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पीएम मोदी ने ठेका मजदूरों, महिला और बाल श्रमिकों की सुरक्षा का रखा ध्यान, पेंशनधारियों को दी राहत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर देश और विदेश में काम करने वाले भारतीय कामगारों और श्रमिकों पर है। उन्होंने सभी श्रमिकों चाहे ठेका मजदूर हो या प्रवासी मजदूर, महिला श्रमिक हो या बाल मजदूर, के हित में अनेक फैसले लिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए जहां कानूनी सुरक्षा प्रदान की, वहीं उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए भी प्रयास किए। पेंशनधारियों के कल्याण और उनका जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। आइए एक नजर डालते हैं किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने अपने फैसलों से श्रमिकों को राहत दी है। 

ठेका मजदूरों की सुरक्षा

  • सभी सेक्टरों के ठेका मजदूरों को औद्योगिक रोजगार (स्थाई आदेश) अधिनियम, 1946 के तहत शामिल किया गया।
  • 16 मार्च, 2018 को जारी अधिसूचना के जरिये इनसे संबंधित नियम बनाए गए।
  • अब नियमित कामगारों को मिलने वाले कानूनी लाभ ठेका मजदूरों को भी मिल रहे हैं।
  • नियोक्ता बिना बिचौलिये के सीधे मजदूरों को नियत समय के लिए रखेंगे। इससे ठेका मजदूरों के शोषण में कमी आएगी।
  • ठेका श्रमिकों के वि‍वरण को श्रम सुविधा पोर्टल से भी जोड़ा गया है।

प्रवासी भारतीय श्रमिकों की चिंता

  • कोरोना संकट के समय विदेश मंत्रालय लगातार विदेशों में फंसे और वापसी के लिए इच्छुक प्रवासी श्रमिकों की संख्या का आकलन कर रहा है।
  • मोदी सरकार खाड़ी और अन्य देशों से प्रवासी श्रमिकों को भारत लाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। 
  • प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और उन्हें हर तरह की मदद प्रदान करने के लिए भारतीय दूतावासों को निर्देश दिए गए हैं। 
  • ईपीएफओ ने राष्ट्रीय डाटा केंद्र में ग्लोबल नेटवर्क संचालन केंद्र (जी-एनओसी) की शुरुआत की।
  • यह समस्याओं के निवारण और बाहरी खतरों की पहचान और उन्हें रोकने वाला एक प्रमुख केंद्र है।
  • विदेशों में भारतीय पेशेवरों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करने के लिए 19 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौता किया गया है।

महिला कामगार की सुरक्षा

  • दफ्तर में महिलाओं के लिए वर्किंग आवर 6 बजे सुबह से 7 बजे शाम के बीच निर्धारित कया गया है।
  • 7 बजे शाम के बाद वर्किंग आवर तय किया जाता है तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
  • 50 अथवा उससे अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों में बच्चों के लिए क्रेच और कैंटीन सुविधाएं उपलब्ध करना जरूरी होगा।
  • महिलाओं का मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है।
  • सरोगेट मदर और गोद लेने की स्थिति में मातृत्व लाभ 12 सप्ताह का होगा।
  • 15 हजार रुपये महीने से अधिक वेतन के मामले में मातृत्व अवकाश के 7 हफ्ते का वेतन नियोक्ताओं को वापस मिलेगा।
  • कार्यालयों में यौन उत्पीड़न मामले में ऑनलाइन शिकायत दर्ज के लिए ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
  • महिलाओं और बच्चों के पुर्नवास के लिए 3 लाख रुपए देने का प्रवाधान किया गया है।

बाल श्रम मुक्ति

  • बाल श्रम निषेध संशोधन कानून-2016 के तहत 14 साल से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराने पर पूर्णतया पाबंदी है।
  • संशोधित कानून बच्चे के शिक्षा के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है।
  • बच्चों को पढ़ाई के बाद खतरनाक ना माने जाने वाले अपने परिवार के काम में हाथ बंटाने की छूट दी गई है।
  • खतरनाक कारोबार एवं व्यवसाय में किशोरों (14 से 18 आयु वर्ग) को रोज़गार पर रखने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  • देश को बाल श्रम से मुक्त करने और कानून को लागू करने के लिए एक मानक परिचालन तंत्र तैयार किया गया है।
  • एनसीएलपी योजना के प्रावधानों के कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए 2017 में ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया।
  • भारत ने बाल श्रम पर दो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सम्मेलन 138 और 182 को अंगीकार कर लिया है।

पेंशनधारियों को राहत

  • पेंशनधारियों के लिए हर साल बैंकों में जाकर सत्यापन कराने की समस्या को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।
  • मोदी सरकार ने पेंशनभोगियों की सुविधा के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरूआत की।
  • अब तक 1.94 करोड़ से भी अधिक पेंशनधारियों को यह सुविधा मिल चुकी है।
  • अप्रैल 2015 में न्यूनतम पेंशन को संशोधित कर 1000 रुपये प्रति माह किया गया।
  • पेंशन निकालने की वैकल्पिक आयु सीमा को 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष किया गया, वह भी 4 प्रतिशत प्रोत्साहन के साथ।
  • मार्च 2018 में पेंशनधारियों के लिए पोर्टल शुरू किया गया, जिससे पेंशनधारी सभी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
  • कम्यूटेशन का फायदा उठाने वाले पेंशनर्स को भी 15 साल पूरा होने के बाद सामान्य पेंशन लेने का अधिकार दिया गया।
  • पेंशनभोगियों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए ऑनलाइन कम्पलेन दर्ज करने की व्यवस्था की गई है।
  • शिकायत दर्ज करने के लिए टोलफ्री नंबर 1800-11-1960 भी जारी किया गया है।
  • पेंशनधारकों के मामलों की सुनवाई के लिए अलग से पेंशन अदालत भी लगाई जा रही हैं।

 

 

 

 

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