“मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस वर्षों के अपने कुशासन और भ्रष्टाचार की वजह से बदनाम हो चुकी है, इसलिए वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतें देश की सबसे पुरानी पार्टी से गठबंधन करके भाजपा को रोकने की उपलब्धि नहीं हासिल कर सकती है”, यह राय वामपंथी नेता प्रकाश करात ने माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में लिखा है। प्रकाश करात की यह हताशा उस समय सामने आयी है, जब मोदी विरोध के नाम पर बने विपक्षी गठबंधन से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का साथ देते हुए एनडीए गठबंधन में शामिल हो गये हैं।
मोदी का रथ नहीं रोका जा सकता
प्रकाश करात ने संपादकीय में कांग्रेस के साथ अन्य क्षेत्रीय दलों को भी कमजोर बताते हुए लिखा है कि अलग-अलग चरित्र वाली धर्मनिरपेक्ष पार्टियां गठबंधन बनाकर भी भाजपा के रथ को नहीं रोक सकती। विपक्षी एकता कई क्षेत्रीय पार्टियों के अविश्वसनीय चरित्र की वजह से भी अव्यावहारिक है। उन्होंने लिखा है कि ज्यादातर पार्टियों ने नव-उदारवादी नीतियां अपना ली हैं और वे अवसरवादी गठबंधन भी बना सकते हैं।
प्रकाश करात के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस और यूपीए की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का जो गठबंधन, मोदी और भाजपा की जीत के रथ को रोकने के लिए बना हुआ है वह अवसरवादिता और भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुका है और इसके पास ऐसा कोई नेतृत्व नहीं है जो निकट भविष्य में प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दे सके। इस विश्लेषण से यह बात भी स्पष्ट होती है कि कांग्रेस के पास वह क्षमता नहीं है कि विपक्ष के बनने वाले किसी गठबंधन की अगुवाई कर सके क्योंकि “इसमें उस कांग्रेस को शामिल करना होगा और उसकी अगुवाई में चलना होगा, जिसने नव-उदारवादी आर्थिक नीतियां थोपी हैं”।
अवसरवादी और भ्रष्ट विपक्ष की राजनीति
हालांकि प्रकाश करात यह भूल जाते हैं कि कांग्रेस की नव उदारवादी नीतियां उस समय भी थी जब उन्होंने यूपीए की सरकार को केन्द्र में समर्थन दिया था, और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अघोषित समर्थन लिया था। प्रकाश करात का यह विश्लेषण सही है कि अवसरवादी और भ्रष्टाचार की राजनीति से इस देश की जनता ऊब चुकी थी और इससे छुटकारा पाने के लिए ही मई 2014 में नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत के साथ लोकसभा में भेजा था।
प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति, विकास और देशहित की राजनीति है जिससे गुजरात में सुशासन का ऐसा मॉडल बना। आज उसी मॉडल पर देश में सबका साथ लेकर सबका विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती न पेश कर पाने की हताशा मे प्रकाश करात यह भूल जाते हैं कि पश्चिम बंगाल में कई दशकों तक शासन करने वाली माकपा देश के सामने विकास का ऐसा कोई मॉडल नहीं दे सकी, जिससे माकपा पूरे देश पर राज कर सके। समय बीत जाने के बाद, हर व्यक्ति को अपनी भूलों का एहसास होता है लेकिन इस एहसास से पार्टियों के डीएनए नही बदला करते, उसके लिए नरेन्द्र मोदी जैसा कोई कर्मठ और योग्य नेतृत्व की आवश्यक्ता होती है, इसलिए देश की विपक्षी पार्टियों को अभी इंतजार करना होगा कि उनके पास भी ऐसा कोई नेतृत्व पैदा हो।