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जानिए पारदर्शिता का दावा करने वाली पार्टी आप क्यों है परेशान

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चुनावी चंदे में पारदर्शिता का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी सवालों के घेरे में है। आयकर विभाग ने पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट में दर्ज 27 करोड़ रुपए के चंदे को फर्जी पाया है। आयकर विभाग ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी है। इसमें आयोग से राजनीतिक पार्टी के रूप में आप की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी की ओर से साल 2013-14 और 2014-15 में मिले चंदे के रिकॉर्ड में अंतर है।

इस रिपर्ट के बाद आम आदमी पार्टी के भीतर खलबली मची हुई है। पार्टी नेता परेशान हैं। पार्टी के नेता केंद्रीय बजट में लाए गए एक प्रस्ताव से भी परेशान हैं। राजनीतिक दलों के चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए बजट में प्रस्ताव किया गया है कि पार्टियां एक व्यक्ति से 2000 रुपए से ज्यादा नगद चंदा नहीं ले सकती। पार्टियां दानदाताओं से चेक या डिजिटल माध्यम से चंदा प्राप्त कर सकती हैं और इसके लिए चुनाव बांड भी जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को निर्धारित समय सीमा के अंदर आयकर रिटर्न भी भरना होगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस प्रस्ताव से आम आदमी पार्टी परेशान है। पार्टी बनाते वक्त कहा गया था की हम ईमानदारी के लिए राजनीति में उतर रहे हैं। फंडिंग में पारदर्शिता हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज थी। व्यवस्था परिवर्तन के इस दावे के साथ आम आदमी पार्टी का उदय हुआ कि हम चंदे के रूप में सिर्फ सफेद धन लेंगे…पार्टी में हाईकमान की संस्कृति को खत्म करेंगे और आंतरिक स्वराज की स्थापना करेंगे। लेकिन केजरीवाल के शासन करने के तरीके से पार्टी की छवि लोगों में दिन पर दिन खराब होती जा रही है। सरकार के कामकाज करने के तरीके से लोग परेशान हैं।

आम आदमी पार्टी ने राजनीति में प्रवेश इस निश्चय के साथ किया था कि वह अपने राजनैतिक फंडिंग में 100 %पारदर्शिता रखेगी। लेकिन पिछले वर्ष, जून 2016 में पार्टी ने अपनी वेबसाइट से दानकर्ताओं की सूची को हटा दिया।

अमेरिका के शिकागो में आम आदमी पार्टी की एनआरआई सेल के सह संयोजक और पार्टी से निलंबित डॉ मनीष रायजादा ने वित्त मंत्री के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। डॉ मुनीश रायज़ादा का कहना है कि यह निर्णय ना सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि काले धन पर अंकुश लगाने में भी काफी सक्षम होगा। इसी संबंध में जेटली के निर्वाचन बांड का प्रस्ताव भी एक स्वागत योग्य कदम है।

रायज़ादा दिसम्बर 2016 से ही पार्टी के खिलाफ चल रहे चंदा बंद सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे हैं। इस सत्याग्रह का उद्देश्य आम आदमी पार्टी के अंदर पनप रहे भ्रष्टाचार को जनता के सामने लाना है। साथ ही लोगों से यह अनुरोध करना भी शामिल है कि जब तक पार्टी अपने दानकर्ताओं की लिस्ट को सार्वजनिक नहीं कर देती, तब तक आम आदमी पार्टी को वित्तीय सहयोग ना दें। रायज़ादा का कहना है कि दानकर्ताओं की लिस्ट छुपा कर आम आदमी पार्टी का चंदा चोर गैंग ना सिर्फ जनता को गुमराह कर रहा है, बल्कि वह अपने स्वयं के सिद्धांतों का भी उल्लंघन कर रहा है।

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