भारतीय जनता पार्टी को कभी हिंदी पट्टी की पार्टी मानी जाता था। लेकिन केंद्र की राजनीति में नरेन्द्र मोदी के उदय के बाद से बीते दस वर्षों में बीजेपी भारत की ही नहीं दुनियाभर की सबसे बड़ी पार्टी की पहचान बना चुकी है। यही वजह है कि देश के कोस्टल एरिया के पांचों राज्यों यानी ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के गैर हिंदी भाषी राज्य होने के बावजूद बीजेपी की पैठ यहां लगातार बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने तटीय राज्यों में सांस्कृतिक विरासत और विकास पर खूब फोकस किया। पिछले पांच महीने में ही यहां पीएम ने तीन दर्जन से ज्यादा दौरे किए हैं। इसके चलते लोकसभा चुनाव में कोस्टल स्टेट्स में बीजेपी ने मजबूत एंट्री की है। 2014 में इन पांचों राज्यों को मिलाकर भाजपा सिर्फ 6 सीटें ही जीत पाई थी। लेकिन इस बार इसने इन राज्यों में कुल 36 सीटें हासिल की हैं। यानी, बीते 10 वर्षों में बीजेपी की सीटों में 600% की वृद्धि हुई है। सबसे खास बात यह है कि पीएम मोदी की लीडरशिप और उनकी लोकप्रियता के चलते तीन लोकसभा चुनावों में इन पांच तटीय राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर भी करीब 17% बढ़ा है, जो भाजपा के भविष्य के लिए सुखद संकेत साबित होने वाला है।
केंद्रीय राजनीति में नरेन्द्र मोदी का उदय होना BJP लिए बना फायदेमंद
कोस्टल एरिया में मोदी इरा से पहले यानि वर्ष 2014 से पूर्व किसी भी राज्य में बीजेपी के पास स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा नेता नहीं था। यही वजह है कि पांचों राज्यों की 147 लोकसभा सीटों में से 2009 के चुनाव में बीजेपी को जीरो सीट मिली थी। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय राजनीति में नरेन्द्र मोदी का उदय हुआ। बीजेपी ने उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के शानदार कार्यकाल, दूरदर्शी विजन और समावेशी विकास के चलते उनकी गूंज इन तटीय राज्यों में भी सुनाई देने लगी। 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बाद भी बीजेपी इन पांच राज्यों में पहली बार एक साथ छह सीटें जीतने में सफल हो गई। पश्चिम बंगाल में जिन दो सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी, उनमें एसएस अहलूवालिया दार्जलिंग से और बाबुल सुप्रियो आसनसोल से चुनाव जीते थे। 2014 लोकसभा चुनाव जीतने से पहले एसएस अहलूवालिया 20 साल से राज्यसभा सांसद थे। वहीं, बाबुल सुप्रियो जाने-माने प्लेबैक सिंगर थे। दोनों को उम्मीदवार बनाने में पीएम मोदी की अहम भूमिका थी।
पांच साल में ही बीजेपी की सफलता का प्रतिशत चार सौ प्रतिशत से ज्यादा हुआ
इसके बाद 2019 में फिर पीएम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव हुए। उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और कोस्टल एरिया के राज्यों पर लगातार फोकस करने के चलते इस बार बीजेपी 26 सीटें जीतने में सफल हुई। यानि पांच साल में ही उसकी सफलता का प्रतिशत चार सौ प्रतिशत से ज्यादा हो गया। प्रधानमंत्री मोदी के इन राज्यों में लगातार दौरों का परिणाम रहा कि इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी न सिर्फ 36 सीटें जीतने में सफल रही, बल्कि केरल में भी पहली बार उसका खाता खुला। इतना ही नहीं यह पहली बार है कि जब भारत के किसी तटीय राज्य ओडिशा में बीजेपी ने अपने दम पर राज्य सरकार बनाई। इस बार ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 147 में से 78 सीटें मिली हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 23 सीटें ही जीत पाई थी। भाजपा के चार बार के विधायक और कद्दावर आदिवासी नेता मोहन चरण माझी ने बुधवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया।महाराष्ट्र में एनडीए ने कोस्टल रीजन की 12 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की
ओडिशा के साथ ही एक और तटीय राज्य आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने तेलगूदेशम पार्टी के साथ मिलकर एनटीए सरकार बनाई। आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे 80 फीसदी रिकॉर्ड सफलता के साथ 8 सीटों पर विजय मिली। दरअसल गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक की सीमाएं भी समुद्र से लगती हैं, लेकिन राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा को तटीय राज्य माना जाता है। गुजरात, गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बीजेपी का पहले से दबदबा रहा है। इन चारों राज्यों में भाजपा सरकार रही है। इस लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने गुजरात और कर्नाटक में कोस्टल रीजन की सभी सीटें जीत ली हैं। जबकि महाराष्ट्र में एनडीए ने कोस्टल रीजन की 12 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की है।
आइए, कोस्टल एरिया में भाजपा की परफार्मेंस का आंकलन राज्यवार करते हैं और जानते हैं कि पीएम मोदी ने किस तरह इन राज्यों में कमाल किया…
ओडिशा : महाप्रभु जगन्नाथ की धरती पर अब बीजेपी सरकार, सांसद भी बढ़कर हुए 20
पीएम मोदी 2014 में जब केंद्र की सत्ता की धुरी बने, तब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ओडिशा में 21 में से सिर्फ 1 सीट मिली थी। ओडिशा में हिंदू आबादी करीब 93 प्रतिशत है और मुस्लिम और ईसाई आबादी करीब 2-2 प्रतिशत है। यानी, ना के बराबर ही हैं। इसके बावजूद एक सीट मिलने से पीएम मोदी ने इस राज्य पर लगातार दस साल फोकस किया। इस लोकसभा चुनाव में BJP को 20 सीटें मिली हैं। यानी, 95 प्रतिशत सीटों पर BJP काबिज हो गई है। पिछले 10 साल में BJP की सीटें 20 गुना बढ़ी हैं। 2014 के ओडिशा विधानसभा चुनाव में BJP को 10 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 78 पहुंच गया है। यानी, 2014 के मुकाबले अब 68 सीटें ज्यादा मिली हैं। जहां तक वोट शेयर की बात है तो 2009 में बीजेपी को 16.9 प्रतिशत वोट मिला था, जो इस बार बढ़कर 45.34 प्रतिशत हो गया है। कोस्टल एरिया में बीजेपी का सर्वाधिक वोट शेयर ओडिशा में ही है।
पश्चिम बंगाल : मोदी के पहले 3 चुनावों में मात्र 2 सीटें, अब तीन चुनावों में 16 गुना वृद्धि
2014 से पहले भाजपा पश्चिम बंगाल में हुए तीन लोकसभा चुनावों में मात्र 2 सीटें ही जीत पाई थी। 1999 लोकसभा चुनाव में BJP को पश्चिम बंगाल में 2 सीटें मिलीं। 2004 और 2009 के दो लोकसभा चुनाव में तो यहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। लेकिन पीएम मोदी के चलते पश्चिम बंगाल में भाजपा के हालात बदलने लगे। 2014 लोकसभा चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा गया। तब पश्चिम बंगाल में BJP को फिर से 2 सीटें मिलीं, लेकिन 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 18 पहुंच गया। टीएमसी के कई झूठे नैरेटिव के बावजूद इस लोकसभा चुनाव में भाजपा पश्चिम बंगाल में 12 सीटें जीतने में सफल रही। इस तरह मोदी एरा में तीन लोकसभा चुनावों को मिलाकर बीजेपी को 32 सीटें मिलीं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले पश्चिम बंगाल में 2011 में विधानसभा चुनाव हुए। BJP को एक भी सीट नहीं मिली। उसका वोट शेयर महज 4 प्रतिशत था। मोदी के PM बनने के 2 साल बाद 2016 में विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी को तीन सीटें मिलीं और वोट शेयर बढ़कर 10.3 प्रतिशत पहुंच गया। इसके बाद 2021 में विधानसभा चुनाव हुए। BJP ने 77 सीटें जीत लीं। वोट शेयर बढ़कर 38.5 प्रतिशत पहुंच गया। यानी, 10 साल में करीब 34 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ गया। आज BJP पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी है।आंध्र प्रदेश : पुराने सहयोगी के साथ 5 साल में 10% बढ़ गया बीजेपी का वोट शेयर
तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश में 2014 में लोकसभा चुनाव हुए। 25 सीटों में से BJP को 2 सीटों पर जीत मिली। उसका वोट शेयर 7.2 प्रतिशत रहा। तब BJP चंद्रबाबू नायडू की TDP के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी। 2024 के इन चुनावों में एक बार फिर बीजेपी और टीडीपी साथ मिलकर लड़ीं। इस बार बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली और उसका वोट शेयर 11.28 प्रतिशत बढ़ गया। यानी, पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले BJP का वोट शेयर करीब 10 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों की बात करें, तो 2019 में BJP ने 173 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। पार्टी को कोई सीट नहीं मिली। 2024 विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। इसमें से 8 सीटों पर BJP को जीत मिली।
केरल : मोदी इरा में बढ़ा 17% वोट शेयर, पहली बार त्रिशूर सीट बीजेपी ने जीती
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का केरल में खाता खुल गया है। त्रिशूर लोकसभा सीट से बीजेपी के सुरेश गोपी ने सीपीआई के सुनील कुमार को करीब 75 हजार वोटों से हराया है। इससे पहले कभी केरल में भाजाप का कोई सांसद नहीं था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले तीन चुनाव यानी, 1999 में BJP को 6.6 प्रतिशत, 2004 में 10.4 प्रतिशत और 2009 में 6.3 प्रतिशत वोट मिले। यानी तीनों चुनावों को मिलाकर कुल 23.3 प्रतिशत वोट शेयर। मोदी के पीएम बनने के बाद हुए तीन चुनावों में वोट शेयर 40 फीसदी को पार कर गया है। 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी ने मोदी के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ा। इसका उसे देशभर में फायदा मिला। केरल में 2014 में भाजपा को 10.5 प्रतिशत, 2019 में 13 प्रतिशत और 2024 में 16.68 प्रतिशत वोट मिले हैं। यानी, तीन चुनावों को मिलाकर कुल 40.18 प्रतिशत। इस तरह मोदी के पीएम बनने से तीन चुनाव पहले और मोदी के चेहरे पर लड़े तीन चुनावों की तुलना करने पर पता चलता है कि BJP का वोट शेयर करीब 17 प्रतिशत बढ़ गया है।
तमिलनाडु : राज्य की 9 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही, वोट शेयर 6 प्रतिशत बढ़ा
कोस्टल एरिया का यह राज्य भाजपा के लिए सबसे दुरूह रहा है, लेकिन इस बार उसने यहां के किले में भी सेंध लगा ही दी है। तमिलनाडु में भाजपा को 2014 लोकसभा चुनाव में 1 सीट मिली थी। उसका वोट शेयर 5.5 प्रतिशत था। इस बार BJP को तमिलनाडु में कोई सीट तो नहीं मिली है, लेकिन उसका वोट शेयर दोगुना से ज्यादा बढ़कर 11.24 प्रतिशत पहुंच गया है। यानी, 10 साल में BJP का वोट शेयर करीब 6 प्रतिशत बढ़ गया है। इतना ही नहीं इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार तमिलनाडु की 9 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे हैं।