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Year Ender 2022 : वर्ष 2022 में श्रीलंका को संकट से निकालने के लिए पीएम मोदी ने दिखाया बड़ा दिल, दूसरे देशों के लिए भी बने संकटमोचक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से काम कर रही है। एक वैश्विक नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ना सिर्फ अपने देश के नागरिकों की, बल्कि दूसरे देशों के नागरिकों की भी चिंता करते हैं। इसका प्रमाण कोरोना संकट के समय देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत विश्व के करीब 100 देशों को स्वदेशी कोरोना वैक्सीन भेजकर मानवता की रक्षा में एक मिसाल पेश की, जिसकी तारीफ कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने किया। इसी तरह जब भी दूसरे देशों को मदद की जरूरत पड़ी प्रधानमंत्री मोदी ने संकटमोचक बनकर उनकी मदद की। यह सिलसिला 2022 में भी जारी रहा। इस वर्ष श्रीलंका को संकट से निकालने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दिल दिखाया और हरसंभव मदद की। आइए एक नजर डालते हैं इस साल प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने दूसरे देशों को किस तरह मदद की…

महामारी के समय दुश्मनी छोड़ चीन की मदद के लिए आगे आया भारत

चीन सीमा पर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। लेकिन भारत मुश्किल में फंसे चीन के लिए मददगार बनकर सामने आया है। दरअसल चीन में ओमिक्रॉन के नए सब-वेरिएंट BF.7 ने कहर बरपा रखा है। स्थिति यह है कि बुखार की दवाएं नहीं मिल रही हैं। लोगों को दवाओं के लिए फैक्ट्री के बाहर लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। ऐसे स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने मानवता को सर्वोपरि मानकर चीन की मदद करने का फैसला किया और चीन को बुखार की दवाएं निर्यात करने का प्रस्ताव दिया। भारतीय दवा निर्यात निकाय केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के अध्यक्ष ने बताया कि भारत दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से एक है। भारत चीन की मदद करने के लिए तैयार है। चीन में इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल जैसी दवाओं की कमी हो गयी है। अगर मांग की जाती है तो यहां से इन दवाओं का निर्यात किया जा सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम चीन में कोविड की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हमने हमेशा दुनिया के फार्मेसी के रूप में अन्य देशों की मदद की है। अगर मांग की जाती है तो हम चीन को दवाएं देने के लिए तैयार हैं।

आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका के लिए संकटमोचक बने पीएम मोदी

श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस साल के मध्यम में वह गंभीर आर्थिक और राजीतिक संकट में फंसा हुआ था। देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति थी। विरोध प्रदर्शनों के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने 9 मई को इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। ईंधन, दवाओं और खाद्य पदार्थों की कमी थी। कर्ज और भ्रष्टाचार चरम पर था। ऐसे हालात में प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की पूरी मदद की। 03 अगस्त, 2022 को श्रीलंका की संसद के तीसरे सत्र के दौरान सरकार की ओर से नीतिगत बयान पेश करते हुए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए भारत द्वारा मुहैया कराई गई मदद का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सबसे मुश्किल समय में साथ देने के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया है। भारत से जो मदद मिली, वो बेमिसाल है। 

भारत ने हमें फिर से जिंदगी जीने के लिए सांसें दीं-राष्ट्रपति विक्रमसिंघे

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में भारत ने हमें फिर से जिंदगी जीने के लिए सांसें दीं। अपने देश और आप सब लोगों की तरफ से भारत सरकार, प्रधानमंत्री मोदी और वहां के लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं। ऐसे वक्त जब हम फिर से अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं तो भारत हमारे साथ है। गौरतलब है कि इस साल जनवरी से अगस्त तक भारत सरकार श्रीलंका को करीब 4 अरब डॉलर की मदद दे चुकी थी। इसमें फ्यूल, कैश रिजर्व और फूड आयटम्स शामिल थे। 2.2 करोड़ लोगों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए दवाओं से लदा एक युद्धपोत भी भेजा गया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि जनवरी 2022 में भारत ने सार्क वित्तीय तंत्र के तहत श्रीलंका को 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा अदला-बदली की सुविधा दी और भारत ईंधन आयात के लिए 50 करोड़ रुपये की ऋण सहायता दी। अब भारत श्रीलंका के कई परियोजनाओं में निवेश कर उसे संकट से निकालने पर विचार कर रहा है।

विस्थापित अफगान सिखों के लिए शरणस्थली बना भारत

भारत ने 18 जून, 2022 को काबुल के गुरुद्वारा कर्ते परवान पर हुए ‘कायराना हमले’ के बाद अफगानिस्तान में रह रहे 100 से अधिक सिखों और हिंदुओं को ई-वीजा दिया था। बच्चों सहित 30 अफगान सिखों का एक समूह 3 अगस्त, 2022 को अफगानिस्तान के काबुल से भारत पहुंचा। भारत सरकार और भारत विश्व मंच के समन्वय में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) इनको भारत लाने में मदद की। काम एयर द्वारा संचालित एक विशेष वाणिज्यिक उड़ान से इन संकटग्रस्त अफगान सिखों को भारत वापस लाया गया। उनके आगमन के बाद पूरे दल को दिल्ली के तिलक नगर स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु अर्जन देव लाया गया। 14 जुलाई, 2022 को अफगान निजी एयरलाइन काम एयर से एक शिशु सहित कुल 21 अफगान सिखों को काबुल से नई दिल्ली लाया गया था। इससे पहले 30 जून, 2022 को अफगानिस्तान से 11 सिखों का एक समूह काबुल से दिल्ली पहुंचा था। 

भूकंप से तबाह अफगानिस्तान को भेजी राहत सामग्री

अफगानिस्तान में 22 जून, 2022 को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई। चारों तरफ बर्बादी और तबाही का मंजर दिखाई दे रहे थे। अफगानिस्तान के एक अधिकारी के मुताबिक, इस भूकंप में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। वहीं 1500 से ज्यादा लोगों के घायल हो गए। ऐसी मुश्किल घड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संकटमोचक रूप में सामने आए। भारत ने अफगानिस्तान की मदद के लिए प्रयास तेज कर दिए। अफगानिस्तान के लोगों के लिए सबसे पहले भारतीय वायुसेना के दो विमानों से करीब 27 टन आपात राहत सामग्री भेजी गई। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि भारत सरकार ने सबसे पहले सहायता प्रदान करते हुए आपात राहत सामग्री काबुल भेजी, जिसमें तंबू, स्लीपिंग बैग, कंबल, चटाई आदि शामिल थे। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के मध्य क्षेत्र में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था और 51 किलोमीटर की गहराई में था। 

युद्धग्रस्त यूक्रेन की मदद को आगे आया भारत, भेजी राहत सामग्री

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से यूक्रेन में हर तरफ तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। इस युद्ध में निर्दोष जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। रूसी हमलों से लोगों की जिंदगी बदतर हो गई है। वहीं युद्ध की शुरुआत में लोगों के पास खाने पीने का सामान खत्म हो गए थे। यूक्रेन के ज्यादातर शहरों में सप्लाई भी नहीं हो पा रही थी। हमले से बचने के लिए हजारों लोग पड़ोसी देशों के सीमावर्ती इलाकों में शरण ले रहे थे, जिससे वहां मानवीय संकट पैदा हो गया था। जंग से बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारत, यूक्रेन की मदद के लिए आगे आया। भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी। जिसमें टेंट, कंबल, सर्जिकल दस्ताने, सुरक्षात्मक आई गियर, पानी के भंडारण टैंक, स्लीपिंग मैट, तिरपाल और दवाएं शामिल थीं। 02 मार्च, 2022 की सुबह भारतीय वायु सेना के दो C-17 विमान राहत सामग्री के साथ रोमानिया और हंगरी पहुंचे थे। गौरतलब है कि इससे पहले भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने भारत से राहत सामग्री भेजने की अपील की थी। 

पीएम मोदी ने पूरा किया वादा, अफगानिस्तान भेजा गया 50000 टन गेहूं

भारत ने खाद्य संकट का सामना कर रहे अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देने का वादा किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के सिख-हिंदू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान भी कहा था कि वे भविष्य में भी अफगानी लोगों की कठिनाइयों और मुद्दों को हल करने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे। 21 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने अपना वादा पूरा कर दिया। 2500 टन गेहूं की पहली खेप अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान रवाना की गई। अमृतसर में आयोजित एक समारोह में भारत के विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला, अफगान राजदूत फरीद ममुंडजे और भारत के विश्व खाद्य कार्यक्रम के निदेशक बिशॉ परजुली मौजूद थे। कागजी काम पूरा होने के बाद 2500 टन गेहूं से लदे 50 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान अफगानी राजदूत ने गंभीर खाद्य समस्या का सामना कर रहे अफगानों की मदद के लिए भारतीय सरकार का आभार वयक्त किया। उन्होंने बताया कि एक महीने के दौरान करीब 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान पहुंचाया जाएगा। 

सुनामी से प्रभावित टोंगा को 2 लाख डॉलर की सहायता

भारत ने सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित टोंगा को तत्काल राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी। विदेश मंत्रालय ने टोंगा में सुनामी के कारण हुए नुकसान और विनाश के लिए सरकार और लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। संकट की घड़ी में वहां के लोगों के साथ खड़ा हो कर मोदी सरकार ने फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2018 में चक्रवात गीता से हुई तबाही के समय भी भारत टोंगा के साथ मजबूती से खड़ा था। गौरतलब है कि 15 जनवरी, 2022 को टोंगा साम्राज्य ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी की चपेट में आ गया था। इससे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा था।

आइए एक नजर डालते हैं प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने 2022 से पहले किस तरह दूसरे देशों की मदद की…

अफगानिस्‍तान संकट: तालिबान के कारण देश छोड़ने वालों को मिली मदद
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे बाद वहां भारी अफरातफरी का माहौल बन गया था। हवाई अड्डे पर लोगों की भारी भीड़ के कारण लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मोदी सरकार संकटमोचक बनकर अफगानिस्‍तान में फंसे अपने देश के नागरिकों को वहां से सुरक्षिक निकाल आई। वीजा नीति में बदलाव किया गया। e-Emergency X-Misc Visa कैटेगरी की शुरुआत की गई। इससे तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए वहां से तुरंत निकलने की कोशिश में लगे लोगों को काफी मदद मिली।

चीन के कर्ज के जाल से मालदीव को निकाला
भारत ने संकट की घड़ी में मालदीव की मदद की। चीन ने पहले तो मालदीव को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिस कर्ज की वापसी के लिए नोटिस थमा दिया। ऐसे में भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट से उबरने के लिए 25 करोड़ डॉलर (1840 करोड़ रपये) की आर्थिक सहायता दी। इस आर्थिक मदद पर वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालिह ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। राष्ट्रपति सालिह ने ट्वीट कर कहा कि जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर आगे आया है। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और जनता को मेरी ओर से दिल से धन्यवाद।

तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई।

इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
अक्तूबर 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया था। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजे थें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई थी।

भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। 

यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा 
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।

मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।

नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।

अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।

बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर 2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।

श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-

6 पड़ोसियों सहित 100 से अधिक देशों को वैक्सीन सप्लाई
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत 20 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू क थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई। इसके बाद 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 6 करोड़ से अधिक की डोज भेजी गई।

पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
अफ्रीकी देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद कई देशों में यहां आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी। ऐसे में भारत ने आगे आकर अफ्रीकी देशों की मदद की। इसी को लेकर अफ्रीकी मूल के पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इससे पहले केविन पीटरसन ने फरवरी, 2021 में अफ्रीका को वैक्सीन भेजने पर भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि भारत की उदारता और दयालुता लगातार बढ़ती जा रही है। प्‍यारा देश। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अफ्रीकी देशों में मेड इन इंडिया वैक्सीन, जरूरी दवाइयां, टेस्ट किट, पीपीई किट्स और वेंटिलेटर सहित दूसरे मेडिकल सामान सप्लाई करने को तैयार है। भारत ने अभी तक अफ्रीका में 41 देशों को 2.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई की है। जिसमें करीब 16 देशों को 1 करोड़ डोज मदद के रूप में और 33 देशों को कोवैक्स के जरिए 1.6 करोड़ डोज शामिल है।

वैक्सीन भेजने पर बारबाडोस की पीएम ने की पीएम मोदी की तारीफ
बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। मिया मोटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोविशिल्ड का पहला डोज भेजकर उदारता का वास्तविक प्रदर्शन किया है। आपके कारण बारबाडोस में 40 हजार और अन्य जगहों पर हजारों लोगों का टीकाकरण संभव हो पाया है। धन्यवाद के साथ हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा- आपकी वजह से 60 देशों में टीकाकरण
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत की भूमिका को लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन इक्विटी को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि COVAX के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना वैक्सीन की खुराक को साझा करने से 60 से अधिक देशों को अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य प्राथमिकता समूह का टीकाकरण शुरू करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बाकी देश भी आपके इस उदाहरण को फॉलो करेंगे।

यूएन ने भारत को बताया ग्लोबल लीडर
कोरोना संकट काल में दुनिया भर को वैक्सीन उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभाने पर संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की जमकर तारीफ की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना संकटकाल में भारत एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सामने आया है। भारतीय नेतृत्व के मानवीय दृष्टिकोण और वैक्सीन की सहायता पर आभार जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा कि कोरोना की जंग में भारत ने ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाई है।

ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रभु हनुमान से की पीएम मोदी की तुलना 
ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर एम बोल्‍सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्‍ट्रपति बोल्‍सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।

नेपाल ने दवाएं भेजने के लिए कहा शुक्रिया
भारत ने कोरोना से मुकाबले के लिए अप्रैल में नेपाल को मदद के तौर पर 23 टन आवश्यक दवाएं दी। दवा की यह खेप भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्र ने नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त धाकल को सौंपी। इसमें कोरोना के खिलाफ अहम मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के अलावा पैरासिटामॉल व अन्य दवाएं शामिल हैं। संकट के समय भारत सरकार की इस मदद पर नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस महीने टेलीफोन पर बात हुई थी। इससे पहले कोरोना के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की पीएम मोदी की अपील पर 15 मार्च को सार्क देशों की बैठक में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।

मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।

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