प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। उनके शासन में जहां 500 साल बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर और केदारनाथ धाम का कायाकल्प हुआ। आज (18 जून, 2022) फिर हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस कर रहा है, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर पर फहराई गई पताका न केवल आध्यात्मिकता की प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि सदियां बीत जाने के बावजूद हमारी आस्था मजबूत है। उन्होंने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है।
Gujarat | Prime Minister Narendra Modi inaugurates the redeveloped Kalika Mata temple atop the Pavagadh hill in Panchmahal district. CM Bhupendra Patel also present with the Prime Minister. pic.twitter.com/o1YEeD1p5a
— ANI (@ANI) June 18, 2022
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘‘आपने देखा है कि अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण पहले ही किया जा चुका है और केदारनाथ मंदिर के साथ भी ऐसा ही है। भारत की आस्था और आध्यात्मिक गौरव के हमारे केंद्र फिर से स्थापित हो रहे हैं। पावागढ़ में मां काली मंदिर का पुनर्निर्माण उसी ‘गौरव यात्रा’ का हिस्सा है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि कम से कम जीवन में एक बार माता के दर्शन हो जाएं। आज यहां बढ़ रही सुविधाओं ने मुश्किल दर्शनों को सुलभ कर दिया है। दरअसल 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है। नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फुट दायरे में फैला है।
गौरतलब है कि मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले मुस्लिम आक्रांता सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। बेगड़ा ने 1540 ईस्वी में गुजरात पर हमला किया था। उसने चम्पानेर पर हमले के दौरान इस मंदिर में भी लूटपाट और तोड़फोड़ की थी। इस दौरान मंदिर के शिखर को ध्वस्त करने के बाद उसके ऊपर पीर सदन शाह (कहीं-कहीं अदान शाह का जिक्र भी है) नाम का एक दरगाह बना दी गई थी। दरगाह होने के कारण मंदिर का शिखर नहीं था। इस कारण इस पर पिछले 500 सालों से पताका नहीं फहराया गया था। अब दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से हटा दिया गया है और शिखर का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है।