प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन देशों- साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की सफल यात्रा कर भारत लौट आए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीति और आर्थिक साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। इस पांच दिवसीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल इन देशों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, बल्कि कई अहम द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारत के वैश्विक संबंधों को मजबूती मिली।
साइप्रस: ऐतिहासिक यात्रा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस की यात्रा एक तरह से दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक रही, क्योंकि यह पिछले 23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा थी। उन्होंने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स के साथ राजधानी निकोसिया में मुलाकात की और लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधित किया। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई, खासकर सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर। साइप्रस ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन करते हुए यूरोपीय संघ में भारत के हितों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई।
साइप्रस के साथ व्यापार, निवेश, साइबर सुरक्षा, तकनीकी सहयोग, समुद्री सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा, प्राकृतिक गैस अन्वेषण और तकनीकी हस्तांतरण के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। इस यात्रा ने भारत के भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोपीय संघ के साथ जुड़ाव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
कनाडा: G7 सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी
साइप्रस से कनाडा की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर कनानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह मोदी का लगातार छठा G7 सम्मेलन था। इस सम्मेलन में उन्होंने वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम तकनीक और ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
इसके अलावा, उन्होंने G7 देशों के नेताओं, अन्य आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी, ब्रिटेन के कीर स्टार्मर के साथ दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के प्रमुख भी शामिल थे। इन बैठकों में सीमा पार आतंकवाद, सुरक्षा सहयोग, व्यापार और तकनीकी नवाचार पर विशेष चर्चा हुई। भारत ने इस मंच का उपयोग वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सामरिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के साथ साइबर सुरक्षा, रेलवे तकनीकी सहयोग, और नवाचार के क्षेत्र में भी समझौतों को मजबूत किया। इस सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी ने वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को और सशक्त किया।
क्रोएशिया: नए द्विपक्षीय रिश्तों की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा भी ऐतिहासिक रही, क्योंकि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा थी। उन्होंने क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रे प्लेंकोविक और राष्ट्रपति ज़ोरान मिलानोविक से मुलाकात की। इस यात्रा का उद्देश्य भारत-क्रोएशिया के राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना था।
दोनों देशों ने रक्षा सहयोग योजना पर सहमति जताई, जिसमें सैन्य प्रशिक्षण, रक्षा उद्योग, और सैन्य आदान-प्रदान शामिल हैं। इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य पर्यटन, फिल्म प्रोडक्शन और शिक्षा के क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
क्रोएशिया के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए हिंदी चेयर के समझौते को 2030 तक बढ़ाया गया और अगले पांच वर्षों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई। भारत के सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाह आधुनिकीकरण और तटीय क्षेत्र विकास में क्रोएशियाई कंपनियों के लिए अवसरों को भी उजागर किया गया।
यह यात्रा भारत के यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। क्रोएशिया के साथ नए समझौतों और सहयोग के अवसरों को खोलने की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है
तीन देशों की यात्रा ने खोले सहयोग के नए द्वार
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की यात्रा न केवल भारत की कूटनीतिक पहुंच को बढ़ाने में सहायक रही, बल्कि आर्थिक, सुरक्षा, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी सहयोग के नए द्वार खोल दिए हैं।
1. रणनीतिक साझेदारी और सुरक्षा सहयोग को मजबूती
आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास: साइप्रस के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को गहरा करना, विशेषकर पाकिस्तान-प्रेरित आतंकवाद के खिलाफ यूरोपीय समर्थन प्राप्त करना, भारत के सुरक्षा हितों को वैश्विक स्तर पर मजबूत करता है।
रक्षा सहयोग का विस्तार: क्रोएशिया के साथ रक्षा और सैन्य प्रशिक्षण, तकनीकी आदान-प्रदान पर समझौते से भारत की रक्षा कूटनीति को बल मिला है, जो यूरोप के साथ रणनीतिक सहयोग को बढ़ाता है।
G7 मंच पर वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर सक्रिय भूमिका: कनाडा में G7 सम्मेलन में भारत ने वैश्विक सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार पर अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता बढ़ी।
2. आर्थिक और तकनीकी सहयोग का विस्तार
व्यापार और निवेश को बढ़ावा: साइप्रस और क्रोएशिया के साथ व्यापार, निवेश, और तकनीकी सहयोग के समझौतों ने भारत के यूरोपीय और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में आर्थिक प्रभाव को बढ़ाया।
तकनीकी नवाचार में भागीदारी: G7 सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम तकनीक, और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग से भारत की तकनीकी क्षमताओं को वैश्विक मंच पर मान्यता मिली।
साइबर सुरक्षा और रेलवे तकनीक: कनाडा के साथ इन क्षेत्रों में समझौतों ने भारत के डिजिटल और आधारभूत संरचना विकास को गति दी।
3. सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों को बढ़ावा
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: क्रोएशिया के साथ हिंदी चेयर के विस्तार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के समझौतों ने भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत किया।
शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग: दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी ने ज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया।
4. भारत की वैश्विक छवि और नेतृत्व की पुष्टि
बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी: G7 जैसे प्रमुख वैश्विक मंचों पर भारत की सक्रिय उपस्थिति ने देश को एक विश्वसनीय और प्रभावशाली वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
वैश्विक चुनौतियों पर संवाद: ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर भारत की पहल ने उसकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा दिया।
5. क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति को नया आयाम
यूरोप और उत्तरी अमेरिका के साथ संबंधों का विस्तार: साइप्रस और क्रोएशिया के माध्यम से भारत ने यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को गहरा किया, जबकि कनाडा यात्रा ने उत्तरी अमेरिका के साथ सहयोग को मजबूत किया।
भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत की उपस्थिति: साइप्रस के साथ सहयोग ने भारत को इस रणनीतिक क्षेत्र में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर दिया।
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह तीन देशों की यात्रा भारत के वैश्विक संबंधों को बहुआयामी और मजबूत बनाने वाली रही। सुरक्षा, आर्थिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में हुए समझौते और संवाद ने भारत को एक मजबूत, सक्रिय और भरोसेमंद वैश्विक साझेदार के रूप में स्थापित किया है। इस यात्रा ने न केवल भारत के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाया, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, जो आने वाले वर्षों में देश के लिए काफी फायदेमंद होगी।