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उत्तराखंड में धामी की धमक, हारकर भी जीते पुष्कर के सिर सीएम का ताज, जानिए टॉप-5 वजह जिसके चलते बीजेपी ने धामी को सौंपी उत्तराखंड की कमान

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उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर बीजेपी पर ही विश्वास जताया है और बीजेपी विधायक दल ने पुष्कर सिंह धामी को अपना नेता चुन लिया है। यानी मुख्यमंत्री के अल्पकाल के बाद सीएम के रूप में धामी के धमक एक बार फिर देखने को मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त सभाएं कीं, जिनमें लाखों की भीड़ उमड़ी। यही भीड़ मतदान के समय वोटों में बदलकर बीजेपी को सत्ता में लाई है। धामी ने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया, लेकिन अपनी सीट हार गए। इसके बावजूद बीजेपी ने धामी को ही सत्ता का ताज सौंपा है। धामी 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।धामी का ‘राजतिलक’ 23 मार्च को, कई बड़े नेता शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे
उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सत्तासीन होकर इतिहास बनाने वाली बीजेपी की जीत के अगुवा रहे पुष्कर सिंह धामी ही प्रदेश की अगली सरकार के मुखिया होंगे। नई धामी सरकार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम बुधवार 23 मार्च को होगा, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पहुंचेंगे। बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व सह पर्यवेक्षक और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की मौजूदगी में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में धामी को सर्वसम्मति से उसका नेता चुना गया। बैठक में पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के अलावा पार्टी के सभी पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद भी मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री राजनाथ ने विधायक दल का नेता चुने जाने की घोषणा की
बैठक में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष और हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक ने धामी के नाम का प्रस्ताव किया जिसका पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और ऋषिकेश के विधायक प्रेम चंद्र अग्रवाल ने अनुमोदन किया। इसके बाद सभी विधायकों ने धामी के नाम का समर्थन करते हुए प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी। इस बात का ऐलान करते हुए केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए धामी के अलावा और किसी का नाम नहीं आया और सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से उनके नाम का समर्थन किया। नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी डॉ. आर. राजेश कुमार और डीआईजी/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने सोमवार रात शपथ ग्रहण समारोह के आयोजन स्थल परेड ग्राउंड का स्थलीय निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।उत्तरांचल का नाम बदलकर 2007 में उत्तराखंड कर दिया गया
देश के 27वें राज्य उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर, 2000 को हुई। यह उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 23% भू-भाग पर उससे अलग होकर एक नये राज्य के रूप में बना है। उत्तराखंड के 21 साल के इस सफर में प्रदेश को 10 मुख्यमंत्री मिले हैं। भाजपा ने सात मुख्यमंत्री दिए हैं, तो कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। इस राज्य का क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी. तथा कुल वन क्षेत्र 34651 वर्ग किमी. है। राज्य की कुल जनसंख्या की दूष्टि से उत्तरांचल का देश में 19वां स्थान है। देश के 10 हिमालयी राज्यों में यह सबसे नया राज्य है तथा जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा हिमालयी राज्य है। जनवरी, 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।

आइये जानते हैं कि खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद भी पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल ने मुख्यमंत्री के रूप में क्यों चुना। इसके साथ बी बीजेपी ने धामी पर किन कारणों से भरोसा जताया?

1.पुष्कर धामी ने एंटी-इकंमेंसी फेक्टर को खत्म किया
बेहद कम समय में दो बार मुख्यमंत्री बदलने से जनता में रोष स्वाभाविक हो सकता था। पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व और सहयोग से उन्हीं के विजन पर धामी ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ा और बीजेपी उम्मीदवारों को लड़ाया और दोबारा 47 सीटें पाकर सत्ता हासिल कर ली। युवा नेता के तौर पर धामी ने सात महीने के अंदर खूब मेहनत की और एंटीइनकंबेंसी को दूर किया। जिसकी बदौलत भाजपा ने राज्य में हर चुनाव में सत्ता बदलने के मिथक को तोड़ दिया।

2. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दिलाई ऐतिहासिक जीत
पिछले चुनाव में भाजपा ने 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तीन साल 357 दिन के बाद ही भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था। तीरथ का कार्यकाल भी महज 116 दिन ही रहा। चुनाव से ठीक पहले जुलाई 2021 में खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। सात महीने में धामी द्वारा की गई मेहनत का फल भाजपा को 47 सीट पर जीत के रूप में मिला।

3.मुख्यमंत्री बनने के तत्काल बाद बड़ी योजनाओं की घोषणा की
पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी चार जुलाई 2021 को संभाली थी। इसके एक महीने बाद यानी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर धामी ने कई योजनाओं का ऐलान कर दिया। 10वीं-12वीं पास छात्रों को मुफ्त टैबलेट, खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने, पौड़ी और अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने जैसी योजनाओं का ऐलान इसमें शामिल था। इसने आम लोगों के बीच धामी की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया।

4. युवा नेताओं में जोश भरा, वरिष्ठों से साथ किया तालमेल
प्रदेश में बेहद कम समय में दो मुख्यमंत्री बदलने से जनता के लेकर कार्यकर्ताओं तक में ऊहापोह की स्थिति थी। धामी ने इस स्थिति को समझा और सबसे पहले युवा कार्यकर्ताओं में जोश भरा। इसके साथ ही सीएम बनने के बाद भी धामी ने उत्तराखंड भाजपा के पुराने और वरिष्ठ नेताओं का ख्याल रखा। बड़े-बड़े फैसले लेने से पहले उन्होंने तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की सलाह ली। पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं से भी सुझाव मांगे। इससे उन्होंने वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच अच्छा तालमेल बना।

5. पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष और युवा चेहरे ने जनता में बनाई पहचान
पुष्कर सिंह धामी ने अपना राजनीतिक कॅरियर वर्ष 1990 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ शुरू किया था। वह वर्ष 2008 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष भी चुने गए। इसी समय उन्होंने स्थानीय युवाओं के लिए राज्य में उपलब्ध विभिन्न सेक्टर्स की नौकरियों में 70 प्रतिशत रिजर्वेशन करने का आंदोलन चलाया और सफल भी हुए। वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी को धामी को राजनीतिक गुरु माना जाता है। पुष्कर सिंह धामी उनके ओएसडी भी रह चुके हैं। धामी की उम्र 46 साल है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पूरे उत्तराखंड में अपनी अलग पहचान बना ली। देवभूमि के युवाओं के बीच उनकी काफी लोकप्रियता बढ़ गई।

इससे पहले ये रहे उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री….
1. नित्यानंद स्वामी – उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 9 नवंबर, 2000 से 29 अक्टूबर, 2001 तक
2. भगत सिंह कोश्यारी (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 30 अक्टूबर, 2001 से 1 मार्च, 2002 तक
3. नारायण दत्त तिवारी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
कार्यकाल : 2 मार्च, 2002 से 7 मार्च, 2007 तक
4. भुवन चंद्र खंडूरी (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 8 मार्च, 2007 से 23 जून, 2009 तक
5. रमेश पोखरियाल निशंक (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 24 जून, 2009 से 10 सितंबर, 2011 तक
4. भुवन चंद्र खंडूरी (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 11 सितंबर, 2011 से 13 मार्च, 2012 तक
6. विजय बहुगुणा (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
कार्यकाल : 13 मार्च, 2012 से 31 जनवरी, 2014 तक
7. हरीश रावत (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
कार्यकाल : 1 फरवरी, 2014 से 27 मार्च, 2016
(राष्ट्रपति शासन : 28 मार्च, 2016 से 20 अप्रैल 2016 तक)
7. हरीश रावत (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
कार्यकाल : 21 अप्रैल, 2016 से 22 अप्रैल, 2016
(राष्ट्रपति शासन : 22 अप्रैल, 2016 से 10 मई 2016 तक)
7. हरीश रावत (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
कार्यकाल : 11 मई, 2016 से 18 मार्च, 2017
8. त्रिवेंद्र सिंह रावत (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 18 मार्च, 2017 से 9 मार्च, 2021
9. तीरथ सिंह रावत (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 10 मार्च, 2021 से 4 जुलाई 2021
10. पुष्कर सिंह धामी (भारतीय जनता पार्टी)
कार्यकाल : 4 जुलाई 2021 से अबतक
नोट : सृष्टि गोस्वामी बालिका दिवस के अवसर पर एक दिन (24/01/2021) की मुख्यमंत्री चुनी गई थी। 

 

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