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भारतीय वायु सेना में शामिल हुए राफेल विमान, औपचारिक समारोह अगस्त में

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आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए हैं। वैसे 17 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल करने का औपचारिक समारोह अगस्त के दूसरे हफ्ते में आयोजित किया जाएगा। वायु सेना के पहले पांच राफेल विमान बुधवार को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे हैं। इन विमानों ने 27 जुलाई की सुबह फ्रांस के दसौं एविएशन फैसिलिटी, मेरिग्नैक से उड़ान भरी। यात्रा के दौरान राफेल संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा में रुके थे।

यात्रा की योजना दो चरणों में तैयार की गई थी और इसे भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा संचालित किया गया था। विमानों ने फ्रांस से भारत तक लगभग 8500 किमी की दूरी तय की। उड़ान के पहले चरण में साढ़े सात घंटे में 5800 किमी की दूरी तय की गयी।

फ्रांसीसी वायु सेना के टैंकर ने उड़ान के दौरान एयर-टू-एयर ईंधन भरने की सुविधा दी। 2700 किमी से अधिक दूरी की उड़ान के दूसरे चरण में वायुसेना के टैंकर द्वारा एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया। उड़ान के दौरान फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा दी गयी टैंकर सुविधा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे लंबी उड़ान सफलतापूर्वक और समयबद्ध तरीके से पूरी हुई।

विमान 17 स्क्वाड्रन, “गोल्डन एरो” के हिस्से के रूप में शामिल होंगे, जिसे 10 सितंबर 19 को पुनर्गठित किया गया था। स्क्वाड्रन को मूल रूप से अंबाला वायु सेना स्टेशन में 01 अक्टूबर 1951 को स्थापित किया गया था। कई उपलब्धियां ऐसी हैं जो 17 स्क्वाड्रन के द्वारा पहली बार हासिल की गयी हैं- इसे 1955 में पहला जेट फाइटर, डी हैविलैंड वैम्पायर मिला। अगस्त 1957 में स्क्वाड्रन एक स्वेप्ट विंग लड़ाकू विमान, हॉकर हंटर में परिवर्तित होने वाला पहला स्क्वाड्रन बना।

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