प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार, 8 अप्रैल को सिख समुदाय के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह की 400वीं जयंती (प्रकाश पर्व) मनाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमें गुरु तेगबहादुर जी के जीवन और शिक्षाओं के साथ ही समूची गुरु परंपरा को भी विश्व तक लेकर जाना चाहिए। किस तरह पूरी दुनिया में आज सिख समुदाय के लोग, और हमारे गुरुओं के हम सब करोड़ों अनुयायी उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं, कैसे सिख समाज सेवा के इतने बड़े बड़े काम कर रहा है, कैसे हमारे गुरुद्वारे मानव-सेवा के जाग्रत केंद्र हैं, ये संदेश हम अगर पूरे विश्व तक लेकर जाएंगे तो हम मानवता को बहुत बड़ी प्रेरणा दे सकेंगे।’
उन्होंने कहा, “मैं चाहूंगा कि इस पर शोध करके इसे डॉक्यूमेंटेंड भी किया जाए। हमारे ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों का भी पथप्रदर्शन करेंगे। यही गुरु तेगबहादुर जी समेत सभी गुरुओं के चरणों में हमारी श्रद्धांजलि भी होगी, एक प्रकार से कार्यांजलि भी होगी। ये भी अहम है कि इसी महत्वपूर्ण समय में देश आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है, हमारी आजादी को 75 वर्ष हो रहे हैं। मुझे विश्वास है, गुरु आशीर्वाद से हम अपने हर आयोजनों में जरूर सफल होंगे।’
उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी ने कहा है- “सुखु दुखु दोनो सम करि जानै अउरु मानु अपमाना”॥ अर्थात, सुख-दुःख, मान-अपमान इन सबमें एक जैसा रहते हुये हमें अपना जीवन जीना चाहिए। उन्होंने जीवन के उद्देश्य भी बताए हैं, उसका मार्ग भी दिखाया है। उन्होंने हमें राष्ट्र सेवा के साथ ही जीवसेवा का मार्ग दिखाया है। उन्होंने समानता, समरसता और त्याग का मंत्र हमें दिया है। इन्हीं मंत्रों को खुद जीना, और जन-जन तक पहुंचाना ये हम सबका कर्तव्य है।