प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बनास डेयरी संकुल सहित कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी। 30 एकड़ भूमि में फैले इस डेयरी का निर्माण लगभग 475 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा और इसमें प्रतिदिन 5 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण की सुविधा होगी। प्रधानमंत्री ने बनास डेयरी से जुड़े 1.7 लाख से अधिक दूध उत्पादकों के बैंक खातों में लगभग 35 करोड़ रुपये का बोनस डिजिटल रूप से ट्रांसफर किया। प्रधानमंत्री मोदी ने दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ संयंत्र, रामनगर, वाराणसी के लिए बायोगैस आधारित विद्युत उत्पादन संयंत्र की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के 20 लाख से अधिक निवासियों को केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आवासीय अधिकार रिकॉर्ड ‘घरौनी’ को वर्चुअल तौर पर वितरित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने वाराणसी में 1500 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को जाति, पंथ, धर्म के चश्मे से देखने वाले लोग डबल इंजन की डबल शक्ति की बात से परेशान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग स्कूल, कॉलेज, सड़क, पानी, गरीबों के लिए घर, गैस कनेक्शन और शौचालय को विकास का हिस्सा नहीं मानते। प्रधानमंत्री ने कहा, “पहले की सरकारों के समय यूपी के लोगों को जो मिला और आज यूपी के लोगों को हमारी सरकार से जो मिल रहा है, उसका फर्क साफ है। हम यूपी में विरासत को भी बढ़ा रहे हैं और यूपी का विकास भी कर रहे हैं।”
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जन्मजयंती है। उनकी स्मृति में देश, किसान दिवस मना रहा है।’ उन्होंने कहा, “हमारे यहां गाय की बात करना, गोबरधन की बात करना कुछ लोगों ने गुनाह बना दिया है। गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, हमारे लिए गाय, माता है, पूजनीय है। गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि देश के 8 करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है।” उन्होंने कहा, “भारत के डेयरी सेक्टर को मजबूत करना, आज हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी कड़ी में आज यहां बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है।” उन्होंने मवेशियों के बीच पैर और मुंह की बीमारी के लिए राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में कहा, “6-7 वर्ष पहले की तुलना में देश में दूध उत्पादन लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है। आज भारत दुनिया का लगभग 22 प्रतिशत दूध उत्पादन करता है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे खुशी है कि यूपी आज देश का सबसे अधिक दूध उत्पादक राज्य तो है ही, डेयरी सेक्टर के विस्तार में भी बहुत आगे है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा अटूट विश्वास है कि देश का डेयरी सेक्टर, पशुपालन, श्वेत क्रांति में नई ऊर्जा, किसानों की स्थिति को बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। इस विश्वास के कई कारण भी हैं।” उन्होंने कहा, “पहला ये कि पशुपालन, देश के छोटे किसान जिनकी संख्या 10 करोड़ से भी अधिक है, उनकी अतिरिक्त आय का बहुत बड़ा साधन बन सकता है। दूसरा ये कि भारत के डेयरी प्रॉडक्ट्स के पास, विदेशों का बहुत बड़ा बाजार है जिसमें आगे बढ़ने की बहुत सारी संभावनाएं हमारे पास हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “तीसरा ये कि पशुपालन, महिलाओं के आर्थिक उत्थान, उनकी उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने का बहुत बड़ा जरिया है और चौथा ये कि जो हमारा पशुधन है, वो बायोगैस, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती का भी बहुत बड़ा आधार है।” प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “भारतीय मानक ब्यूरो ने देशभर के लिए एकीकृत व्यवस्था जारी की है। सर्टिफिकेशन के लिए कामधेनु गाय की विशेषता वाला एकीकृत लोगो भी लॉन्च किया गया है। ये प्रमाण, ये लोगो दिखेगा तो शुद्धता की पहचान आसान होगी और भारत के दूध उत्पादों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।”
प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ प्राकृतिक खेती का दायरा सिमटता गया, उस पर केमिकल वाली खेती हावी होती गई। उन्होंने कहा, “धरती मां के कायाकल्प के लिए, हमारी मिट्टी की सुरक्षा के लिए, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए, हमें एक बार फिर प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ना ही होगा। यही आज समय की मांग है।” प्रधानमंत्री ने किसानों से प्राकृतिक खेती और जैविक फसलों को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे हमारी कृषि को आत्मनिर्भर बनाने में काफी मदद मिलेगी।