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पीएम मोदी ने किसानों के लिए क्या किया, इन 25 पहल और आंकड़ों से समझिए

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लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही किसान आंदोलन के नाम पर देश विरोधी ताकतें सड़कों पर उतर आई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले 10 साल में किसानों के लिए जितना किया है उतना आजादी के बाद 65 साल में किसी सरकार ने नहीं किया है। आंकड़ों की सच्चाई यह है कि पिछले दस वर्षों में प्रमुख खाद्यान्नों की एमएसपी में 40 से 60 फीसद तक की बढ़ोत्तरी हुई, खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में करीब 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई और लगभग इतनी ही ज्यादा खरीद हुई। कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ी है एवं कई योजनाओं के क्रियान्वयन से किसानों की आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है वहीं कृषि बजट में पांच गुना वृद्धि हुई है।

किसानों की मदद के लिए मोदी सरकार द्वारा की गई कुछ पहल और आंकड़ों पर एक नजर-

1. कृषि बजट 5 गुना बढ़ा
कृषि का बजट 2007-14 के दौरान 1.37 लाख करोड़ से पांच गुना बढ़कर 2014-24 के दौरान 7.27 लाख करोड़ हो गया। सालाना आधार पर देखें तो साल 2014 से पहले कृषि क्षेत्र का बजट 25,000 करोड़ रुपये से कम होता था वहीं आज देश का कृषि बजट 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है।

2. पीएम किसान के तहत 6 हजार प्रति वर्ष
पीएम किसान (PM-KISAN) योजना शुरू की गई, जिसके तहत 9 करोड़ किसानों को 6000 रुपये प्रति वर्ष वित्तीय सहायता दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की 16वीं किस्त 28 फरवरी 2024 को 9 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में 21 हजार करोड़ रुपये की धनराशि को ट्रांसफर किया। ये धनराशि डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खाते में सीधे भेजी गई।

3. 22 फसलों का एमएसपी 50 प्रतिशत से अधिक
सभी 22 फसलों का एमएसपी लागत से न्यूनतम 50 प्रतिशत से अधिक निर्धारित किया गया। मोदी सरकार ने इस फॉर्मूले के आधार पर कई एमएसपी बढ़ोतरी की घोषणा की कि किसानों को उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना मूल्य मिलेगा। यह एक वादा था जिसे पूरा किया गया। धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी के रूप में 18 लाख करोड़ का भुगतान किया गया। 2014 से पहले यूपीए सरकार 10 साल की तुलना में ये 2.5 गुना अधिक है।

4. कोरोना काल में किसानों को 2.37 लाख करोड़ दिया 
2020 और 2021 के रबी सीज़न के लिए, गेहूं, धान, तिलहन और दालों जैसी फसलों के लिए एमएसपी के रूप में किसानों को कोरोना महामारी के दौरान 2.37 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

5. खेती और सॉयल हेल्थ से मिट्टी की जांच 
मोदी सरकार में जैविक खेती को अभूतपूर्व बढ़ावा मिला है। परम्परागत कृषि विकास योजना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड लॉन्च किए गए, जिसके तहत मोदी सरकार किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति और उसकी संरचना प्रदान करती है।

6. जैविक खेती के लिए किसानों को 70 करोड़
2015-16 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना शुरू की गई थी। किसानों को 70 करोड़ ज्यादा जारी किए गए हैं। जैविक खेती विभिन्न कार्यक्रमों के तहत देश में 64 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है।

7. जीरो बजट खेती की शुरुआत
छोटे किसानों के लिए खेती को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को छोड़कर खेती को बढ़ावा देने के लिए जीरो बजट खेती की शुरुआत की गई। जीरो बजट खेती का मतलब है कि किसान खेती में कोई भी रकम खर्च नहीं करें।

8. प्राकृतिक कृषि के लिए 49.81 करोड़ रुपये
भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम के तहत, 8 राज्यों में जारी 49.81 करोड़ रुपये से 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।

9. गुणवत्तापूर्ण बीज के लिए 1971 फसल किस्में बनाई
खेती के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों के लिए 2014 से जलवायु चुनौतियों के प्रति लचीली कुल 1971 फसल किस्मों को बनाया और पेश किया गया है। इनमें से 429 किस्मों को अजैविक तनावों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि 1542 को जैविक तनावों का विरोध करने के लिए तैयार किया गया है।

10. गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता 514.26 लाख क्विंटल
प्रमाणित और गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता 14-15 में 158.19 लाख क्विंटल से बढ़कर 22-23 में 514.26 लाख क्विंटल हो गई है।

11. फसल की अधिक उपज देने वाली 369 किस्में बनाई
2014 के बाद से भारत में 14 दलहन फसलों की कुल 369 अधिक उपज देने वाली किस्में पेश की गईं। ब्रीडर बीज उत्पादन के लिए 150 दलहन बीज केंद्र और 12 केंद्र स्थापित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 16-17 से 22-23 तक 7.09 लाख क्विंटल गुणवत्ता वाले बीज और 21713 क्विंटल ब्रीडर बीज का उत्पादन हुआ।

12. बीज ग्राम कार्यक्रम से 45.51 लाख किसानों को लाभ
बीज ग्राम कार्यक्रम से लाभान्वित किसानों की संख्या 15-16 में 21.29 लाख से बढ़कर 22-23 में 45.51 लाख हो गई। इस योजना में किसानों को न केवल बीज बल्कि बीज उत्पादन में भी सहायता प्रदान की जाती है ताकि खेती से सही मुनाफा मिल सके। इसके अलावा इस योजना के तहत किसान भाइयों को समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा उनकी खेती के बीज बोने से लेकर कटाई आदि कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

13. किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 1.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित
किसानों को ऋण देने के लिए मोदी सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड पेश किए गए। वित्त वर्ष 22-23 में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के लक्षित कृषि ऋण में से 1.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस स्कीम के तहत किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का लोन मिलता है। किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चल रही है। यह देश की सबसे कम ब्याज दर वाली लोन स्कीम है।

14. किसानों को संस्थागत ऋण में तीन गुना वृद्धि
किसानों को संस्थागत ऋण में मोदी सरकार में तीन गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 13-14 में यह आंकड़ा 7.3 लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 22-23 में बढ़कर 21.55 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसका मतलब है कि प्राइवेट साहूकारों के जाल में अब किसान नहीं फंसेंगे।

15. 7.64 लाख जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं
सूक्ष्म सिंचाई और जल संरक्षण प्रथाओं को शुरू करने के लिए 2015 में प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई। 13-14 से 21-22 के बीच 7.64 लाख जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं या पुनर्जीवित की गईं।

16. कोल्ड स्टोरेज क्षमता बढ़कर 394.17 लाख मीट्रिक टन
कोल्ड स्टोरेज क्षमता 2014 में 318.23 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब 394.17 लाख मीट्रिक टन हो गई है।

17. किसान रेल से 7.93 लाख टन खाद्यान्नों की ढुलाई
फसल के बाद के नुकसान को कम करने के लिए बाजार पहुंच में सुधार के लिए किसान रेल और कृषि उड़ान योजनाएं। किसान रेल के माध्यम से फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी गई, जो 31 मार्च 2022 तक जारी रही। इसके बाद से किसानों को रेल मंत्रालय की तरफ से 45 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। 15 नवंबर 2023 तक 2,364 किसान रेल सेवाएं संचालित की गई हैं. जिसके जरिये लगभग 7.93 लाख टन खाद्यान्नों की ढुलाई की गई है।

18. किसान उड़ान योजना से देशभर में 58 हवाई अड्डे जुड़े
किसानों को उनकी फसल की उपज का सही दाम मिल सके इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एविएशन मिनिस्ट्री की मदद से अगस्त 2020 में विशेष किसान उड़ान योजना की भी शुरुआत की थी। इसके जरिये किसानों की फसल को दुर्गम पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में आसानी से पहुंचाया जा रहा है। किसानों को बाजार तक ले जाने के लिए देशभर में 58 हवाई अड्डों को जोड़ा गया है, जिसमें से 25 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के हवाई अड्डों के साथ 33 देश के विभिन्न हिस्सों के हवाई अड्डे हैं, जिसे इसके साथ जोड़ा गया है।

19. विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना का उद्घाटन
‘सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ को 31 मई, 2023 को मंजूरी दी गई। पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में भंडारण क्षमता के निर्माण के लिए 2000 से अधिक पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी) का चयन किया गया। इसका लक्ष्य है खाद्यान्न की कमी से निपटना है। पीएम मोदी ने 24 फरवरी 2024 को ‘सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण’ की पायलट परियोजना का उद्घाटन किया। इसे 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्सों) में संचालित किया जा रहा है। 11 राज्यों की 11 पैक्स में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के तहत गोदामों का उद्घाटन एवं 500 पैक्स में गोदामों का शिलान्यास किया गया है।

20. फसल बीमा योजना से किसानों को मिले 1.5 लाख करोड़ रुपये
पीएम फसल बीमा योजना ने 55 करोड़ से अधिक किसानों को नामांकित किया है। इसके तहत किसानों द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम: 30000 करोड़ रुपये है जबकि किसानों द्वारा प्राप्त दावे 1.5 लाख करोड़ रुपये है। योजना के तहत नामांकित 85 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं।

21. कृषि क्षेत्र को मिले 3000 स्टार्टअप
मोदी सरकार की नीतियों की वजह से कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 10 साल पहले लगभग ना के बराबर थी जो अब बढ़कर 3,000 से अधिक हो गई है।

22.पर ड्रॉप मोर क्रॉप
पर ड्रॉप मोर क्रॉप ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)’ का एक प्रमुख घटक है। पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना वर्ष 2015-16 के में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और उत्पादकता में वृद्धि करना है। अब तक वर्ष 2015-16 से पीडीएमसी योजना के माध्यम से 69.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है। ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ को सटीक सिंचाई और अन्य जल-बचत प्रौद्योगिकियों हेतु अपनाया गया है।

23. सूक्ष्म सिंचाई कोष की स्थापना
सूक्ष्म सिंचाई कोष का उद्देश्य देश भर में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को रियायती और कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना है। इसे नाबार्ड के तहत 5000 करोड़ रुपये की राशि के साथ स्थापित किया गया है।

24. कृषि मशीनीकरण के लिए 5490.82 करोड़ आवंटित
कृषि के आधुनिकीकरण और खेती के कार्यों के कठिन परिश्रम को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। सब्सिडी के आधार पर किसानों को 13,88,314 मशीन और उपकरण प्रदान किए गए हैं। किसानों को कृषि यंत्र एवं उपकरण किराये पर उपलब्ध कराने के लिये 18,824 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 403 हाई-टेक केन्‍द्र एवं 16,791 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये गये हैं।

25. e-Nam मंडी से जुड़े 1.8 करोड़ किसान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते वर्षों में किसानों की इनकम बढ़ाने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इन्हीं में से एक योजना है e-NAM यानि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना। किसानों को बाजार उपलब्ध कराने की e-NAM योजना यानि ऑनलाइन मंडी की योजना हिट हो गई है। ऑनलाइन मंडी प्लेटफार्म ई-नाम (e-Nam) ने देश के 1389 मंडियों को जोड़ दिया गया है। जब 14 अप्रैल, 2016 को इसकी शुरुआत हुई थी तब इसमें सिर्फ 21 मंडियां ही शामिल हुई थीं। इसके अलावा इससे देश के 1.8 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। वहीं, इससे 3510 एफपीओ भी जोड़े जा चुके हैं।

 

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