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पीएम मोदी ने हिंदी भाषा को विश्वस्तर पर दिलाई पहचान, सरकारी कामकाज में बढ़ावा, संयुक्त राष्ट्र में बजा डंका

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हिंदी दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी और चीन की मंदारिन के बाद दुनिया में इसी का नंबर है। हर साल 14 सितंबर को देश हिंदी दिवस के रूप में मनाता है। लेकिन 2014 से पहले अंग्रेजी मानसिकता वाली सरकारें ही देश की सत्ता पर काबिज रहीं और हिंदी को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल सका। कांग्रेस के शासनकाल में हिंदी दिवस भी एक रस्म अदायगी भर होता था। लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी भाषा को जो गौरव दिलाया वह स्वतंत्र भारत में 65 साल के शासनकाल में नहीं मिला। पीएम मोदी के कार्यकाल में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किए गए हैं। 2014 में सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री ने हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने पर जोर दिया था और हिंदी में अधिक से अधिक काम करने के निर्देश दिए थे। प्रधानमंत्री स्वयं भी वैश्विक मंचों पर ज्यादातर हिंदी में ही अपनी बात रखते हैं। चाहे संयुक्त राष्ट्र हो, जी-20 का सम्मेलन हो या फिर विदेशों में प्रवासी सम्मेलन, पीएम मोदी ने हिंदी में अपनी बात रखकर भाषा को नई ऊंचाई दी है। उन्होंने दुनिया को हिंदी भाषा के सामर्थ्य से परिचित कराया और देशवासियों में स्वाभिमान का भाव जागृत किया है।

हिन्दी भाषा राष्ट्रीय एकता और सद्भावना की डोर मजबूत करती रहेगी
हिंदी भारत की राज्य भाषाओं में से एक है। हिंदी की जड़े जितनी गहरी हैं, उतना ही समृद्ध इसका इतिहास भी है। हिंदी की महत्ता को मनाने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लोगों को बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट में लिखा, मेरे सभी परिवारजनों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि हिन्दी भाषा राष्ट्रीय एकता और सद्भावना की डोर को निरंतर मजबूत करती रहेगी।


विश्व हिंदी भाषा की शक्ति को पहचान रहाः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी है कि ”हिंदी एक भाषा ही नहीं, बल्कि एक भावना है जो हम सभी को जोड़ती है। आज पूरा विश्व हिंदी भाषा की शक्ति को पहचान रहा है। भाषा अभिव्यक्ति का साधान होती है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम होती है।” विविधताओं से भरे इस देश को अपनी मौलिकता से बांधे रखने में हिंदी भाषा का अहम योगदान है। हिंदी भाषा केवल राजभाषा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान भी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों ने हिंदी को वैश्विक भाषा के तौर पर पहचान दिलाई है।

हिंदी बनी मोदी सरकार के माथे की बिंदी
आजादी के बाद से कांग्रेस के शासनकाल में राजभाषा सप्ताह मनाकर हर साल सरकारी कामकाज हिंदी में करने की रस्म अदायगी कर दी जाती थी लेकिन अब यह अतीत की बात हो चुकी है। मोदी सरकार ने सभी सरकारी कामकाज हिंदी में किए जाने का निर्णय किया। सरकार के सभी विभागों से लेकर अदालतों तक में हिंदी को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इस तरह कहा जा सकता है कि हिंदी मोदी सरकार के माथे की बिंदी बन गई है।

हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा
हिंदी दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी और चीन की मंदारिन के बाद दुनिया में इसी का नंबर है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में हिंदी समझने और बोलने वालों की संख्या करीब 60 करोड़ है। वहीं, भारत से बाहर भी करोड़ों की संख्या में लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। हालांकि, आजादी के इतने वर्षों बाद भी अबतक हिंदी को अपना उचित स्थान पूरी तरह से नहीं मिल पाया है। अब मोदी सरकार द्वारा की जा रही कोशिशों को हिंदी के बेहतर भविष्य की रूपरेखा के तौर पर देखा जा सकता है।

हिंदी में सरकारी कामकाज को बढ़ावा
देश-दुनिया की प्रमुख भाषा होने के कारण मोदी सरकार ने हिंदी को प्रमुखता से बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए हैं। इसमें सबसे प्रमुख है सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देना। देशभर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का मकसद रखते हुए मोदी सरकार ने अपने सभी विभागों को भी हिंदी का प्रयोग करने की सलाह दी है। गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने कहा कि नई सरकार सभी विभागों एवं सार्वजनिक जीवन में हिंदी मे कामकाज को बढ़ावा देगी। मोदी सरकार राजभाषा विभाग को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट भी आवंटित कर रही है।

नई शिक्षा नीति में तीन भाषा फॉर्मूले में हिंदी अनिवार्य
पीएम मोदी की सरकार की नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा के प्रयोग पर काफी जोर दिया गया है। इस नीति में तीन भाषाओं का फॉर्मूले दिया गया है, जिसमें अंग्रेजी के अलावा दो भारतीय भाषाओं को स्‍थान दिया गया है। अबतक गैर-हिंदी भाषी राज्‍यों में स्‍थानीय भाषा के अलावा केवल अंग्रेजी को तवज्‍जो दी जाती थी। नई शिक्षा नीति में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से इसी साल यह भी बताया गया कि अब देश में ऐसी व्‍यवस्‍था की जा रही है जिसके तहत हिंदी भाषा में भी इंजीनियरिंग और डॉक्‍टरी की पढ़ाई की जा सकेगी।

शिक्षा में हिंदी को बढ़ावा, डॉक्‍टरी की पढ़ाई भी संभव
मोदी सरकार ने हिंदी के विकास की ओर कदम बढ़ाते हुए विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेज को भी हिंदी भाषा में ही पढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकार द्वारा मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब हिंदी भाषा में करवाई जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी भाषा में पढ़ाई की शुरुआत की गई है।

डिजिटल हिंदी को बढ़ावा
आज के दौर में किसी भी चीज को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल टूल्स काफी मददगार होते हैं। इसलिए मोदी सरकार के कार्यकाल में राजभाषा विभाग द्वारा सी डैक के सहयोग से तैयार किये गये लर्निंग इंडियन लैंग्‍वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) मोबाइल ऐप भी बनाया गया है। इस ऐप पर लोग आसान तरीके से हिंदी भाषा को समझ और सीख सकते हैं। इसके अलावा भी सरकार कई अन्य डिजिटल तरीकों को भी प्रोमोट कर रही है।

संयुक्त राष्ट्र में हिंदी
हिंदी अपने आप में एक विशाल जन समूह द्वारा बोली जाने वाली भाषा तो है। ये सिर्फ भारत नहीं, बल्कि फिजी, मॉरीशस समेत कई अन्य देशों में प्रमुखता से बोली जाती है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा न मानने की बात हजम नहीं होती। इसलिए मोदी सरकार ने हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए कई बड़े कदम उठाए। पीएम मोदी की पहल से अब संयुक्त राष्ट्र की सूचनाएं हिंदी में भी जारी होने लगी हैं। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी स्वयं भी संयुक्त राष्ट्र समेत विभिन्न वैश्विक मंचों पर हिंदी भाषा में ही बात करते दिखाई देते हैं।

अब संयुक्त राष्ट्र भी कहेगा, नमस्ते भारत, अब हिंदी में भेजेगा संदेश
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने जून 2022 में पहली बार हिंदी भाषा से जुड़े भारत के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के सभी जरूरी कामकाज और सूचनाओं को इसकी आधिकारिक भाषाओं के अलावा दूसरी भाषाओं जैसे- हिंदी में भी जारी किया जाए। भारत की ओर से ये प्रस्ताव लाया गया था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था, ‘संयुक्त राष्ट्र में बहुभाषावाद प्रस्ताव पारित हुआ। इसमें पहली बार हिंदी का जिक्र है।’

संयुक्त राष्ट्र ने 20218 में हिंदी में ट्विटर अकाउंट और न्यूज पोर्टल शुरू किया
मोदी सरकार ने हिंदी को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए हैं। इसके प्रयासों से ही 2018 से ही करोड़ों हिंदी भाषी लोगों के लिए संयुक्त राष्ट्र ने हिंदी में ट्विटर अकाउंट और न्यूज पोर्टल शुरू किया था। हर हफ्ते संयुक्त राष्ट्र का एक हिंदी ऑडियो बुलेटिन जारी होता है। 2018 में हिंदी @ UN’ परियोजना शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य हिंदी भाषा में संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना और दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा कंटेट देना था। इस तरह मोदी सरकार ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचाया।

अदालतों में हिंदी 
पीएम मोदी के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट में अदालती आदेश अब हिंदी भाषा में उपलब्‍ध कराए जा रहे है। लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने ऐसा करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को धन्‍यवाद भी किया था। इसके बाद सीजेआई ने बार काउंसिल के एक समारोह के दौरान बताया था कि आगे आने वाले वक्‍त में बड़ी संख्‍या में हिंदी में आदेश की कॉपी उपलब्‍ध होनी शुरू हो जाएगी।

जी20 की सफलता से बढ़ा हिंदी का मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में हिंदी में अपनी रखकर इसे वैश्विक स्तर तक पहुंचाया है। दुनियाभर की मीडिया जी-20 को कवर करने पहुंची थी। उन्हें पीएम मोदी के बयान को अंग्रेजी में या अपनी भाषा में ट्रांसलेट करवाना पड़ा। इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला जो हिंदी भाषा के साथ-साथ कोई दूसरी विदेशी भाषा जानते थे। पीएम मोदी के नेतृत्व में जी-20 की सफलता का दुनिया में डंका बजा है वहीं हिंदी का मान भी बढ़ा है। पीएम मोदी के प्रयासों से हिंदी भी तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान प्राप्त कर रही है। आज हिंदी को वैश्विक बनाने का भारत का मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने हिंदी का दायरा वैश्विक बनाया
हिंदी हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा… जैसा नारा हम सुनते हैं, लेकिन वर्तमान समय में हिंदी ना सिर्फ भारत तक सीमित हैं, बल्कि उसका दायरा वैश्विक हो चुका है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। पीएम मोदी अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी में बोलते हुए देखे और सुने जाते हैं। पीएम मोदी ने अपनी विदेशी यात्राओं पर ज्यादातर हिंदी भाषा में ही भाषण दिए हैं। यह सब इस बात का प्रमाण है कि हिंदी भाषा ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर सभी के दिलों में हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी भाषा का विकास हो रहा है।

पीएम मोदी का हिंदी प्रेम अटूट, हस्ताक्षर भी हिंदी में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ताजपोशी के साथ ही राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका उचित स्थान दिलाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए थे। मंत्रियों-अफसरों को सार्वजनिक बातचीत में हिंदी में बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए। लेकिन पीएम मोदी का ये हिंदी प्रेम कुछ लोगों को पच नहीं रहा है। पीएम मोदी को हिंदी से कितना प्रेम है उसे इसी बात से समझा जा सकता है कि वे अपना हस्ताक्षर भी हिंदी में करते हैं।

पीएम मोदी बढ़ा रहे हिंदी का मान, विपक्षी दलों को ये पसंद नहीं
हमारे मनीषियों ने हिंदी और संस्कृत को सर्वोच्च बनाया पर हम गुलामी के लंबे कालखंड की वजह से उस विरासत को संभाल नहीं पाए। आजादी के बाद देश पर शासन करने वालों की यह जिम्मेदारी थी कि वे हिंदी की सर्वोच्च गरिमा को बनाए रखते और इसका मान बढ़ाते लेकिन अफसोस कि वे भी अंग्रेजों के पदचिन्हों पर चलने वाले ही निकले। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हिंदी का मान हर मंच पर बढ़ा रहे हैं तो देश विपक्षी दलों और लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को यह बात पच नहीं रही है क्योंकि उनको हिंदी, हिंदू और सनातन से नफरत है।

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