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मोदी विजन से देशभर में संपत्ति भी हो रही डिजिटल, करीब 90 हजार गांवों में संपत्ति कार्ड तैयार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को समृद्धि की राह पर ले जाने और विकसित भारत बनाने के लिए हर मोर्चे पर काम कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों से कस्बे तक में देश में संपत्त‍ि विवाद एक बड़ी समस्या रही है। ग्रामीण इलाकों में कई पीढ़ियों तक चलने वाले संपत्त‍ि विवाद की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए पीएम मोदी ने अपने दूरदर्शी विजन से प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत 24 अप्रैल, 2020 को की। इसके तहत गांव के उन लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिया जा रहा है, जिनकी जमीन किसी भी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं है। इस योजना को देशभर में अमलीजामा पहनाने के लिए मोदी सरकार पूरे देश में ग्रामीण इलाकों का सेटेलाइट सर्वे कराकर संपत्त‍ि के रिकॉर्ड को डिजिटल बना रही है। देश के करीब 90 हजार गांवों में  संपत्ति कार्ड बनकर तैयार हो चुके हैं। 

अब तक देश के 89,749 गांवों में संपत्ति कार्ड तैयार
देशभर में 26 जुलाई, 2023 तक 89,749 गांवों में संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा स्वामित्व योजना के तहत तैयार किए गए मानचित्रों के आधार पर संपत्ति कार्डों को तैयार करने तथा वितरित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की है। हालांकि, पंचायती राज मंत्रालय स्वामित्व योजना के तहत तैयार किए गए संपत्ति कार्डों को डिजी लॉकर प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करने के लिए राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के साथ संवाद कर रहा है।

2.70 लाख गांवों के ड्रोन सर्वेक्षण का कार्य पूरा
26 जुलाई 2023 तक देश के 2,70,924 गांवों में स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण का कार्य पूरा किया जा चुका है। स्वामित्व योजना के तहत तैयार किए गए मानचित्र भू-संदर्भ मानचित्र हैं, जिनके तहत ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में संपत्तियों के डिजिटल चित्रों को प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) के तहत पंचायती राज मंत्रालय ने एक एमएक्शनसॉफ्ट लॉन्च किया है, जो तस्वीरों को जियो-टैग (जीपीएस) के साथ पेश करने के लिए एक मोबाइल आधारित अनुप्रयोग है।

अब तक 31 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों ने समझौता पर हस्ताक्षर किए
देशभर में संपत्तियों का डिजिटल डेटा तैयार करने के लिए अब तक 31 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। स्वामित्व योजना का पायलट चरण 2020-21 के कार्यान्वन के लिए 24 अप्रैल 2020 को लॉन्च किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर 24 अप्रैल, 2021 को इस योजना का शुभांरभ किया गया था। पंचायती राज मंत्रालय, राज्य राजस्व विभाग, राज्य पंचायती राज विभाग तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) के सहयोग से स्वामित्व योजना को लागू किया जा रहा है। योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ समझौता (एमओयू) करने की आवश्यकता है।

संपत्तियों की जियो-टैगिंग से आपदा से मुकाबले में होगी आसानी
परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग सभी तीन चरणों के लिए की जाती है- 1. कार्य शुरू करने से पहले, 2. कार्य के दौरान तथा 3. कार्य के समापन पर। यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, सूखे से मुकाबला, स्वच्छता, कृषि, चैकडैम, नहर आदि से संबंधित सभी कार्यों और परिसंपत्तियों के बारे में जानकारियों का भंडार प्रदान करेगा। पंद्रहवें वित्त आयोग की निधियों के तहत निर्मित परिसंपत्तियों के लिए जियो टैगिंग को अनिवार्य बनाया गया है।

आधुनिक टेक्नॉलॉजी से देश के गांवों में विकास का नया मंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अक्टूबर 2021 को एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से मध्यप्रदेश के हरदा जिले के स्वामित्व योजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत की और इस अवसर पर उन्होंने 19 जिलों के 3000 गांवों में 1,71,000 लाभार्थियों को ई-प्रॉपर्टी कार्ड भी वितरित किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि आज मध्यप्रदेश के 3,000 गांवों के 1.70 लाख से अधिक परिवारों को मिला प्रॉपर्टी कार्ड उनकी समृद्धि का साथी बनेगा। ये लोग डिजि-लॉकर के माध्यम से अपने मोबाइल पर अपना प्रॉपर्टी कार्ड डाउनलोड भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना सिर्फ कानूनी दस्तावेज देने की योजनाभर नहीं है, बल्कि ये आधुनिक टेक्नॉलॉजी से देश के गांवों में विकास और विश्वास का नया मंत्र भी है।

आधुनिक भारत के गांव समर्थ और आत्मनिर्भर होंगे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 अप्रैल, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना की शुरुआत की और इसके तहत चार लाख से ज्यादा लोगों को उनकी संपत्ति के ई-प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए। पंचायतीराज दिवस के अवसर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की प्रगति और संस्कृति का नेतृत्व हमेशा गांवों ने ही किया है, इसलिए आज देश अपनी हर नीति और हर प्रयास के केंद्र में गांवों को रखकर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि आधुनिक भारत के गांव समर्थ हों, आत्मनिर्भर हों।

स्वामित्व योजना गांव के लोगों को देगी बहुत बड़ी ताकत: पीएम मोदी
देश के गांवों को, गांवों की प्रॉपर्टी को, ज़मीन और घर से जुड़े रिकॉर्ड्स को अनिश्चितता और अविश्वास से निकालना बहुत जरूरी है। इसलिए पीएम स्वामित्व योजना, गांव के हमारे भाइयों और बहनों की बहुत बड़ी ताकत बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि ये जो गांव-मोहल्ले में ड्रोन उड़ रहा है, वो भारत के गांवों को नई उड़ान देने वाला है।

स्वामित्व योजना से पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार भी रुकेगा
संपत्ति कार्ड मिलने के बाद गांव के लोगों, किसानों को मकान बनवाने के लिए बैंक से आसानी से लोन मिल सकता है। इससे उनकी संपत्ति के मूल्यांकन को भी प्रामाणिकता मिलेगी और भविष्य में राजस्व से जुड़े मुकदमों में भी भारी कमी आएगी। यह योजना दूरगामी असर डालेगी। इससे गांव में मेड़, नाली, खरंजा, सार्वजनिक हैंड पंप, स्कूल समेत सभी की भू-स्थिति को प्रमाणिकता मिलेगी। पंचायतीराज स्तर पर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोका जा सकेगा। इतना ही नहीं नए चुनकर आने वाले ग्राम प्रधान और पंचायत प्रतिनिधियों को पुराने ग्राम प्रधान आदि के द्वारा कराए गए कामकाज का सीधा ब्यौरा मिल जाएगा। इसके लिए उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा।

स्वामित्व योजना बदलेगी देश का नक्शा, मिलेगा गांव सटीक आंकड़ा
स्वामित्व योजना के जरिए गांव, गांव वासियों, जिले के राजस्व विभाग और प्रदेश सरकार को जमीन, जायदाद से जुड़ा एक सटीक आंकड़ा दिया जा सकेगा। इससे गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सहूलियत होगी तथा सार्वजनिक भूमि आदि को लोगों के अतिक्रमण, तरह-तरह के अनियमित कार्यों से बचाया जा सकेगा। पंचायतों की जमीनों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। ऐसा ड्रोन से हवाई मैपिंग के जरिए महज छह हजार रुपये प्रति गांव खर्च करके किया जा सकेगा। इसकी प्रामाणिकता भी सर्वे ऑफ इंडिया की रहेगी।

पीएम मोदी के विजन से आज डिजिटल इंडिया में कई तरह के काम हो रहे हैं और भारत फ्यूचर डिजिटल टेक के लिए भी तैयार हो रहा है। इस पर एक नजर-

मोदी राज में डिजिटल अर्थव्यवस्था 4 से 11 प्रतिशत पर पहुंचा
पीएम मोदी के सत्ता संभालने से पहले डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार करीब 4 प्रतिशत का था लेकिन अब यह बढ़कर 11 प्रतिशत हो गया है। भारत के लिए आने वाला दशक ‘टेकेड’ है। टेकेड से तात्पर्य है- प्रौद्योगिकी का दशक। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान 2026 तक 20 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है।

8 वर्षों में 23 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के खाते में सीधे डाली गई
डिजिटल तकनीक के जरिए से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के तहत पिछले 8 वर्षों में 23 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंची है। डिजिटल इंडिया की वजह से नागरिकों तक घर बैठे ही कई सरकारी सेवाएं पहुंच रही हैं। इसके साथ ही सरकार की पहुंच भी नागरिकों के दरवाजे और फोन तक सुनिश्चित हो पाया है।

डिजिटल इंडिया से 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बची
डिजिटल इंडिया की वजह से ही देश के 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि गलत हाथों में जाने से बच गई है। डिजिटल इंडिया की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत चौथी औद्योगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0 में दुनिया को दिशा दे रहा है। डिजिटल इंडिया की भूमिका भ्रष्टाचार रोकने में काफी महत्वपूर्ण रही है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था का चमकता सितारा बना भारत
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. किसी भी देश के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूती आज के वक्त में प्राथमिकता वाला मुद्दा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करके ही भारत विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में मोदी सरकार ने 8 साल पहले एक ऐसा फैसला लिया था, जिसकी बदौलत भारत आज वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता सितारा बन चुका है। एक जुलाई 2015 को देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इस अभियान को और भी मजबूती देने की जरूरत है। इसी पहलू को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का फैसला किया है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार पर खर्च होंगे 14,903 करोड़ रुपये
केंद्रीय कैबिनेट ने 16 अगस्त 2023 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार मंजूरी दे दी. इस पर 14,903 करोड़ रुपये खर्च होंगे। डिजिटल इंडिया विस्तार के तहत पहले से जारी कार्यों को आगे बढ़ाया जाएगा। कुछ नए पहल भी होंगे। बजट खर्च को वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल के लिए स्वीकार किया गया है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का फैसला कुछ लाभ को रखकर किया गया है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत कुछ लक्ष्य तय किए गए हैं।

हर नागरिक तक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित होगी
देश के हर नागरिक तक सरकारी सेवाओं की पहुंच हो, ये सिर्फ़ डिजिटल तरीके से ही संभव है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से इसमें मदद मिलेगी। इसके साथ ही देश में बेहतर और वैश्विक स्तर का आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम हो, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से ये भी सुनिश्चित हो सकेगा। ओवरऑल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का मकसद देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।

डिजिटल कौशल में कमी का असर अर्थव्यवस्था पर
डिजिटल कौशल में कमी किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, साइबर सुरक्षा और डिजिटल कौशलता में अगर कोई देश पीछे रहता है तो उस देश की अर्थव्यवस्था को व्यापक पैमाने पर मौद्रिक नुकसान हो सकता है। इस बात को नैसकॉम के साथ ही यूनेस्को ने भी माना है। इन दोनों का मानना है कि डिजिटल कौशल में कमियों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2028 तक 11.5 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भारत में फ्यूचर डिजिटल टेक का विस्तार
भारत में फ्यूचर डिजिटल टेक का विस्तार हो, इसमें स्पेस, मैपिंग, ड्रोन, गेमिंग और एनिमेशन की भूमिका काफी ज्यादा रहने वाली है। यही कारण है कि केंद्र सरकार इन क्षेत्रों में इनोवेशन को लगातार बढ़ावा दे रही है। इसके लिए नीतिगत कदम के साथ आर्थिक सहायता भी मुहैया कराया जा रहा है। IN-SPACe और नई ड्रोन पॉलिसी जैसे कदमों से अगले 10 साल में भारत के टेक पोटेंशियल को नई ऊर्जा मिलने की भरपूर संभावना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार में इन बातों का भी ख्याल रखा गया है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत कुछ लक्ष्य तय किए गए हैं. ये इस प्रकार हैं:
♦ फ्यूचर स्किल प्राइम कार्यक्रम के तहत 6.25 लाख आईटी पेशेवरों को आधुनिक टेक्नोलॉजी के हिसाब से प्रशिक्षित कर उनके स्किल को बेहतर किया जाएगा।
♦ सूचना सुरक्षा और शिक्षा जागरूकता चरण (ISEA) कार्यक्रम के तहत 2.65 लाख लोगों को सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जाएगी।
♦ राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) के आधुनिकीकरण के तहत इसमें 1,787 शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जाएगा।
♦ डिजीलॉकर के तहत डिजिटल दस्तावेज सत्यापन की सुविधा अब  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ दूसरे संगठनों के लिए भी होगी।
♦ यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस (UMANG) ऐप पर फिलहाल 1,700 से ज्यादा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब इस निःशुल्क मोबाइल ऐप उमंग पर इनके अलावा 540 अतिरिक्त सेवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।
♦ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत टियर 2/3 शहरों में 1,200 स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद दी जाएगी।
♦ तीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे, जो स्वास्थ्य, कृषि और टिकाऊ शहरों की ज़रूरतों पर आधारित होंगे।
♦ साइबर-जागरूकता पाठ्यक्रम चलाकर 12 करोड़ कॉलेज छात्रों को साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूक किया जाएगा।
♦ साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई पहल शुरू की जाएगी. इसके तहत उपकरणों के विकास और राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र के साथ 200 से अधिक साइटों का एकीकरण किया जाएगा।
♦ राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत फिलहाल 18 सुपर कम्प्यूटर काम कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत अब इस मिशन में 9 और सुपर कंप्यूटर जुड़ जाएंगे। भारत सरकार ने मार्च, 2015 में राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत 4,500 करोड़ रुपये की लागत से 2022 तक 70 सुपर कंप्यूटर स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
♦ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बहु-भाषा अनुवाद उपकरण ‘भाषिणी’  को सभी 22 अनुसूची और 8 भाषाओं में शुरू किया जाएगा। फिलहाल ये 10 भाषाओं में उपलब्ध है।

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