भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के लिए आज चुनाव हो रहे हैं और आज शाम तक देश के नए उपराष्ट्रपति के नाम की घोषणा भी हो जाएगी। NDA के उम्मीदवार वेंकैया नायडू और UPA के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के बीच मुख्य मुकाबला है। लेकिन वोटों के समीकरण को देखें तो एनडीए के प्रत्याशी वेंकैया नायडू की जीत तय मानी जा रही है।
नायडू-गांधी में मुकाबला
एनडीए की तरफ से एम वेंकैया नायडू और विपक्ष की तरफ से गोपाल कृष्ण गांधी के बीच मुकाबला है। केंद्रीय कैबिनेट में शहरी विकास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री के पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने जा रहे वेंकैया नायडू वर्ष 2002 से 2004 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं महात्मा गांधी के पोते और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी विपक्ष के उम्मीदवार हैं। पूर्व में आईएएस अधिकारी रह चुके गोपालकृष्ण राष्ट्रपति के सचिव तथा श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त भी रह चुके हैं।
790 सदस्य डालेंगे वोट
उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति से कुछ अलग होता है। इसमें राज्यों के विधायक भाग नहीं लेते हैं। राज्यसभा और लोकसभा से मिलाकर कुल 790 सांसद इसमें वोट डालते हैं। बैलट पर प्रत्याशियों के नाम होते हैं और मतदान एक विशेष पेन के द्वारा होता है। राज्यसभा में 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत यानि कुल 245 सदस्य और लोकसभा में 543 निर्वाचित और 2 मनोनीत सांसद यानि कुल 545 सदस्य वोट कर सकते हैं।
ये है वोटों का समीकरण
उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही वोट करते हैं। दोनों सदनों की कुल सदस्य संख्या 790 है। लोकसभा में कुल 545 सदस्यों में एनडीए के 340 सांसद हैं और राज्यसभा में 85 सांसद (भाजपा 58) हैं यानि कुल 425 सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त गैर एनडीए दल एआईएडीएमके, वायएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति का भी समर्थन नायडू को है। एनडीए में नया शामिल हुए जेडीयू के लोकसभा में 2 और राज्यसभा में 10 सांसद हैं। हालांकि जेडीयू ने गोपाल गांधी का समर्थन करने की घोषणा की है।
चार बार निर्विरोध चुने गए उपराष्ट्रपति
14वें उपराष्ट्रपति के चुनाव में हामिद अंसारी को 2012 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार जसवंत सिंह के मुकाबले 490 वोट मिले थे, जबकि जसवंत सिंह को 238 वोट मिले थे। इससे पहले चार बार ऐसे चुनाव हुए हैं जिनमें उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए हैं। एस. राधाकृष्णन (1952 और 1957), मोहम्मद हिदायतुल्ला (1979) और शंकर दयाल शर्मा (1987) उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध चुने गए थे।
ऐसे होता है उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन गुप्त चुनाव के जरिये होता है। इस चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसद मतदान करते हैं। इस चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा सांसदों को एक खास तरह का पेन दिया जाएगा, किसी और पेन का इस्तेमाल करने पर उनका वोट रद्द कर दिया जाएगा। बैलेट पेपर पर उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का नाम होगा, लेकिन उन पर किसी भी तरह का राजनीतिक चिह्न नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति पद का विशेष महत्व
उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। राष्ट्रपति के निधन या उनके पद से हटने पर उपराष्ट्रपति प्रभारी राष्ट्रपति बना दिए जाते हैं, क्योंकि राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद को खाली नहीं रखा जा सकता है। उपराष्ट्रपति प्रभारी राष्ट्रपति के पद पर अधिकतम 6 महीने तक रह सकते हैं, इस के बाद पुनःनिर्वाचन होकर राष्ट्रपति आसीन होते हैं।
VP पर कुछ खास जानिये
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन 5 साल के लिए होता है। इस पद से रिटायरमेंट के लिए कोई तय आयुसीमा नहीं है। एक व्यक्ति कितनी भी बार उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है। उपराष्ट्रपति को हर महीने 1,25,000 रु. वेतन के रूप में दिए जाते हैं। राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति को अलग से आवास नहीं दिया जाता है, जब कि राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में रहते हैं।
ऐसे हटाए जा सकते हैं उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने से पहले दो ही तरीकों से पद से हटाए जा सकते हैं :- 1) वे खुद ही पद से इस्तीफा दे दें। 2) उन्हें उनके पद से राष्ट्रपति हटा सकते हैं, वह भी तब, जब राज्यसभा के ज्यादातर सांसद उनके विरुद्ध मतदान करें और लोकसभा से सांसद बहुमत में इस फैसले का समर्थन करें। इन दोनों तरीकों के अलावा उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का कोई औपचारिक तरीका नहीं है। उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14 दिनों का एडवांस नोटिस देना अनिवार्य है। उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर राज्यसभा का उपसभापति राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाता है।