प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत किसी भी देश की धमकियों से डरने वाला नहीं है। डोकलाम के बाद अब लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के पीछे हटने से साबित हो गया है। लद्दाख के सीमाई क्षेत्र में चीन की सेना अपना दम दिखाने की कोशिश कर रही है। भारतीय सेना भी पूरी दमखम के साथ उसके सामने डटी है। सरकार के स्तर पर भी स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारत किसी भी कीमत पर दबाव में आने वाला नहीं है। सरकार की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता से एक इंच भी समझौता नहीं करेगा। इसके बावजूद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को चीन के साथ टकराव मामले में सबूत चाहिए। शायद राहुल को अपनी सरकार और भारतीय सेना से ज्यादा चीन की काबिलियत पर भरोसा है।
A Dangerous lie is being peddled by apologists of Govt.
LAC is a phantom hence no Chinese Transgression.
Fact-China has occupied 40-60 sq KM’s of Indian Territory while Govt slept.
INTELLEGENCE/TACTICAL FAILURE.
REDUX KARGIL 21 years LATER
NDA/BJP’s silence is deafening
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 2, 2020
6 जून, 2017 को डोकलाम पर भारतीय सेना ने चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया, पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी की त्वरित कार्रवाई से हैरत में थी और हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इससे कोई सरोकार नहीं था, एक तरफ भारत के सैनिक डोकलाम में चीनी सैनिकों को रोक रहे थे और दूसरी तरफ राहुल गांधी दिल्ली में चीनी राजदूत से मिल रहे थे। राहुल गांधी ने 8 जुलाई, 2017 को सरकार और जनता से छुपकर, चोरी-चोरी चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। राहुल की चीनी राजदूत से हुई मुलाकात के रहस्य का पर्दा 17 मार्च, 2018 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पत्र से उठा।
राहुल गांधी की चोरी- एक तरफ डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना आंखों में आंखे डाले खड़ी थी, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीति से विश्व मंच पर चीन की घेराबंदी कर रखी थी। ऐसे नाजुक और पल-पल बदलते घटनाक्रम में भारत के प्रधानमंत्री जो फैसले ले रहे थे देश की जनता उनके साथ खड़ी थी, लेकिन राहुल गांधी ने इस मौके पर भी अपनी राजनीति चमकाने से बाज नहीं आए। राजनीतिक चमकाने के लिए माहौल को गरमाना जरुरी होता है, इसलिए राहुल गांधी ने 7 जुलाई, 2017 को Tweet कर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने Tweet में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी डोकलाम पर शांत क्यों हैं, कुछ बोलते क्यों नहीं?
7 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने वाला ट्वीट कर राहुल गांधी स्वयं 8 जुलाई को चीन के राजदूत से मिलने के लिए चल देते हैं। राहुल गांधी द्वारा चोरी छिपे की गई इस मुलाकात की जानकारी देश को 10 जुलाई को चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी की गई फोटो से होती है। इसी फोटो ने मुलाकात को नकारने वाली राहुल गांधी और कांग्रेस की चोरी पकड़वा दी। राहुल गांधी के मुलाकात वाली फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इसको लेकर सवाल पूछे जाने लगे, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता ने राहुल गांधी की ऐसी किसी भी मुलाकात से साफ इंकार किया।
लेकिन सच्चाई तो सामने आ चुकी थी और सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार रुकने का नाम नहीं ले रही थी। झूठ से अपने को बचा पाने में उलझ चुके कांग्रेस प्रवक्ता को आखिर राहुल गांधी की मुलाकात की घटना को स्वीकार करना पड़ा। कांग्रेस ने फिर भी यह नहीं बताया कि राहुल गांधी की इस मुलाकात का मकसद क्या था?
राहुल गांधी को मिला चीन का बधाई संदेश – गुजरात चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद मिला। कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुआ, जो राहुल गांधी और देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए उत्सव का अवसर था। इस उत्सव में उनके खास राजनीतिक संगी साथियों ने उनको देश-विदेश से बधाई संदेश भेजे। सबसे महत्वपूर्ण संदेश चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से आया। इस पत्र में लिखा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी माननीय राहुल गांधी को बधाई और शुभकामना देती है। आगे इस पत्र में लिखा है कि The INC plays an important role in the political life of India and has made positive contribution to the development of China-India relation. The CPC is willing to work together with the INC to explore, through increased communication and exchange, a new type of party-to-party relation that seeks to expand common ground।बधाई संदेश ने डोकलाम का रहस्य खोला– चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से राहुल गांधी को आए इस संदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चोली दामन का साथ है, जिसे इस पत्र में स्वीकार किया गया है। इसी मित्रता को निभाने के लिए 8 जुलाई, 2017 को चोरी-चोरी राहुल गांधी ने चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद था कि प्रधानमंत्री मोदी पर डोकलाम को लेकर जनता की तरफ से दबाव बनाया जाए, जिसका फायदा चीन उठा सके, लेकिन राहुल की लाख कोशिशों के बाबजूद, जनता प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी रही और चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
चीन और राहुल गांधी की चाल- 16 जून को शुरु हुआ डोकलाम तनाव 28 अगस्त 2017 को चीनी सेना के पीछे हट जाने और 16 जून के पूर्व की स्थिति के लौट आने के बाद समाप्त हुआ। अक्टूबर 2017 में कुछ पत्रकारों की खोखली रिपोर्टस के आधार पर राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाना शुरु किया कि डोकलाम में अभी भी चीन के 500 सैनिक जमे हुए हैं और भारत ने डोकलाम से अपनी सेना हटा ली है। वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं था, सच्चाई यह थी कि भारत ने चीन को पीछे खडे रहने के लिए मजबूर कर दिया था। राहुल गांधी इस राजनीतिक दबाव से अपने परम मित्र चीन की मदद करना चाहते थे।
राहुल गांधी ने लिया चीन का पक्ष
Weak Modi is scared of Xi. Not a word comes out of his mouth when China acts against India.
NoMo’s China Diplomacy:
1. Swing with Xi in Gujarat
2. Hug Xi in Delhi
3. Bow to Xi in China https://t.co/7QBjY4e0z3
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 14, 2019
जो संस्थाएं जितना भ्रष्ट होती हैं, वे उतना ही राष्ट्रवाद की बात करती हैं- दीक्षित
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिसंबर, 2019 में सेना को लेकर विवादित बयान दिया। संदीप दीक्षित ने कहा कि जो संस्थाएं जितना भ्रष्ट होती हैं, वे उतना ही राष्ट्रवाद की बात करती हैं। उन्होंने कहा कि सेना और पुलिस जब नारे लगाएं तो समझें काली करतूत छिपा रहे हैं। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित इससे पहले भी कई बार आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं।
संदीप दीक्षित ने कहा सेना को गुंडा
11 जून, 2017 का वह दिन कोई सच्चा भारतीय नहीं भूल पाएगा जब संदीप दीक्षित ने सेना प्रमुख को गुंडा कहा। संदीप दीक्षित ने कहा, ”पाकिस्तान उलजुलूल हरकतें और बयानबाजी करता है। ख़राब तब लगता है कि जब हमारे थल सेनाध्यक्ष सड़क के गुंडे की तरह बयान देते हैं।” संदीप दीक्षित के इस बयान से साफ है कि सेना के प्रति कांग्रेस पार्टी के मन में कितना सम्मान है। हद तो तब हो गई जब न तो राहुल गांधी ने और न ही सोनिया गांधी ने सदीप दीक्षित के बयान पर कोई टिप्पणी की और न ही माफी की मांग की।
संदीप दीक्षित के साथ ही उसी दिन राहुल गांधी के बेहद करीबी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सेना प्रमुख पर सवाल उठाए। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं जनरल साहब की बातों से सहमत हूं। लेकिन नेता वे नहीं हैं जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं। क्या आप मेरे से सहमत हैं जनरल साहेब?’
“Leaders Not Those Who Lead Masses In Arson”: Army Chief On Citizenship Protests
I agree General Saheb but also Leaders are not those who allow their followers to indulge in Genocide of Communal Violence. Do you agree with me General Saheb? https://t.co/rOo0vFGMIf— digvijaya singh (@digvijaya_28) December 26, 2019
दिग्विजय सिंह ने सेना को हत्यारा कहा
दिग्विजय सिंह ने इसके पहले 16 अप्रैल, 2017 को एक शर्मनाक बयान दिया जिसे सुनकर कोई भी समझ सकता है कि कांग्रेस पार्टी सेना के प्रति क्या भाव रखती है। उन्होंने कहा, ”कश्मीरी लोगों को एक तरफ आतंकवादी मारते हैं, दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान।” दिग्विजय सिंह के इस बयान से समझा जा सकता है कि किस तरह कांग्रेस पार्टी सेना को सियासत का मोहरा बनाती है।
दिग्विजय सिंह ने सेना के जवान को थप्पड़ मारा
15 अक्टूबर 2015 की इस तस्वीर को देख कर कोई भी समझ जाएगा कि कांग्रेस पार्टी के दिल में सेना के प्रति कितनी नफरत भरी हुई है। ये तस्वीर उस समय की है जब मध्यप्रदेश के एक पुलिस कंट्रोल रूम में नियम विरुद्ध नियुक्ति मामले में पूछताछ के लिए आए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अर्द्ध सैनिक बल के जवान को बिना किसी गलती के थप्पड़ मारा था। खास बात यह कि दिग्विजय सिंह के विरुद्ध पार्टी ने न तो कोई कार्रवाई की और न ही माफी मांगने को कहा।
सैम पित्रोदा ने लिया पाकिस्तान का पक्ष
राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा था कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हमले के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं है। करीबी सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के बारे में कहा, ‘हमले के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता। यह हर तरह के हमले की तरह है। मुंबई में भी ऐसा हुआ था। हमने इस बार रिएक्ट किया और कुछ जहाज भेज दिए, लेकिन यह सही तरीका नहीं है।
Sam Pitroda,Indian Overseas Congress Chief on #PulwamaAttack:Don’t know much about attacks,it happens all the time,attack happened in Mumbai also,we could have then reacted and just sent our planes but that is not right approach.According to me that’s not how you deal with world. pic.twitter.com/QZ6yXSZXb2
— ANI (@ANI) March 22, 2019
सैम पित्रोदा ने यह भी कहा, ‘मैं इस बारे में कुछ अधिक जानना चाहता हूं क्योंकि मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स समेत अन्य अखबारों में कुछ रिपोर्ट पढ़ी हैं। क्या हमने सच में हमला किया? क्या हमने सच में 300 आतंकियों को मारा?’
Sam Pitroda,Indian Overseas Congress Chief on #airstrike: I would like to know more as I have read in New York Times &other newspapers, what did we really attack, we really killed 300 people? pic.twitter.com/oRacba2jtE
— ANI (@ANI) March 22, 2019
वायुसेना प्रमुख को बताया झूठा
सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताने वाले कांग्रेसी नेताओं ने वायुसेना प्रमुख को ही झूठा बता दिया। राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पटखनी खाने के बाद कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय और वायुसेना प्रमुख हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भी शामिल करना चाहते थे। उस वक्त वायुसेना प्रमुख ने दासौ के साथ मिलकर एचएएल का दौरा भी किया और पाया कि वह यान बनाने में सक्षम है। मुझे लगता है कि वायुसेना प्रमुख सही नहीं हैं, वह झूठ बोल रहे हैं और सच को छुपा रहे हैं।’
असल में तत्कालीन वायुसेना के प्रमुख बीएस धनोआ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि युद्धक विमान राफेल पर हो रही राजनीति का बुरा असर कहीं देश की सैन्य तैयारियों पर न पड़े। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों ने अपने युद्धक विमान अपग्रेड कर लिए हैं और हमें अभी तक इनके मिलने का इंतजार है। साफ है अपने राजनीतिक मतलब से कांग्रेस सेना पर भी उंगली उठाने से कभी चूकती नहीं है।
संजय निरुपम ने सर्जिकल स्ट्राइक को Fake कहा था
भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था। सेना के शौर्य की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है कि इस कार्रवाई में भारत की तरफ से कोई नुकसान नहीं हुआ था। सभी ने सेना के इस शौर्य को सलाम किया। सेना ने स्वयं सामने आकर इस कार्रवाई पर बयान दिया, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसे भी फर्जी करार दे दिया। पार्टी के नेता संजय निरुपम ने इसे फेक कहा।
आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते कांग्रेसी सैफुद्दीन सोज
जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
कांग्रेस के सलमान निजामी को ‘रेपिस्ट’ लगती है सेना
कश्मीर में यूथ कांग्रेस के नेता सलमान निजामी भारतीय सेना को रेपिस्ट कहते हैं। इतना ही नहीं वह कश्मीर को भी भारत के साथ नहीं बल्कि आजाद देखना चाहता है। यानि कश्मीर को पाकिस्तान के साथ ले जाने को आतुर सलमान निजामी गुजरात में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करते हैं, राहुल गांधी के साथ रहते हैं और वही राहुल सेना के सम्मान की बात याद दिलाते हैं।
गुलाम नबी आजाद ने सेना को नरसंहार करने वाला कहा
21 जून, 2018 को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सेना को नरसंहार करने वाला बताया। आजाद ने कहा, ”जम्मू-कश्मीर में सेना का निशाना आतंकवादियों पर नहीं, आम नागरिकों पर ज्यादा होता है।” जाहिर है कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग के मुस्लिम उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की है जिसमें भारत पर ह्यूमेन राइट्स के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया गया है क्योंकि पार्टी ने इस मामले पर अपनी सफाई भी पेश नहीं की है।
कांग्रेस परस्त पत्रकार भी करते हैं सेना का अपमान
संविधान से मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का बेजा इस्तेमाल करने का ताजा उदाहरण 07 सितंबर, 2018 को तब सामने आया जब तथाकथित सेक्यूलर पत्रकार शेखर गुप्ता ने एक ट्वीट किया। अपनी गिरी हुई सोच के तहत उन्होंने धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारतीय सेना से जोड़ दिया और असभ्य टिप्पणी की।
Indian Army is worried now that men can legally have sex with other men@AmritaNayak3 reports: https://t.co/thNycdBSDr
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) September 7, 2018
शेखर गुप्ता का पुराना रिकॉर्ड ये है कि वह भारत और भारतीय सेना का विरोध करते हैं। विशेषकर राष्ट्रवाद नाम से ही उन्हें नफरत है। दरअसल यह बीमारी सिर्फ शेखर गुप्ता की नहीं है, बल्कि खुद को सेक्यूलर कहने वाले राजनीतिक दल, पत्रकार और कई तथाकथित बुद्धिजीवी भी इसमें शामिल हैं। ये भारत को सेना के एक पंचिंग पैड की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। जब चाहो सेना के बारे में अभद्र टिप्पणी कर दो क्योंकि देश का कानून उन्हें ये अधिकार देता है।
बहरहाल हम आपको ये बता दें कि शेखर गुप्ता वही पत्रकार हैं जिनके 10 जनपथ यानि सोनिया गांधी तक सीधी पहुंच है। ऐसा माना जाता है कि गुप्ता जी वही करते हैं जो कांग्रेस आलाकमान की तरफ से ऑर्डर आता है। 12 जनवरी, 2018 को जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था तो इसका आयोजन भी इसी पत्रकार महोदय ने किया था। यह ट्वीट भी संभवत: कांग्रेस के इशारे पर ही किया गया हो सकता है, क्योंकि कालांतर में कई ऐसे प्रकरण हुए हैं कांग्रेस ने सेना पर सवाल उठाए हैं।