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राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए चुनावी बॉन्ड लाएगी मोदी सरकार

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आम धारणा है कि कालेधन को सफेद करने का सबसे आसान माध्यम है चुनावी चंदा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कहा है कि पारदर्शिता उनके शासन का महत्वपूर्ण पक्ष है। यही कारण है कि सरकार बनने के तीन साल बाद भी मोदी सरकार के किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं है। अब चुनावी चंदे को भी पारदर्शिता के दायरे में लाने के लिए मोदी सरकार प्रयासरत है और इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने मुहिम और तेज कर दी है।

चुनावी बॉन्ड जारी करेगी केंद्र सरकार
केंद्र जल्द ही चुनावी बाॉन्ड जारी करने जा रहा है जिसके माध्यम से राजनीतिक दल चंदा ले सकेंगे। वित्त मंत्रालय ने चुनावी बॉन्ड का एक प्रस्ताव तैयार किया है और इस पर संबंधित विभागों से विचार-विमर्श चल रहा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही इसे लाॉन्च किया जा सकता है। चुनावी बॉन्ड कैसे जारी किए जाएंगे और कितनी राशि का चुनावी बॉन्ड खरीदा जा सकेगा यह अभी तय नहीं है, लेकिन इस संबंध में नियम तय किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

चुनावी बॉन्ड से आएगी पारदर्शिता
दरअसल चुनावी बाॉन्ड योजना के तहत चंदा देने वाला व्यक्ति केवल चेक और डिजिटल भुगतान के तहत निर्धारित बैंकों से बॉन्ड खरीद सकता है। हालांकि ये बॉन्ड रजिस्टर्ड राजनीतिक दल के निर्धारित और पंजीकृत बैंक खाते में ही भुनाए जा सकेंगे। हालांकि बॉन्ड खरीदने वाले व्यक्तियों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करने की घोषणा की थी। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी सरकार ने किया था ताकि चुनावी बॉन्ड जारी किए जा सकें।

बैंकों से खरीदे जा सकेंगे चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड सिर्फ बैंक के माध्यम से खरीदा जा सकेगा। यह इसलिए कि बॉन्ड खरीदने वाला व्यक्ति कर चुकाने के बाद ही यह खरीदे। इससे राजनीतिक फंडिंग के लिए कालेधन पर रोक लग सकेगी। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए इस साल के आम बजट में नकद चंदे की अधिकतम सीमा 2,000 रुपये तय करने की घोषणा भी की थी। इससे पहले कोई भी राजनीतिक दल किसी भी व्यक्ति से 20,000 रुपये तक का चंदा कैश में ले सकता था और उसके लिए उसे स्रोत बनाने की जरूरत नहीं होती थी। हालांकि चेक या डिजिटल पेमेंट के माध्यम से राजनीतिक दल कितनी भी धनराशि चंदे के रूप में प्राप्त कर सकेंगे।

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