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पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल मंत्र से धनतेरस पर धन-वर्षा, चाइनीज सामान को भारतीय मैन्युफैक्चरर की कड़ी चुनौती, दीवाली पर चीन को लगी एक लाख करोड़ से ज्यादा की चपत

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पीएम मोदी का वोकल फॉर लोकल का विजन बाजारों में धनवर्षा करा रहा है। उन्होंने आह्वान किया था कि त्योहारों के मौके पर लोग वे उत्पाद खरीदें, जिनमें भारतीयों का पसीना और युवाओं का टेलेंट लगा हो। इसी आह्वान का कमाल है कि अकेले धनतेरस पर ही खुदरा बाजारों में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली।  देशभर के खुदरा बाजारों में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ। पिछले धनतेरस पर कुल 35,000 करोड़ का कारोबार हुआ था। सोने-चांदी के अलावा वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स, बर्तन और अन्य उत्पादों की भी अच्छी खरीद-बिक्री हुई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक धनतेरस पर अकेले दिल्ली में 5,000 करोड़ रुपये की खरीद-बिक्री हुई। एक ओर भारतीय उत्पादों का बाजार उभान पर है, दूसरी ओर चायनीज सामान के अघोषित बहिष्कार के चलते इस बार दीवाली पर एक्सपोर्ट के मामले में उसे करोड़ों रुपयों की चपत लगी है।

धनतेरस पर ही बाजारों में 50 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार
दीपोत्सव की शुरुआत में ही धनतेरस के दिन भारत में लोग जमकर खरीदारी करते हैं। इस खरीदारी शुभ होने के चलते कारोबारी भी जमकर तैयारी करके रखते हैं। ट्रेडर्स की मानें तो इस बार देशभर में दिवाली बाजार में लोकल फॉर वोकल को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है, जिसके पंचदिवसीय दीपोत्सव में चीन को करीब एक लाख करोड़ के कारोबार का झटका लग सकता है। भारतीय बाजारों में 10 से 14 नवंबर तक धूम रहने वाली है। धनतरेस के मौके पर देशभर में 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होने की उम्मीद जताई गई है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के मुताबिक यह आंकड़ा को सिर्फ धनतेरस का है। इसके बाद चार दिनों तक बाजारों में करोड़ों का कारोबार और होगा।पीएम के वोकल फॉर लोकल का भारतीयों पर पड़ा गहरा असर
ऑल इंडिया ज्वेलर्स एवं गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा के मुताबिक देशभर के ज्वेलरी व्यापारियों में धनतेरस से भाई दूज तक की बिक्री को लेकर खासा उत्साह है। ज्वेलरी व्यापारियों ने इसके लिए बड़ी तैयारी कर रखी है। सोने-चांदी, डायमंड के नये डिजाइन के गहने और आभूषण सहित अन्य वस्तुओं का प्रचुर मात्रा में स्टॉक रखा गया है। इसके अलावा इस वर्ष आर्टिफिशियल ज्वेलरी की भी बड़ी मांग बाजारों में दिखाई दे रही है, वहीं सोने-चांदी के सिक्के, नोट एवं मूर्तियों को भी धनतेरस पर बड़ी मात्रा में खरीदा गया है। दरअसल, धनतेरस के दिन सिद्धि विनायक श्री गणेश जी, धन की देवी श्री महालक्ष्मी जी तथा श्री कुबेर जी की पूजा होती है। इस दिन नई वस्तु खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। स्थानीय उत्पादों को महत्व देते हुए इस बार दीपोत्सव में खास तौर पर सोना-चांदी के आभूषण, स्टील पीतल तांबे के बर्तन, वाहन, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली का सामान एवं उपकरणों की खासतौर से लोग खरीदारी करते हैं।मेड इन इंडिया के क्रेज से चीन को कई हजार करोड़ का नुकसान
इस साल दीपावली में भारतीय बाजार में चीनी सामान का धंधा और मंदा हो गया है। दुकानदार से लेकर खरीददार तक ‘मेड इन इंडिया’ प्रोडक्‍ट्स को बढ़ावा दे रहे है। इसको लेकर भारतीय व्यापारियों के बड़े संगठन कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का अनुमान है कि चीन को इस दीवाली सीजन में करीब 70-80 हजार करोड़ रुपये तक का नुकसान होगा। बाजार सज चुके हैं और खरीदारों की भीड़ भी है, लेकिन बाज़ार में चीन के सामान की पहले जैसी भरमार दिखाई नहीं दे रही है। मुंबई लेकर दिल्ली तक सभी बड़े शहरों में दिवाली के मौके पर वोकल फॉर लोकल का अच्छा खासा प्रभाव बाजारों में दिख रहा है। उपभोक्ता मेड इन इंडिया सामानों की खरीदारी को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। ट्रेडर्स ने भी इसे देखते हुए दिवाली से जुड़े चीनी सामानों का आयात बहुत कम कर दिया है।

पीएम मोदी के विजन से आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर बढ़े तेजी से कदम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन से न सिर्फ देश चौतरफा विकास कर रहा है, बल्कि वोकल फॉर लोकल अभियान से आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर बढ़ी तेजी से कदम बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के इसी अभियान से युवाओं के जुड़ाव का नतीजा है कि दीपोत्सव के मौके पर कभी बाजारों में सौ फीसदी चाइनीज लाइटिंग का दबदबा अब ढलान की ओर है। चीन खुद भौंचक्का है कि आखिर कैसे भारतीयों ने उसके सस्ते और यूज एंड थ्रो उत्पादों को ठुकराना शुरू कर दिया है। इससे चीन की इकॉनामी को झटके लगने शुरू हुए हैं। अकेले दिवाली के मौके पर ही लाइटिंग के एक हजार करोड़ से ज्यादा के बाजार में चीनी दबदबा था। लेकिन पीएम मोदी के आह्वान के बाद अब भारतीय ग्राहक मेड इन इंडिया झालर पसंद कर रहे हैं।पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के इरादों को मजबूती देने के लिए युवा पीढ़ी के किया आह्वान
पीएम मोदी ने वोकल फॉर लोकल अभियान को बढ़ावा देने के लिए युवाओं का आह्वान किया था कि वह घर में उपयोग होने वाली वस्तुओं की एक सूची बनाएं और देखें कि उनमें से कितने ऐसे उत्पाद हैं, जो भारत में नहीं बने हैं, बल्कि विदेशी हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके बाद घर के लोगों से आप आग्रह करें कि भविष्य में जब वैसा ही कोई उत्पाद खरीदा जाए तो वह भारत में बना हो। इससे आत्मनिर्भर भारत के इरादों को और ज्यादा मजबूती मिलेगी।’ पीएम ने कहा कि अगले 25 सालों में देश विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनेगा और उसमें बहुत बड़ी भूमिका युवा पीढ़ी की होगी। इसलिए युवाओं के देश में बनी वस्तुओं की खरीदारी को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि इन्हें बनाने में भारतीय श्रमिकों की मेहनत और पसीना लगा है।कभी लाइटिंग में चाइनीज प्रोडक्ट्स का कब्जा, अब लोगों को देसी झालर पसंद
प्रधानमंत्री के अटल इरादों और चालू चीन की बार-बार की हिमाकत के बाद से भारतीयों ने चाइनीज सामान की खरीदारी को ठुकराना शुरू कर दिया है। इसी का नतीजा है कि दिवाली पर लाइटिंग बाजार में चीन का हालत खस्ता है। दिवाली नजदीक आते ही रोशनी के इस त्योहार के लिए लाइटिंग का बाजार सज गया है। 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा के इस बाजार पर कई साल से चाइनीज प्रोडक्ट्स का कब्जा था। पीएम मोदी के आह्वान के बाद ग्राहक सस्ती और सजावटी चाइनीज लाइटिंग को ठुकराकर मेड इन इंडिया झालर पसंद कर रहे हैं। खास बात यह है कि जहां चीनी झालर की वारंटी नहीं होती, वहीं भारतीय झालर पर 3-4 सीजन की वारंटी दी जा रही है। इसलिए भी इनकी बिक्री बढ़ी है।पचास हजार से ज्यादा डीलर देशभर में उपलब्ध करा रहे अच्छी गुणवत्ता की भारतीय झालरें
दीपोत्सव के इस मौके पर बाजार रोशनी की सजावट से जगमग होने लगे हैं। भारतीय लाइटिंग की डिमांड पिछले कुछ सालों से लगातार बढ़ रही है, लेकिन पिछले दो सालों से तो  भारतीय डिजाइनर (जॉय) लाइटिंग की डिमांड ज्यादा है। ओरिएंट इलेक्ट्रिक के ईवीपी एवं लाइटिंग बिजनेस हेड पुनीत धवन के मुताबिक दिवाली पर जॉय लाइटिंग का बिजनेस ही 150 करोड़ से ज्यादा का होता है। इस साल घरेलू कंपनियां अच्छी गुणवत्ता की झालरें लाई हैं। इनमें दीए, भगवान गणेश, स्वस्तिक जैसी डिजाइन शामिल हैं। 40-50 हजार डीलर्स के जरिए भारतीय झालरें देशभर में उपलब्ध कराई जा रही हैं।

फिनिश्ड प्रोडक्ट में चीन पर निर्भरता करीब-करीब खत्म, अब 85% असेंबलिंग देश में ही
इसके अलावा इलेक्ट्रिक लैम्प एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक देश में LED लाइटिंग कारोबार कई हजार करोड़ रुपये का है। भारत में कुल लाइटिंग में LED की हिस्सेदारी करीब 90 प्रतिशत तक है। इसमें कंज्यूमर लाइटिंग की हिस्सेदारी करीब साठ फीसदी है। अब पीएम मोदी के प्रयास से भारत में ही एलईडी के निर्माण में तेजी से लाइटिंग कारोबार में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। ओरिएंट इलेक्ट्रिक के पुनीत धवन के मुताबिक मोदी सरकार की पीएलआई स्कीम के बाद लाइटिंग निर्माताओं के हौसले बुलंद हैं। फिनिश्ड प्रोडक्ट में चीन पर निर्भरता खत्म-सी हो गई है। अच्छी बात यह है कि 85% असेंबलिंग अब यहीं होने लगी है।भारतीय कंपनियां अपने लाइटिंग उत्पादों पर 3-4 सीजन की दे रहीं हैं वारंटी
सस्ते चीनी प्रोडक्ट्स का मुकाबला करने के लिए देसी कंपनियां वारंटी के साथ आई हैं। चीनी झालर पर जहां कोई वारंटी नहीं होती, वहीं स्थानीय झालरों पर 3 से 4 सीजन की वारंटी दी जा रही है। लोकल फॉर वोकल के साथ ही यह भी एक वजह है कि चीनी आइटम के ग्राहक भारतीय कंपनियों के प्रोडक्ट पर शिफ्ट हो रहे हैं। इस साल डिजाइनर लाइटिंग की डिमांड ज्यादा है और घरेलू कंपनियां अच्छी क्वालिटी के साथ ही अलग-अलग प्रकार की झालरें लेकर आई हैं। इसके अलावा, कलर चेंजिंग, रिमोट कंट्रोल्ड, मोबाइल और लैपटॉप से नियंत्रित होने वाली लाइटिंग की भी डिमांड है। इन लाइटिंग को देश में ही असेंबल किया जा रहा है।

प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना के तहत कई देसी कंपनियां एनर्जी सेविंग उत्पाद लेकर आई
दिवाली पर लोग एनर्जी सेविंग लाइटिंग भी पसंद कर रहे हैं, जिसमें बिजली की खपत कम होती है। प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना के तहत कई भारतीय कंपनियां इस तरह के उत्पाद लेकर आई हैं। दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए मार्च 2020 में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना की शुरुआत की थी। इसमें सरकार कंपनियों को भारत में बने प्रोडक्ट की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है। विदेशी कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए हतोत्साहित करने के साथ-साथ, इस योजना का उद्देश्य घरेलू कंपनियों को देश में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

 

 

 

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