ठीक ही कहा जाता है कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बचपन से ही प्रतिभाशाली थे, इसकी पुष्टि युवावस्था में लिखी गई एक डायरी से होती है। इस डायरी के पन्ने पर युवा नरेन्द्र ने ‘न्यू इंडिया’ और वैश्विक शांति का जो सपना शब्दों में पिरोया था, उसे आज प्रधानमंत्री बनकर साकार करता हुआ नजर आ रहा है। ‘न्यू इंडिया’ के विश्वकर्मा के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, वहीं वैश्विक स्तर पर भारत को एक ऐसे देश के रूप में पेश कर रहे हैं, जो शांति और सौहार्द्र चाहता है और दूसरे देशों को भी अपने साथ लेकर चलना चाहता है।
दरअसल सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हाथ से लिखी गई डायरी के एक पेज की तस्वीर वायरल हो रही है। इस पेज की खासियत यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय लिखा था, जब वो बीजेपी के युवा कार्यकर्ता हुआ करते थे। प्रधानमंत्री मोदी की इस डायरी के नोट में जिसे हिंदी और संस्कृत में लिखा गया है, उसे Modi Archive नाम के एक ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है। ट्वीट में लिखा गया है, “युवा दिमाग में एकता और सद्भाव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टि के बीज बोए जा रहे हैं। #WorldPeaceDay पर यहां नरेन्द्र मोदी की डायरी का एक अंश है, जो उस वक्त बीजेपी के युवा कार्यकर्ता थे।”
The seeds of an international vision for harmony and unity being sown in a young mind..
On #WorldPeaceDay here’s an excerpt from the diary of Narendra Modi, then a young BJP karyakarta.
[Handwritten, Personal Diary] #InternationalDayOfPeace pic.twitter.com/RNWJ3952cA
— Modi Archive (@modiarchive) September 21, 2022
प्रधानमंत्री मोदी की डायरी के पन्ने पर Global Vision, परंपरा है, सपना है, मर्यादा है आदि शब्द लिखे गए है। शब्द देखने में साधारण है, लेकिन इनके निहितार्थ असाधारण है। एक-एक शब्द उस गागर के सामन है, जिसमें पूरा सागर समाहित है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी डायरी में लिखा है, हमारी चेतना और हमारे अस्तित्व का सार है – विविधता में एकता। उन्होंने लिखा- ईश्वर हम सभी की रक्षा करे, मिलजुल कर हम सबका पालन-पोषण करे। राष्ट्रीय आकांक्षा की बात पर वो लिखते हैं कि मैं यह जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करता हूं क्योंकि ये मेरा नहीं है।
पीएम मोदी की डायरी के पन्ने में समाया संसार
हमारी चेतना है, हमारी प्रकृति है – विविधता में एकता
कार्य संस्कृति – त्येन त्यक्तेन भूंजिथा:
कार्यशैली – सहनाववतु। सह नौ भुनक्तु।
राष्ट्रीय आकांक्षा – राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम
Global vision – वसुधैव कुटुंबकम्
परंपरा है – चरैवेति चरैवेति
सपना है – सर्वे अपि सुखिन: सन्तु
मर्यादा है – न कामये राज्यम्, न स्वर्गम्, ना पुर्नभवम्:
प्राण शक्ति है – सौ करोड़ देशवासी और हजारों वर्ष की धरोहर!
हमारी चेतना है, हमारी प्रकृति है – विविधता में एकता
Our consciousness, the essence of our being is – Unity in Diversityकार्य संस्कृति – त्येन त्यक्तेन भूंजिथा:
Work Culture – Sacrifice reaps rewards(contd.) pic.twitter.com/feC4OlxzaX
— Modi Archive (@modiarchive) September 22, 2022
आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी किस तरह दुनिया को शांति के पथ पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, उनके इस प्रयास को वैश्विक मान्यता मिल रही है…
वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि वो आज पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं। उनके विचार को शक्तिशाली देश भी पूरे ध्यान से सुन रहे हैं और उस पर अमल भी कर रहे हैं। अब प्रधामंत्री मोदी को विश्व शांति दूत के रूप में देखा जाने लगा है। इसकी झलक सबसे पहले अमेरिका में देखने को मिली, जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए प्रधानमंत्री मोदी के शांति संदेश ने खूब सुर्खियां बटोरीं। अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने भी बयान जारी कर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रों ने भी जमकर तारीफ की है।
पीएम मोदी के शांति पाठ का फ्रांस के राष्ट्रपति का समर्थन
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सत्र में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। उनकी यह बात एकदम सही थी। उन्होंने आगे कहा कि यह पश्चिम से बदला लेने और उसे पूर्व के खिलाफ खड़ा करने का समय नहीं है। यह वक्त है कि हम सभी संप्रभु राष्ट्र हमारे समक्ष मौजूद चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला करें। उन्होंने कहा कि उत्तर और दक्षिण के बीच नए समझौतों की सख्त जरूरत है। एक ऐसा समझौता, जो खाद्यान्न, शिक्षा और जैव विविधता के क्षेत्र में हो।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान सही और न्यायपूर्ण- सुलिवन
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने मंगलवार (20 सितंबर, 2022) को व्हाइट हाउस में मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वह बयान सिद्धांतों के आधार पर दिया गया बयान था, जिसे वह सही मानते हैं। एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर एक सवाल के जवाब में सुलिवन ने कहा कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा वह सही और न्यायपूर्ण है। उनकी ओर से सिद्धांतों के आधार पर दिया गया बयान है। इसका बहुत स्वागत किया गया। भारत के रूस से लंबे रिश्ते हैं, इसके बावजूद उसने इस बात पर जोर दिया कि यह जंग खत्म करने का समय है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में पीएम मोदी के शांति पाठ की चर्चा
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने उनकी खूब प्रशंसा की थी। सीएनएन ने दुनिया की राजनीति पर प्रधानमंत्री मोदी की पकड़ की प्रशंसा की। उसने कहा, “भारतीय नेता नरेन्द्र मोदी ने पुतिन से कहा: अब युद्ध का समय नहीं है।” वहीं, एक अन्य अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट का शीर्षक था, “मोदी ने यूक्रेन में युद्ध पर पुतिन को फटकार लगाई।” न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने शीर्षक में कहा, “भारत के नेता ने पुतिन से कहा कि अब युद्ध का युग नहीं है।” द वाशिंगटन पोस्ट और द न्यूयॉर्क टाइम्स दोनों के वेबपेज पर यह मुख्य खबर रही।
पुतिन को पीएम मोदी का शांति पाठ-आज युद्ध का युग नहीं
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी और कहा था, ”आज युद्ध का युग नहीं है।” इसपर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि वह यूक्रेन में जारी संघर्ष को लेकर अपनी स्थिति और उन चितांओ के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ हैं, जिनके संबंध में प्रधानमंत्री मोदी अक्सर बात करते हैं। पुतिन ने आश्वासन दिया था कि हम इसे यथाशीघ्र रोकने की कोशिश करेंगे।
मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रियास मैनुएल लोपेज ओब्राडोर ने विश्व शांति के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कमीशन बनाने की बात की और सुझाव दिया कि इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शामिल किया जाए। यह अनायास नहीं है कि मेक्सिको के राष्ट्रपति को पीएम मोदी की याद आ गई हो बल्कि इसमें पीएम मोदी के आठ साल की कड़ी मेहनत छुपी हुई है। कोरोना काल में भारत ने जिस तरह से बिना भेदभाव के दुनिया के अधिकतर देशों को कोविड वैक्सीन मुहैया करवाया उससे भारतीय दर्शन ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की भावना वैश्विक स्तर पर पहुंची और प्रधानमंत्री मोदी की छवि एक ग्लोबल लीडर के तौर पर बनी। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से तमाम ग्लोबल रेटिंग में प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक स्तर पर सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं।
Honourable Prime Minister Shri Narendra Modi ji is the most admired leader not only in India but world over.Modi ji is an highly experienced politician who can handle any crisis e.g Terrorism corona J&K .Next PM is Modi ji no doubt. Jai Shri Ram.Ghar Ghar Modi Har Har Modi.
— Nagalatha yaddanapudi (@NagalathaY) August 12, 2022
https://twitter.com/narendra52/status/1557564528669310976
मेक्सिको के राष्ट्रपति के प्रस्ताव से पीएम मोदी बनेंगे विश्व शांति दूत
मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रियास मैनुएल लोपेज ओब्राडोर ने विश्व शांति के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कमीशन बनाने की बात की है और सुझाव दिया है कि इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल किया जाए। ओब्राडोर चाहते हैं कि पांच साल तक दुनिया में शांति कायम करने के लिए एक कमीशन बनाया जाए। वह इसमें मोदी, ईसाइयों के धर्म गुरु पोप फ्रांसिस और यूनाइटेड नेशंस के महासचिव एंतोनियो गुतरेस को रखना चाहते हैं। ओब्राडोर का कहना है कि वह यूनाइटेड नेशंस के सामने अपना यह प्रस्ताव रखेंगे। मेक्सिको के राष्ट्रपति ने जिस तरह सिर्फ तीन लोगों के पैनल का सुझाव दिया और फिर उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल किया, उससे पता चलता है कि उनकी नजर में भारत की कितनी अहमियत है। मेक्सिको के राष्ट्रपति ने अगर वैश्विक नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिया है तो इसकी अपनी खास वजहें हैं। प्रधानमंत्री के रूप में वैश्विक मंचों पर मोदी की अपील का असर तो है ही साथ ही भारत की अपनी खासियतों का भी इसमें बड़ा रोल है।
The President of Mexico has declared that he will submit a written proposal to the United Nations to establish a 3-member committee to achieve world peace, including the names of the most respected world leaders: PM Narendra Modi; Pope Francis; and UN Secretary-General, António. pic.twitter.com/zLSkR9WooM
— Rohit Mehra (@myrohitmehra) August 11, 2022
दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए पहल
इस शांति आयोग का उद्देश्य दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना और कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए समझौता करना होगा। मेक्सिको के राष्ट्रपति के प्रस्ताव के अनुसार वे तीनों मिलेंगे और जल्द ही हर जगह युद्ध को रोकने का प्रस्ताव पेश करेंगे, कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए किसी समझौते पर पहुंचेंगे। ताकि दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों, विशेष रूप से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए खुद को समर्पित कर सकें। इससे सभी देशों को यह अहसास होगा कि हमारे पास बिना तनाव, बिना हिंसा और शांति के पांच साल हैं।
Mexican President Andres Manuel Lopez Obrador bats for OUR PM, wants #Modi in a 3-member commision to ‘Restore’ world peace,will write letter to UN.Other 2 memebers r Pope Francis & UN Secretary António Guterres. PROUD moments for EVERY INDIAN #AzadiKaAmritMahotsav #15August2022
— Kanti Gala (@galakanti) August 11, 2022
भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्व शांति के पक्ष में रहा
भारत दुनिया का एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है। कोरिया वॉर से लेकर गुट निरपेक्ष आंदोलन तक, भारत हमेशा ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्व शांति के पक्ष में रहा है। भारत ने हमेशा ही इस बात पर बल दिया है कि किसी भी देश को दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की अगुवाई वाले नैटो और रूस के बीच तनाव किस कदर बढ़ा यह सबने देखा। उसके बाद तमाम देशों पर दबाव आया कि वे किसी न किसी पक्ष की ओर खड़े हों, लेकिन भारत ने अपनी तटस्थ नीति बनाए रखी। भारत ने युद्ध का विरोध किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों पर वोटिंग से बाहर रहा।
Mexican President bats for PM Narendra Modi, wants him in a 3-member commision to ‘Restore’ World Peace and Stop WAR anywhere in World; Will write letter to UN for establishing the peace-commission.
Pope Francis and António Guterres are the other two.
Burnol moment for ? ? pic.twitter.com/riqPcyFLJS
— VIBΣ (@soumya_ranjan_r) August 10, 2022
शांति के लिए चीन, रूस और अमेरिका को आमंत्रित किया
युद्ध जैसी कार्रवाइयों को समाप्त करने का आह्वान करते हुए मेक्सिको के राष्ट्रपति ने चीन, रूस और अमेरिका को शांति का रास्ता खोजने के लिए आमंत्रित किया और उम्मीद जताई कि तीनों देश मध्यस्थता को सुनेंगे और इसे स्वीकार करेंगे जैसा कि हम प्रस्तावित कर रहे हैं। उन्हें बताया कि उनके टकराव के कारण यह सब हुआ है। उन्होंने विश्व आर्थिक संकट को जन्म दिया है, उन्होंने मुद्रास्फीति में वृद्धि की है और भोजन की कमी, अधिक गरीबी पैदा की। और सबसे बुरी बात यह है कि एक साल में टकराव के कारण इतने सारे इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। यही उन्होंने एक साल में किया है। ओब्रेडोर के अनुसार, प्रस्तावित युद्धविराम ताइवान, इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा और अधिक टकराव को बढ़ावा देने वाला नहीं होगा। इसके अलावा, उन्होंने आग्रह किया कि दुनिया भर की सभी सरकारों को संयुक्त राष्ट्र के समर्थन में शामिल होना चाहिए, न कि नौकरशाही तंत्र जिसमें प्रस्ताव और पहल पेश किए जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में भारत का बढ़ता दायरा
भारत क्वॉड और ब्रिक्स जैसे रणनीतिक और आर्थिक मंचों का अहम सदस्य है। भारत ने एक और अहम ग्रुप I2U2 के जरिए भी अपनी भूमिका का दायरा बढ़ाया है। इस ग्रुप में भारत, इजरायल, अमेरिका और यूएई शामिल हैं। इस साल जुलाई में इसकी पहली शिखर बैठक हुई थी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि पिछले दिनों जब अमेरिका की पहल पर इजरायल और अरब देशों ने हाथ मिलाया तो उस कूटनीतिक पहल में भारत भी शामिल था।
इजरायल-फिलिस्तीन विवाद और पीएम मोदी की भूमिका
मेक्सिको के राष्ट्रपति ने अपने बयान में यूक्रेन और ताइवान के अलावा इजरायल-फिलिस्तीन विवाद का भी जिक्र किया। इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में भारत की अपनी खास नीति रही है। भारत ने फिलिस्तीन के बंटवारे के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का विरोध किया था। जिन 13 देशों ने उस प्रस्ताव का विरोध किया, उनमें भारत इकलौता गैर-अरब देश था। 1948 के उसी प्रस्ताव के जरिए इजरायल का वजूद सामने आया था। लेकिन जवाहर लाल नेहरू के जमाने में ही भारत ने इजरायल को मान्यता भी दी थी। उसके बाद से भारत का रुख कमोबोश फिलिस्तीन के पक्ष में रहता आया। हाल के वर्षों पीएम मोदी के नेतृत्व में इजरायल से संबंध कहीं ज्यादा मजबूत हुए हैं। फिर भी संतुलन की नीति अब भी बनी हुई है। मेक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर ने मोदी, पोप और गुतरेस की सदस्यता वाले कमीशन के जरिए अगर इजरायल-फिलिस्तीन विवाद सुलझने की उम्मीद जताई है तो इसके पीछे अरब देशों के साथ ही इजरायल से भी भारत के उतने ही मजबूत संबंधों की तस्वीर होगी। ओब्राडोर ने यह उम्मीद की है कि प्रधानमंत्री मोदी इस इलाके में शांति कायम करने में मददगार साबित होंगे।

चाणक्य नीति से मेल खाता है मोदी के कामकाज का तरीका
ग्लोबल लीडर के तौर पर दुनिया के बड़े मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी की धाक बढ़ती जा रही है। दुनिया में आतंक के बढ़ते प्रभाव और अफगानिस्तान में तालिबान के उदय के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब दुनिया के अन्य हिस्सों में भी युद्ध आहट सुनाई दे रही है। इन सब के बीच दुनिया की निगाहें देश के प्रधानमंत्री मोदी पर आ टिकी हैं। इतिहासकार मानते हैं कि मोदी के कामकाज का तरीका चाणक्य की नीति से मेल खाता है। इसी नीति के सहारे सैकड़ों साल पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य की नींव रखी थी। नरेंद्र मोदी ने जब जापान का दौरा किया तो काशी को क्योटो के तर्ज पर विकसित करने का समझौता किया था। इसी के साथ ही वाराणसी मोदी की विदेश नीति का केंद्र बनकर उभरा। दरअसल, बौद्धधर्म को मानने वालों के लिए वाराणसी का काफी महत्व है। यहां सारनाथ में महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। बौद्ध धर्म को मानने वाले देश अब तक अलग-थलग थे। मोदी सभी बौद्ध देशों को अपने साथ एक मंच पर लाकर भारत को नई महाशक्ति के रूप में विकसित करना चाह रहे हैं। इससे चीन को घेरने के साथ-साथ एक कड़ा संदेश दिया जा सकता है। उनकी यह विदेश नीति चाणक्य की नीतियों का ही एक नमूना है।
भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है : UNGA में पीएम मोदी
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया का एकजुट होना जरूरी है। बिखरी हुई दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। हमें संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी। स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि सवा सौ साल स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद से दुनिया को एक संदेश दिया था। यह संदेश था- सद्भाव और शांति। भारत की ओर से आज भी दुनिया के लिए यही संदेश है। गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पूरा विश्व इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व की शांति और प्रगति के लिए आज भी महत्वपूर्ण है। यूएन पीसकीपिंग मिशन में अगर किसी ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है, तो वह देश भारत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं। शांति का संदेश दिया है। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।
हमने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं पीएम मोदी#PMModiAtUN #UNGA2019 ????? ये नजारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के सम्बोधन के दौरान
#UNGA दफ़्तर के बाहर का है।??????????
चौकीदार हो, तो ऐसा..पूरा विश्व जिशे सलूट करे pic.twitter.com/KfLnyBs5MA— Ritesh singh (@riteshs11052198) September 28, 2019
“वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना से प्रेरित है ‘वैक्सीन मैत्री’
भारत का ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी की “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना से प्रेरित है। भारत में अप्रैल 2021 में महामारी की दूसरी लहर आने के बाद भारत सरकार ने कोरोना वैक्सीन के निर्यात को रोक दिया था। इससे पहले ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत भारत ने अनुदान, वाणिज्यिक खेप और कोवैक्स सुविधा के माध्यम से लगभग 100 देशों को 6.60 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज का निर्यात किया था। कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत पूरी दुनिया के लिए एक संकटमोचक बनकर सामने आया। इसकी तारीफ कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में वर्चुअल संबोधन के दौरान घोषणा की थी कि भारत के वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में सारी मानवता की मदद के लिए किया जाएगा।