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पीएम मोदी के विजन से ऑपरेशन सिंदूर में हमारे हथियारों ने दी नई धार, डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता से भारतीय हथियारों को मिलेगा नया बाजार

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ऑपरेशन सिंदूर ने ना केवल पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया है, बल्कि भारत की सशक्त सैन्य शक्ति का शानदार प्रदर्शन भी दुनियाभर के सामने कर दिया है। चार दिनों तक चले इस ऑपरेशन ने भारत को स्वदेशी हथियारों और रक्षा प्रणालियों को प्रदर्शित करने का दुर्लभ अवसर प्रदान किया। भारत ने रूसी, फ्रांसीसी, इजरायली के साथ ही कई स्वदेशी हथियारों और अपने सैन्य हार्डवेयर का इस्तेमाल किया। पीएम नरेन्द्र मोदी के विजन के चलते डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बने भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर विश्व में भारत निर्मित हथियारों का बड़ा प्रमोशन करने का अवसर भी साबित हुआ। क्योंकि इनका परीक्षण समकक्ष शक्तियों के साथ युद्ध जैसी स्थिति में किया गया है। ये भारतीय हथियार अब दुनियाभर में, विशेषकर छोटे देशों में अधिक खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं।  ब्रह्मोस व पिनाका मिसाइलों से लेकर रडार और आर्टिलरी सिस्टम तक भारत में बने उपकरणों ने लाइव कॉम्बैट में खुद को साबित कर दिखाया है। पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के महामंत्र से भारत दुनिया का ‘डिफेंस पावर हाउस’ बनने की ओर तेजी से अग्रसर है।

भारत डिफेंस सेक्टर में इंपोर्टर से एक्सपोर्टर देश बनकर उभरा
यह पीएम मोदी दूरगामी सोच का ही सुपरिणाम है कि एक दशक में ही भारत डिफेंस उपकरण और हथियारों के इंपोर्टर से एक्सपोर्टर देश बनकर उभरा है। मोदी सरकार की विजनरी नीतियों के चलते ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत देश का रक्षा सामर्थ्य लगातार पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में आकाश में गर्जना करते तेजस लड़ाकू विमान ‘मेक इन इंडिया’ के सामर्थ्य का प्रमाण हैं। पाकिस्तान की घेराबंदी करने वाली एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत ‘मेक इन इंडिया’ के विस्तार का जीवंत गवाह बना है। ऑपरेशन सिंदूर में मिली जीत के जरिए भारत के डिफेंस सेक्टर का परचम दुनियाभर में बुलंद होने के साथ ही कई देशों के लिए भी नया विकल्प और बेहतर अवसर बन रहा है। मोदी सरकार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रही है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने अगले 5 साल में देश के रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। गुजरात के वडोदरा में C-295 की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी या फिर तुमकुरू में HAL की हेलीकॉप्टर यूनिट, ये सभी भारत की बढ़ती डिफेंस ताकत का नया अध्याय लिख रहे हैं। वैसे तो पाकिस्तान को धराशायी करने में कई हथियार अहम रहे, हम यहां कुछ स्वदेशी हथियारों के बारे में आपको बता रहे हैं।

स्वदेशी आकाश मिसाइल: ब्राजील समेत कई देशों ने इसमें रुचि दिखाई
मोदी सरकार को भरोसा है कि देश में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने का सिलसिला ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब और भी तेज गति से आगे बढ़ेगा, तो भारत रक्षा क्षेत्र में जल्द ही और दुनिया का डिफेंस पावर हाउस बनकर उभरेगा। ऑपरेशन सिंदूर में तबाही मचाते भारतीय हथियार, मिसाइल और ड्रोन ने यह साबित कर दिया है। आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसका पहला गवाह है। स्वदेशी रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों का मुकाबला करने में अपनी प्रभावशीलता साबित कर दी है। यह 4.5 किमी से 25 किमी की दूरी तक संचालित होती है। यह एक साथ 64 टारगेट्स को ट्रैक और 12 टारगेट्स पर निशाना साध सकती है। भारत से इसे अर्मेनिया ने खरीदा है। आकाश मिसाइल में फिलीपींस, मित्र, वियतनाम और ब्राजील ने अपनी रुचि दिखाई है।

नागास्त्र-1 सुसाइड ड्रोन : एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तानी मिसाइलों को तबाह किया
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में भारत में बने नागास्त्र 1 लोइटरिंग म्यूनिशन का पहली बार इस्तेमाल किया गया। पहली बार में ही इस ड्रोन ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। यह एक सुसाइड ड्रोन है जो अपने टारगेट को उड़ाने के लिए खुद को विस्फोट कर लेता है। यह लक्ष्य के ऊपर चक्कर लगाता रहता है और हमला करने के लिए सही क्षण की प्रतीक्षा करता है। नागास्त्र-1 सुसाइड ड्रोन ने इजरायली स्टाइल में एयरस्ट्राइक करके पाकिस्तान द्वारा आबादी क्षेत्रों में छोड़े गए ड्रोन को मार गिराया।

स्काईस्ट्राइकर ड्रोन: विमान प्रणाली की तरह उड़ान और मिसाइल जैसा अटैक
यह दूसरा लोइटरिंग म्यूनिशन सुसाइड ड्रोन है, जिसे भारत के अदाणी समूह ने इजरायल के एल्बिट सिक्योरिची सिस्टम के साथ पार्टनरशिप में बनाया है। इसे पश्चिमी बेंगलुरु में स्थित एक फैक्ट्री में बनाया जाता है। स्काईस्ट्राइकर लंबी दूरी के सटीक हमलों के लिए एक सस्ता ड्रोन है। यह हवाई फायर मिशनों के लिए उपयुक्त है। यह अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम मानव रहित विमान प्रणाली की तरह उड़ान भरता है और मिसाइल की तरह अटैक करता है। यह एक प्रकार का सटीक हथियार है। लक्ष्य का पता लगाने और हमला करने के लिए यह उस इलाके में मंडराता रहता है, जहां उसका लक्ष्य है। यह धमाके से पहले अपने आप या इंसानी नियंत्रण में रहते हुए काम करता है.। इससे निकलने वाली आवाज काफी कम होती है, इस वजह से इससे कम ऊंचाई वाले मिशनों को अंजाम दिया जा सकता है। बैट्री से चलने वाला यह ड्रोन अपने साथ 5 या 10 किलो का वारहेड ले जा सकता है। यह ऑपरेटर की ओर से दिए गए लक्ष्यों की पहचान कर उनका पता लगा कर उन पर हमला कर सकता है।

एंटी-ड्रोन डी-4 सिस्टम: इसने तुर्की में बने ड्रोन हमलों को मात दी
स्वदेश में निर्मित भारत के डिफेंस सेक्टर का ऐसा ही एक और हीरा है एंटी-ड्रोन डी-4 सिस्टम। इस स्वदेशी एंटी-ड्रोन प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से तुर्की में बने ड्रोन की ओर से किए गए हमलों को मात दी। यह उड़ते हुए ड्रोन का रियल टाइम में पता लगाने, ट्रैकिंग और निष्प्रभावी करने (सॉफ्ट/हार्ड किल) में सक्षम है। यह लेजर के जरिए ड्रोन के पार्ट्स को पिघला सकता है। इसका जैमिंग फंक्शन ड्रोन को गुमराह करने के लिए जीपीएस स्पूफिंग और रेडियो फ्रीक्वेंसी को जाम कर देता है।

ब्रह्मोस मिसाइल: जल, थल, नभ कहीं से भी दुश्‍मनों को खाक में मिलाने में सक्षम
ऑपरेशन सिंदूर के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का दुनियाभर में डंका बज गया है। पाकिस्‍तान पर प्रचंड प्रहार से इसका रुतबा का बड़ा और इसे 17 देश खरीदने को आतुर हैं। भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूड मिसाइल का पहली बार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल किया गया। ब्रह्मांस जब 10 मई को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी एयरबेसों पर सटीक हमले किए। ब्रह्मोस के हमलों से ही पाकिस्तान भारत के सामने घुटनों पर आया और रहम की भीख मांगते हुए सीजफायर की अपील की। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रहार से पाकिस्‍तान और आतंकी बिलबिला उठे। ऑपरेशन सिंदूर में जिस ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्‍तेमाल किया गया, दुनिया के कई देश उसके दीवाने हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देश ब्रह्मोस मिसाइल में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के घातक प्रभाव को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह लैंड, एयर और शिप कहीं से भी मार करने में सक्षम है। इसका मतलब यह हुआ कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल जमीन, आकाश और समंदर कहीं से भी दुश्‍मनों को खाक में मिलाने में सक्षम है। पाकिस्‍तान ने इसका नमूना भी देख लिया है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रहार से पाकिस्‍तान इस कदर आतंकित हुआ कि सीजफायर करने के लिए तत्‍काल सहमत हो गया।

रक्षा मंत्रालय के करोड़ों को करार, डिफेंस स्टॉक्स से भी निवेशक मालामाल
इस ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही भारत की बेहतर रक्षा नीतियों के चलते डिफेंस शेयर निवेशकों को मालामाल किया। बीते कुछ साल में कोचीन शिपयार्ड 688 प्रतिशत, मझगांव डॉक 242 प्रतिशत, एचएएल 184 प्रतिशत, बीईएमएल 198 प्रतिशत, गार्डन रीच 207 प्रतिशत, भारत डायनेमिक्स 171 प्रतिशत, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स 155 प्रतिशत, एस्ट्रा माइक्रोवेब 188 प्रतिशत, डेटा पैटर्न्स 60 प्रतिशत और पारस डिफेंस 126 प्रतिशत तक चढ़ा। इनमें सबसे ज्यादा इजाफा गार्डन रीच और कोचीन शिपयार्ड में हुआ। दूसरी ओर भारत के रक्षा मंत्रालय के ऑर्डर पर एक नजर डालें तो 39125 करोड़ के पांच सौदे, 92000 करोड़ के सौदे घरेलू डिफेंस कंपनियों को और 45000 करोड़ रूपये का ऑर्डर 156 प्रंचड हेलिकॉप्टर के लिए, करीब 800 करोड़ रूपये की डील मिलिट्री उपकरण के लिए की है। मझगांव डॉक को 1070 करोड़ रुपये का ऑर्डर कोस्ट गार्ड के लिए और पेट्रोल बेसल्स के लिए मिला है।

भारत बन रहा नया विकल्प, 7 साल में रक्षा निर्यात करीब 13 गुना बढ़ा
मोदी सरकार आने के बाद एक दशक में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। वह भी तब, जबकि रक्षा क्षेत्र की तकनीक, बाजार और बिजनेस को सबसे ज्यादा जटिल माना जाता है। 21वीं सदी में हमारा देश डिफेंस सेक्टर में बिल्कुल नई राह पर चल रहा है। 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के साथ रक्षा क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने में लगी है। सुधार के रास्ते हर क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव लाया जा रहा है। भारत दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर रहा है, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद अब हालात एकदम बदल चुके हैं। भारत आज दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। रक्षा निर्यात की बात करें तो 2016-17 में यह 1522 करोड़ रूपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रूपये हो गया है। यानी 7 साल में देश का रक्षा निर्यात करीब 13 गुना बढ़ा है, जो डिफेंस सेक्टर में भारत के मजबूत कदमों की ओर साफ संकेत करता है।

रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मिल रहा निरंतर प्रोत्साहन
इतना ही नहीं मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले वित्तीय वर्ष में ही रक्षा निर्यात को डेढ़ बिलियन से बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर तक लेने जाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में भारत, दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरर देशों में शामिल होने के लिए तेजी से कदम उठाएगा। इस दिशा में निजी क्षेत्र और निजी निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पीएम मोदी भी देश के प्राइवेट सेक्टर को भारत के रक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसी दिशा में भारत में रक्षा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को मंजूरी देने के नियमों को आसान बनाया गया है। अब कई सेक्टर में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से मंजूरी मिली है। उद्योगों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए उसकी वैलिडिटी बढ़ाई गई है। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी बढ़ाया गया है, जिसका लाभ रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को भी होने वाला है।

‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ है पीएम मोदी का नजरिया
रक्षा में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विश्व स्तरीय घरेलू रक्षा उद्योग बनाने के प्रयासों पर सरकार फोकस कर रही है। आने वाले समय में मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के बल पर ही भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में एक बनेगा। रक्षा क्षेत्र खासकर एरोस्पेस में भारत सरकार ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का नजरिया लेकर आगे बढ़ रही है। इससे देश के समग्र विकास में तो मदद मिलेगी। इसके तहत स्वदेशी उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी और बढ़ेगी। भारत के पास अब अगली पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान, हिंदुस्तान लीड इन फाइटर ट्रेनर (HLFT-42), एलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, वायर कंट्रोल प्रणाली से इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक विद फ्लाई जैसी आधुनिक एविएशन सुविधाएं मौजूद हैं। साथ ही आधुनिक हल्के प्रचंड युद्धक हेलिकॉप्टर और हल्के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी हैं।

आत्मनिर्भर भारत पर फोकस और स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा
सरकार स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने का लगातार प्रयास कर रही है। भारतीय रक्षा क्षेत्र अब बदलाव के मुहाने पर है। सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिए फोकस क्षेत्र के रूप में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र की पहचान की है। इसके तहत जरूरी अनुसंधान और डेवलपेंट इकोसिस्टम के जरिए मजबूत स्वदेशी विनिर्माण बुनियादी ढांचा बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। भारत का विजन है कि इसी साल (2025)  एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 5 अरब डॉलर के निर्यात समेत 25 अरब डॉलर का कारोबार हासिल हो। सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। हमारा रक्षा बजट जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा है। अगले 5 वर्षों में भारत सभी सशस्त्र सेवाओं में बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है। आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप, रक्षा मंत्रालय ने तीन ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों’ को अधिसूचित किया है, जिसमें स्थानीय स्तर पर बनने वाले 310 रक्षा उपकरणों को शामिल किया गया है। रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को गति प्रदान करने के लिए एक मजबूत ईको-सिस्टम और सहायक सरकारी नीतियों को विकसित किया गया है। इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को उदार बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से 74% और सरकारी रूट से 100% तक बढ़ाया गया है।

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