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पीएम मोदी ने सालों से चल रहे फर्जीवाड़े को किया खत्म! देश का लूटा जा रहा था 2.73 लाख करोड़ रुपये, अब राष्ट्र निर्माण में लग रहा पैसा

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कांग्रेस शासित भारत में 60 वर्षों तक, भारतीय कल्याण वितरण पैटर्न नौकरशाही की आड़ में संचालित किया जा रहा था। आधार को बैंक खाते से जोड़कर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पर मोदी सरकार के जोर देने से सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आई है। फर्जी राशन कार्डों की पहचान तेजी से कम हो रहे नौकरशाही भ्रष्टाचार की एक कड़ी मात्र है। नौकरशाही भ्रष्टाचार पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने देश में सच्चे कल्याण चाहने वालों की पहचान करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया। तकनीकी हस्तक्षेप के उपयुक्त उपयोग के परिणामस्वरूप देश में 4.82 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए. 1.86 करोड़ फर्जी किसानों का पर्दाफाश किया गया, 5 करोड़ मनरेगा फर्जी जॉब कार्ड रद्द किए गए, विभिन्न सरकारी योजनाओं से 11 करोड़ फर्जी नाम हटाए गए और 3.96 लाख फर्जी कंपनियों पर ताला लगाया गया। ये वो नाम थे, जिनका जन्म ही नहीं हुआ था। ये देश का खजाना लूटने का बहाना बन गए थे। मोदी सरकार ने इस पर लगाम लगाया और देश के खजाने से बंदरबांट को बंद किया। इसके जरिये देश का लूटा जा रहा 2.73 लाख करोड़ रुपये बचाया गया और आज ये पैसा राष्ट्र निर्माण में लग रहा है।

4.28 करोड़ फर्जी राशन कार्ड, इस राज्य में मिला सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
केंद्र सरकार ने राशन कार्ड के जरिए हो रही धांधली पर रोक लगाने और सही लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से 4.39 करोड़ फर्जी राशन कार्ड को रद्द कर दिया है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने एनएफएसए के तहत यह कार्य किया है। रद्द किए गए राशन कार्डों के बदले में सही और योग्य लाभार्थियों या परिवारों को नियमित तौर पर नए राशन कार्ड जारी कर दिए गए हैं। दरअसल, सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को आधुनिक बनाने और इसके परिचालन में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। राशन कार्डों और लाभार्थियों के डाटाबेस को डिजिटाइजेशन करना, राशन को आधार से जोड़ना, अपात्र या फर्जी राशन कार्डों की पहचान करना, डिजिटाइज किए गए डाटा के दोहराव को रोकना और लाभार्थियों के दूसरे जगह चले जाने या मौत हो जाने के मामलों की पहचान करने के लिए फर्जी राशन कार्डों को रद्द किया गया है। राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने 2013-20 तक की अवधि में देश के कुल 4.39 करोड़ फर्जी राशन कार्डों को रद्द किया है।

केवल बंगाल में 2 करोड़ राशन कार्ड कैंसिल किए गए
पश्चिम बंगाल में राशन कार्ड के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ। राज्य में फर्जी राशन कार्डों की पहचान का काम शुरू किया गया तो करीब दो करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए। फर्जी राशन कार्ड रद्द करने से प्रति साल सरकार को कम से 3600 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। डिजिटल राशन कार्ड आने के बाद राज्य में राशन कार्ड की संख्या करीब 10 करोड़ 70 लाख थी। राज्य में राशन कार्डों की संख्या अब लगभग 8 करोड़ 78 लाख बच गए हैं। करीब दो करोड़ फर्जी राशन कार्ड का पता चला, जिसे सरकार की ओर से रद्द कर दिए गए हैं। प्रति दो करोड़ कार्ड पर मासिक शुल्क से राज्य को करीब 300 करोड़ रुपये की बचत होगी। यानी करीब 3600 करोड़ सालाना करोड़ रुपए सरकार को बचत होगी।

5 करोड़ मनरेगा फर्जी जॉब कार्ड रद्द, मुर्दे भी खोद रहे थे तालाब!
सिर्फ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ही नहीं, बल्कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में भी बड़े स्तर पर धांधली हो रही थी। काफी अधिक संख्या में लोग फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा का फायदा उठा रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार अब ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त हो गई है। सरकार ने फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए मनरेगा के 5 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड को रद्द कर दिया। काफी संख्या में लोगों ने फर्जी और डुप्लिकेट जॉब कार्ड बना लिए थे। साथ ही कई मनरेगा लाभार्थियों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में फर्जी और डुप्लिकेट जॉब कार्ड धारकों के साथ- साथ मर चुके लाभार्थियों के नाम भी फाइनेंशियर ईयर 2022-23 में मनरेगा की लिस्ट से हटा दिए गए, जिनकी संख्या 5,1891168 है। पिछले वित्त वर्ष में ऐसे जॉब कार्ड धारकों की संख्या 1,4951247 थी। खास बात यह है कि सबसे अधिक जॉब कार्ड पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कैंसिल किए गए।

3.5 करोड़ एलपीजी के बोगस कनेक्शन रद्द किए गए
मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आते ही फर्जी एलपीजी कनेक्शन पर कार्रवाई शुरू कर दी थी और दो साल के भीतर ही 2016 में 3.5 करोड़ के फर्जी एलपीजी कनेक्शन रद्द किए गए। इससे 2 साल में ही 21,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचाई गई। बोगस कनेक्शन रद्द किए जाने से कामर्शियल यूज वाले सिलेंडर डिमांड 39 प्रतिशत तक बढ़ गई।

1.86 करोड़ फर्जी किसानों का पर्दाफाश
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में किसानों के खाते में हर साल 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। लेकिन, सरकार ने 12वीं किस्त जारी करने से पहले किसानों के डेटा को ‘क्लीन’ करने के लिए जैसे ही आधार लिंक करने वाला चौथा डिजिटल फिल्टर आजमाया तो लाभार्थी किसानों की संख्या पिछले 6 महीनों में 1.86 करोड़ कम हो गई। 11वीं किस्त में इस योजना का लाभ 10.45 करोड़ से अधिक किसानों को मिला, जो 12वीं किस्त में घटकर 8.58 करोड़ रह गए। उत्तर प्रदेश में इस चौथे फिल्टर के चलते 58 लाख किसान कम हो गए, जबकि पंजाब में यह संख्या 17 लाख से घटकर 2 लाख रह गई। 5 राज्य ऐसे हैं, जहां यह संख्या 10-15 लाख घटी है, जबकि इतने ही राज्यों में लाभार्थी बढ़े हैं। दरअसल, कृषि मंत्रालय ने किसानों के डेटा को पारदर्शी बनाने के लिए तीन फिल्टर पहले से लगाए थे। फिर आधार लिंक्ड पेमेंट के रूप में चौथा फिल्टर लगाया तो लाभार्थियों की संख्या घटते गई। योजना में पारदर्शिता और अपात्रों की पहचान करने के लिए किसानों का ई-केवाईसी लागू कर दिया है और आधार पेमेंट ब्रिज के जरिए भुगतान किया जा रहा है। किसानों की संख्या कम होते देख केंद्र ने राज्यों के साथ मिलकर गांव-गांव में टीम भेजने को कहा है, ताकि असली हकदार स्कीम से बाहर न हों।

मोदी सरकार ने 3.96 लाख फर्जी कंपनियों को किया बंद
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले कुछ सालों में लाखों कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया है। अनुपालन में कमी के कारण 3.96 लाख फर्जी कंपनियों को बंद किया गया। कंपनी कानून के तहत उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद पिछले वर्षों में 3.96 लाख से अधिक कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया गया।

विभिन्न सरकारी योजनाओं से 11 करोड़ फर्जी नाम हटाए गए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अक्टूबर 2023 को राजस्थान और मध्य प्रदेश के दौरे पर थे। दोपहर में वे जबलपुर पहुंचे, जहां उन्होंने 12,600 करोड़ से ज्यादा की लागत वाले प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास किया। जबलपुर में पीएम ने कहा कि 2014 से पहले कांग्रेस के घोटालों की हेडलाइन बनती थी। हमने कांग्रेस की भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने का अभियान छेड़ा। 11 करोड़ फर्जी नाम हटाए, ताकि सही लोगों को पैसा पहुंच सके। ये वो नाम थे, जिनका जन्म ही नहीं हुआ था। ये दफ्तरों से खजाना लूटने बहाना बन गया था। ये मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कुल आबादी से ज्यादा हैं।

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