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पीएम मोदी की तारीफ पर पीएचडी स्‍कॉलर दानिश को मिली सजा, डिग्री वापस मांग रहा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, लोगों को याद आए अजय सिंह

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देश के विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के कायद-ए-आजम यानि महान नेता बन गए, लेकिन अपनी कट्टर सोच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छोड़कर चले गए। आज एएमयू जिन्ना की सोच को आदर्श मानता है और उससे अलग विचार रखने वालों को प्रताड़ित करता है। यूनिवर्सिटी के एक पीएचडी स्‍कॉलर ने आरोप लगाया है कि उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने की वजह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उसे एएमयू से जो डिग्री दी गई थी वह वापस मांगी जा रही है। उसने प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। 

डिग्री बदलने का दबाव बना रहा एएमयू

पीएचडी स्कॉलर दानिश रहीम ने इस मामले में हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की है। उसका कहना है कि एएमयू ने नोटिस भेजकर लिंग्विस्टिक की डिग्री लौटाने और इसके बदले LAM में डिग्री लेने को कहा। दानिश ने कहा कि उन्हें पीएचडी की डिग्री 9 मार्च, 2021 को अवॉर्ड हुई। उसकी साथी मारिया नईम को नवंबर 2020 में पीएचडी अवॉर्ड हो गई थी। पीएचडी मिलने के छह महीने गुजर जाने के बाद 4 अगस्त, 2021 को पत्र मिला कि जो डिग्री हम दोनों को दी गई है वह गलत है।

एएमयू पर पीएचडी स्कॉलर को प्रताड़ित करने का आरोप

दानिश ने कहा कि उन्हें इस लिए प्रताड़ित किया जा रहा है कि 22 दिसंबर, 2020 को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की थी। दानिश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एएमयू को एक कार्यक्रम में संबोधित किया था। मैंने उनकी तारीफ की थी। मीडिया में मेरा इंटरव्यू भी चला था। इसके बाद मेरे साथ एएमयू में गलत व्यवहार शुरू हो गया था। 8 फरवरी को मेरा वायवा था। दो-तीन दिन पहले मुझे चेयरमैन ने बुलाया था। उन्होंने कहा कि तुम एक छात्र हो। तुम्हे किसी भी राजनीतिक पार्टी के बारे में इस तरह से खुलकर नहीं बोलना चाहिए था। तुम ऐसे बोल रहे थे जैसे राइट विंग के आदमी हो।

एएमयू की प्रताड़ना के शिकार ठाकुर अजय सिंह 

दानिश रहीम के साथ एएमयू के बर्ताव ने लोगों को ठाकुर अजय सिंह की याद दिला दी है। गौरतलब है कि इस साल अप्रैल महीने में एएमयू ने हिन्दू छात्र नेता ठाकुर अजय सिंह को प्रतिबंधित कर दिया था। इतना ही नहीं, उनके आगे की पढ़ाई करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। हिन्दू छात्रों के हो रहे उत्पीड़न को लेकर मुखर रहे ठाकुर अजय सिंह को एक तरह से एएमयू में शिक्षा के अधिकार से आजीवन वंचित कर दिया गया था। उन्हें निलंबित करने के बाद यूनिवर्सिटी की अनुशासन समिति के समक्ष और कुलपति के दफ्तर में हाजिरी लगाने के लिए समन भी भेजा गया था। यहां तक कि एएमयू से सम्बद्ध अन्य संस्थानों में भी उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी।

हिंदू छात्रों के उत्पीड़न का विरोध करने पर मिली सजा

आखिरकार मजबूर होकर ठाकुर अजय सिंह अनुशासन समिति के समक्ष पेश हुए। यूनिवर्सिटी के मुताबिक अजय सिंह ने अपने व्यवहार के लिए खेद जताया। इसके बाद कुलपति ने अजय सिंह के एलएलएम परीक्षा के परिणाम जल्द से जल्द जारी करने का आदेश जारी किया। सवाल उठे कि ठाकुर अजय सिंह को एएमयू ने इतनी प्रताड़ना और सजा क्यों दी ? अजय का दोष बस इतना था कि उन्होंने हिंदू छात्रों के उत्पीड़न का मुखर और आक्रामक विरोध किया था।

एएमयू हिंसा में घायल हुए थे अजय सिंह

गौरतलब है कि फरवरी 2019 में एएमयू में हिंसा हुई थी, जिसमें हिन्दू छात्रों की पिटाई और उनकी गाड़ियों को जला दिया गया था। इसमें एएमयू के लॉ फैकल्टी के छात्र नेता ठाकुर अजय सिंह भी घायल हो गए थे। एएमयू के छात्रों ने मीडिया के साथ भी हाथापाई की थी। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी। रीढ़ की हड्डी और सिर में जख्म के कारण अजय सिंह को एक सप्ताह अस्पताल में गुजारने पड़े थे। इसके बाद हिन्दू छात्रों ने एआईएमआईएम के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया। आरोप लगाया गया कि उनके उकसाने पर ही हिन्दू छात्रों के खिलाफ हिंसा हुई।

तिरंगा यात्रा निकालने पर कारण बताओ नोटिस

अजय सिंह को ‘तिरंगा यात्रा’ निकालने के लिए भी विश्वविद्यालय की तरफ से ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजा गया था। हिन्दू छात्रों पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने पर भी उन्हें ‘शो कॉज नोटिस’ जारी किया गया था। अजय सिंह ने कहा कि एएमयू में बीजेपी नेताओं का विरोध होता था, यहां तक कि राष्ट्रपति का भी विरोध हुआ। नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में एएमयू में हिंदुत्व मुर्दाबाद के नारे लगाए गए था। अजय सिंह के मुताबिक 2019 में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का यहां कार्यक्रम प्रस्तावित हुआ और देश की सभी इस्लामी पार्टियों को मिला कर एक मुस्लिम फ्रंट बनाने की कोशिश की गई थी।

 

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