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प्रधानमंत्री मोदी आज शाम करेंगे जेएनयू परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण

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फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज, 12 नवंबर को शाम 6:30 बजे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा जेएनयू के पूर्व छात्रों के सहयोग से स्थापित की गयी है। कार्यक्रम जेएनयू की एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग में होगा। अनावरण कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार स्वामी विवेकानंद के दर्शन और विचार आज भी देश के युवाओं का पथ प्रदर्शन करते हैं। दुनिया भर में लाखों लोगों के प्रेरणा का स्रोत रही, विवेकानंद जैसी महान विभूति का जन्‍म इस भूमि पर हुआ, इसे लेकर देश खुद को गौरवान्वित महसूस करता है। प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा से यह कहना रहा है कि स्वामी विवेकानंद के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने कि वे उनके जीवनकाल में थे। प्रधानमंत्री ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि जनता की सेवा और राष्ट्र के युवाओं को सशक्त बनाना देश को भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत करता है और साथ ही वैश्विक स्‍तर पर देश की छवि को भी निखारता है। भारत की समृद्धि और शक्ति देश की जनता में निहित है। ऐसे में सभी को सशक्त बनाना, राष्ट्र को आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे ले जाएगा।

स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण एक दैवीय संयोग-JNUTF
स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा अनावरण को लेकर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर फेडरेशन (JNUTF) ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह एक दैवीय संयोग है कि आधुनिक भारत के सबसे महान नेताओं में से एक के द्वारा इस आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और स्वामी विवेकानंद के नामों में समानता है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी स्वामी जी जैसे कर्मयोगी भी है। प्रधानमंत्री मोदी का स्वामी जी के शिक्षण और दर्शन में अगाध विश्वास है।

JNUTF ने कहा है कि स्वामी जी की प्रतिमा वैश्विक भाईचारे, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक उत्थान के प्रतीक के रूप में मजबूती से खड़ी होगी। यह प्रतिमा सही मायने में जेएनयू कम्यूनिटी को भारत और मानव जाति की सेवा करने के लिए और प्रेरित करेगी। यह प्रतिमा हमारे समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों के भाइयों और बहनों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की प्रेरणा देगी। प्रतिमा विश्वविद्यालय को ऐसी शिक्षा प्रदान करने के लिए मार्गदर्शन करेगी, जो छात्रों और समाज का एक साथ विकास करेगी।

JNUTF के अनुसार स्वामी विवेकानंद युवाओं की शक्ति में दृढ़ विश्वास रखते थे। उनका मानना ​​था कि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले युवा ही दुनिया में सामाजिक बदलाव ला सकते हैं। परिवर्तन की प्रक्रिया व्यक्तिगत चरित्र निर्माण के साथ शुरू होती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर परिवर्तन की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे समाज में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इस तरह, उन्होंने हमेशा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, आंतरिक और बाह्य आयामों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया।

JNUTF ने बयान में कहा है कि जेएनयू से जुड़े लोग को यह कहते हुए खुशी हो रही है कि विश्वविद्यालय में स्वामी जी की इस प्रतिमा की उपस्थिति से वे खुद को सम्मानित महसूस कर रहे हैं। स्वामी जी न केवल 20 वीं शताब्दी के महानतम आध्यात्मिक नेता थे, बल्कि एक बड़े विद्वान भी थे। जेएनयूटीएफ इस अच्छे प्रयास के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की सराहना करता है। जेएनयूटीएफ इस अवसर पर शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्रों और जेएनयू के पूर्व छात्रों को बधाई देता है। इस ऐतिहासिक अवसर पर हम जेएनयू कम्यूनिटी के सभी सदस्यों से राष्ट्र निर्माण और मानव कल्याण की प्रक्रिया में अपनी पूरी ऊर्जा लगाने की अपील करते हैं।

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