोविड काल के दौरान लाखों जुटाए और सारे पैसे खा गए और गोलमाल कर दिया।
IMANA का लश्कर और हिजबुल से संबंध चिंता पैदा करने वाली
IMANA कथित तौर पर पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों के दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ संबंध बनाए रखता है। इनमें आपस में कनेक्शन चिंता पैदा करने वाली है। अब जरा सोचिए कि कोविड रिलीफ फंड कहां गया होगा?
ISNA कनाडा ने हिजबुल मुजाहिदीन को दिया था फंड
IAMC और ICNA जैसे संगठन जमात और मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) से भी संबंध रखते हैं। IMANA के सदस्य मुस्लिम ब्रदरहुड का मोर्चा एमबी फ्रंट इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ISNA) का हिस्सा रहे हैं। 2017 में ISNA कनाडा को हिजबुल मुजाहिदीन के ‘चैरिटी’ विंग के वित्तपोषण के लिए कनाडा राजस्व एजेंसी ने आरोप लगाया और मामला चलाया गया था।
सुनीता विश्वनाथ का पाकिस्तानी आतंकी समूहों से संबंध
अमेरिका दौरे पर राहुल गांधी को सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठक में शामिल होते देखे गए। सुनीता विश्वनाथ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) की सह-संस्थापक हैं और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) जैसे संगठनों के साथ कई कार्यक्रमों की सह-मेजबानी करती हैं, जिनके पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों से संबंध हैं। सुनीता विश्वनाथ कोई और नहीं बल्कि खालिस्तानी, किसान विरोध के दौरान वैश्विक स्तर पर हिंदुओं का अपमान करने की कोशिश करने वाले हिंदू विरोधी सम्मेलन ‘ग्लोबल डिसमैनलिंग हिंदुत्व’ की आयोजक थीं। इस कार्यक्रम में नए कृषि कानूनों के बारे में भी एक सत्र था।