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अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से इंटरव्यू के दौरान राहुल गांधी ने खुद की कराई फजीहत

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कोरोना संकट के दौरान जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देशवासियों को इस बीमारी से बचाने के साथ ही अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में दिन-रात एक किए हुए है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार घेरने में लगे हैं। केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने और खुद को बड़ा बुद्धिमान साबित करने के लिए राहुल गांधी ने मंगलवार को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत की।  इस दौरान कोरोना महामारी के इकोनॉमी पर असर और उससे निपटने के उपायों पर करीब आधे घंटे हुई बातचीत में राहुल गांधी को अपने अधकचरे ज्ञान की वजह से कई बार मुंह की खानी पड़ी। अभिजीत बनर्जी ने राहुल की विरोधाभासी बातों के लिए उनकी खूब फजीहत की।

आधार कार्ड को लेकर अभिजीत बनर्जी ने राहुल की बोलती बंद की
जाहिर है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आधार नंबर के बैंक एकाउंट और अन्य जरूरी सुविधाओं से लिंक करने के मोदी सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध किया था। इसके लेकर भी अभिजीत बनर्जी ने राहुल को आड़े हाथ लिया। दरअसल कोरोना संकट के समय करोड़ों गरीबों, मजदूरों को आर्थिक मदद दिए जाने के तौर-तरीके संबंधी सवाल पर अभिजीत बनर्जी ने कहा कि इसके लिए आधार कार्ड बहुच ही अहम है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड को अस्थाई राशन कार्ड की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए और मजदूर जहां भी हैं, उन्हें वहीं पर आधार कार्ड के आधार पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए राशन मुहैया कराया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो लाखों-करोड़ों गरीबों और मजदूरों को बहुत मदद मिलेगी।

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उल्लेखनीय है कि ऐसा कह कर अभिजीत बनर्जी ने राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा मारा है, क्योंकि राहुल ने हमेशा आधार को मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने का विरोध किया है, जबकि नोबेल प्राइज विजेता अभिजीत बनर्जी ने इसकी पुरजोर वकालत की है। जब अभिजीत बनर्जी ये सब कह रहे थे, उस वक्त राहुल गांधी का चेहरा उतरा हुआ था और वो एकदम चुप बैठे थे।

अभिजीत बनर्जी ने लॉकडाउन के मुद्दे पर राहुल का विरोध किया
आधे घंटे की इस बातचीत के दौरान ऐसे कई मौके आए जब अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने राहुल गांधी की बोलती बंद कर दी। राहुल गांधी जोरदार तरीके से तर्क दे रहे थे कि लॉकडाउन लंबा खींचने से अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी, लोगों के पास पैसे नहीं होगा। सरकार को जल्द से जल्द संपूर्ण लॉकडान हटा देना चाहिए और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए पुख्ता रणनीति बनाकर काम करना चाहिए।

राहुल की इस बात का अभिजीत बनर्जी ने विरोध किया। बनर्जी ने कहा कि कोरोना महामारी का संकट बहुत की भयानक है और ऐसे में कोई भी कदम काफी सोच-समझ कर उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जबतक कोरोना वायरस का प्रसार पूरी तरह रुक नहीं जाता है, जब तक जल्दबाजी में लॉकडाउन हटाने जैसे कदम उठाना समझदारी की बात नहीं होगी।

जाहिर है कि राहुल गांधी ने आज की परिचर्चा मोदी सरकार को घेरने के लिए की थी, लेकिन अभिजीत बनर्जी जैसे अर्थशास्त्री जो संकट के इस समय में मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को बखूबी समझ रहे हैं, उन्होंने राहुल के ऊलजलूल तर्कों पर उन्हें चुप कर दिया।

इससे पहले रघुराम राजन से बातचीत में भी हुई थी फजीहत
कोरोना और उसके आर्थिक असर पर राहुल अलग-अलग फील्ड के देश-विदेश के एक्सपर्ट से डिस्कस कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 30 अप्रैल को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की थी। लेकिन इस वार्ता में रघुराम राजन ने कहा था कि कोरोना संकट के दौरान भारत में गरीबों की मदद के लिए सरकार को 65 हजार करोड़ रुपए खर्च करने चाहिए। लेकिन तब शायद न तो रघुराम राजन को और न ही राहुल गांधी को इसकी जानकारी थी कि कोरोना संकट शुरू होते ही केंद्र सरकार ने गरीबों, महिलाओं, मजदूरों, किसानों के लिए 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था और उनके खातों में सहायता राशि भी पहुंचा दी थी।

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