प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऊर्जा सेक्टर को रौशन कर दिया है। मोदी राज में भारत दुनिया में सबसे सस्ती सौर ऊर्जा का उत्पादन करने वाला देश है। प्रधानमंत्री मोदी अब 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस सौर ऊर्जा परियोजना की क्षमता 750 मेगावाट है। मध्यप्रदेश में विंध्य क्षेत्र के इस रीवा सोलर प्लांट से दिल्ली मेट्रो को भी बिजली सप्लाई की जाएगी। यह सोलर प्लांट रीवा जिला मुख्यालय 25 किलोमीटर दूर गुढ़ में है।
जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है LED बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपये की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक fossil fuels (जीवाश्म ईंधन) की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख ने पिछले दिनों सौर ऊर्जा प्रोत्साहन के लिए भारत की तारीफ की थी। अपनी ऊर्जा जरूरतों को सौर ऊर्जा से पूरा करने और प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए पर्यावरण प्रमुख ने कहा था कि धरती को बचाने के लिये अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला हवाई अड्डा
एरिक ने कहा दक्षिण भारत में दुनिया का ऐसा पहला हवाई अड्डा है जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से चल रहा है। केरल का कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पूरी से सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला हवाई अड्डा है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा पनबिजली उत्पादक बन गया है। इंटरनेशनल हाइड्रोपॉवर एसोसिएशन (आईएचए ) के लंदन स्थित वैश्विक जल विद्युत व्यापार निकाय ने 2020 पनबिजली स्थिति रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक पनबिजली परियोजनाओं की क्षमता 2019 में 1308 गीगावॉट तक पहुंच गई। पनबिजली उत्पादन में भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। इंटरनेशनल हाइड्रोपॉवर एसोसिएशन के अनुसार कनाडा, अमेरिका, ब्राजील और चीन के बाद भारत का कुल स्थापित आधार 50 गीगावॉट है। आईएचए के अनुसार स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती ऊर्जा पहुंचाने में महामारी ने जलविद्युत के लचीलापन और महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है।
26 मई 2014 को प्रधानमंत्री मोदी के पहली बार देश की बागडोर संभालने के समय बिजली की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन देश अब बिजली निर्यात भी करने लगा है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिसे मोदी सरकार ने लागू किया है। मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक सौर और पवन बिजली क्षमता में 160 गीगावॉट जोड़ने और वर्ष 2030 तक गैर-फोसाइल ईंधन स्रोतों से कुल क्षमता का 40 प्रतिशत जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का एलान करते हुए कहा था कि इसमें हर सेक्टर के लिए रकम निर्धारित है। प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के मुताबिक अब सभी सेक्टर्स को राहत मिलना शुरू हो गया है। इससे संकट का सामना कर रही बिजली कंपनियों को भी संजीवनी मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बिजली कंपनियों के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार पीएफसी और आरईसी डिस्कॉम को यह पैसा देंगी। इस घोषणा के बाद बिजली वितरण कंपनियों ने राहत की सांस ली है।
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है।
बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस वक्त बिजली उत्पादन क्षमता हमारी जरूरत से अधिक है। इंटरस्टेट ग्रिड में भी एक लाख से अधिक सर्किट किमी की लाइन जोड़ी गई है। ताकि, एक राज्य से दूसरे राज्य में बिजली को लाना और ले जाना आसान हो।
बिजली मंत्री आरके सिंह का कहना है कि हम देश को एक ग्रिड में पिरोने में सफल रहे हैं। हम पूरे देश में कहीं और कहीं से भी बिजली को ला और ले जा सकते हैं। कश्मीर में पैदा होने वाली हाईड्रो पावर को कन्याकुमारी भेज सकते हैं। इस वक्त हम कच्छ में सौर या पवन उर्जा पैदा करे और उसका इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश में कर सकते हैं। क्योंकि, पूरा देश एक ग्रिड से जुड़ चुका है। हमारे पास बिजली को लाने और ले जाने के लिए मजबूत नेटवर्क है। जहां 2014-15 से 2018-19 तक 1,11,433 सीकेएम संचरण ग्रिड का विस्तार हुआ, वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में 11,799 सीकेएम जोड़ा गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। योजना की शुरूआत से लेकर अब तक 2, 62,84, 577 घरों को रोशन किया जा चुका है। इस तरह पूरे देश में कुल 21 करोड़ 44 लाख से अधिक घरों में बिजली पहुंच चुकी है। ‘सौभाग्य’ योजना का फायदा उन लोगों को मिल रहा है, जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं ले पाए हैं। इसके तहत गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है।
28 अप्रैल,2018 की शाम 5.30 बजे जब मणिपुर के लाइसंग गांव में बिजली पहुंची तो इसके साथ ही मोदी सरकार ने इतिहास रच दिया। देश के प्रत्येक गांव तक बिजली पहुंचाने का प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा हो गया, वो भी तय समय से पहले। इस उपलब्धि का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि, ‘28 अप्रैल 2018 को भारत की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। कल हमने एक वादा पूरा किया, जिससे भारतीयों के जीवन में हमेशा के लिए बदलाव आएगा। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अब भारत के हर गांव में बिजली सुलभ होगी।’