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संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक, यह सिर्फ कानून की किताब नहीं, बल्कि जीवंत धारा है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हमारा संविधान सिर्फ कानून की किताब नहीं, बल्कि जीवंत धारा है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार, 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट में वकीलों और कर्मचारियों को संबोधित किया। भारतीय संविधान को अंगीकार करने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बाबासाहेब अंबेडकर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, यह एक भावना है। उन्होंने कहा कि ‘संविधान निर्माता अच्छी तरह जानते थे कि भारत के सपने और आकांक्षाएं समय के साथ नई ऊंचाइयों को छुएंगी और स्वतंत्र भारत के लोगों की जरूरतें तथा चुनौतियां दोनों बदलेंगी। इसलिए, संविधान निर्माताओं ने संविधान को केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा के रूप में निर्मित किया।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हमारा संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। इसी कालखंड में आपातकाल जैसा समय भी आया और हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का भी सामना किया। हमारा संविधान देश की हर जरूरत, हर अपेक्षा पर खरा उतरा है। संविधान से मिली इस शक्ति की वजह से ही आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है।’

संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान का 75 वर्ष पूरा होना अत्यंत गौरव की बात है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज मुंबई आतंकी हमलों की भी बरसी है। उन्होंने आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दोहराया कि भारत के सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत, परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे अहम समय में भारत का संविधान ही हमें रास्ता दिखा रहा है, यह हमारे लिए गाइडिंग लाइट बना हुआ है। इस बात पर जोर देते हुए कि अब भारत के भविष्य का मार्ग बड़े सपनों और बड़े संकल्पों को हासिल करने से जुड़ा है, उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक नागरिक का लक्ष्य विकसित भारत का निर्माण करना है। विकसित भारत का मतलब है एक ऐसा स्थान, जहां प्रत्येक नागरिक को जीवन की गुणवत्ता और सम्मान मिले। यह सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का एक बड़ा माध्यम है और यही संविधान की भावना भी है।

समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान की मूल प्रति में भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविंद सिंह की तस्वीरें थीं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के इन प्रतीकों को संविधान में जगह दी गई, ताकि सुनिश्चित हो सके कि यह हमें मानवीय मूल्यों के प्रति निरंतर जागरूक और सचेत रखे। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्य आज की भारतीय नीतियों और निर्णयों का आधार हैं।

उन्होंने कहा कि नागरिकों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए भारतीय न्याय संहिता लागू की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल गई है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि थर्ड जेंडर लोगों की पहचान और अधिकार सुनिश्चित करने तथा दिव्यांग लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार लोगों के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने 26 नवंबर 1949 को डॉ राजेंद्र प्रसाद के भाषण जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत को जरूरत है, केवल ईमानदार लोगों के एक समूह की, जो राष्ट्र के हितों को अपने हितों से आगे रखें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम की यह भावना आने वाली सदियों तक भारत के संविधान को जीवित रखेगी।

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