प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हम अपने नवाचारों का उपयोग जनकल्याण के लिए करना चाहिए। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आइए हम अपने नवाचारों का उपयोग जनकल्याण के लिए करें, आइए हम धन की उपलब्धता के संबंध में दोहराव से बचें, आइए हम प्रौद्योगिकी की समान उपलब्धता सुगम बनाएं”। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्लोबल साउथ के देशों को स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के अंतर को समाप्त करेगी और हमें सबके लिए स्वास्थ्य की कवरेज प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य के एक कदम और करीब ले जाएगी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 2.1 मिलियन डॉक्टरों, 3.5 मिलियन नर्सों, 1.3 मिलियन अर्द्ध चिकित्साकर्मियों, 1.6 मिलियन फार्मासिस्टों और भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में संलग्न लाखों अन्य लोगों की ओर से गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि गांधीजी स्वास्थ्य को इतना महत्वपूर्ण मानते थे कि उन्होंने इस विषय पर ‘की टू हेल्थ’ नामक पुस्तक की रचना की। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने का आशय व्यक्ति के मन और शरीर का सामंजस्य और संतुलन की स्थिति में होना है, जिसका अभिप्राय है कि स्वास्थ्य ही जीवन का आधार है।
प्रधानमंत्री ने संस्कृत का एक ‘श्लोक’ भी पढ़ा जिसका अर्थ था: ‘स्वास्थ्य ही परम धन है और अच्छे स्वास्थ्य से हर कार्य पूरा किया जा सकता है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमें याद दिलाया है कि स्वास्थ्य हमारे निर्णयों के केंद्र में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय ने हमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अहमियत भी समझायी है, चाहे वह दवा और वैक्सीन वितरण के संबंध में हो या अपने लोगों को घर वापस लाने के संबंध में हो।
दुनिया को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने की भारत सरकार की मानवीय पहल पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन मैत्री पहल के तहत, भारत ने ग्लोबल साउथ के अनेक देशों सहित 100 से अधिक देशों को 300 मिलियन वैक्सीन की खुराक वितरित की। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को लचीला होना चाहिए। हमें अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति की रोकथाम करने, तैयार रहने और मुकाबला करने के लिए तत्पर रहना चाहिए”।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि समग्र स्वास्थ्य और कल्याण हर किसी की क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकता है। गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और, जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन से इसकी क्षमता का उपयोग करने के प्रयासों में तेजी आएगी। पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक भंडार का निर्माण करना हमारा साझा प्रयास होना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए सुलभ बनाने में डिजिटल समाधानों और नवाचारों की भूमिका पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ये हमारे प्रयासों को समानता आधारित और समावेशी बनाने का उपयोगी साधन हैं क्योंकि दूर-दराज के मरीज़ टेली-मेडिसिन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय मंच ई-संजीवनी की सराहना करते हुए कहा कि इसने अब तक 140 मिलियन टेली-स्वास्थ्य परामर्श की सुविधा प्रदान की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया। उन्होंने कहा कि इसने 2.2 अरब से अधिक वैक्सीन खुराकों की डिलीवरी और विश्व स्तर पर सत्यापन योग्य टीकाकरण प्रमाणपत्रों की वास्तविक समय पर उपलब्धता का प्रबंधन किया। डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल विभिन्न डिजिटल स्वास्थ्य पहलों को एक साझा मंच पर लाएगी।
प्रधानमंत्री ने अपना भाषण संस्कृत में मानवता के लिए एक प्राचीन भारतीय कामना के साथ समाप्त किया, जिसका अनुवाद है, ‘सभी सुखी हों, सभी रोग मुक्त हों।’ मैं विचार-विमर्श में आपकी सफलता की कामना करता हूं।’